रविवार, 18 दिसंबर 2022

नाभि में छुपा है सेहत का राज?

 क्या आपकी नाभि में छुपा है आपकी सेहत का राज?

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नाभि को शरीर का सेंट्रल पॉइंट कहा जाता है। इसी के द्वारा आप अपनी शरीर से जुड़ी समस्याओं का उपचार करके अच्छा स्वास्थ्य पा सकते हैं। नाभि में सेहत के राज छुपे हुए है। आओ जानते हैं:-


अगर आंखों की नसें और नज़र कमजोर हो गई है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। नारियल का तेल और शुद्ध गाय के घी को मिलाकर रात को सोने से पहले नाभि में 3–4 बूंदे टपकाएं और 15–20 मिनट ऐसे ही लेटे रहे। नाभि इस तेल को सोख लेगी। कुछ महीनों के बाद ही यह समस्या दूर हो जाएगी है।


पीरियड्स के समय महिलाओं को दर्द होने पर नाभि में थोड़ी-सी ब्रांडी रूई में भिगोकर रखने से दर्द मिनटों में दूर हो जाता है।


शरीर में किसी भी प्रकार की कमजोरी होने पर रात को सोने से पहले नाभि में गाय का शुद्ध देसी घी लगाना चाहिए। इससे कुछ दिनों में ही शारीरिक कमजोरी दूर हो जाती है।


होंठ फटते हैं या काले पड़ गए हैं तो नाभि में सरसों का तेल कुछ दिन लगाने यह समस्या ठीक हो जाती है। इससे पुराना सिर दर्द ठीक होता है और बालों की अनेक प्रकार की समस्याएं भी दूर हो जाती हैं।


चेहरे को चमकदार और सुंदर बनाने के लिए नाभि में बादाम का तेल लगाना चाहिए। इससे सर्दियों में चेहरे की खुश्की भी दूर होती है।


चेहरे के कील-मुंहासे और दाग-धब्बों को दूर करने के लिए नाभि में नीम का तेल या नीम का रस बहुत ही लाभकारी माना गया है।


चेहरे को हमेशा मुलायम रखने के लिए शुद्ध देसी घी को नाभि पर लगाना चाहिए। इससे चेहरे की चमक बरकरार रहती है।


तिल का तेल लगाने से शरीर में दर्द से राहत मिलती है।


जैतून का तेल लगाने से जोड़ों के दर्द से छुटकारा मिलता है और मोटापा भी कम होता है। अरंडी का तेल भी जोड़ों के दर्द में फायदेमंद है।


इसके अलावा सरसों का तेल रोजाना नाभि पर लगाने से बहुत बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है।


अंतरराष्ट्रीय भारतीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी / उमेश जोशी

 

कल (28 नवम्बर 2022) 53वाँ अंतरराष्ट्रीय भारतीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) का समापन समारोह था। हालांकि जूरी के मुखिया और इस्राइल के फिल्म निर्माता नादाव लैपिड (Nadav Lapid) के बयान के बाद पूरी दुनिया को इस समारोह की खबर हो गई है; सब ओर इसकी चर्चा भी है, कुछ लोगों की नींद उड़ गई है, किसी की ग़म में तो किसी की खुशी में। उस बयान की हवा निकालने के लिए सारे जतन किए जा रहे हैं। स्पष्ट कर दूँ कि मेरा इस पचड़े से कोई लेना-देना नहीं है, खुशी है ना ग़म है। इसके बावजूद मेरी नींद उड़ी है। उसकी वजह बताने के लिए पोस्ट लिख रहा हूँ। 

   इस समारोह में हिंदी की दुर्गति होते देखी है, वो भी भारत सरकार के न्यूज़ चैनल दूरदर्शन पर। चूंकि दूरदर्शन के पीछे सरकार की ताक़त है इसलिए इसके पास संसाधनों का कोई अभाव नहीं है और होना भी नहीं चाहिए। लिहाजा, देश की सर्वोत्तम टैलेंट यानी प्रतिभा दूरदर्शन के पास होनी चाहिए। कल गोवा से इस समारोह का सीधा प्रसारण देख कर मेरा अनुमान निराधार साबित हुआ। नीचे स्क्रीन पर हिंदी में न्यूज़ फ़्लैश चल रही थी। जब मैंने टीवी खोला तब सूचना और प्रसारण मंत्री श्रीमान् अनुराग ठाकुर जी बोल रहे थे। मैं ख़ास तौर से उसी  न्यूज़ फ्लैश का ज़िक्र कर रहा हूँ जब ठाकुर साहब के बोलते समय दिखाई जा रही थीं।

   दूरदर्शन ने अपना अलग व्याकरण गढ़ लिया है। दूरदर्शन के इस महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम के समय न्यूज़ फ्लैश चलाने वाले महानुभाव अनुस्वार की अहमियत ही नहीं जानते हैं। उन्हें किसी ने बताया ही नहीं होगा कि अनुस्वार और  विसर्ग हिंदी वर्णमाला के अहम् वर्ण हैं। उनके बिना वर्णमाला अधूरी है। उन्हें यह भी नहीं बताया गया होगा कि ईश्वर, अल्लाह, वाहे गुरु और ईसा ने इंसान को स्वादिष्ट व्यंजनों की खुशबू लेन के लिए ही नाक नहीं दिया है बल्कि अनुस्वार का उच्चारण करने के लिए भी दिया है। 

    किसी प्रतिष्ठित या ऊँचे ओहदे पर बैठे व्यक्ति को सम्मान देने के लिए हिंदी में वाक्य बहुवचन में लिखा जाता है; 'है' पर अनुस्वार लगा कर 'हैं' किया जाता है,'था' का 'थे' और 'थी' का 'थीं' हो जाता है। मंत्री जी के लिए ऐसा कुछ नहीं किया गया। यह सोच ही रहा था कि प्रोग्राम के बीच में प्रधानमंत्री की रैली दिखा दी और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के लिए भी अनुस्वार इस्तेमाल कर सम्मान सूचक वाक्य नहीं बनाया गया; मानो दूरदर्शन मुझे यह कह रहा हो कि अरे बावले! तुम मंत्री को लेकर चिंता में डूबे हो, हम तो प्रधानमंत्री के साथ भी वही सलूक करते हैं। ( प्लेट-1 और प्लेट-2 देखें। 'है' पर अनुस्वार नहीं लगाया) 

    न्यूज़ फ़्लैश में दो जगह अंतरराष्ट्रीय अलग अलग तरीक़े से लिखा गया है। एक जगह 'अंतरराष्ट्रीय' है दूसरी जगह है 'अंतर्राष्ट्रीय'। दर्शक किसे सही मानें?  ( प्लेट-3 और प्लेट-4 देखें)

    अब प्लेट नंबर-5 पर ग़ौर करें। इसमें लिखा है- कई फिल्मी हस्तियां भी समारोह की बढ़ा रहे है शोभा। क्या यह वाक्य अटपटा नहीं लगता? एक छोटी कक्षा का छात्र भी 'हस्तियां' को कर्ता मान कर कभी 'रहे है' नहीं लिखेगा, 'रही हैं' होना चाहिए और वही लिखेगा। यहाँ भी 'है' पर अनुस्वार ग़ायब है। 

      एक और वाक्य देखें। उसमें भी अनुस्वार नहीं लगाया। प्लेट-6 में लिखा है - सभी को क्षेत्रीय और राष्ट्रीय फ़िल्में बहुत पसंद आई। यहाँ फ़िल्में बहुवचन है इसलिए 'आई'  के स्थान पर  'आईं' होना चाहिए था।

     प्लेट नंबर-7 में अवॉर्ड का 'अ' ग़ायब कर दिया। काफी देर ऐसे ही चलता रहा। बाद में इसे ठीक किया गया। 

      मंत्री जी का बयान (प्लेट नंबर-8) भी काफी रोचक है। यहाँ दूरदर्शन यह कह कर बच निकलेगा कि मंत्री जी के बयान में संशोधन करने का दुस्साहस कैस कर सकते हैं। मंत्री जी कहते हैं- इफ्फी में प्रतिभाशाली प्रतिभाओं को देखने का अवसर मिला। यह समझ नहीं आया कि 'प्रतिभाशाली प्रतिभा' क्या होती है।  जिसमें प्रतिभा होती है वही तो प्रतिभाशाली होता है। किसी को मंत्री जी के वक्तव्य का अर्थ समझ आए तो कृपया मुझे भी बताएँ। 

     मैं दूरदर्शन से करीब दो दशक तक जुड़ा रहा हूँ, 1981 से 1999 तक। उस वक्त दूरदर्शन में गुणवत्ता को लेकर जितना ध्यान दिया जाता था आज उसका दशांश भी नहीं है। उसके पीछे कोई भी वजह हो सकती है। 

     यह  पोस्ट लिखने की पीछे किसी व्यक्ति विशेष की आलोचना करने की मंशा कतई नहीं है। मैं यही कहना चाहता हूँ कि हिंदी को 'श्रीहीन' करने में दूरदर्शन की भी बड़ी भूमिका है। 

मुझे हैरानी है कि जिस कार्यक्रम में ख़ुद सूचना और प्रसारण मंत्री शिरकत कर रहे हों, उसमें लापरवाही या त्रुटियों की भरमार कैसे हो सकती है! ऐसा लगा कि हिंदी का अपमान करने की होड़ में दूरदर्शन सबसे आगे निकलना चाहता है।



शनिवार, 17 दिसंबर 2022

स्मार्ट टेक्नोलॉजी से बदल गयी ट्रांसपोर्ट मैनेजमेंट की सूरत

 



तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन जयराम गडकरी ने 11वीं स्मार्ट इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में गिनाईं परिवहन विभाग की उपलब्धियां और खींचा भविष्य के विकास का खाका, उम्मीद जताई- टीएमयू इंजीनियरिंग कॉलेज के स्टुडेंट्स होंगे इन्नोवेटिव



ख़ास बातें


हमारी सरकार का विज़न जय-जवान, जय-किसान, जय-विज्ञान और जय-अनुसंधानः गडकरी

कुलाधिपति श्री सुरेश जैन ने मुख्य अतिथि श्री गडकरी को दिया टीएमयू आने का सादर आमंत्रण

टेक्नोलॉजी का उपयोग मानव कल्याण और समाज में बदलाव के लिए करेंः प्रो. मित्तल

एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन ने उम्मीद जताई, टीएमयू के छात्र भी होंगे वैश्विक शिखर पर

कॉन्फ्रेंस के दौरान आठ सत्रों में प्रस्तुत किए गए 98 शोधपत्र, कॉन्फ्रेंस प्रोसिडिंग का भी हुआ विमोचन

भारत समेत बांग्लादेश, हंगरी, नॉर्वे, ओमान, रोमानिया, सऊदी अरब, यूनाइटेड स्टेट, उज़्बेकिस्तान आदि के आईटी विशेषज्ञ कर रहे शिरकत




