रविवार, 30 अक्तूबर 2022

रवि अरोड़ा की नजर से.........


 सिक्खों से कुछ सीखो जी / रवि अरोड़ा 



दीपावली पर इस बार स्वर्ण मन्दिर अमृतसर में था। इस बड़े त्योहार के चलते हरि मंदिर साहब को रंग बिरंगी खूबसूरत लाइटों से भरपूर सजाया गया था । दिवाली और छुट्टी का दिन होने के कारण परिसर में बेहद भीड़ थी मगर फिर भी कहीं धक्का मुक्की, आपा धापी अथवा किसी किस्म की अव्यवस्था नज़र नहीं आई। दुनिया की सबसे बड़ी सामुदायिक किचन यानि गुरू राम दास रसोई में अटूट लंगर सदा की तरह निर्बाध चल रहा था। आमतौर पर इस लंगर में प्रति दिन एक लाख लोग निशुल्क खाना खाते हैं मगर त्यौहार के चलते यह संख्या अनुमानित तौर पर डेढ़ गुना अधिक तो रही ही होगी मगर फिर भी कहीं कोई बदइंतजामी नजर नहीं आई। जिसे देखो वही हाथ जोड़े भक्ति भाव में खड़ा था और सेवा कार्यों में जुटे लोग भी हाथ बांधे खड़े थे मगर सहयोग के लिए । सिर्फ हरि मन्दिर साहिब की ही बात क्यों करें, देश दुनिया का ऐसा कौन सा गुरुद्वारा है जहां ऐसा दृश्य प्रति दिन दिखाई न देता हो। 


इस बार कई सालों के बाद स्वर्ण मंदिर दर्शन के लिए आना हुआ । हर बार की तरह इस बार भी बहुत कुछ बदला बदला मिला । श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या और दर्शनों को और अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए पिछ्ले कई दशकों से कोई न कोई बड़ा परिवर्तन हरबार देखता ही चला आ रहा हूं। नहीं परिवर्तित हो रही तो वह है सिक्खों की सेवा की प्रवृति। कहीं कोई पंडा पुरोहित नहीं, कहीं कोई वीआईपी दर्शन नहीं। पूरे परिसर में ले देकर दान के लिए बस दो गोलक, एक ग्रंथ साहिब के पास और एक परिक्रमा स्थल पर। आप प्रसाद दस रुपए का लें अथवा लाख रुपए का कढ़ाह डोने में उतना ही मिलेगा। कहीं कोई भेदभाव नहीं और कहीं अमीर को गरीब पर वरीयता नहीं। सैंकड़ों साल पहले गुरू नानक और अन्य गुरुओं ने जो शिक्षा दी उसी के अनुरूप स्त्री-पुरूष, अमीर-गरीब, ऊंच- नीच और धर्मी- अधर्मी का कोई भेद नहीं। संगत और पंगत के सिद्धांत के अनुरूप सभी एक साथ एक ही सरोवर में स्नान करो, एक साथ बैठ कर भोजन करो और फिर एक साथ बैठ कर प्रभु का सुमिरन करो। 


हालांकि धर्म कर्म में मेरा अधिक विश्वास नहीं है मगर पारिवारिक माहौल और संस्कारों के चलते सभी धर्मों के अधिकांश धार्मिक स्थलों पर हो आया हूं। लगभग सभी जगह गंदगी और अव्यवस्था का बोलबाला और अमीर गरीब का भेद नजर आया । बेशक चर्च भी खुद को संभाले हुए हैं मगर उनकी मंशा को इस देश में हमेशा से शक की नज़र से देखा गया है। ले देकर गुरुद्वारे ही बचे हैं जहां अभी तक कोई रोग नहीं लगा है। हालांकि अन्य धर्मों के मुकाबले सिख नया धर्म है और चंद सौ वर्षों में बड़ी कुरीतियां अपनी जड़ें जमा भी नहीं पातीं मगर सेवा और भक्ति की परम्परा से सिख कौम इंच भर भी विचलित होती दिखाई नहीं देती। कोरोना काल और अन्य आपदाओं के समय भी सिक्खों ने समाज की सेवा में बढ़ चढ़ कर हाथ बंटाया है। काश हिंदू धर्म के रहनुमा भी इनसे सीखें और पूजा पाठ के अतिरिक्त इंसानियत की सेवा में भी कुछ योगदान दें।

 क्या ही अच्छा हो कि हमारे मठ और बड़े मंदिर अपनी अरबों खरबों रुपए की दौलत सरकार को सौंप दें और देश की माली हालत को सुधारने में एक सकारात्मक भूमिका निभाएं। चलिए ये भी नहीं तो कम से कम भगवान के दर्शनों के नाम पर पैसे तो न वसूलें । गरीब को भी तो थोडा बहुत सम्मान दें और फिर बेशक जितना चाहें अमीर और ताकतवर के चरणों में लोट लगाएं।

टीएमयू की झोली में एक और इंडियन पेटेंट

TMU टीएमयू की झोली में एक और इंडियन पेटेंट 


 


टीएमयू की सीनियर फैकल्टी पीके गुप्ता कोN मिला फर्स्ट इंडियन पेटेंट ग्रांट, कचरे से बनेंगी ईंटें, नयी प्रौद्योगिकी है इको-फ्रैंडली, यूजर फ्रेंडली भी, लागत भी किफायती, शहरों को कचरे से मिलेगी निजात    



प्रो.श्याम सुंदर भाटिया/सतेंद्र सिंह


तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी ने इंनोवेशन में एक ऊंची छलांग लगायी है। यूनिवर्सिटी की झोली में एक और इंडियन पेटेंट आ गया है। यूनिवर्सिटी की सीनियर फैकल्टी श्री प्रदीप कुमार गुप्ता को यह पेटेंट कचरे से ईटें बनाने की नयी तकनीक विकसित करने के लिए मिला है। श्री गुप्ता का यह पहला पेटेंट हैं। इसमें तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी की अहम भूमिका है। यूनिवर्सिटी ने श्री गुप्ता को दो लाख रुपये की सीड मनी स्वीकृत की है। जोश और जुनून से लबरेज श्री गुप्ता ने इस पेटेंट के लिए 2020 में इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट विभाग- आईपीआर में अप्लाई किया था। श्री गुप्ता के इस पेटेंट में कचरे से सीमेंटेड ईंटें-आरसीसी ब्रिक्स बनेंगी। अब न केवल शहरी कचरे का निस्तारण होगा, बल्कि सीमेंटेड ईंटें बनने से आरसीसी ब्रिक्स की लागत भी कम होगी। इस पेटेंट की विशेषता यह है, इसमें कचरे का इस्तेमाल इस प्रकार किया जाएगा कि उसका वातावरण के साथ संपर्क समाप्त हो जाएगा, जबकि पूर्ववर्ती विधियों में कचरे का सम्पर्क वातावरण और प्रयोग करने वाले व्यक्तियों के साथ बना रहता है। इस प्रौद्योगिकी से निर्मित्त ईंटों का इस्तेमाल भवन निर्माण, डिवाइडर और रोड साइड्स बनाने में किया जाएगा। ये एंवायरमेंटल फ्रेंडली ईंटें तो होंगी ही, साथ ही सामान्य ब्रिक्स से 30 प्रतिशत किफायती होगी। यह शहरी कचरे के निस्तारण में मील का पत्थर साबित होगा। कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, जीवीसी श्री मनीष जैन, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन और वीसी प्रो. रघुवीर सिंह ने यूनिवर्सिटी की इस बड़ी उपलब्धि के लिए श्री प्रदीप गुप्ता को हार्दिक बधाई देते हुए उम्मीद जताई श्री गुप्ता के और इंनोवेटिव  प्रोजेक्ट्स भी पेटेंट के रूप में जल्द मिलेंगे। इस आविष्कार को भारतीय बौद्धिक सम्पदा विभाग ने मान्यता देते हुए इसे मौलिक मानते हुए 20 वर्ष के लिए पेटेंट प्रदान किया है। यह पेटेंट यूटिलिटी पेटेंट की श्रेणी में आता है, जिसका तात्पर्य इसकी विधि और डिज़ाइन दोनों नवाचारी और अनूठे पाए गए हैं।   


