आम्र-आम/ कृष्ण मेहता
●कच्चा आम स्वाद में कषाय(कसैला) व अम्ल(खट्टा), सुगंधित व गले के रोगों में लाभदायक तथा क्षुधा(भूख) को बढ़ाने वाला होता है।
●कच्चा आम पित्त, वात और कफ को बढ़ाने वाला होता है और गुठली पैड जाने पर भी इन्ही गुणों के युक्त होता है।
●पक जाने पर आम त्रिदोष-शामक, सम्यक पुष्टिप्रद होता है।
अतिधातु वर्धक,कांति वर्धक होता है।
यह तृष्णा(प्यास) शामक होता है।
आयुर्वेद के ग्रंथ राजनिघण्टु में आम के तीन प्रकार बतलाये गए हैं-
1-राजाम्र
2-महाराजाम्र
3-रसालाम्र
●आम का छिलका कषाय(कसैला) तथा मूल कषाय व सुगंधित होता है, ये दोनों रुचिकर, संग्राही(मल को बांधने वाले) व शीतल होते हैं।
आम का फूल(मंजरी) रुचिकर व अग्नि दीपक(पाचन शक्ति बढ़ाने वाला) होता है।
●आम का फूल अतिसार(पतली दस्त) को दूर करने वाला तथा पित्त दोष और प्रमेह व्याधि का नाशक होता है।
●आम का फूल रक्तविकार नाशक,मल को बांधने वाला व वात वर्धक होता है।
●छिलका उतार कर धूप में सुखाया हुआ कच्चा आम अम्ल रसात्मक(खट्टा),कुछ मीठा, कसैला होता है और मल को भेदने(पेट साफ करने वाला) तथा कफवात-नाशक होता है।
●पका हुआ आम मधुर(मीठा), वृष्य(धातुपोषक), स्निग्ध(चिकना), सुखद व बलप्रद होता है, यह गुरु(पचने में भारी), वातहर, हृद्य(हृदय के लिए हितकर), त्वचा के रंग को निखारने वाला होता है।
●पेड़ पर पका हुआ आम कुछ कषाय(कसैला),जठराग्नि,कफ,शुक्र को बढ़ाने वाला होता है,यही पेड़ पर पका हुआ यदि खट्टा व मीठा हो तो पित्त प्रकोप करने वाला होता है।
●घास व भूसे आदि में दबाकर या कृत्रिम रूप से पकाया हुआ आम पित्तनाशक होता है।
●चूसकर सेवन किया हुआ आम रुचिकर,बल वीर्य वर्धक,लघु,शीतल व शीघ्रपाकी(जल्दी पच जाने वाला) होता है।
●वस्त्र आदि से छानकर तैयार किया हुआ आम का रस बल्य, मल को निकालने वाला होता है।
यह अहृद्य(हृदय के लिए लाभप्रद नहीं) होता है।
●उसी आम को काट काट कर खाने पर वह आम गुरु(पचने में भारी),बलदायक,शीतल,वातनाशक होता है।
●दूध के साथ सेवित आम वातपित्त नाशक,रुचिकर,बृंहण व बलवर्धक होता है(इसका सेवन उन्हीं को निर्देशित है जो लोग नित्य व्यायाम करते हों)।
●अमावट(आम्रावर्त) तृष्णा(प्यास),छर्दी(उल्टी), व वातपित्त का शमन करने वाला होता है
सूर्य के ताप में इसका पाक होने के कारण यह रुचिकर व लघु(पचने में हल्का) हो जाता है।