केंद्रीय सड़क परिवहन एवम् राजमार्ग मंत्री श्री नितिन जयराम गडकरी बोलेे, आज के समय में परिवहन के प्रबंधन में स्मार्ट टेक्नोलॉजी का उल्लेखनीय योगदान है। परिवहन प्रबंधन विशेष तौर पर दुर्घटना रहित परिवहन, पार्किंग प्रबंधन, आधुनिक ईंधन, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, कर संग्रहण में स्मार्ट टेक्नोलॉजी की महती भूमिका है। वह बोले, वर्तमान सरकार अनेक परियोजनाओं, जय-जवान, जय-किसान, जय-विज्ञान और जय-अनुसंधान के विज़न के साथ काम कर रही है। उन्होंने कहा कि भारत में परिवहन इंफ्रास्ट्रक्चर छह गुना अधिक गति से आगे बढ़ा रहा है। श्री गडकरी बोले कि आठ बरसों में 4 लाख 20 हजार करोड़ से अधिक का निवेश परिवहन परियोजनाओं में किया गया है। मंत्रालय इन उपलब्धियों को पारदर्शिता और ईमानदारी के बूते ही अमली जामा पहना पा रहा है। श्री गडकरी तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के ऑडीटोरियम में कॉलेज ऑफ कम्प्यूटर साइंसेज एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी- सीसीएसआईटी की ओर से सिस्टम मॉडलिंग एंड एडवांसमेंट इन रिसर्च ट्रेंड्स- स्मार्ट 2022 पर दो दिनी 11वीं अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में बतौर मुख्य अतिथि वर्चुअली बोल रहे थे। 


टीएमयू के कुलाधिपति श्री सुरेश जैन ने अपने अति संक्षिप्त संबोधन में मुख्य अतिथि श्री गडकरी की गरिमामयी वर्चुअली उपस्थिति पर विशेष आभार प्रकट किया। साथ ही भविष्य में व्यक्तिगत रूप से यूनिवर्सिटी में उपस्थित होने के लिए सादर आमंत्रित किया। इससे पूर्व मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके स्मार्ट-2022 का शंखनाद हुआ। बीसीए, बीटेक, बीटेक सीएस, बीटेक आईनर्चर, बीएससी एनीमेशन के छात्र-छात्राओं ने गणेश वंदना पर मनमोहनी नृत्य प्रस्तुति दी। इस मौके पर कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, चौधरी बंसीलाल यूनिवर्सिटी, भिवानी (हरियाणा) के कुलपति प्रो. आरके मित्तल, टीएमयू के जीवीसी श्री मनीष जैन, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन, टीएमयू के वीसी प्रो. रघुवीर सिंह, यूएसआईसी एंड टी, जीजीएसआईपीयू के प्रोफ़ेसर डॉ. नवीन राजपाल, आईआईटी, कानपुर के सेवानिवृत्त प्रोफ़ेसर डॉ. वीके जैन और एमजेपीआरयू, बरेली के सीएस एंड आईटी विभाग के हेड और प्रोफेसर डॉ. एसएस बेदी, कॉन्फ्रेंस जनरल चेयर एवं एफओई एंड सीसीएसआईटी के निदेशक एवम् प्राचार्य प्रो. राकेश कुमार द्विवेदी रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा, एसोसिएट डीन प्रो. मंजुला जैन, डॉ. ज्योति पुरी आदि की गरिमामयी उपस्थिति रही। कॉन्फ्रेंस के दौरान आठ सत्रों में 98 शोधपत्र प्रस्तुत किए गए। इस मौके पर कॉन्फ्रेंस प्रोसिडिंग का विमोचन भी हुआ। इससे पूर्व ब्लेंडेड मोड में हुई इस कॉन्फ्रेंस में अतिथियों का बुके देकर स्वागत किया गया। अंत में अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। 


उद्घाटन सत्र के दौरान कॉन्फ्रेंस जनरल चेयर एवं एफओई एंड सीसीएसआईटी के निदेशक एवम् प्राचार्य प्रो. राकेश कुमार द्विवेदी ने स्वागत भाषण और कॉन्फ्रेंस की थीम प्रस्तुत की। टीएमयू की एसोसिएट डीन डॉ. मंजुला जैन ने स्मार्ट-2022 इवेंट का परिचय दिया जबकि टीएमयू के रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा ने वोट ऑफ थैंक्स दिया। सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. आरके जैन ने मुख्य अतिथि श्री गडकरी को मराठी में उनकी ऑनलाइन उपस्थिति पर विशेष आभार व्यक्त किया। कॉन्फ्रेंस में कुलाधिपति की सुपौत्री सुश्री नंदिनी जैन भी मौजूद रहीं। संचालन मिस इंदु त्रिपाठी और डॉ. शालिनी जेड निनोरिया ने किया।




श्री गडकरी बोले, स्मार्ट तकनीक माध्यम से परिवहन मंत्रालय हाई स्पीड हाईवे, रोड सेफ्टी और पार्किंग प्रबंधन के क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। इसके अतिरिक्त परिवहन में कृषि उत्पादों की भूमिका और टोल टैक्स की व्यवस्था का श्रेय इन्नोवेटिव सोच का प्रमाण है। उन्होंने उम्मीद जताई, भविष्य में ई-टोल टैक्स, हाइड्रोजन वाहन और फ्लैक्सी ईंधन जैसी स्मार्ट टेक्नोलॉजी परिवहन क्षेत्र की दशा और दिशा में आमूल-चूल परिवर्तन लेकर आएंगी। श्री गडकरी ने बताया कि कैसे परिवहन मंत्रालय वेस्ट मटेरियल से सड़क, पुल आदि बनाकर स्वच्छ पर्यावरण की दिशा में कार्य कर रहा है। एग्रीकल्चर के क्षेत्र में भी बायो ईंधन के जरिए मंत्रालय अपना योगदान दे रहा है। टीएमयू के बारे में बोले, यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग फैकल्टी होने के नाते मैं उम्मीद करता हूं, यहां के छात्र अपनी इन्नोवेटिव सोच का प्रयोग परिवहन संबंधी समस्याओं जैसे- पार्किंग कन्ट्रोल, दुर्घटना रहित परिवहन, स्मार्ट नम्बर प्लेट, जीपीएस मैनेजमेंट आदि पर कर रहे होंगे। बतौर एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन ने मातृ भूमि को वंदन करते हुए कहा, मेरी जन्मभूमि ही मेरी कर्मभूमि है। हार्वर्ड से हासिल होने वाली पीजी डिग्री टीएमयू के हजारों-हजार स्टुडेंट्स को समर्पित करते हुए उन्होंने यह भी स्मरण कराया कि इससे पूर्व डिलोयट यूएसए के आकर्षक पैकेज को टीएमयू के छात्रों के स्वर्णिम भविष्य की खातिर छोड़ चुका हूं। यूनिवर्सिटी को उसका कल्चर ही स्मार्ट बनाता है। टीएमयू ज्ञान और परम्परा का एक उत्कृष्ट संगम है। यूनिवर्सिटी में समय-समय पर आयोजित होने वाले भारतीय संस्कृति से ओत-प्रोत आयोजन शैक्षिक क्रियाकलापों के साथ समान्तर रूप से चलते रहते हैं। निकट भविष्य में होने वाला परम्परा-2 महोत्सव यूनिवर्सिटी का हमारी संस्कृति से जुड़ाव का प्रतीक है। भारत की बदलती छवि को रेखांकित करते हुए बोले, विश्व का नजरिया भारत के प्रति सकारात्मक रूप से बदला है। आज विश्व के बडे़-बड़े संगठनों के प्रमुख भारतीय हैं। मैं उम्मीद करता हूं, आने वाले समय में हमारे छात्र भी इस स्थिति में खुद को पाएंगे। 



चौधरी बंसीलाल यूनिवर्सिटी, भिवानी (हरियाणा) के कुलपति प्रो. आरके मित्तल ने आत्मनिर्भर बनने के लिए दर्जनों छोटे-छोटे सुझाव देते हुए कहा, दुनिया के नामचीन उद्योगपति बिल गेट्स हो या वॉरेन बुफेट इन्होंने कम उम्र में ही अपना स्टार्ट अप शुरू कर दिया था। प्रो. मित्तल बोले, भारत युवाओं का देश है। युवाओं की नव सोच और ज्यादा ऊर्जावान होने के कारण वे भी जल्दी स्टार्ट अप्स, इंटरप्रेनियोरशिप, इन्नोवेशनस आदि में अपना बहुमूल्य विकास दे सकते हैं। इससे खुशहाली और आर्थिक उन्नति होगी। उदाहरण के तौर पर मुरादाबाद आत्मनिर्भर बनेगा तो यूपी के संग-संग भारत भी आत्मनिर्भर बनेगा। उन्होंने युवाओं से आहवान किया, टेक्नोलॉजी का उपयोग मानव कल्याण और समाज में बदलाव के लिए करें। ट्रांसफॉर्मेशन की पुरजोर वकालत करते हुए बोले, आसपास की प्राब्लम्स पर पैनी नज़र रखें। विज्ञान, टेक्नोलॉजी और नई सोच समस्याओं के समाधान में मील का पत्थर साबित होगी। अंत में युवाओं को पंचकोश मूल मंत्र भी दिया। 



टीएमयू के वीसी प्रो. रघुवीर सिंह बोले, प्रॉब्लम्स का समाधान बाहर ढूंढने से नहीं, अपने अंदर से ही मिलेगा। कॉन्फ्रेंस की थीम एजुकेशन 4.0 और इंडस्ट्री 4.0 के परस्पर संबंधों पर प्रकाश डालते हुए बोले, इंडस्ट्री की जरूरतों के मुताबिक ही हम स्टुडेंट्स को तैयार करते हैं। भविष्य की जनजानी और अचिन्हित चुनौतियों का सामना करने के लिए भी युवाओं को तैयार करते हैं। अंत में उन्होंने हॉयर ऑर्डर थिंकिंग को विकसित करने की पुरजोर वकालत की। कॉन्फ्रेंस चेयर एवं एफओईसीएस के विभागाध्यक्ष प्रो. अशेन्द्र कुमार सक्सेना की गरिमामयी मौजूदगी रही। कॉन्फ्रेंस के पहले दिन यूएसआईसी एंड टी, जीजीएसआईपीयू के प्रोफ़ेसर डॉ. नवीन राजपाल, आईआईटी, कानपुर के सेवानिवृत्त प्रोफ़ेसर डॉ. वीके जैन और एमजेपीआरयू, बरेली के सीएस एंड आईटी विभाग के हेड और प्रोफेसर डॉ. एसएस बेदी ने भी अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए। कॉन्फ्रेंस में आईईई के आब्जर्वर श्री केसी मिश्रा, आईईई के आब्जर्वर डॉ. वरुण कुमार कक्कड़, प्रो. हरबश दीक्षित, डॉ. शम्भू भारद्वाज, श्री नवनीत विश्नोई, श्री प्रदीप गुप्ता, श्री मनोज गुप्ता, श्री ज्योति रंजन लाभ, श्री मनीष तिवारी, डॉ. संदीप वर्मा, श्री आदित्य जैन, श्रीमती निकिता जैन, डॉ. प्रियांक सिंघल, श्री रूपल गुप्ता, श्री अजय तिवारी, डॉ. पंकज गोस्वामी, डॉ. गरिमा गोस्वामी, श्रीमती अनु शर्मा, श्रीमती शिखा गंभीर आदि की भी मौजूदगी रही।


कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन समापन मौके पर वोल्गोग्राड राज्य तकनीकी यूनिवर्सिटी, रूस के एसोसिएट प्रो. डॉ. डेनिला पैरिगिन, अटल बिहारी वाजपेयी- भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी और प्रबंधन संस्थान- एबीवी-आईआईआईटीएम, ग्वालियर के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के निदेशक प्रो. एसएन सिंह मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे। एमएनएनआईटी, इलाहाबाद के आईईईई कॉन्फ्रेंस कमेटी ईई विभाग के प्रो. आशीष कुमार सिंह एवम् एमजेपीआरयू, बरेली के सीएसई डिपार्टमेंट के हेड डॉ. रावेंद्र सिंह गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में शिरकत करेंगे जबकि कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन एमएमएमयूटी, गोरखपुर के ईई विभाग (आईईईई कॉन्फ्रेंस कमेटी) के प्रोफेसर डॉ. प्रभाकर तिवारी, आईआईटी, कानपुर के एमई विभाग (आईईईई सलाहकार) के प्रो. जे रामकुमार, एमिटी यूनिवर्सिटी, ताशकंद आईटी विभाग और इंजीनियरिंग के डॉ. गौरव अग्रवाल और राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास, आईसीएसआई, रामनिकु वाल्सिया, रोमानिया की मिस मारिया सिमोना राबोका मुख्य वक्ता के रूप में शिरकत करेंगे।