2030 तक 10 पेटेंट्स प्राप्ति का लक्ष्य


तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में श्री गुप्ता का रिसर्च और इनोवेशन के क्षेत्र में विशेष योगदान है। उन्होंने 4 पेटेंट्स के लिए आवेदन किया हुआ है। एक और पेटेंट जल्द ही उनकी झोली में आने को तैयार है। दो पेटेंट परीक्षण के इंतज़ार में है। 8 पेटेंट विकास की सूची में हैं। उनका लक्ष्य 2030 तक 10 पेटेंट्स प्राप्त करना और इन सभी पेटेंट्स का क्रियान्वन करने का है। उनके अधिकतर आविष्कार जन सामान्य की समस्याओं से जुड़े हैं, जो ग्रीन ऊर्जा और नवाचारी तकनीकों से सम्बद्ध है। इनके क्रियान्वन हेतु उन्होंने 2022 में स्वच्छ अर्थ सोलूशन्स के नाम से एक कंपनी का भी गठन किया है। यह कंपनी इन आविष्कारों के सफल क्रियान्वन के अतिरिक्त शिक्षार्थियों को रिसर्च और इनोवेशन के लिए प्रेरित करते हुए उन्हें सुविधाएँ मुहैया कराएगी। इस मिशन को पूरा करने के लिए कंपनी एजुकेशनल इंस्टीटयूट्स में छोटे बड़े इवेंट्स और सेमिनार्स का आयोजन करेगी।



कुलाधिपति बोले, श्री गुप्ता की मेधा पर गर्व

टीएमयू के चांसलर श्री सुरेश जैन ने श्री प्रदीप गुप्ता को बधाई देते हुए कहा, यदि आप दृढ़ संकल्पित हैं तो कोई भी बाधा आपकी उड़ान को नहीं रोक सकती है। श्री गुप्ता की मेधा पर यूनिवर्सिटी को गर्व है। रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा और एसोसिएट डीन प्रो. मंजुला जैन का कहना है, भारतीय बौद्धिक सम्पदा विभाग ने अपनी जिम्मेदारी का बाखूबी निर्वाह कर दिया है, अब हम सबकी जिम्मेदारी है- ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी को जल्द-से-जल्द अमली जामा पहनाया जाए ताकि यह पेटेंट सर्टिफिकेट से बाहर आकर भौतिक रूप ले सके। यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का भी लक्ष्य इंडिया को ग्लोबल लीडर बनाना है। यूनिवर्सिटी आशान्वित है- श्री प्रदीप गुप्ता का यह पेटेंट पीएम के ड्रीम्स में मील का पत्थर साबित होगा। एफओईसीएस के निदेशक प्रो. आरके द्विवेदी कहते हैं, यह एफओईसीएस के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी यूनिवर्सिटी के लिए गर्व की बात है। 



गाजीपुर ट्रंचिंग ग्राउंड में मिला आइडिया 


श्री गुप्ता के माइंड में यह नवीन आइडिया 03 वर्ष पहले दिल्ली के गाजीपुर ट्रंचिंग ग्राउंड को देखकर आया। उन्होंने इस कचरे के निस्तारण से संबंधित विभिन्न प्रचलित विधियों का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि अधिकतर विधियां कचरे का वातावरण के साथ सम्पर्क समाप्त नहीं करती हैं। ये विधियां महंगी और जटिल होने के कारण व्यावहारिक भी नहीं हैं। उन्होंने अनेक प्रयोगों के जरिए दो वर्षों के अथक परिश्रम से कचरे को सॉलिड ब्लॉक्स और बजरी के रूप में परिवर्तित कर उनका इस्तेमाल आरसीसी ब्रिक्स और ब्लॉक्स निर्माण में किया। मौजूदा वक्त में खनन एक गंभीर वातावरणीय समस्या है। इस विधि के जरिए आरसीसी ब्रिक्स बनाने में 40 प्रतिशत बजरी की बचत भी होगी। 



इन्नोवेशन में पांच और साथी शुुमार

इन ईटों के आविष्कार में श्री गुप्ता के संग पांच और टीएमयू की फैकल्टी- डॉ. रविंद्र कोमल जैन, श्रीमती रंजना शर्मा, श्रीमती नीरज राजपूत, श्री शम्भू भारद्वाज, श्री अजय रस्तोगी का भी महत्वपूर्ण योगदान है। इन ईंटों के डिजाइन बनाने की विधि के पेटेंट के लिए टीम ने केन्द्र सरकार के बौद्धिक सम्पदा विभाग- आईपीआर में आवेदन किया तो सहर्ष स्वीकार करते हुए आईपीआर की वेबसाइट पर प्रकाशित भी कर दिया था। इसका मकसद महानगरों को कचरा मुक्त बनाकर स्वच्छ भारत अभियान में अमूल्य योगदान देना है। उल्लेखनीय है, पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग की चुनौती से जूझ रही है। इस ग्लोबल वार्मिंग का सबब कार्बन उत्सर्जन है। ऐसे में यह अभिनव पेटेंट मील का पत्थर साबित होगा।



भविष्य में भी होगी बड़ी उपलब्धियां हासिल


इसके अतिरिक्त श्री गुप्ता ने बिजली उत्पादन करने वाले गेट का आविष्कार किया है। उनके इस आविष्कार को केन्द्र सरकार के राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम- एनआरडीसी ने पेटेंट हेतु फंडिंग की है। इस पर पेटेंट की प्रक्रिया जारी है। इस प्रोजेक्ट में मानवीय ऊर्जा से विद्युत का निर्माण होगा। यह गेट पार्कों, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट आदि में प्रयोग किया जा सकता है। श्री प्रदीप कुमार गुप्ता और उनके सहयोगी दीगर प्रोजेक्ट पर भी जुटे हैं। इंडोर सोलर चूल्हे का डिजाइन तैयार है। इस चूल्हे की खासियत यह होगी, इस पर इंडोर में खाना भी बनाया जा सकता है। वैसे तो श्री गुप्ता टीएमयू में 11 वर्ष से एनीमेशन विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। उन्होंने वनस्पति विज्ञान में पीजी भी किया है, लेकिन उनकी इंजीनियरिंग में गहरी रूचि है। नतीजतन सीमेंटेड ईंट- सिविल, विद्युत गेट- मैकेनिकल और इलेक्ट्रिक सोलर स्टोव का ऑप्टिक्स इंजीनियरिंग से ताल्लुक है। सोलर स्टोव के प्रोजेक्ट के बाद उनका प्रोजेक्ट फॉर्मेसी से संबंधित है, जिसका वास्ता इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग से है।

मंगलवार, 25 अक्तूबर 2022

बीबीसी की बेहतरीन विवेचना

 आज अरुण खेत्रपाल का 72 वा जन्मदिन है...


