शुक्रवार, 25 जून 2021

कबीर पीठ का आयोजन

डॉ. बी. आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय, कबीर पीठ का आयोजन


कबीर हर युग में प्रासंगिक- प्रो. जंगबहादुर पाण्डेय


महू। ‘कबीर जानकारी के नहीं, समझदारी के कवि थे. कबीर जैसे कवि इसलिए कालजयी कहलाये कि उन्होंने काल को लांघकर शाश्वत साहित्य की रचना की जो एक युग नहीं बल्कि युगों-युगों तक के लिए अपनी प्रासंगिकता बनाये रखता है’ यह बात रांची विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष एवं हिन्दी के प्रतिष्ठित विद्वान प्रो. जंगबहादुर पाण्डेय ने ‘वर्तमान समय में कबीर की प्रासंगिकता’ विषय पर बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे. डॉ. बी.आर. अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय, महू में स्थापित कबीर पीठ के अंतर्गत यह आयोजन किया गया. प्रो. पाण्डेय ने कहा कि कबीर का लेखन कालजयी लेखन है और उन्होंने अपनी रचनाओं में मूल्यों को सबसे ऊपर रखा. मूल्य हमेशा अमूर्त और शाश्वत होता है. उन्होंने कहा कि 6-7 सौ वर्षों बाद की कबीर की प्रासंगिता बनी हुई है और हम आप उन्हें अपने दैनिक जीवन में उतारते हैं तो यह कालजयी परिघटना है. 

प्रोफेसर पाण्डेय ने कबीर की साक्षी, सबद और रमैनी के प्रसंगों का उल्लेख करते हुए कहा कि कबीर का पूरा रचना कर्म अंधविश्वास और कुरीतियों के खिलाफ था. उन्होंने कुरीतियों को मानने वाले व्यक्ति, धर्म और संस्था के  खिलाफ लिखा. प्रो. पाण्डेय कहते हैं कि ऐसा माना जाता है कि रामानंदजी कबीर को अपना शिष्य नहीं बनाना चाहते थे लेकिन कबीर उन्हें ही अपना गुरु मान बैठे थे. काशी के जिस तट पर रामानंदजी स्नान-ध्यान के लिए जाते थे, कबीर वहां लेट गए थे. रामानंदजी चलने लगे तो कबीर के शरीर पर उनका पैर लगा. कहते हैं कि इसकेे बाद कबीर को उनका गुरु मिल गया. प्रो. पाण्डेय कबीर की रचनाओं के बारे में विस्तार से बताते हुए कहते हैं कि उन्होंने साक्षी, सबद और रमैनी तीन विधाओं में रचना की. साक्षी का अर्थ साक्ष्य के साथ, सबद का मतलब गाये जाने वाले शब्द और रमायनी में दोहा का उपयोग किया गया.

संगोष्ठी की अध्यक्ष एवं कुलपति प्रोफेसर आशा शुक्ला ने कबीर बहुप्रतिष्ठित रचना कबीरा खड़ा बाजार में.. का उल्लेख करते हुए कहा कि हम कहीं भी, किसी भी व्यवस्था में रहें लेकिन हमारे लिए आवश्यक है कि हम जनकल्याण के बारे में निरपेक्ष होकर सोचें, जैसा कबीर कहते थे. उन्होंने आज के आयोजन के अतिथि प्रो. पाण्डेय के सारगर्भित व्याख्यान के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में ग्यारह पीठ स्थापित हैं जिसमें कबीर पीठ के अंतर्गत यह प्रथम मेमोरियल लेक्चर हुआ है. आने वाले दिनों में शेष पीठों के अंतर्गत ऐसे ही व्याख्यान का आयोजन किया जाएगा. कार्यक्रम की रूपरेखा एवं समन्वय कबीर पीठ के प्रभारी डॉ. दीपक कारभारी ने किया. आभार प्रदर्शन कुलसचिव श्री अजय वर्मा ने किया. श्री वर्मा ने आशा व्यक्त की कि अतिथियों का इसी प्रकार विश्वविद्यालय को सानिध्य प्राप्त होता रहेगा