उल्लेखनीय है, कॉन्फ्रेंस के दौरान भारत समेत बांग्लादेश, आइसलैंड, मलेश्यिा, हंगरी, नॉर्वे, ओमान, रोमानिया, सऊदी अरब, यूनाइटेड स्टेट, उज़्बेकिस्तान कुल 11 देशों के आईटी विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं । कॉन्फ्रेंस के 24 तकनीकी सत्रों में 13 ट्रैक के देश-विदेश के शोधार्थियों की ओर से उभरती हुई प्रौद्योगिकियां, आईओटी और वायरलेस संचार, संचार और नेटवर्क प्रसारण, सिग्नल इमेज एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी, 

शासन, जोखिम और अनुपालन, ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी, उद्योग 4.0, शिक्षा 4.0, सिस्टम मॉडलिंग और डिजाइन कार्यान्वयन, रोबोटिक्स, कंट्रोल, इंस्ट्रूमेंटेशन और ऑटोमेशन, बायोमेडिकल इंजीनियरिंग और हैल्थकेयर टेक्नोलॉजीज, डिजिटल इमेज प्रोसेसिंग, सूचना सुरक्षा और इंजीनियरिंग जैसे विभिन्न विषयों पर शोध पत्र पढ़े जाएंगे। इनमें से पहले दिन 98 शोधपत्र पढ़े जा चुके हैं।


राजनीति में कायस्थों की हिस्सेदारी सुनिश्चित करेगा जीकेसी :

  राजीव रंजन



जीकेसी की राज्य कार्यकारिणी की  बैठक में 25 से अधिक  जिले हुए शामिल


पटना । ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस (जीकेसी) राजनीति में कायस्थों की हिस्सेदारी को सुनिश्चित करने और उन्हें शिक्षा, व्यापार , उद्योग , रोजगार, कला -. संस्कृति , क्रीड़ा आदि के क्षेत्र में अग्रणी स्थान दिलाने के लिए वर्ष 2023 में व्यापक कार्यक्रम चलाएगा ।

जीकेसी के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद  ने कल पटना के  बीआइए सभागार में जीकेसी की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक का उद्घाटन करते हुए कहा कि एकजुटता के अभाव में कायस्थ आज राजनीति में हाशिए पर आ गए हैं और जीकेसी कायस्थों के सभी मंचों तथा घटकों को एक साथ लाकर राजनीति में भागीदारी को सुनिश्चित करने का हर संभव प्रयास करेगा । उन्होंने कहा कि इसी सिलसिले में जीकेसी राजस्थान के उदयपुर में इस सप्ताह के अंत में 17-18 दिसंबर को राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित कर रहा है ।इस अधिवेशन में अगले साल के लिए सभी कार्यक्रम तय करने के अलावा 24 सितंबर 2023 को नई दिल्ली के रामलीला मैदान में होने वाले कायस्थ राजनीति हिस्सेदारी महासम्मेलन की रूपरेखा को अंतिम रूप प्रदान किया जाएगा |

श्री प्रसाद ने कहा कि दो वर्षों से भी कम की छोटी सी आयु में इस संगठन ने विश्व के दो दर्जन देशों एवं 25 प्रांतों में अपनी इकाइयां गठित की हैं, वहीं 200 से अधिक स्थानों पर शंखनाद यात्रायें,विश्व कायस्थ महासम्मेलन,नेपाल में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के साथ साथ अब आगामी 17-18 दिसंबर को उदयपुर  में प्रथम राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित किया है।

   श्री प्रसाद ने कहा कि रोज़गार,विवाह,कैरियर काउंसलिंग,पर्यावरण संबंधी जागरूकता,कुटीर उद्योग एवं समाज के अंदरूनी विवादों के निष्पादन में भी संगठन बढ़चढ़ कर अपना योगदान दे रहा है।

श्री प्रसाद ने कहा कि इन लक्ष्यों की पूर्ति के लिए जिलावार सम्मेलन एवं बड़े पैमाने पर सदस्यता अभियान चलाये जाएँगे।अपने गौरवशाली अतीत को दुहराने के लिए ग्लोबल कायस्थ कांफ्रेंस योजनाबद्ध तरीक़े से भावी रणनीति पर कार्य करने के लिये संकल्पित है।

   बैठक में प्रबंध न्यासी श्रीमती रागिनी रंजन ने स्थानीय निकायों में समाज के लोकप्रिय उम्मीदवारों की जीत के लिए संगठन को कमर कस कर लगने का आह्वान करते हुए कहा कि पटना में मेयर प्रत्याशी श्रीमती विनीता कुमारी समेत विभिन्न निकायों के प्रत्याशियों के समर्थन की सूची जारी की गई है।अध्यक्षता करते हुए प्रदेश अध्यक्ष श्री दीपक अभिषेक ने आगामी एक वर्ष के लिये संगठन के कार्यक्रमों का कैलेंडर जारी किया।

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कमल किशोर ने राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में कायस्थ भवन के निर्माण और कायस्थ युवक-युवतियों - महिलाओं को व्यापार, उद्योग से जोड़ने के लिए कार्यशाला के आयोजन की जरूरत पर बल दिया ।

इस अवसर पर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कमल किशोर,प्रियरंजन,संजय कुमार सिन्हा,राष्ट्रीय सचिव राजेश सिन्हा ,दीप श्रेष्ठ,सुबाला वर्मा,राजेश कुमार डब्लू,अतुल आनंद सन्नु,हरि कृपाल,संजू,कला एवं संस्कृति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेम कुमार, शिवानी गौड़,अनिल दास,प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष नीलेश रंजन ,महासचिव संजय कुमार सिन्हा,जयंत मल्लिक,आशुतोष ब्रजेश,बलिराम जी,दिवाकर कुमार वर्मा, अजय अम्बष्ठ, मुकेश महान,पीयूष श्रीवास्तव, सुशांत सिंन्हा, रवि सिन्हा,महिला प्रकोष्ठ अध्यक्ष श्रीमती नंदा कुमारी,पटना ज़िला अध्यक्ष सुशील श्रीवास्तव,महासचिव धनंजय प्रसाद,निशा पराशर,अनुराग समरूप,रश्मि सिन्हा,ज्योति दास,वंदना सिन्हा,नूतन सिन्हा,रतन कुमार सिन्हा,रवि शंकर चैनपुरी,अमित प्रकाश श्रीवास्तव,शैलेश कुमार,प्रवीण सिन्हा,रवि शंकर चैनपुरी,विनय देवकुलियार,निखिल वर्मा,मनीष कुमार,धर्मांश रंजन,सरोज सिन्हा,चंदन सहाय,नीरज कुमार,सरोज सिन्हा,रविशंकर प्रभाकर,अरविंद सिन्हा,सौरभ श्रीवास्तव,बिंदुभूषण प्रसाद,अरविंद प्रियदर्शी,नवीन सिन्हा,ललित सिन्हा,शशांक शेखर,रुद्र प्रताप लाल,कृष्ण गोपाल सिन्हा,कैप्ट राणेश,निहारिका कृष्ण अखौरी,शालिनी कर्ण,सागरिका वर्मा समेत अनेक पदाधिकारी उपस्थित थे।



शुक्रवार, 16 दिसंबर 2022

फर्ज़ी वकील

वक़ालत करते फर्ज़ी वकील पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज


 इंदौर जिला न्यायालय में बगैर वकालत की डिग्री के वकालत क रहा व्यक्ति गुरुवार को पुलिस की गिरफ्त में आया। यह व्यक्ति वकील की वेशभूषा में वकालत कर रहा था, जिसे इंदौर बार एसोसिएशन के वकीलों ने रंगे हाथ अदालत में पैरवी करते हुए पकड़ लिया। इंदौर के एमजी रोड पुलिस थाना द्वारा संज्ञेय अपराधों में प्रकरण दर्ज किया गया है।

इंदौर बार एसोसिएशन के वकील उज्ज्वल फणसे और अर्पित वर्मा को साथी वकीलों से सूचना मिली थी कि इंदौर जिला न्यायालय में एक व्यक्ति वकील नहीं होकर भी वकील की वेशभूषा में घूम रहा है और अदालतों में पक्षकारों की पैरवी कर रहा है। इस पर शिकायतकर्ता उज्ज्वल फणसे एवं अर्पित वर्मा ने संबंधित एमजी रोड थाना पर लिखित आवेदन दिया। पुलिस द्वारा इस आवेदन पर कार्रवाई करते हुए आरोपी शिवम पिता रवि रघुवंशी पर आईपीसी की धारा 420, 416,417,467,468 में प्रकरण दर्ज किया।

पुलिस द्वारा दर्ज किए गए प्रकरण के अनुसार आरोपी शिवम को शिकायतकर्ताओं ने इंदौर जिला न्यायालय की कोर्ट नंबर 19 में वकालत करते हुए पाया। शिकायतकर्ता के अनुसार आरोपी के पास कानून की डिग्री नहीं है उसके द्वारा कूटरचित वकील होने के प्रमाण पत्र बनाए गए और वकीलों द्वारा पहना जाने वाला बैंड गले में लगाया।

दर्ज विवरण के अनुसार आरोपी लंबे समय से अदालत में वकील का काम कर रहा था, आरोपी किसी वकील का सहायक या मुंशी भी नहीं है। आरोपी से बार एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष रत्नेश पाल द्वारा वकील होने के दस्तावेज मांगे जाने पर आरोपी भागने लगा। इस पर बार के दूसरे वकीलों ने आरोपी को पकड़ कर पुलिस के सुपुर्द कर दिया। पकड़ाए गए नकली वकील के पास से काला कोट, बैंड, और एडवोकेट वेलफेयर के स्टांप मिले।

बगैर डिग्री और सनद के वकालत करने पर क्या कहता है कानून

कानून का पेशा कानून द्वारा ही बनाया गया है। कोई भी व्यक्ति किसी अदालत में पेशेवर तौर पर वकील का काम तब ही कर सकता है जब उसके पास संबंधित कानून की डिग्री और स्टेट बार एसोसिएशन की सनद हो। यह प्रावधान एडवोकेट एक्ट 1961 में किये गए हैं।

एडवोकेट एक्ट में ही बगैर सनद के प्रैक्टिस करने पर दंड का भी प्रावधान है। एक्ट की धारा 45 के अनुसार कोई गैर वकील व्यक्ति यदि वकील का काम करता है तब इस अपराध पर छः महीने तक की सज़ा है। अगर नकली सनद बनाकर वकील की वेशभूषा पहनकर कोई व्यक्ति वकालत करता है तब भारतीय दंड संहिता की धारा 420,467,468 भी लागू हो जाती है। एडवोकेट एक्ट की धारा 29 के तहत अदालतों में पैरवी करने का हक़ केवल वकीलों के पास है, कोई भी व्यक्ति अपने मामले में पैरवी तो कर सकता है लेकिन किसी दूसरे के मामले में बगैर वकील हुए पैरवी नहीं कर सकता, यह केवल वकीलों का अधिकार है।