अरुण खेत्रपाल से एक के बाद एक चार पाकिस्तानी टैंक ध्वस्त किए. जिस आखिरी टैंक पर अरुण ने निशाना लगाया वो पाकिस्तान के स्क्वार्डन कमांडर का टैंक था. उस टैंक ने भी खेत्रपाल के टैंक पर फायर किया. पाकिस्तानी कमांडर तो कूद कर  बच गए लेकिन अरुण अपने टैंक से बाहर नहीं निकल पाए और उन्होंने वहीं दम तोड़ दिया. अरुण जब तक जीवित रहे एक भी पाकिस्तानी टैंक उनके पार नहीं जा पाया. खेत्रपाल को इस वीरता के लिए भारत का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र दिया गया

Raj Mehta Raman Hitkari


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18 वर्ष पूर्व आज ही के दिन कुख्यात तस्कर वीरप्पन की पुलिस एनकाउंटर में मौत हुई थी...


18 जनवरी 1952 को जन्मे वीरप्पन के बारे में कहा जाता है कि उसने पहली बार 17 साल की उम्र में हाथी का शिकार किया था. हाथी को मारने की उसकी फेवरेट तकनीक होती थी हाथी के माथे के बीचोबीच गोली मारना. वीरप्पन की खूंखारियत का ये आलम था कि उसने एक बार उसने भारतीय वन सेवा के एक अधिकारी पी श्रीनिवास का सिर काट कर उससे अपने साथियों के साथ फुटबॉल खेली थी. ये वही श्रीनिवास थे जिन्होंने वीरप्पन को पहली बार गिरफ्तार किया था...

पढ़िए पूरी कहानी नीचे दिए गए लिंक को क्लिक कर 

Raman Hitkari Sulkhan Singh


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आज कर्नल गद्दाफी की 11वीं बरसी है...


जब गद्दाफ़ी ने सत्ता संभाली तो वो त्रिपोली में एक पुरानी खटारा फोक्स वैगन कार में घूमा करते थे. वो और उनकी पत्नी स्थानीय सुपर मार्केट में खुद खरीदारी करते थे लेकिन धीरे धीरे सब कुछ बदलने लगा. जब वो अजीजिया बैरक से निकलते थे तो हथियारबंद कारों का काफ़िला दो अलग अलग दिशाओं में दौड़ता था. एक में वो खुद होते थे, दूसरे को झांसा देने के लिए इस्तेमाल किया जाता था. जब वो हवाई जहाज से कहीं जाते थे तो एक साथ दो जहाज़ उड़ान भरते थे.  जिस जहाज़ में उन्हें जाना होता था उसे उड़ान भरने के दो घंटे बाद  वापस उतार लिया जाता था.  तब जाकर वो उसमें बैठते थे ताकि अगर उस विमान में  बम रखा हो तो वो उनके बैठने से पहले फट जाए. एक बार उन्होंने ट्यूनीशिया संदेश भिजवाया कि वो वहां कार से पहुंचेंगे. वहां का सारा मंत्रिमंडल उनके स्वागत में सीमा पर पहुंच गया. बाद में पता चला कि वो सुरक्षा कारणों से विमान से ट्यूनिस पहुंच गए...

Raman Hitkari


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तैमूर लंग की गिनती इतिहास के क्रूरतम शासकों में होती है. वर्ष 1398 में तैमूर लंग ने दिल्ली पर हमला कर न सिर्फ़ बड़े पैमाने पर लूटपाट की बल्कि ऐसा कत्ल-ए-आम करवाया जिसकी इतिहास में मिसाल नहीं मिलती. 

विवेचना में रेहान फ़ज़ल बता रहे हैं तैमूर के दिल्ली हमले की कहानी.


वीडियो प्रोडक्शनः देवाशीष


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आज जनरल पी एस भगत का 104वा जन्मदिन है....


जनरल भगत भारतीय सेना के सबसे वरिष्ठ जनरल थे और माना जा रहा था कि वो ही अगले सेनाध्यक्ष होंगे. लेकिन तत्कालीन सरकार ने उस समय  सेनाध्यक्ष के पद पर काम कर रहे जनरल बेवूर को एक साल का सेवा विस्तार दे दिया और जनरल भगत के हाथ से सेनाध्यक्ष बनने का मौका जाता रहा. इस फैसले से पूरी आर्मी में दुख का माहौल छा गया. जनरल एस के सिन्हा ने मुझे बताया था कि 'जिस तरह उन्होंने इस साज़िश का सामना किया वो सराहनीय था. मैं इसको साज़िश इस लिए कहता हूं कि जनरल बेवूर को जानबूझ कर एक साल का एक्सटेंशन दिया गया ताकि जनरल भगत को रिटायरमेंट पर जाना पड़े . अगर ऐसा नहीं होता तो वो ही चीफ बनते....'

Raj Mehta Vinay Singh Raman Hitkari



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आज जगजीत सिंह की  11वीं बरसी है...


जब जगजीत सिंह का पहला रिकॉर्ड Unforgetables आया तो उसने उन्हें रातोंरात स्तर बना दिया. इस एलपी की पहली नज़्म थी बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी. दरअसल ये नज़्म उर्दू पत्रिका शमा में छपी थी जिसे जगजीत सिंह ने उतार लिया था. जब उन्होंने एक एल्बम में संगीत दिया तो उन्होंने ये नज़्म भूपेंदर से गवाई. इसके बाद एक फिल्म साशा के लिए भी इस नज़्म को रिकॉर्ड किया गया लेकिन किन्हीं कारणों से ये फ़िल्म पूरी नहीं हो पाई. लेकिन जब उन्हें एचएमवी ने एलपी रिकॉर्ड करने और उसके लिए रचनाएं चुनने की छूट दी तो सबसे पहले उन्होने इसी नज़्म को रिकॉर्ड किया. बाद में जावेद अख्तर ने एक इंटरव्यू में कहा, 'मुझे याद है एक संडे मैं अमिताभ बच्चन से मिलने उनके घर गया. उन्होंने मुझे एक एल्बम सुनवाया. उस एल्बम की पहली ही नज़्म थी 'बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी.' मैने पहली बार वो आवाज़ सुनी थी. मैने पूछा कि ये किसकी आवाज़ है तो अमिताभ ने मुझे बताया कि ये जगजीत सिंह की आवाज़ है....'

Rajesh Badal Raman Hitkari Ajit Rai Manmohan Sharma








रविवार, 23 अक्तूबर 2022

चित्रगुप्त पूजा या दावात पूजा की सरलतम विधि एवं कथा

 


दावात पूजा या चित्रगुप्त पूजा की इस पोस्ट में आप जानेंगेः


चित्रगुप्त पूजा की तैयारी कैसे करें


1- चित्रगुप्त पूजा की विधि

2- चित्रगुप्त पूजन मंत्र

3- चित्रगुप्त पूजा के बाद भगवान की आरती


दावात पूजा की तैयारी कैसे करेंः

दावात पूजा को


कलम-दावात-पुस्तक एवं पढ़ने-लिखने से जुड़ी सारी उपयोगी वस्तुओं जैसे पेंसिल, चॉक, स्लेट, कॉपी-रजिस्टर, कागज आदि जरूर लेना चाहिए.



पांच प्रकार के मौसली फलों से दावात पूजा को भगवान चित्रगुप्त की पूजा करनी चाहिए.


चंदन, हल्दी, कुमकुम, वस्त्र, अक्षत, दूर्वा, पुष्प, फल, मिठाई, शक्कर, पंचामृत के लिए सामान, मेवा, पान, सुपारी, इलायची, आम का पल्लव, हवन के लिए सामग्री आदि रख लें.