गुरुवार, 8 दिसंबर 2022

ज्‍योतिष भविष्‍य में देखने की प्रक्रिया है।

 भविष्य एकदम अनिश्‍चित नहीं है। हमारा ज्ञान अनिश्‍चित है। हमारा अज्ञान भारी है। भविष्‍य में हमें कुछ दिखाई नहीं पड़ता। हम अंधे हैं। भविष्‍य का हमें कुछ भी दिखाई नहीं पड़ता। नहीं दिखाई पड़ता है इसलिए हम कहते हैं कि निश्‍चित नहीं है लेकिन भविष्‍य में दिखाई पड़ने लगे… और ज्‍योतिष भविष्‍य में देखने की प्रक्रिया है।

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तो ज्‍योतिष सिर्फ इतनी ही बात नहीं है कि ग्रह-नक्षत्र क्‍या कहते हैं। उनकी गणना क्‍या कहती है। यह तो सिर्फ ज्‍योतिष का एक डायमेंशन है, एक आयाम है। फिर भविष्‍य को जानने के और आयाम भी हैं।


मनुष्‍य के हाथ पर खींची हुई रेखाएं हैं, मनुष्‍य के माथे पर खींची हुई रेखाएं हैं, मनुष्‍य के पैर पर खींची हुई रेखाएं हैं, पर ये भी बहुत ऊपरी हैं। मनुष्‍य के शरीर में छिपे हुए चक्र हैं। उन सब चक्रों का अलग-अलग संवेदन है। उन सब चक्रों की प्रति पल अलग-अलग गति है। फ्रिक्‍वेंसी है। उनकी जांच है। मनुष्‍य के पास छिपा हुआ, अतीत का पूरा संस्‍कार बीज है।

रान हुब्‍बार्ड ने एक नया शब्‍द, एक नई खोज पश्‍चिम में शुरू की है- पूरब के लिए तो बहुत पुरानी है। वह खोज है- टाइम ट्रैक। हुब्‍बार्ड का ख्‍याल है कि प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति जहां भी जिया है इस पृथ्वी पर या कहीं और किसी ग्रह पर- आदमी की तरह या जानवर की तरह या पौधे की तरह या पत्‍थर की तरह। आदमी जहां भी जिया है अनंत यात्रा में- उस… पूरा का पूरा टाइम ट्रैक, समय की पूरी की पूरी धारा उसके भीतर अभी भी संरक्षित है। वह धारा खोली जा सकती है और उस धारा में आदमी को पुन: प्रवाहित किया जा सकता है।,,,,आगे जारी ,.....

बुधवार, 7 दिसंबर 2022

फरहाद सूरी के हारने का मतलब

 

 फरहाद सूरी चुनाव हार गए। यह यकीन नहीं हो रहा। वे दरियागंज सीट से 244 वोटों से चुनाव हार गए हैं। जीत आप की सारिका की हुई है। उन्हें जीत मुबारक। पर फरहाद सूरी की हार का मतलब यह हुआ कि आप जनता के बीच में लगातार रहने के बाद भी पराजित हो सकते हैं। यानी काम करने का कोई मतलब नहीं रहा। वे दिन रात निजामउद्दीन,जंगपुरा, दरियागंज वगैरह में घूमते थे। वे खुद देखते थे कि विकास से जुड़े काम रूके नहीं।


बाराखंभा रोड, मिन्टो रोड और दरियागंज उनसे पहले उनकी मां ताजदार बाबर की सीट थी। वह इन सीटों पर अजेय रहीं थीं। ताजदार बाबर कश्मीरी थीं और उन्होंने शादी जिन्ना के पाकिस्तान के विचार को खारिज करके पेशावर से दिल्ली आने वाले डब्ल्यू.एम.बाबर से की थी। बाबर साहब के साथ ताज मोहम्मद भी दिल्ली आए थे। ताज मोहम्मद के साहबजादे को शाहरूख खान या किंग खान भी कहते हैं।


 खैर, ताजदार बाबर को दिल्ली की सियासत से जुड़े लोग मम्मी कहते थे। उनसे बड़ी उम्र की लोग भी उन्हें मम्मी कहते थे। कभी इन हिन्दू बहुल मतदाताओं वाली सीटों पर ताजदार बाबर और फरहाद सूरी को भरपूर प्यार मिला था। बदले में ये दोनों हर वक्त अपने मतदाताओं के साथ खड़े रहे। फरहाद सूरी दिल्ली के 2012 में मेयर भी रहे। जिंदगी भर कांग्रेस को देने वाले फरहद सूरी की इमेज बेदाग रही। माफ कीजिए, उनकी हार मतदाताओं के फैसले पर सवालिया निशान खड़ा करती है। पर क्या करें,अब दिल्ली भी पहले वाली कहां रही।

साइबर ठगों का जलवा


पुलिस के जागरूक अभियान के बावजूद भी साइबर ठग लालची लोगों के साथ साथ भोले भाले लोगों को भी बना रहे अपनी ठगी का शिकार*


*1.90 लाख रुपये की ठगी*

 

सहारनपुर। साइबर ठगी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। एक व्यक्ति का कहना है कि उसका एटीएम बदलकर खाते से एक लाख 90 हजार रुपये निकाले गए। खास बात यह है कि अलग-अलग तारीखों में खाते से पैसों की निकासी हुई। 

पीड़ित ने एसपी सिटी को प्रार्थनापत्र सौंपकर कार्यवाही की मांग की है। थाना मंडी क्षेत्र के खाता खेड़ी निवासी अब्दुला पुत्र जमील का कहना है कि उनका एटीएम घर में ही रखा था। उन्होंने किसी को अपना पासवर्ड भी नहीं बताया। इसके बावजूद भी उसके बैंक खाते से एक लाख 90 हजार रुपये निकाले गए। 

आठ नवंबर को उसके पास 10-10 हजार रुपये के चार मैसेज आए। मैसेज में बताया गया कि उसके खाते से रकम निकाली गई है। पीड़ित उसी समय बैंक में गया, यहां पर शिकायत दर्ज कराई।

रविवार, 4 दिसंबर 2022

सबसे ज्यादा वेश्याओं की संख्या वाले 10 देश।


 सबसे ज्यादा वेश्याओं वाले 10 देश।  

नाइजीरिया की स्थिति देखें।


 वेश्यावृत्ति, जिसे दुनिया के सबसे पुराने पेशे के रूप में भी जाना जाता है, आज हमारी दुनिया में महत्व प्राप्त करना शुरू कर रही है क्योंकि कुछ देशों और धर्मों में इसे अनैतिक मानने के बावजूद कई देशों ने इसे वैध बनाना शुरू कर दिया है।


 यद्यपि वेश्यावृत्ति के महत्वपूर्ण आँकड़े प्राप्त करने में कई जटिलताएँ शामिल हैं, तथ्य यह है कि वर्तमान में दुनिया भर में लाखों वेश्याएँ हैं, और कुछ देशों को वहाँ की आबादी में बहुत बड़ा योगदान देने के लिए जाना जाता है।


 नीचे, प्रति १०,००० लोगों पर सबसे अधिक यौनकर्मी वाले दस देश हैं [liveandinvestoverseas.com के अनुसार]


 10. थाईलैंड - प्रति 10,000 जनसंख्या पर 45 वेश्याएं।


 थाईलैंड में वेश्यावृत्ति अब वर्षों से आम है, हालांकि यह अभी तक कानूनी नहीं है, लेकिन यह काफी विनियमित और माफ है।


 थाईलैंड में, शहर में वेश्यावृत्ति की दर के कारण पटाया को दुनिया की नियॉन-लाइट सेक्स कैपिटल के रूप में जाना जाता है।


 9. जर्मनी: प्रति 10,000 जनसंख्या पर 49 वेश्याएं।


 जर्मनी में, वेश्यावृत्ति अब बहुत लंबे समय से अस्तित्व में है, और जैसा कि यह खड़ा है, पेशे को देश में पहले से ही वैध कर दिया गया है क्योंकि जर्मन सरकार इस पर कर लगाती है।


 दिलचस्प बात यह है कि पास्का वेश्यालय जो पूरे यूरोप में सबसे बड़ा वेश्यालय है, जर्मनी के कोलोन में पाया जाता है।


 जर्मनी में भी, वेश्यावृत्ति संरक्षण अधिनियम के रूप में जाना जाने वाला एक कानून, यौनकर्मियों की कानूनी स्थिति में सुधार के लिए बनाया गया था - यह दिखाने के लिए कि देश में वेश्यावृत्ति कितनी गंभीर है।


 8. मलेशिया: प्रति 10,000 जनसंख्या पर 52 वेश्याएं।


 इस तथ्य के बावजूद कि मलेशिया में वेश्यावृत्ति अवैध है, यह अभी भी बहुत आम और प्रचलित है।


 जबकि मलेशिया में बाल वेश्यावृत्ति काफी लोकप्रिय है, देश में वेश्यावृत्ति के दोषी मुसलमानों को भी सार्वजनिक बेंत से दंडित किया जा सकता है।


 7. ब्राजील: प्रति 10,000 जनसंख्या पर 53 वेश्याएं।


 ब्राजील में, वेश्यावृत्ति इस अर्थ में काफी कानूनी है कि;  वेश्याओं की सेवाओं को पैसे के बदले बदला जा सकता है।  लेकिन वेश्यालय का संचालन करना या किसी अन्य तरीके से वेश्याओं को नियुक्त करना बहुत ही अवैध है।


 6. चीन: प्रति १०,००० जनसंख्या पर ६० वेश्याएं।


 मलेशिया की तरह, चीन ने वेश्यावृत्ति को वैध नहीं किया, लेकिन यह व्यापक है।


 देश में वेश्यावृत्ति ब्यूटी सैलून और कराओके बार के बाहर पनपना बंद नहीं हुआ है, पुलिस द्वारा लगातार कार्रवाई के बावजूद, जो कभी-कभी उन्हें अपराधियों के रूप में मानते हैं।


 5. नाइजीरिया: प्रति १०,००० जनसंख्या पर ६३ वेश्याएं।


 नाइजीरिया में, उत्तरी राज्यों में वेश्यावृत्ति अत्यधिक अवैध है, और देश के दक्षिणी भाग में, दलालों, कम उम्र की वेश्याओं और वेश्यालय के मालिकों को कानून द्वारा दंडित किया जाता है।


 नाइजीरिया में वेश्यावृत्ति व्यापक रूप से गरीबी और देश की आर्थिक स्थिति के कारण मानी जाती है।


 4. फिलीपींस: प्रति 10,000 जनसंख्या पर 85 वेश्याएं।


 फिलीपींस में वेश्यावृत्ति बहुत अवैध है, हालांकि इसे माफ कर दिया जाता है।


 फिलीपींस में भी, गरीबी वेश्यावृत्ति का एक प्रमुख कारण है।  महिला कंपनियों को आमतौर पर "बार गर्ल्स" के रूप में पेश किया जाता है जो अक्सर अपना "बार गर्ल" आईडी कार्ड पहनती हैं।


 3. पेरू: प्रति 10,000 जनसंख्या पर 102 वेश्याएं।


 पेरू में, वेश्यावृत्ति को वैध कर दिया गया है और इसे अच्छी तरह से विनियमित किया गया है क्योंकि वेश्यालयों को भी संचालित करने का लाइसेंस मिलता है।  हालांकि और दुर्भाग्य से, देश में बाल वेश्यावृत्ति भी आम है।


 2. दक्षिण कोरिया: प्रति 10,000 जनसंख्या पर 110 वेश्याएं।


 दक्षिण कोरिया में, वेश्यावृत्ति को वैध नहीं किया गया है, लेकिन पुलिस और कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा लगातार कार्रवाई के बावजूद यह फल-फूल रही है।


 1. वेनेजुएला: प्रति 10,000 जनसंख्या पर 119 वेश्याएं।


 वेनेजुएला में वेश्यावृत्ति बहुत कानूनी, विनियमित और सामान्य भी है।


 यह देश व्यापक रूप से दुनिया में सबसे अधिक वेश्याओं के लिए जाना जाता है और यह देश की खराब आर्थिक स्थिति के कारण है।


 वास्तव में, वेश्यावृत्ति इतनी गंभीर है कि वेश्याओं को पहचान के साधन के रूप में पहचान पत्र पहनना अनिवार्य है।✍🏻

शनिवार, 3 दिसंबर 2022

मणिपुर का ताज है ‘संगाई’ ---------------------------------


आजकल मणिपुर की राजधानी इंफाल में ‘संगाई महोत्सव’ की धूम है। हर साल 21 से 30 नवम्बर तक इस सांस्कृतिक उत्सव का आयोजन मणिपुर पर्यटन विभाग की ओर से किया जाता है। जिसमें प्रधानमंत्री समेत केंद्र सरकार के तमाम मंत्री और देश-विदेश की जानी-मानी हस्तियां पहुंचती हैं। पर क्या आप जानते हैं ये ‘संगाई’ है क्या और इस उत्सव का आयोजन क्यों किया जाता है?

‘संगाई’ हिरण की एक लुप्तप्राय प्रजाति है। हिरण की अन्य प्रजातियों में से नाचने वाला हिरण यानी संगाई पूरी दुनिया में यहीं पाया जाता है। यही वजह है कि इसे राजकीय पशु का दर्जा प्राप्त है। आज इसके अस्तित्व को बचाए रखना एक बड़ी चुनौती है। संगाई को संरक्षित करने के लिए मणिपुर सरकार कई अभियान चला रही है। इनमें से एक है ‘संगाई महोत्सव’। 2010 में मणिपुर के सबसे बड़े सांस्कृतिक और व्यवसायिक उत्सव का नाम ‘संगाई महोत्सव’ रखा गया है।  

संगाई महोत्सव के दौरान आप भी आइए, यकीन मानिए आपको ऐसा लगेगा जैसे इस महोत्सव ने पूरे मणिपुर की आत्मा को एक जगह पर लाकर रख दिया हो। इस दौरान पूरे शहर को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। और मणिपुर पर्यटन विभाग के साथ तमाम विभाग मिलकर एक प्लेटफार्म साझा करते हैं और महोत्सव को सफल बनाने में अपना सहयोग देते हैं।

महीनेभर पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं। मुख्य कार्यक्रम स्थल हाप्ता कांगजीबंग में मणिपुर की 34 जनजातियों के जीवन को दर्शाने के लिए उनकी झोपड़ियों के स्वरूप तैयार किए जाते हैं। शहर के खुमान लम्पक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में कई परंपरागत खेल प्रतियोगिताओं के अलावा तीरंदाजी समेत कई मनोरंजन से भरे खेलों का आयोजन किया जाता है। इस दौरान शहर के बीचोबीच स्थित पोलो ग्राउंड में खेले जाने वाले अंतरराष्ट्रीय पोलो मैच के प्रति यहां के लोगों की दीवानगी देखते ही बनती है।

मोकोकचिंग, कोम, माओ, माराम, जेमेई, क्रैब, वॉटरफॉल, थडाऊ इत्यादि यहां की नृत्य-शैलियां हैं, जिनका प्रदर्शन स्थानीय तालों पर किया जाता है। कांगला फोर्ट के सहारे बनी नहर पर पारंपरिक तरीके से बोट रेस का आयोजन होता है जिसमें दूर-दूर आए लोग हिस्सा लेते हैं। वैसे तो महोत्सव का मुख्य केंद्र इंफाल ही है, लेकिन एडवेंचर एक्टिविटी शहर से दूर लोकटक लेक और अन्य जगहों में भी आयोजित होते हैं। 

सौजन्य: लोकसभा टेलीविजन, प्रसारण वर्ष: 2019

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Kiren Rijiju PMO India  Narendra Modi  Sarbananda Sonowal 

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शुक्रवार, 2 दिसंबर 2022

थकान

 सेक्‍स थकान लाता है। इसलिए मैं तुमसे कहता हूं कि इसकी अवहेलना मत करो। जब तक तुम इसके पागलपन को नहीं जान लेते, तुम इससे छुटकारा नहीं पा सकते। जब तक तुम इसकी व्‍यर्थता को नहीं पहचान लेते तब तक बदलाव असंभव है।


यह अच्‍छा है कि तुम सेक्‍स से तंग आते जा रहे हो। और स्‍वाभाविक भी है। सेक्‍स का अर्थ ही यह है कि तुम्‍हारी ऊर्जा नीचे की और बहती है। तुम ऊर्जा गंवा रहे हो। ऊर्जा को ऊपर की और जाना चाहिए तब यह तुम्‍हारा पोIषण करती है। तब यह शक्‍ति लाती है। तुम्‍हारे भीतर कभी न थकाने वाली ऊर्जा के स्‍त्रोत बहने शुरू हो जाते है—एस धम्‍मो सनंतनो। लेकिन यदि लगातार पागलों की तरह सेक्‍स करते ही चले जाते हो तो यह ऊर्जा का दुरूपयोग होगा। शीध्र तुम अपने आपको थका हुआ और निरर्थक पाओगे।


मनुष्‍य कब तक मूर्खताएं करता चला जा सकता है। एक दिन अवश्‍य सोचता है कि वह अपने साथ क्‍या कर रहा है। क्‍योंकि जीवन में सेक्‍स से अधिक महत्‍वपूर्ण और कई चीजें है। सेक्‍स ही सब कुछ नहीं होता। सेक्‍स सार्थक है परंतु सर्वोपरि नहीं रखा जा सकता है। यदि तुम इसी के जाल में फंसे रहे तो तुम जीवन की अन्‍य सुंदरताओं से वंचित रह जाओगे। और मैं कोई सेक्‍स विरोधी नहीं हूं—इसे याद रखें। इसीलिए मेरी कही बातों में विरोधाभाष झलकता है। परंतु सत्‍य विरोधाभासी ही होता है। मैं इसमें कुछ नहीं कर सकता। मैं बिलकुल भी सेक्‍स विरोधी नहीं हूं। क्‍योंकि जो लोग सेक्‍स का विरोध करेंगे वे काम वासना में फंसे रहेंगे। मैं सेक्‍स के पक्ष में हूं। क्‍योंकि यदि तुम सेक्‍स में गहरे चले गए तो तुम शीध्र ही इससे मुक्‍त हो सकते हो। जितनी सजगता से तुम सेक्‍स में उतरोगे। उतनी ही शीध्रता से तुम इससे मुक्‍ति भी पा जाओगे। और वह दिन भाग्‍यशाली होगा जिस दिन तुम सेक्‍स से पूरी तरह मुक्‍त हो जाओगे।


यह अच्‍छा ही है कि तुम सेक्‍स से थक गये हो। अब किसी डाक्‍टर के पास कोई दवा लेने मत जाना। यह कुछ भी सहायता नहीं कर पायेगी…..ज्‍यादा से ज्‍यादा यह तुम्‍हारी इतनी ही मदद कर सकती है कि अभी नहीं तो जरा और बाद में थकाना शुरू हो जाओगे। अगर तुम वास्‍तव में ही सेक्‍स से थक चुके हो तो यह एक ऐसा अवसर बन सकता है कि तुम इसमे से बहार छलांग लगा सको।


काम वासना में अपने आपको घसीटते चले जाने में क्‍या अर्थ है। इसमे से बहार निकलो। और मैं तुम्‍हें इसका दमन करने के लिए नहीं कह रहा हूं। यदि काम वासना में जाने की तुम्‍हारी इच्‍छा में बल हो और तुम सेक्‍स में नहीं जाओ तो यह दमन होगा। लेकिन जब तुम सेक्‍स से तंग आ चुके हो या थक चुके हो और इसकी व्‍यर्थता जान ली है तब तुम सेक्‍स को दबाए बगैर इससे छुटकारा पा सकते हो। सेक्‍स का दमन किए बिना जब तुम इससे बाहर हो जाते हो तो इससे मुक्‍ति पा सकते हो।


 


काम वासना से मुक्‍त होना एक बहुत बड़ा अनुभव है। काम से मुक्‍त होते ही तुम्‍हारी ऊर्जा ध्‍यान और समाधि की और प्रेरित हो जाती है।


 


ओशो


धम्म पद : दि वे ऑफ दि बुद्धा

*संकलन-रामजी*🙏🌹🌹

गुरुवार, 1 दिसंबर 2022

शादी समारोह में चोरी करने वाला गिरोह



शादी समारोह से जेवरात-नगदी चुराने वाले गिरोह का भंडाफोड, 4 महिलाओं सहित 5 गिरफ्तार*