पूजा स्थान को साफ़ करके एक चौकी या पीढ़े पर कपड़ा वस्त्र बिछाकर श्रीचित्रगुप्तजी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें.


उसके बाद दीपक जलाकर श्रीगणेशजी का आह्वान करें और पंचोपचार पूजन करें.


भगवान को मुख्य रूप से चन्दन, हल्दी, रोली, अक्षत, दूब,पुष्प व धूप अर्पितकर पूजा की जाती है जिसके मंत्र बहुत सरल हैं.


यदि पंचोपचार पूजन करने में असमर्थ हैं तो उपलब्ध पूजा सामग्रियों (कुमकुम, अक्षत, पुष्प, फल, मेवा आदि ) में से कुछ अंश सबसे पहले गणेशजी के नाम से समर्पित करें.


फिर एक माला “ऊं गं गणपत्यै नमः ” मंत्र की जप लें. गणेशजी से क्षमा प्रार्थना कर लें और पूजा आरंभ करने की अनुमति लें.


चूंकि दावात पूजा साल में एक बार होती है इसलिए ज्यादातर लोग इसे विधि-विधान से करना चाहते हैं.


श्री चित्रगुप्त भगवान  के पूजन से पहले कलश स्थापना करके वरुण देवता का आवाहन करें.


फिर गणेश अम्बिका का पूजन कर उनका आवाहन करना चाहिए.


चित्रगुप्त पूजा में मां भगवती के शक्तिस्वरूप की पूजा अवश्य होती है इसलिए पास में ही मां दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर भी रखें और उनकी भी स्तुति अवश्य करें.


तत्पश्चात ईशान कोण में वेदी बनाकर नवग्रह की स्थापना कर आवाहन करना चाहिए.


नवग्रह की स्थापना के लिए नवग्रह मंत्र का उच्चारण कर सकते हैं.


नवग्रह स्थापना का विधान करने में असमर्थ हैं तो निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए नवग्रहों का स्मरण कर उन्हें प्रणाम करें.


मंत्र बहुत सरल है.

इसे आप रोज की पूजा में भी शामिल कर लें तो अच्छा है.


नवग्रह मंत्रः


ऊँ ब्रह्मामुरारि त्रिपुरान्तकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च।

गुरू च शुक्र: शनि राहु केतव: सर्वेग्रहा: शान्ति करा: भवन्तु।


अब चित्रगुप्त भगवान की पूजा जिसे दावात पूजा भी कहते हैं, आरंभ होती है.


सबसे पहले पूजन एवं हवन सामग्री पर जल छड़कते हुए निम्न मंत्र का उच्चारण करें-


नमस्तेस्तु चित्रगुप्ते, यमपुरी सुरपूजिते|

लेखनी-मसिपात्र, हस्ते, चित्रगुप्त नमोस्तुते ||


पूजा के लिए धूप, दीप, चन्दन, लाल फूल, हल्दी, रोली, अक्षत, दही, दूब, गंगाजल, घी, कपूर, कलम, दावात, कागज, पान, सुपारी, गुड़, पांच फल, पांच मिठाई, पांच मेवा, लाई, चूड़ा, धान का लावा, हवन सामग्री एवं हवन के लिए लकड़ी आदि की जरूरत होती है.


यदि घर में शस्त्र हैं तो उनकी भी पूजा कर लेनी चाहिए. अगर नही है तो कोई लम्बी सी चाकू या कटारी रख लेनी चाहिए

कुछ तथाकथित और इतिहासकारों  लोगो ने जो कायस्थो से द्वेष रखते है ऐसी धारणा बना दी है की चित्रगुप्त पूजा सिर्फ कलाम दवात की होती

अब समय आ गया इन सब चीजों से बाहर निकलने का और अभी तक करते आ रहे अपनी भूल सुधारने का।


इसके बाद भगवान श्रीचित्रगुप्त का आवाहन करें-


भगवान चित्रगुप्त का आह्वान मंत्रः


ॐ आगच्छ भगवन्देव स्थाने चात्र स्थिरौ भव |

यावत्पूजं करिष्यामि तावत्वं सान्निधौ भव|

ॐ भगवन्तं श्री चित्रगुप्त आवाहयामि स्थापयामि ||


(हे चित्रगुप्तजी मैं आपका आह्वान करता हूं. आप इस स्थान पर आकर विराजमान हों.

मैं पूरे भक्तिभाव के साथ यथाशक्ति आपका पूजन करने को इच्छुक हूं.

भगवन आप मेरी पूजा को स्वीकार करने के लिए पधारें.


इसके बाद आसन देने का विधान है.


निम्न मंत्र पढ़ते हुए भगवान चित्रगुप्त को आसन दें-


ॐ इदमासनं समर्पयामि| भगवते चित्रगुप्त देवाय नमः ||


पाद्य अर्थात पांव पखारने के लिए जल दें.


पाद्य मंत्रः


ॐ पादयोः पाद्यं समर्पयामि | भगवते चित्रगुप्त देवाय नमः||


इसके बाद आचमन कराया जाता है.


आचमन मंत्रः

ॐ मुखे आचमनीयं समर्पयामि | भगवते चित्रगुप्ताय नमः ||


स्नानः


आचमन के बाद स्नान कराने का विधान है. स्नान मंत्र बोलते हुए प्रतिमा के पास जल छिड़केंः


ॐ स्नानार्तः जलं समर्पयामि | भगवते श्री चित्रगुप्ताय नमः ||


वस्त्र अर्पणः


स्नान के उपरांत वस्त्र समर्पित करना चाहिए.


ॐ पवित्रो वस्त्रं समर्पयामि| भगवते श्री चित्रगुप्त देवाय नमः ||


पुष्प अर्पणः


निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए फूलों की माला चढ़ाएं-


ॐ पुष्पमालां च समर्पयामि| भगवते श्री चित्रगुप्तदेवाय नमः ||


नैवेद्य समर्पणः


अब एक पात्र में नैवेद्य या मिठाइयां रख लें और निम्न मंत्र का जप करते हुए समर्पित कर दें.


ॐ नैवेद्यं समर्पयामि| भगवते श्री चित्रगुप्त देवाय नमः ||


तांबूल अर्पणः


ताम्बूल-दक्षिणा. हाथ में पान, कसैली,ईलायची और कुछ धन रख लें और उसे चढ़ा दें.


ॐ ताम्बूलं समर्पयामि| ॐ दक्षिणां समर्पयामि| भगवते श्री चित्रगुप्त देवाय नमः ||


इसके बाद परिवार के सभी सदस्य अपनी किताब, कलम, दवात आदि की पूजा करें और चित्रगुप्तजी के समक्ष रखें.


परिवार के सभी सदस्य एक सफ़ेद कागज पर एप्पन (चावल का आटा,हल्दी,घी, पानी से मिलकर बना) व रोली से स्वस्तिक चिह्न बनाएं.


स्वस्तिक के नीचे पांच देवी देवता के नाम लिखें.


उसके नीचे लालस्याही से भगवान श्री चित्रगुप्त का उपासना मंत्र लिखना चाहिए.