मुजफ्फरनगर 



मुजफ्फरनगर पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड किया है जो अक्सर शादी समारोह और पार्टियो मे मेहमान बनकर वहां से मौका देखकर गहनो आदि पर हाथ साफ करने के बाद रफूचक्कर हो जाते थे।पुलिस ने 04 दिन पूर्व नगर के होटल रेडियंट मे हुई चोरी का खुलासा करते हुए गिरोह की चार महिलाओ समेत 05 शातिरो को पकडने मे सफलता हासिल करते हुए नगर के रेडियंट होटल मे चोरी हुए समान को बरामद किया है। एसएसपी विनीत जायसवाल ने प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि थाना नई मण्डी क्षेत्र में स्थित होटल रेडिएन्ट भोपा रोड में सगाई समारोह के दौरान 02 अज्ञात महिलाओ ने वर पक्ष की और से दुल्हन के लिए लाये गये सोने व चांदी के जेवरात व नगदी से भरा हाथ का एक पर्स 26 नवंबर को चोरी कर लिया गया था। बताया कि उक्त मामले में रुपक कुमार वर्मा पुत्र ईश्वरदयाल वर्मा निवासी 72/303 अग्रसेन बिहार थाना नई मण्डी ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। बताया कि घटना के खुलासे और बदमाशों की धरपकड़ और माल बरामदगी के लिए उन्होंने 2 अलग-अलग पुलिस टीमों का गठन किया था। जिसके तहत पुलिस ने बड़ी सफलता अर्जित की। उन्होंने बताया कि 29 नवंबर थाना नई मण्डी पर गठित दोनों टीमों के कठिन परिश्रम व सर्विलांस टीम की मदद से सांसी (भातु)जाति के गैंग को ए टू जेड रोड सूजडु की तरफ जाने वाली सड़क से गिरफ्तार किया गया। उन्होंने बताया कि यह संगीन किस्म का गिरोह है जोकि मूलतः मध्य प्रदेश के राजगढ जिले के निवासी हैं। उन्होंने बताया कि अरेस्ट किये गए गिरोह में 4 महिलाएं और 1 पुरुष शामिल हैं। दौराने विवेचनात्मक कार्यवाही से ज्ञात हुआ कि उक्त घटना में चोरी हुए बैग में एक पीली धातु का हार, एक सफेद धातु का नारियल कँवर व 12000 रुपये नगद थे । थाना नई मण्डी पुलिस द्वारा गिरोह के सभी सदस्यों को गिरफ्तार कर जिसमें 04 अभियुक्ता व 01अभियुक्त शामिल है। थाना नई मण्डी पर पंजीकृत अभियोग का सफल अनावरण किया गया तथा चोरी किये 01 हार पीली धातु, 01 नारियल कवर सफेद धातु व 12000 रु0 नगद सम्बन्धित मु0अ0सं0 673/2022 धारा 380/34/411भादवि0 चालानी थाना नई मण्डी जनपद मुजफ्फरनगर व 06 कंगन पीली धातु, 02 हार पीली धातु, 02 जोडी कान के झुमके पीली धातु, 01 माथे का टीका पीली धातु, 01 नाक की नथ पीली धातु, 01 हाथ की अंगुठी तीन छल्ले वाली पीली धातु, 03 जोडी कान के टोपस लटकन वाले पीली धातु, 02 जोडी कान की बाली पीली धातु, 01 बाली नाक की पीली धातु, 02 मोती नाक के पीली धातु, 01 जोडी हाथ के फूल सफेद धातु व 01 लाख 32 हजार 30 रुपये नगद बरामद किये गये। बताया कि दबोचे गए गैंग के सदस्यों में संगीता पत्नी एस कुमार निवासी ग्राम गुलखेडी, हीना पत्नी प्रकाश निवासी ग्राम कडिया थाना बोडा, शबाना पत्नी ब्रजेश निवासी ग्राम गुलखेडी और रंजना पुत्री बीरु निवासी कडिया तथा एस कुमार पुत्र धर्म सिहं निवासी ग्राम गुलखेडी थाना बोडा जिला राजगढ, मध्यप्रदेश शामिल हैं।एसएसपी विनीत जायसवाल ने बताया कि बदमाशों ने पूछताछ में जानकारी दी कि वे लोग बडे-बडे शहरों में बडे-बडे होटल और मैरिज होम को निशाना बनाते हैं। वे देखते है कि कहां पर अच्छे पैसे वाले और रहीस लोगों की शादी है। वहां पर वे उनके पहनावे के अनुसार अच्छे-अच्छे कपडे पहनते है व मेकअप करते हैं तथा उनसे घुल मिल जाते हैं। साथ ही दुल्हन की माता व दुल्हे के पिता व मेहमानों को निशाना बनाते हैं। उनके पास बैठकर खाते-पीते है और मौका पाकर उनका बैग या पर्स जिसमें रुपये या कीमती जेवरात होते हैंए को चोरी कर वहां से बाहर निकलकर कोई भी साधन पकड़कर अपने अन्य साथियों के पास जोकि होटल के आस.पास ही कुछ दूरी पर अपनी गाडी में खडे़ होकर हमारा इंतजार कर रहे होते हैं। उनके पास जाकर तुरन्त उस स्थान या जिले को छोड देते हैं। बताया कि तब वे लोग वहां से करीब 100 या 200 किमी दूर अन्य शहर की तरफ दूसरी घटना करने के लिए चले जाते हैं। एसएसपी विनीत जायसवाल ने बदमाशों को दबोचकर चोरी की घटनाओं का खुलासा करने वाली पुलिस टीम को 25 हजार रुपये का नगद पुरस्कार दिया है। एसएसपी विनीत जायसवाल ने बदमाशों को दबोचकर चोरी की घटनाओं का खुलासा करने वाली पुलिस टीम को 25 हजार रुपये का नगद पुरस्कार दिया है।


 👉 *मानसिकता न्यूज़*



26 जनवरी को नवजोत सिंह सिद्धू की जेल से हो सकती है रिहाई*



रोड रेज मामले में काट रहे हैं सजा पूर्व क्रिकेटर और कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू 26 जनवरी को जेल से रिहा हो सकते हैं। रोड रेज मामले में सिद्धू पिछले छह महीने से पटियाला सेंट्रल जेल में सजा काट रहे हैं।

बताया जा रहा है कि सिद्धू ने ध्यान Vऔर योग की मदद से जेल में 34 किलो वजन कम किया है।


दरअसल, अच्छे बर्ताव की वजह से रिहाई के लिए मांगी गई नामों की सूची में नवजोत सिंह सिद्धू का नाम शामिल है। बता दें कि 1988 के रोड रेज मामले में सिद्धू एक साल की सजा काट रहे हैं।


सिद्धू के सहयोगी और पूर्व विधायक नवतेज सिंह चीमा के अनुसार, सिद्धू जेल में रोजाना कम से कम चार घंटे ध्यान करते हैं। साथ ही दो घंटे योग और व्यायाम, जबकि दो से चार घंटे पढ़ाई करते हैं और चार घंटे ही सोते हैं।


पूर्व विधायक ने किया ये दावा


पटियाला जेल में पिछले शुक्रवार को चीमा ने 45 मिनट तक सिद्धू से मुलाकात की थी। मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि जब सिद्धू साहब अपनी सजा पूरी करके बाहर आएंगे तो आप उन्हें देखकर हैरान रह जाएंगे।


पूर्व विधायक ने कहा कि सिद्धू बिल्कुल वैसे ही दिखते हैं जैसे एक क्रिकेटर के रूप में अपने सुनहरे दिनों में दिखते थे। उन्होंने 34 किलो वजन कम किया है।


पूर्व विधायक ने कहा, "वह वास्तव में अच्छा महसूस कर रहे हैं। उन्होंने मुझे बताया कि उनका लिवर, जो उन्हें दिक्कत देता था, अब बेहतर है।" चीमा ने आगे कहा, "सिद्धू नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर और एम्बोलिज्म से पीड़ित हैं। डॉक्टरों ने उन्हें विशेष आहार की सलाह दी जिसमें नारियल पानी, कैमोमाइल चाय, बादाम का दूध और मेंहदी की चाय शामिल है।


 👉 *मानसिकता न्यूज़*

इंडियन रॉबिन हुड’ यानि वीर सिपाही टंट्या मामा / मनोज कुमार

 

हम आजादी के 75वां वर्ष का उत्सव मना रहे हैं तब ऐसे अनेक प्रसंग से हमारी नयी पीढ़ी को रूबरू कराने का स्वर्णिम अवसर है। मध्यप्रदेश ऐसे जाने-अनजाने सभी वीर योद्धाओं का स्मरण कर आजादी के 75वें वर्ष को यादगार बना रहा है। खासतौर पर उन योद्वाओं का जिन्होंने अपने शौर्य से अंग्रेजी सेना को नेस्तनाबूद कर दिया। ऐसे में वीर योद्धा टंट्या भील को हम टंट्या मामा के नाम से संबोधित करते हैं, वह सदैव हमारे लिये अनुकरणीय रहे हैं। यह हिन्दुस्तान की माटी है जहां हम अपने योद्धाओं का हमेशा से कृतज्ञ रहे हैं। ऐसे में टंट्या मामा का स्मरण करते हुए हम गर्व से भर उठते हैं कि  वीर योद्धा टंट्या मामा की वीरता को सलाम करने के लिए पातालपानी रेल्वे स्टेशन से गुजरने वाली हर रेलगाड़ी के पहिये कुछ समय के लिए आज भी थम जाता है। जनपदीय लोक नायकों का स्मरण तो हम समय-समय पर करते हैं लेकिन वीर योद्धा टंट्या मामा को प्रतिदिन स्मरण करने का यह सिलसिला कभी थमा नहीं, कभी रूका नहीं। 

स्वाधीनता का 75वां वर्ष पूरे राष्ट्र का उत्सव है। एक ऐसा उत्सव जो हर पल इस बात का स्मरण कराता है कि ये रणबांकुरे नहीं होते तो हम भी नहीं होते। गुलामों की तरह हम मरते-जीते रहते लेकिन दूरदर्शी लोकनायकों ने इस बात को समझ लिया था और स्वयं की परवाह किये बिना भारत माता को गुलामी की बेडिय़ों से आजाद करने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। हमारा इतिहास ऐसे वीर ही नायकों की कथाओं से लिखा गया है। इतिहास का हर हर्फ हमें गर्व से भर देता है कि हम उस देश के वासी हैं जहां अपने देश के लिए मर-मिटने वालों का पूरा समाज है। ऐसे वीर नायकों का स्मरण करते हुए हम पाते हैं कि स्वाधीनता संग्राम में जनजातीय समाज के वीर नायकों की भूमिका बड़ी है लेकिन जाने-अनजाने उन्हें समाज के समक्ष लाने का कोई गंभीर प्रयास नहीं किया गया। आजादी के इस 75वें वर्ष में देश ऐसे ही वीर नायकों का स्मरण कर रहा है। कोई भी वीर शहीद किसी भी क्षेत्र या राज्य का हो लेकिन उसकी पहचान एक भारतीय की रही है। बिरसा मुंंडा से लेकर टंट्या भील हों या गुंडाधूर। इन सारे वीर जवानों ने कुर्बानी दी तो भारत माता को गुलामी की बेडिय़ों से आजाद करने के लिए। यह सुखद प्रसंग है कि देश का ह्दय प्रदेश कहे जाने वाला मध्यप्रदेश ऐसे सभी चिंहित और गुमनाम जनजाति समाज के वीर योद्धाओं को प्रणाम कर उन्हें स्मरण कर रहा है। मध्यप्रदेश की कोशिश है कि नयी पीढ़ी ना केवल अपने स्वाधीनता के इतिहास को जाने बल्कि अनाम शहीदों के बारे में भी अपनी जानकारी पुख्ता करे। 

मध्यप्रदेश के लिए यह गौरव की बात है कि 4 दिसम्बर को जननायक टंट्या मामा के बलिदान दिवस पर हम सब स्मरण कर रहे हैं। यह उल्लेख करना भी गर्व का विषय है कि अविभाजित मध्यप्रदेश सहित सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में ऐसे वीर शहीदों की लम्बी सूची है जिन्होंने स्वाधीनता संग्राम को स्वर्णिम बनाया। ‘इंडियन रॉबिन हुड’ के नाम से चर्चित टंट्या मामा की वीरता की कहानी का कालखंड है 1878 से लेकर 1889 का जब अंग्रेजों ने उन्हें एक अपराधी के रूप में प्रचारित किया। टंट्या को उन क्रांतिकारियों में से एक के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने 12 साल तक ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष किया था। रिपोर्टों में कहा गया है कि वह ब्रिटिश सरकार के खजाने और उनके अनुयायियों की संपत्ति को गरीबों और जरूरतमंदों में बांटने के लिए लूटता था। इन आंदोलनों से बहुत पहले आदिवासी समुदायों और तांत्या भील जैसे क्रांतिकारी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह का झंडा बुलंद किया था।  वह आदिवासियों और आम लोगों की भावनाओं के प्रतीक बन गए। लगभग एक सौ बीस साल पहले तांत्या भील जनता के एक महान नायक के रूप में उभरा और तब से भील जनजाति का एक गौरव बन चुका है। उन्होंने अदम्य साहस, असाधारण चपलता और आयोजन कौशल का प्रतीक बनाया। टंट्या भील का वास्तविक नाम तांतिया था, जिन्हे प्यार से टंट्या मामा के नाम से भी बुलाया जाता था। उल्लेखनीय है कि टंट्या भील की गिरफ्तारी की खबर न्यूयॉर्क टाइम्स के 10 नवंबर 1889 के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित हुई थी। इस समाचार में उन्हें ‘भारत के रॉबिन हुड’ के रूप में वर्णित किया गया था।