भगवान चित्रगुप्त उपासना मंत्रः


मसीभाजन संयुक्तश्चरसि त्वम्! महीतले।

लेखनी कटिनी हस्त चित्रगुप्त नमोस्तुते||

चित्रगुप्त ! मस्तुभ्यं लेखक अक्षरदायकं |

कायस्थजातिमासाद्य चित्रगुप्त ! नमोस्तुते ||



मंत्र लिखने के बाद उसी कागज पर नीचे एक तरफ अपना नाम पता व दिनांक लिखें. दूसरी तरफ अपनी आय-व्यय का विवरण दें. अगले वर्ष के लिए आवश्यक धन हेतु भगवान से प्रार्थना करें. फिर अपने हस्ताक्षर करके कागज को मोड़कर रख दें जिसे पूजा के बाद जल में प्रवाहित कर दें.


इस कागज और अपनी कलम को हल्दी रोली अक्षत और मिठाई अर्पित कर पूजन करें. इसके बाद श्रीचित्रगुप्त पूजन कथा सुननी चाहिए. कथा सुनने के बाद आरती-हवन करें और प्रसाद ग्रहण करें.



भगवान श्री चित्रगुप्त पूजन कथा…

भीष्म पितामह ने पुलस्त्य मुनि से पूछा कि हे महामुनि संसार में कायस्थ नाम से विख्यात मनुष्य किस वंश में उत्पन्न हुए हैं तथा किस वर्ण में कहे जाते हैं, इसे मैं जानना चाहता हूँ. इस प्रकार के वचन कहकर भीष्म पितामह ने पुलस्त्य मुनि से इस पवित्र कथा को सुनने की इच्छा जाहिर की.


पुलस्त्य मुनि ने प्रसन्न होकर गंगा पुत्र भीष्म पितामह से कहा – हे गांगेय मैं कायस्थ उत्पत्ति की पवित्र कथा का वर्णन आपसे करता हूं. जो इस जगत का पालनकर्ता है वही फिर नाश करेगा उस अव्यक्त शांत पुरुष लोक- पितामह ब्रम्हा ने जिस तरह पूर्व में इस संसार की कल्पना की है वही वर्णन मैं कर रहा हूँ.


मुख से ब्राम्हण, बाहु से क्षत्रिय, जंघा से वैश्य, पैर से शूद्र, दो पांव, चार पांव वाले पशुओं से लेकर समस्त सर्पादि जीवो का एक ही समय में चन्द्रमा, सूर्यादि ग्रहों को और बहुत से जीवों को उत्पन्न कर ब्रम्हा ने सूर्य के समान तेजस्वी ज्येष्ठ पुत्र को बुलाकर कहा- हे सुब्रत तुम यत्नपूर्वक इस जगत की रक्षा करो.


सृष्टि का पालन करने के लिए ज्येष्ठ पुत्र को आज्ञा देकर ब्रम्हा ने एकाग्रचित होकर दस हजार वर्ष की समाधि लगाई. अंत में विश्रांत चित्त हुए. उसके उपरांत ब्रम्हा के शरीर से बड़ी-बड़ी भुजाओं वाले श्यामवर्ण, कमलवत गर्दन, चक्रवत तेजस्वी, अति बुद्धिमान, हाथ में कलम-दवात लिए तेजस्वी, अतिसुन्दर विचित्रांग, स्थिर नेत्र वाले, एक पुरुष अव्यक्त जन्मा, जो ब्रम्हा के शरीर से उत्पन्न हुआ.


हे भीष्म! उस अव्यक्त पुरुष को नीचे से ऊपर तक देखने के बाद ब्रम्हाजी ने समाधि छोडकर पूछा- हे पुरुषोत्तम हमारे सामने स्थित आप कौन हैं. ब्रम्हा का यह वचन सुनकर वह पुरुष बोला- हे विधे में आप ही के शरीर से उत्पन्न हुआ हूं इसमें किंचित मात्र भी संदेह नहीं है. हे तात अब आप मेरा नामकरण करें और मेरे योग्य कार्य भी कहिये.


यह वाक्य सुनकर ब्रम्हाजी निज शरीर रज पुरुष से प्रसन्न मुद्रा से बोले- मेरे शरीर से तुम उत्पन्न हुए हो इससे तुम्हारी कायस्थ संज्ञा है और पृथ्वी पर चित्रगुप्त तुम्हारा नाम विख्यात होगा. हे वत्स धर्मराज की यमपुरी में धर्म-अधर्म विचार के लिए तुम्हारा निश्चित निवास होगा. हे पुत्र! अपने वर्ण में जो उचित धर्म है उसका विधिपूर्वक पालन करो और संतान उत्पन्न करो.


इस प्रकार ब्रम्हा जी भार युक्त वरदान देकर अंतर्ध्यान हो गए. श्री पुलस्त्य मुनि ने कहा है- हे भीष्म चित्रगुप्त से जो प्रजा उत्पन्न हुई है, उसका भी वर्णन करता हूँ, सुनिये.


चित्रगुप्त का प्रथम विवाह सूर्य नारायण के बड़े पुत्र श्राद्धदेव मुनि की कन्या नंदिनी एरावती से हुआ. इनसे चार पुत्र उत्पन्न हुए. प्रथम भानु जिनका नाम धर्मध्वज है जिसने श्रीवास्तव कायस्थ वंश की वृद्धि की.


द्वितीय पुत्र मतिमान जिनका नाम समदयालु है जिनसे सक्सेना वंश चला. तृतीय पुत्र चारु जिनका नाम युगन्धर है, इनसे माथुर कायस्थ वंश शुरू हुआ. चतुर्थ पुत्र सुचारू जिनका नाम धर्मयुज है उनसे गौड कायस्थ वंश बढ़ा.


चित्रगुप्तजी का दूसरा विवाह सुशर्मा ऋषि की कन्या शोभावती से हुआ. इनसे आठ पुत्र हुए. प्रथम पुत्र करुण जिनका नाम सुमति है उनसे कर्ण कायस्थ हुए. द्वितीय पुत्र चित्रचारू जिनका नाम दामोदर है, उनसे निगम कायस्थ हुए.


तृतीय पुत्र का नाम भानुप्रकाश है जिनसे भटनागर कायस्थ हुए. चतुर्थ युगन्धर से अम्बष्ठ कायस्थ, पंचम पुत्र वीर्यवान जिनका नाम दीन दयालु है से अस्थाना कायस्थ छठे पुत्र जीतेंद्रीय जिनका नाम सदानन्द है से कुलश्रेष्ठ कायस्थ वंश चले. अष्टम पुत्र विश्वमानु जिनका नाम राघवराम है से बाल्मीक कायस्थ हुए.


हे भीष्म चित्रगुप्त से उत्पन्न सभी पुत्र सभी शास्त्रों में निपुण थे और धर्म-अधर्म को जानने वाले थे. श्रीचित्रगुप्त ने सभी पुत्रों को पृथ्वी पर भेजा और धर्म साधना की शिक्षा दी और कहा की तुम्हें देवताओं का पूजन, पितरों का श्राद्ध-तर्पण, ब्राम्हणों का पालन-पोषण और अभ्यागतों की यत्नपूर्वक श्रद्धा करना.


हे पुत्र तीनो लोकों के हित के लिए यत्नकर धर्म की कामना करके महर्षिमर्दिनी देवी का पूजन अवश्य करना जो प्रकृति स्वरूप हैं और चण्ड मुण्ड का नाश करने वाली तथा समस्त सिद्धियों को देने वाली है. ऐसी देवी के लिए तुम सब उत्तम मिष्ठानादि समर्पण करो जिससे वह चण्डिका देवताओं की भाँती तुमको भी सिद्ध देने वाली हों.