इतिहासकारों के अनुसार खंडवा जिले की पंधाना तहसील के बडदा में सन् 1842 के करीब भाऊसिंह के यहां टंट्या का जन्म हुआ था। कहते हैं कि टंट्या का मतलब झगड़ा या संघर्ष होता है और टंट्या के पिता ने उन्हें ये नाम दिया था, क्योंकि वे आदिवासी समाज पर हो रहे जुल्म का बदला लेने के लिए हमेशा तैयार रहते थे। बचपन में ही तीर कमान, लाठी और गोफल चलाने में पारंगत हो चुके टंट्या ने जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही जमींदारी प्रथा के खिलाफ अंग्रेजों से लोहा लेना शुरु कर दिया था। इंडियन रॉबिनहुड टंट्या भील, जिन्होंने अंग्रजों के छक्के छुड़ा दिए थे। सन् 1870 से 1880 के दशक में तब के मध्य प्रांत और बंबई प्रेसीडेंसी में टंट्या भील ने 1700 गांवों में अंग्रेजों के खिलाफ समानांतर सरकार चलाई थी। तब महान क्रांतिकारी तात्या टोपे ने टंट्या से प्रभावित होकर उन्हें छापामार शैली में हमला बोलने की गौरिल्ला युद्धकला सिखाई थी। इसके बाद टंट्या ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे। जनश्रुति के अनुसार मान्यता थी कि मामा टंट्या के राज में कोई आदिवासी भूखा नहीं सो सकता। टंट्या से मुंह की खा रहे अंग्रेजों को टंट्या से लडऩे के लिए ब्रिटिश सेना की खास टुकड़ी भारत बुलानी पड़ी थी। हालांकि टंट्या को ब्रिटिश सेना ने धोखे से गिरफ्तार कर लिया था।

इतिहासकारों के अनुसार 11 अगस्त सन् 1889 को रक्षाबंधन के दिन जब टंट्या अपनी मुंहबोली बहन से मिलने पहुंचे थे तो उसके पति गणपतसिंह ने मुखबिरी कर उन्हें पकड़वा दिया था। जबलपुर में अंग्रेजी सेशन कोर्ट ने 19 अक्टूबर को टंट्या को फांसी की सजा सुना दी थी। उन्हें 4 दिसम्बर 1889 को फांसी दी गई। ब्रिटिश सरकार भील विद्रोह के टूटने से डरी हुई थी। आमतौर पर यह माना जाता है कि उसे फांसी के बाद इंदौर के पास खंडवा रेल मार्ग पर पातालपानी रेलवे स्टेशन के पास फेंक दिया गया था। जिस स्थान पर उनके लकड़ी के पुतले रखे गए थे, वह स्थान तांत्या मामा की समाधि मानी जाती है। आज भी सभी ट्रेन टंट्या मामा के सम्मान में ट्रेन को एक पल के लिए रोक देते हैं।

ऐसे वीर जवानों के लिए कृतज्ञ मध्यप्रदेश उनकी यादों को चिरस्थायी बनाने के लिए प्रयासरत है। इस सिलसिले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को घोषणा की है कि इंदौर में पातालपानी रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर टंट्या भील के नाम पर रखा जाएगा। साथ ही इंदौर बस स्टैंड का नाम टंट्या मामा के नाम पर रखा जाएगा। यह पहल इस मायने में महत्वपूर्ण है कि हर आयु वर्ग के लोगों को यह स्मरण आता रहे कि हमें आजादी दिलाने के लिए ऐसे महान योद्धाओं ने अपने जीवन का उत्र्सग किया। टंट्या मामा जैसे सभी वीर योद्धाओं को हम नमन करते हैं।



संबंध एक नैचरल प्रक्रिया

 संबंध बनाना एक नैचरल प्रक्रिया है। हालांकि, इसे लेकर जो उम्मीदें या फैंटसी लोग रखते हैं, वो अलग-अलग होती हैं। लेकिन मकसद सबका समान होता है, जो है खुद और साथी को संतुष्ट करना।

संबंध बनाना एक नैचरल प्रक्रिया है। हालांकि, इसे लेकर जो उम्मीदें या फैंटसी लोग रखते हैं, वो अलग-अलग होती हैं। लेकिन मकसद सबका समान होता है, जो है खुद और साथी को संतुष्ट करना।

सुबह का समय यकीनन सेक्स करने के लिए सबसे अच्छे समय में से एक है। सुबह की धूप जब दोनों के बॉडी पर पड़ती है, तो लोगों को वॉर्म और सेंसुअल बना सकती है। यह वह समय भी होता है, जब आप दोनों काफी एनर्जेटिक और प्रेश फील कर रहे होते हैं। इससे आपकी सेक्‍सुअल लाइफ ग्रो कर सकती है।

ऐसा कहा जाता है कि डार्क चॉकलेट बॉडी में सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ाता है, यानी मूड-बूस्टिंग हार्मोन। यह स्‍ट्रेस के स्तर को कम करने के साथ हार्ड वर्क के लिए बूस्‍ट करता है। इसलिए माना जाता है कि, सेक्‍स से पहले अपने पार्टनर के साथ डार्क चॉकलेट खाना काफी अच्छा हो सकता है।

अपने पार्टनर के साथ सेक्स के दौरान जल्दबाजी बिल्‍कुल भी न करें। यह एक ऐसा कार्य है, जिससे जितना स्‍लो और प्‍यार के साथ किया जाए, उतना बहतर होता है। इस दौरान आप दोनों एक दूसरे को पूरा समय दें और बॉडी के हर हिस्‍से को प्‍यार करने की कोशिश करें। इससे आप दोनों को सेक्‍स में सेटिस्फैक्शन मिलेगा।

अपने पार्टनर के साथ बार-बार एक ही सेक्‍स पोजिशन को करते रहने से सेक्‍स करने में बोरियत सी फील होने लगती है। इसलिए सेक्‍स करने के लिए आप नई सेक्स पोजीशन को ट्राई कर सकते हैं। इससे आप दोनों में सेक्‍स करने की एक्‍साइटमेंट बढ़ेगी, साथ ही आप अच्छा फील करेंगे। इस दौरान आप सेक्‍स करने में बहुत अधिक एक्‍सपेरिमेंट या हार्ड वर्क करने की कोशिश बिल्‍कुल न करें। सेक्‍स को करने के लिए आप पूरी फ्लेक्सिबिलिटी के साथ एक बेहतर पोजिशन में ही ट्राई करें। इससे आप और आपका पार्टनर काफी फ्रेश फील करेंगे।

आज के टाइम में लोग फोन सेक्स को बहुत कम अंडररेट करते हैं। हालांकि ऐसा नहीं है, जब आप अपने पार्टनर के साथ फोन या टेक्स्ट पर सेक्स करना स्‍टार्ट करेंगे, तो सेक्‍स उतना ही एक्‍साइटिंग होगा। अपने पाटर्नर के साथ फोन पर सेन्‍सुअल बात करने से आप सेक्‍स को एंजॉय कर सकते हैं। साथ ही फोन पर अधिक सेक्‍स करना एक अच्‍छा जरिया बन सकता हैं।


अपने पार्टनर के साथ में पॉर्न देखना शुरू करें। यह काफी बेहतर आइडिया हो सकता है। इसे साथ देखने में भले ही आप दोनों को थोड़ी हेजीटेशन हो सकती हैं। लेकिन इससे आपकी सेक्‍सुअल लाइफ स्‍ट्रांग होगी। पॉर्न देखकर आप अपनी सेक्‍सुअल डिजायर के बारे में खुलकर सीखेंगे। साथ ही सेक्‍स के दौरान आप अपनी फीलिंग्‍स भी शेयर कर सकेंगे। इससे आप एक दूसरे की फैंटेसी को भी पूरा कर सकते हैं।


सेक्स के दौरान शर्माएं नहीं, खुल कर करें

/ सेठ रामदास जी गुड़वाले

 गुमनाम सेनानी


इतिहास के पन्नों में कहाँ हैं ये नाम??


 -

1857 के महान क्रांतिकारी,

दानवीर जिन्हें फांसी पर चढ़ाने से पहले अंग्रेजों

ने उन पर शिकारी कुत्ते छोड़े


जिन्होंने जीवित ही उनके शरीर को नोच खाया! 


सेठ रामदास जी गुडवाला दिल्ली के अरबपति सेठ, बेंकर थे,

इनका जन्म दिल्ली में एक अग्रवाल परिवार में हुआ था, 

इनके परिवार ने दिल्ली में पहली कपड़े की मिल की स्थापना की थी!


उनकी अमीरी की एक कहावत थी

“रामदास जी गुड़वाले के पास इतना सोना चांदी जवाहरात है की उनकी दीवारो से वो गंगा जी का पानी भी रोक सकते है”


जब 1857 में मेरठ से आरम्भ होकर क्रांति की चिंगारी जब दिल्ली पहुँच, 


तो दिल्ली से अंग्रेजों की हार के बाद अनेक रियासतों की भारतीय सेनाओं ने दिल्ली में डेरा डाल दिया।


उनके भोजन, वेतन की समस्या पैदा हो गई! रामजीदास गुड़वाले बादशाह के गहरे मित्र थे! 


रामदास जी को बादशाह की यह अवस्था देखी नहीं गई! 


उन्होंने अपनी करोड़ों की सम्पत्ति बादशाह के हवाले कर दी, 


"मातृभूमि की रक्षा होगी

तो धन फिर कमा लिया जायेगा "


रामजीदास ने केवल धन ही नहीं दिया,

सैनिकों को सत्तू,

आटा,

अनाज बैलों,

ऊँटों व घोड़ों के लिए चारे की व्यवस्था तक की! 


सेठ जी जिन्होंने अभी तक केवल व्यापार ही किया था,


सेना व खुफिया विभाग के संघठन का कार्य भी प्रारंभ कर दिया


उनकी संघठन की शक्ति को देखकर अंग्रेज़ सेनापति भी हैरान हो गए! 


सारे उत्तर भारत में उन्होंने जासूसों का जाल बिछा दिया,

अनेक सैनिक छावनियों से गुप्त संपर्क किया! 


उन्होंने भीतर ही भीतर एक शक्तिशाली सेना व गुप्तचर संघठन का निर्माण किया! 


देश के कोने कोने में गुप्तचर भेजे व छोटे से छोटे मनसबदार, राजाओं से प्रार्थना की इस संकट काल में सभी सँगठित हो! 


देश को स्वतंत्र करवाएं! 


रामदास जी की इस प्रकार की क्रांतिकारी गतिविधयिओं से अंग्रेज़ शासन व अधिकारी

बहुत परेशान होने लगे, 


कुछ कारणों से दिल्ली पर अंग्रेजों का पुनः कब्जा होने लगा! 


एक दिन उन्होंने चाँदनी चौक की दुकानों के आगे जगह-जगह जहर मिश्रित शराब की बोतलों की पेटियाँ रखवा दीं,


अंग्रेज सेना उनसे प्यास बुझाती, 

वही लेट जाती ।


अंग्रेजों को समझ आ गया की भारत पे शासन करना है

तो रामदास जी का अंत बहुत ज़रूरी है!! 


सेठ रामदास जी गुड़वाले को धोखे से पकड़ा गया 

जिस तरह से मारा गया,, 

वो क्रूरता की मिसाल है!! 


पहले उन्हें रस्सियों से खम्बे में बाँधा गया

फिर उन पर  शिकारी कुत्ते छुड़वाए गए

उसके बाद उन्हें उसी अधमरी अवस्था में दिल्ली के चांदनी चौक की कोतवाली के सामने फांसी पर लटका दिया गया!! 


सुप्रसिद्ध इतिहासकार ताराचंद ने अपनी पुस्तक 'हिस्ट्री ऑफ फ्रीडम मूवमेंट' में लिखा है - 


"सेठ रामदास गुड़वाला उत्तर भारत के सबसे धनी सेठ थे!! 


अंग्रेजों के विचार से उनके पास असंख्य मोती, हीरे व जवाहरात व अकूत संपत्ति थी!! 


सेठ रामदास जैसे अनेकों क्रांतिकारी इतिहास के पन्नों से गुम हो गए,, 


क्या सेठ रामदास जैसे क्रांतिकारियों की शहादत का ऋण हम चुका पाए!!