वैष्णव धर्म का निर्वाह करते हुए मेरे वाक्य का पालन करो. सभी पुत्रों को आज्ञा देकर चित्रगुप्त स्वर्गलोक चले गये स्वर्ग जाकर चित्रगुप्त धर्मराज के अधिकार में स्थित हुए. हे भीष्म इस प्रकार चित्रगुप्त की उत्पत्ति मैंने आपसे कही.


अब मैं उन लोगों का विचित्र इतिहास और चित्रगुप्त का जैसा प्रभाव उत्पन्न हुआ सो भी कहता हूँ. श्री पुलस्त्य मुनि बोले कि नित्य पाप कर्म में रत पृथ्वी पर सौदास नामक राजा हुआ. उस पापी दुराचारी तथा धर्म-कर्म से रहित राजा ने जिस प्रकार स्वर्ग में जाकर पुण्य के फल का भोग किया वह कथा सुना रहा हूं.


राजनीति को नहीं जानते हुए राजा ने अपने राज्य में ढिंडोरा पिटवा दिया कि दान-धर्म, हवन, श्राद्ध-तर्पण, अतिथियों का सत्कार, जप-नियम तथा तप मेरे राज्य में कोई ना करे. देवी आदि की भक्ति में तत्पर वहां के निवासी ब्राम्हण लोग उसके राज्यों को छोड़ अन्य राज्यों में चले गये.


जो रह गये वे यज्ञ हवन श्रद्धा तथा तर्पण कभी नहीं करते थे. हे गंगापुत्र तबसे उसके राज्य में कोई भी यज्ञ हवन आदि पुण्य कर्म नहीं कर पाता था. उस समय पुण्य उस राज्य से ही बाहर हो गया था. ब्राम्हण तथा अन्य वर्ण के लोग नाश करने लगे. अब आपको उस दुष्ट राजा का कर्म फल सुनाता हूँ.


हे भीष्म! कार्तिक शुक्ल पक्ष की उत्तम तिथि द्वितीय को पवित्र होकर सभी कायस्थ चित्रगुप्त का पूजन करते थे. वे भक्तिभाव से परिपूर्ण होकर धूप-दीप आदि कर रहे थे. देवयोग से राजा सौदस भी घूमता हुआ वहां पहुंचा और पूजन देखकर पूछने लगा यह किसका पूजन कर रहे हो.


तब वे लोग बोले कि राजन हम लोग चित्रगुप्त की शुभ पूजा कर रहे हैं. दैवयोग से यह सुनकर राजा सौदस के मन में पूजा ने कहा कि मैं भी चित्रगुप्त की पूजा करूँगा.


यह कहकर सौदास ने विधिपूर्वक स्नानादि करके मन से चित्रगुप्त की पूजा की. इस भक्तियुक्त पूजा करने से उसी क्षण राजा सौदस पापरहित होकर स्वर्ग चला गया.


इस प्रकार चित्रगुप्त का प्रभावशाली इतिहास मैंने आपसे कहा. अब हे नृपश्रेष्ठ और क्या सुनने की आपकी इच्छा है? यह सुनकर भीष्म पितामह ने महर्षि पुलस्त्य मुनि से कहा- हे मुनिवर किस विधि से वहां उस राजा सौदस ने चित्रगुप्त का पूजन किया जिसके प्रभाव से सौदास स्वर्ग लोक को चला गया, वह कहें.


श्रीपुलस्त्य मुनि बोले- हे भीष्म! चित्रगुप्त के पूजन की संपूर्ण विधि मैं आप से कह रहा हूं. घृत से बने नैवेध, ऋतुफल, चन्दन, पुष्प, दीप तथा अनेक प्रकार के रेशमी और विचित्र वस्त्र से, शंख मृदंग, डिमडिम अनेक बाजे के साथ भक्तिभाव से पूजन करें.


हे विद्वान नवीन कलश लाकर जल से परिपूर्ण करें. उस पर शक्कर भरा कटोरा रखें और यत्नपूर्वक पूजनकर ब्राम्हण को दान देवें. पूजन का मंत्र भी इस प्रकार पढ़े – दवात कलम और हाथ में खल्ली लेकर पृथ्वी में घूमने वाले हे चित्रगुप्त आपको नमस्कार हे चित्रगुप्त आप कायस्थ जाति में उत्पन्न होकर लेखकों को अक्षर प्रदान करते हैं जिसको आपने लिखने की जीविका दी है. आप उनका पालन करते हैं इसलिए मुझे भी शांति दीजिए.


हे भीष्म इन मंत्रों से संकल्पपूर्वक चित्रगुप्त का पूजन करना चाहिए. इस प्रकार राजा सौदास ने भक्तिभाव से पूजन कर निजराज्य का शासन करता हुआ कुछ ही समय में मृत्यु को प्राप्त हुआ. यमदूत राजा सौदास को भयानक यमलोक में ले गए.


चित्रगुप्त ने यमराज से पूछा कि यह दुराचारी पाप कर्मरत सौदास राजा है जिसने अपनी प्रजा से पापकर्म करवाया है. इसके लिए कठोरतम दंड का विधान होना चाहिए.


इस प्रकार धर्मराज से पूछे जाने पर धर्माधर्म को जानने वाले महामुनि चित्रगुप्त जी ने हंसकर उस राजा के लिए धर्मयुक्त शुभ वचन कहा- हे धर्मराज, यह राजा यद्यपि पापकर्म करने वाला पृथ्वी में प्रसिद्ध है और मैं आपकी प्रसन्नता से पृथ्वी पर पूज्य हूं.


हे स्वामिन आपने ही मुझे वह वर दिया है. आपका सदैव कल्याण हो. आपको नमस्कार है. हे देव आप भली-भांति जानते हैं और मेरी भी मति है कि यह राजा पापी है तब भी इस राजा ने भक्तिभाव से मेरी पूजा की है इससे मैं इससे प्रसन्न हूं. हे इष्टदेव इस कारण यह राजा बैकुंठ लोक को जाए.


चित्रगुप्त का यह वचन सुनकर यमराज ने राजा सौदास को बैकुंठ जाने की आज्ञा दी और राजा सौदास बैकुंठ लोक को चला गया. श्री पुलस्त्य मुनि ने कहा- हे भीष्म जो कोई सामान्य पुरुष या कायस्थ चित्रगुप्त की पूजा करेगा वह भी पाप से छूटकर परमगति को प्राप्त करेगा.


हे गांगेय, आप भी सर्वविधि से चित्रगुप्त की पूजा करिए जिसकी पूजा करने से हे राजेन्द्र आप भी दुर्लभ लोक को प्राप्त करेंगे. पुलस्त्य मुनि के वचन सुनकर भीष्म ने भक्ति मन से चित्रगुप्त की पूजा की.


चित्रगुप्त की दिव्य कथा को जो श्रेष्ठ मनुष्य भक्ति मन से सुनेगे वे मनुष्य समस्त व्याधियों से छूटकर दीर्घायु होंगे और मरने पर जहाँ तपस्वी लोग जाते हैं, ऐसे विष्णु लोक को जाएंगे.


श्रीचित्रगुप्त भगवान की जय!!


आरती. जिसे पूजा के उपरांत अवश्य कर लेना चाहिए.


श्री चित्रगुप्त जी आरती


ॐ जय चित्रगुप्त हरे,

स्वामीजय चित्रगुप्त हरे ।

भक्तजनों के इच्छित,

फलको पूर्ण करे॥


विघ्न विनाशक मंगलकर्ता,

सन्तनसुखदायी ।

भक्तों के प्रतिपालक,

त्रिभुवनयश छायी ॥

॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥


रूप चतुर्भुज, श्यामल मूरत,

पीताम्बरराजै ।

मातु इरावती, दक्षिणा,

वामअंग साजै ॥

॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥


कष्ट निवारक, दुष्ट संहारक,

प्रभुअंतर्यामी ।

सृष्टि सम्हारन, जन दु:ख हारन,

प्रकटभये स्वामी ॥

॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥


कलम, दवात, शंख, पत्रिका,

करमें अति सोहै ।

वैजयन्ती वनमाला,

त्रिभुवनमन मोहै ॥

॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥


विश्व न्याय का कार्य सम्भाला,

ब्रम्हाहर्षाये ।

कोटि कोटि देवता तुम्हारे,

चरणनमें धाये ॥

॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥


नृप सुदास अरू भीष्म पितामह,

यादतुम्हें कीन्हा ।

वेग, विलम्ब न कीन्हौं,

इच्छितफल दीन्हा ॥

॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥


दारा, सुत, भगिनी,

सबअपने स्वास्थ के कर्ता ।

जाऊँ कहाँ शरण में किसकी,

तुमतज मैं भर्ता ॥

॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥


बन्धु, पिता तुम स्वामी,

शरणगहूँ किसकी ।

तुम बिन और न दूजा,

आसकरूँ जिसकी ॥

॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥


दारा, सुत, भगिनी,

सबअपने स्वास्थ के कर्ता ।

जाऊँ कहाँ शरण में किसकी,

तुमतज मैं भर्ता ॥

॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥


बन्धु, पिता तुम स्वामी,

शरणगहूँ किसकी ।

तुम बिन और न दूजा,

आसकरूँ जिसकी ॥

॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥


जो जन चित्रगुप्त जी की आरती,

प्रेम सहित गावैं ।

चौरासी से निश्चित छूटैं,

इच्छित फल पावैं ॥

॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥


न्यायाधीश बैंकुंठ निवासी,

पापपुण्य लिखते ।

'नानक' शरण तिहारे,

आसन दूजी करते ॥


ॐ जय चित्रगुप्त हरे,

स्वामीजय चित्रगुप्त हरे ।

भक्तजनों के इच्छित,

फलको पूर्ण करे ॥

Rajesh Chandra Srivastava

Associate Professor ( Mathematics )

गुरुवार, 20 अक्तूबर 2022

IPC में धाराओ का मतलब📝.....*


*📢जानिए IPC में धाराओ का मतलब📝.....*


प्रस्तुति - शैलेन्द्र किशोर  जारुहार 



*धारा 307* = हत्या की कोशिश 

*धारा 302* = हत्या का दंड

*धारा 376* = बलात्कार

*धारा 395* = डकैती

*धारा 377* = अप्राकृतिक कृत्य

*धारा 396* = डकैती के दौरान हत्या

*धारा 120* = षडयंत्र रचना

*धारा 365* = अपहरण

*धारा 201* = सबूत मिटाना

*धारा 34*   = सामान आशय

*धारा 412* = छीनाझपटी

*धारा 378* = चोरी

*धारा 141* = विधिविरुद्ध जमाव

*धारा 191* = मिथ्यासाक्ष्य देना

*धारा 300* = हत्या करना

*धारा 309* = आत्महत्या की कोशिश

*धारा 310* = ठगी करना

*धारा 312* = गर्भपात करना

*धारा 351* = हमला करना

*धारा 354* = स्त्री लज्जाभंग

*धारा 362* = अपहरण

*धारा 415* = छल करना

*धारा 445* = गृहभेदंन

*धारा 494* = पति/पत्नी के जीवनकाल में पुनःविवाह0

*धारा 499* = मानहानि

*धारा 511* = आजीवन कारावास से दंडनीय अपराधों को करने के प्रयत्न के लिए दंड। 

 ▫▪▫▪▫▪▫▪

हमारेे देश में कानूनन कुछ ऐसी हकीक़तें है, जिसकी जानकारी हमारे पास नहीं होने के कारण  हम अपने अधिकार से मेहरूम रह जाते है।


   तो चलिए ऐसे ही कुछ  

*पांच रोचक फैक्ट्स* की जानकारी आपको देते है, 

जो जीवन में कभी भी उपयोगी हो सकती है.


*(1)  शाम के वक्त महिलाओं की गिरफ्तारी नहीं हो सकती*-


कोड ऑफ़ क्रिमिनल प्रोसीजर, सेक्शन 46 के तहत शाम 6 बजे के बाद और सुबह 6 के पहले भारतीय पुलिस किसी भी महिला को गिरफ्तार नहीं कर सकती, फिर चाहे गुनाह कितना भी संगीन क्यों ना हो. अगर पुलिस ऐसा करते हुए पाई जाती है तो गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी के खिलाफ शिकायत (मामला) दर्ज की जा सकती है. इससे उस पुलिस अधिकारी की नौकरी खतरे में आ सकती है.


*(2.) सिलेंडर फटने से जान-माल के नुकसान पर 40 लाख रूपये तक का बीमा कवर क्लेम कर सकते है*-


पब्लिक लायबिलिटी पॉलिसी के तहत अगर किसी कारण आपके घर में सिलेंडर फट जाता है और आपको जान-माल का नुकसान झेलना पड़ता है तो आप तुरंत गैस कंपनी से बीमा कवर क्लेम कर सकते है. आपको बता दे कि गैस कंपनी से 40 लाख रूपये तक का बीमा क्लेम कराया जा सकता है. अगर कंपनी आपका क्लेम देने से मना करती है या टालती है तो इसकी शिकायत की जा सकती है. दोषी पाये जाने पर गैस कंपनी का लायसेंस रद्द हो सकता है.


*(3) कोई भी हॉटेल चाहे वो 5 स्टार ही क्यों ना हो… आप फ्री में पानी पी सकते है और वाश रूम इस्तमाल कर सकते है*-


इंडियन सीरीज एक्ट, 1887 के अनुसार आप देश के किसी भी हॉटेल में जाकर पानी मांगकर पी सकते है और उस हॉटल का वाश रूम भी इस्तमाल कर सकते है. हॉटेल छोटा हो या 5 स्टार, वो आपको रोक नही सकते. अगर हॉटेल का मालिक या कोई कर्मचारी आपको पानी पिलाने से या वाश रूम इस्तमाल करने से रोकता है तो आप उन पर कारवाई  कर सकते है. आपकी शिकायत से उस हॉटेल का लायसेंस रद्द हो सकता है.


 *(4) गर्भवती महिलाओं को नौकरी से नहीं निकाला जा सकता*-


मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट 1961 के मुताबिक़ गर्भवती महिलाओं को अचानक नौकरी से नहीं निकाला जा सकता. मालिक को पहले तीन महीने की नोटिस देनी होगी और प्रेगनेंसी के दौरान लगने वाले खर्चे का कुछ हिस्सा देना होगा. अगर वो ऐसा नहीं करता है तो  उसके खिलाफ सरकारी रोज़गार संघटना में शिकायत कराई जा सकती है. इस शिकायत से कंपनी बंद हो सकती है या कंपनी को जुर्माना भरना पड़ सकता है.


*(5) पुलिस अफसर आपकी शिकायत लिखने से मना नहीं कर सकता*


आईपीसी के सेक्शन 166ए के अनुसार कोई भी पुलिस अधिकारी आपकी कोई भी शिकायत दर्ज करने से इंकार नही कर सकता. अगर वो ऐसा करता है तो उसके खिलाफ वरिष्ठ पुलिस दफ्तर में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है. अगर वो पुलिस अफसर दोषी पाया जाता है तो उसे कम से कम *(6)*महीने से लेकर 1  साल तक की जेल हो सकती है या फिर उसे अपनी नौकरी गवानी पड़ सकती है.


ये वो रोचक फैक्ट्स है, जो हमारे देश के कानून के अंतर्गत आते तो है पर हम इनसे अंजान है. हमारी कोशिश होगी कि हम आगे भी ऐसी बहोत सी रोचक बाते आपके समक्ष रखे, जो आपके जीवन में उपयोगी हो।


*इस मैसेज अपने पास संभाल कर रखे,कभी भी ये अधिकार काम आ सकते हैं।*.


*शिक्षित बनो✍🏻 संगठित रहो 🤝🏻*

*हक और अधिकार के लिए संघर्ष करें!*


राजीव मित्रा


कृपया 60 वर्ष से ज्यादा उम्र हैं क्या ?

🙏🏻.


*कृपया 60 वर्ष से ज्यादा उम्र हैं क्या ? 


 प्रस्तुति - शैलेन्द्र किशोर जारुहार 

⚓⚓⚓⚓⚓⚓⚓⚓

संयुक्त राज्य अमेरिका में एक अध्ययन में कहा गया है कि 51% से अधिक बुजुर्ग सीढ़ियां चढ़ने के दौरान गिर जाते हैं। अमेरिका में हर साल सीढ़ियां चढ़ने से 20,000 मौतें होती हैं।.

विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि 65 वर्ष की आयु के बाद निम्नलिखित 10 क्रियाएं न करें:


  1. सीढ़ियों/सीढ़ी पर चढ़ना

  2. बहुत तेजी से मुड़ें  मुड़ना/घूमना 

  3. अपने पैरों पर झुकना 

  4. खड़े होकर पैंट पहनना

  5. सिट अप्स

  6. बाएँ और दाएँ मुड़ना  l

  7. पीछे हटना

  8. भारी सामान उठाने के लिए झुकना 

  9. अचानक बिस्तर से खड़े हो जाना

 10. बहुत  तनाव में रहना 


65 साल की उम्र के बाद कोशिश करें कि उपरोक्त 10 काम न करें।


वृद्धावस्था की चार आम समस्याएं।


 1. गले में भोजन फंसने से दम घुटन ।

 2. गलत तकिया।

 3. पैर में ऐंठन।

 4. झुनझुनी पैर।


 इस प्रकार मदद कैसे करें:


 1. भोजन का दम घोंटना:

     आपको केवल "हाथ ऊपर उठाने" की आवश्यकता है। हाथों को सिर के ऊपर उठाने से आपके गले में फंसा खाना अपने आप नीचे चला जाएगा।


 2. गलत तकिए:

      कभी-कभी जब आप उठते हैं तो आपको गर्दन में दर्द महसूस होता है। तकिया गलत होने पर क्या करें? आपको केवल अपने पैरों को ऊपर उठाने की जरूरत है, फिर अपने पैर की उंगलियों को खींचकर दक्षिणावर्त या वामावर्त दिशा में मालिश करें।


 3. पैरों में ऐंठन:

      जब आपके बाएं पैर में ऐंठन महसूस हो, तो अपने दाहिने हाथ को ऊपर उठाएं, जब आपके दाहिने पैर में ऐंठन हो, तो अपने बाएं हाथ को ऊपर उठाएं, यह तुरंत बेहतर महसूस करेगा।


 4. झुनझुनी पैर:

      जब बायां पैर झुनझुनी हो तो अपनी दाहिनी हथेली को अपनी पूरी ताकत से घुमाएं, जब दायां पैर झुनझुनी हो तो अपनी बाईं हथेली को अपनी पूरी ताकत से घुमाएं।


 बस इस जानकारी को *सेव न करें*। कृपया *बाँटें। कौन जाने, आप किसी और की जिंदगी को भी बचा सकते हैं*।



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बुधवार, 19 अक्तूबर 2022

घाना गणराज्य

 

घाना गणराज्य पश्चिम अफ्रीका में स्थित एक देश है। इसकी सीमा पश्चिम में कोट द' आईवोर (आइवरी कोस्ट), उत्तर में बुर्किना फासो, पूर्व में टोगो और दक्षिण में गिनी की खाड़ी से मिलती है। घाना शब्द का अर्थ "लड़ाकू राजा" है।

घाना गणराज्य
ध्वज
राष्ट्रवाक्य: "स्वतंत्रता और न्याय"
राष्ट्रगान: गॉड ब्लेस अवर होमलैंड भगवान हमारी जन्मभूमि को आशीष दे
राजधानी
और सबसे बड़ा नगर
अक्रा
5°33′N 0°15′W / 5.550°N 0.250°W
राजभाषा(एँ)अंग्रेजी
निवासीघानियन
सरकारसंवैधानिक अध्यक्षीय गणराज्य
 - राष्ट्रपतिजॉन अता मिल्स
 - उप-राष्ट्रपतिजॉन द्रामानी माहामा
 - संसद के अध्यक्षज्यॉस बॉमफोर्ड-अदो
 - मुख्य न्यायाधीशजॉर्जिना थियोडोरा वुड
स्वतंत्रता युनाइटेड किंगडम से
 - घोषणा6 मार्च 1957 
 - गणराज्य1 जुलाई 1960 
 - वर्तमान संविधान28 अप्रैल 1992 
क्षेत्रफल
 - कुल238,535 km2 (81 वां)
 - जल (%)3.5
जनसंख्या
 - 2009 जनगणना23,837,000 (48 वां)
सकल घरेलू उत्पाद (पीपीपी)2009 प्राक्कलन
 - कुल$36.135 बिलियन (-)
 - प्रति व्यक्ति$1,563.74 (-)
मानव विकास सूचकांक (2013)Steady 0.573[1]
मध्यम · 138वाँ
मुद्राघानियन सेडी (GHS)
समय मण्डलजीएमटी (यू॰टी॰सी॰0)
 - ग्रीष्मकालीन (दि॰ब॰स॰)जीएमटी (यू॰टी॰सी॰0)
दूरभाष कूट+233
इंटरनेट टीएलडी.gh

औपनिवेशिक समय से पूर्व घाना पर अनेक प्राचीन राजवंशों का प्रभुत्व था, जिनमें पूर्वी तट पर गा-दामेस और अंदरुनी क्षेत्र में अशांति साम्राज्य के अलावा तटीय और अंदरुनी क्षेत्रों में अनेक फान्ते और इवे राज्य शामिल थे। १५ वीं सदी में पुर्तगालियों के साथ संपर्क में आने के बाद यूरोपिय देशों के साथ व्यापार की बढ़ोतरी हुई और ब्रिटेन ने १८७४ में गोल्ड कोस्ट, के नाम से राजशाही उपनिवेश की स्थापना की।

गोल्ड कोस्ट १९५७ में यूनाइटेड किंगडम से स्वतंत्रता हासिल करने वाला पहला उप सहारा अफ्रीकी राष्ट्र बना। प्राचीन साम्राज्य घाना, जिसका विस्तार एक समय पूरे पश्चिम अफ्रीका में था, के नाम पर नए देश का नाम घाना रखा गया। घाना अनेक अंतरराष्ट्रीय संगठनों का सदस्य है, जिनमें राष्ट्रमंडलपश्चिम अफ्रीकी राज्यों का आर्थिक सामुदायिकअफ्रीकी संघ और संयुक्त राष्ट्र शामिल हैं।