टीएमयू को मिला अब हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट अवार्ड

 

ब्रेनफीड मैगज़ीन द्वारा आयोजित ब्रेनफीड हायर एजुकेशन कॉन्क्लेव में तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो. रघुवीर सिंह ने प्राप्त किया अवार्ड




ख़ास बातें

कुलाधिपति, जीवीसी और एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर बोले, टीएमयू के लिए गर्व के क्षण


आउटकम बेस्ड और हॉलिस्टिक एजुकेशन देने के लिए यूनिवर्सिटी प्रतिबद्धः वीसी


नैक से ए ग्रेड और यूजीसी से 12 बी स्टेटस है टीएमयू


कौशल और करियर की सफलता को बढ़ाने वाले प्रोग्राम्स के लिए मिला अवार्ड


उत्कृष्ट कार्यों के लिए यूनिवर्सिटी और वीसी की झोली में अब तक दो दर्जन से अधिक अवार्ड



2022 जाते - जाते तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के मुकुट में एक और डायमंड जड़ गया है। यूनिवर्सिटी की झोली खुशियों से लबरेज़ है। एक और अवार्ड यूनिवर्सिटी की झोली में आ गया है। ब्रेनफीड मैगज़ीन की ओर से   हायर एजुकेशन कॉन्क्लेव में एचीविंग एक्सीलेंस इन प्रोवाइडिंग स्किल बेस्ड एजुकेशन प्रोग्राम्स टू फोस्टर एकेडमिक एंड करियर सक्सेस फोर स्टुडेंट्स के लिए टीएमयू को हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट अवार्ड 2022-23 से सम्मानित किया गया है। टीएमयू की ओर से कुलपति प्रो. रघुवीर सिंह ने ब्रेनवंडर्स के फाउंडर श्री मनीष नायडू के हाथों से यह अवार्ड प्राप्त किया। इस समारोह में देश की विभिन्न यूनिवर्सिटीज के वीसी, डायरेक्टर्स और डीन्स की उल्लेखनीय मौजूदगी रही। दूसरी ओर कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, जीवीसी श्री मनीष जैन और एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन यह अवार्ड स्टुडेंट्स, अभिभावकों और अनुभवी फैकल्टीज़ को समर्पित करते हुए वीसी प्रो. रघुवीर सिंह को हार्दिक बधाई दी। कुलाधिपति ने उम्मीद जताई, डायनेमिक वीसी लीडरशिप में यूनिवर्सिटी नित नई बुलंदी छुएगी।




कॉन्क्लेव में तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी की ख़ास उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए वीसी प्रो. रघुवीर  सिंह ने कहा, टीएमयू  आउटकम बेस्ड और हॉलिस्टिक एजुकेशन देने के संग-संग छात्र-छात्राओं को वैश्विक स्तर का इंफ्रास्ट्रक्चर, वर्ल्ड क्लास एजुकेशन, देश-विदेश की जानी-मानी कंपनियों में पसंदीदा प्लेसमेंट, इंडस्ट्रियल विजिट, गेस्ट लेक्चर्स आदि मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है। हम ऐसी शिक्षा देते हैं, जो छात्र का सर्वांगीण डवलपमेंट करके हाई लेवल थिंकिंग विकसित कर सके। सॉफ्ट स्किल्स के संग - संग साइकोमोटर स्किल्स का भी विकास हो सके। हम स्टुडेंट्स को इंडस्ट्री और सोसायटी के अनुरूप तैयार करते हैं। 


उल्लेखनीय है, यूनिवर्सिटी पहले भी अनेकानेक उपलब्ध्यिां प्राप्त कर चुकी है। यूनिवर्सिटी को नैक की ओर से ए ग्रेड मिला है। यूजीसी से 12 बी का स्टेटस प्राप्त है। टॉप 50 लीडर्स इन हायर एजुकेशन, बेस्ट यूनिवर्सिटी इन आउटकम बेस्ट एजुकेशन इंपलीमेंटेशन इन इंडिया अवार्ड यूनिवर्सिटी को मिल चुका है। इसके अतिरिक्त मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन के इन्नोवेशन सेल की ओर से टीएमयू को आईआईसी में सर्वोच्च स्टार रेटिंग भी मिली है। 

कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर को आईसीएआर एक्रीडिएशन कर चुकी है। प्रो. सिंह को व्यक्तिगत रूप से 2020 में टॉप 20 एमिनेंट वीसी ऑफ इंडिया, एग्जाम्प्लीरी लीडर्स इन एजुकेशन, 2022 में इंडियाज मोस्ट प्रोमिसिंग वीसी, वीसी ऑफ द ईयर अवार्ड-2022 भी मिल चुका है।

बुधवार, 30 नवंबर 2022

डिजिटल रुपया- जानिए कैसे काम करेगा*


👉 *RBI ने किया बड़ा ऐलान, आम लोगों के लिए कल लॉन्च होगा डिजिटल रुपया- जानिए कैसे काम करेगा*


e₹-R भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने खुदरा स्तर पर डिजिटल रुपये (Digital Rupee) का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च करने की घोषणा की है. आरबीआई ने मंगलवार को कहा कि वह 1 दिसंबर से रिटेल सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) के लिए पायलट प्रोजेक्ट लेकर आएगा.आरबीआई ने कहा कि डिजिटल रुपया एक डिजिटल टोकन के रूप में होगा, जो लीगल टेंडर रहेगा. आरबीआई ने कहा है कि वह एक दिसंबर को खुदरा डिजिटल रुपये (e₹-R) के लिए पहली खेप लॉन्च करेगी.


आरबीआई ने बताया कि डिजिटल रुपया उसी मूल्यवर्ग में जारी किया जाएगा जिसमें वर्तमान में कागजी मुद्रा और सिक्के जारी किए जाते हैं. आरबीआई ने कहा कि एक दिसंबर को बंद उपयोगकर्ता समूह (सीयूजी) में चुनिंदा जगहों पर यह परीक्षण किया जाएगा. इसमें ग्राहक एवं बैंक मर्चेंट दोनों शामिल होंगे.डिजिटल वॉलेट के जरिए होगा लेनदेन


यूजर्स भागीदार बैंकों की ओर से पेश किए गए और मोबाइल फोन पर स्टोर डिजिटल वॉलेट के माध्यम से ई-आर (e₹-R) के साथ लेनदेन करने में सक्षम होंगे. आरबीआई ने कहा कि लेनदेन पर्सन टू पर्सन (P2P) और पर्सन टू मर्चेंट (P2M) दोनों हो सकते हैं. वहीं, व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर क्यूआर कोड का उपयोग करके व्यापारियों को भुगतान किया जा सकता है.


ये चार बैंक होंगे शामिल 


डिजिटल रुपये के खुदरा उपयोग के इस परीक्षण में भारतीय स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई बैंक समेत चार बैंक शामिल होंगे. यह परीक्षण दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में किया जाएगा. डिजिटल रुपये को बैंकों के माध्यम से वितरित किया जाएगा और उपयोगकर्ता पायलट परीक्षण में शामिल होने वाले बैंकों की तरफ से पेश किए जाने वाले डिजिटल वॉलेट के जरिये ई-रुपये में लेनदेन कर पाएंगे.

आरबीआई ने कहा कि यह डिजिटल रुपया परंपरागत नकद मुद्रा की ही तरह धारक को भरोसा, सुरक्षा एवं अंतिम समाधान की खूबियों से भी लैस होगा. नकदी की ही तरह डिजिटल रुपया के धारक को भी किसी तरह का ब्याज नहीं मिलेगा और इसे बैंकों के पास जमा के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.



भील सरदार कण्णप्प की भक्ति की कहानी!!

 


भील सरदार कण्णप्प वन में भटकते-भटकते एक मंदिर के समीप पहुंचा। मंदिर में भगवान शंकर की मूर्ति देख उसने सोचा- भगवान इस वन में अकेले हैं। कहीं कोई पशु इन्हें कष्ट न दे। शाम हो गई थी। कण्णप्प धनुष पर बाण चढ़ाकर मंदिर के द्वार पर पहरा देने लगा। सवेरा होने पर उसे भगवान की पूजा करने का विचार आया किंतु वह पूजा करने का तरीका नहीं जानता था।


वह वन में गया, पशु मारे और आग में उनका मांस भून लिया। मधुमक्खियों का छत्ता तोड़कर शहद निकाला। एक दोने में शहद और मांस लेकर कुछ पुष्प तोड़कर और नदी का जल मुंह में भरकर मंदिर पहुंचा। मूर्ति पर पड़े फूल-पत्तों को उसने पैर से हटाये मुंह से ही मूर्ति पर जल चढ़ाया, फूल चढ़ाए और मांस व शहद नैवेद्य के रूप में रख दिया।


उस मंदिर में रोज सुबह एक ब्राहमण पूजा करने आता था। मंदिर में नित्य ही मांस के टुकड़े देख ब्राहमण दुखी होता। एक दिन वह छिपकर यह देखने बैठा कि यह करता कौन है? उसने देखा कण्णप्प आया। उस समय मूर्ति के एक नेत्र से रक्त बहता देख उसने पत्तों की औषधि मूर्ति के नेत्र पर लगाई, किंतु रक्त बंद नहीं हुआ।


तब कण्णप्प ने अपना नेत्र तीर से निकालकर मूर्ति के नेत्र पर रखा। रक्त बंद हो गया। तभी दूसरे नेत्र से रक्त बहने लगा। कण्णप्प ने दूसरा नेत्र भी अर्पित कर दिया। तभी शंकरजी प्रकट हुए और कण्णप्प को हृदय से लगाते हुए उसकी नेत्रज्योति लौटा दी और ब्राहमण से कहा- मुझे पूजा पद्धति नहीं, #श्रद्धापूर्ण भाव ही प्रिय है।


वस्तुत: ईश्वर पूर्ण समर्पण के साथ किए स्मरण मात्र से ही प्रसन्न हो जाते हैं और मंगल आशीषों से भक्त को तार देते हैं।


जय महाकाल ❣

#by_शरारती_छोरीi

नवरात्रि में माता का वाहन

 #चैत्र #नवरात्रि में माता का वाहन #घोड़ा है अर्थात माँ घोडे पर सवार होकर आ रही हैं जिसका तात्पर्य है युद्ध की संभावना और उनके जाने का वाहन भैंसा है जिसका अर्थ रोग और शोक होता है ।


देवी का आगमन किस वाहन पर हो रहा है, यह दिनों के आधार पर तय होता है. सोमवार या रविवार को घट स्थापना होने पर मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं. शनिवार या मंगलवार को नवरात्रि की शुरुआत होने पर देवी का वाहन घोड़ा माना जाता है. गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्र शुरू होने पर देवी डोली में बैठकर आती हैं. बुधवार से नवरात्र शुरू होने पर मां दुर्गा नाव पर सवार होकर आती हैं।

इन तथ्यों को देवी भागवत के इस श्लोक में वर्णन किया गया है :--


शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे।

गुरौ शुक्रे चदोलायां बुधे नौका प्रकी‌र्त्तिता ।।


माता दुर्गा जिस वाहन से पृथ्वी पर आती हैं, उसके अनुसार सालभर होने वाली घटनाओं का भी अनुमान किया जाता है. इनमें कुछ वाहन शुभ फल देने वाले और कुछ अशुभ फल देने वाले होते हैं. देवी जब हाथी पर सवार होकर आती है तो पानी ज्यादा बरसता है.


घोड़े पर आती हैं तो युद्ध की आशंका बढ़ जाती है. देवी नौका पर आती हैं तो सभी की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और डोली पर आती हैं तो महामारी का भय बना रहता हैं. इसका भी वर्णन देवी भागवत में किया गया है :--


गजे च जलदा देवी क्षत्र भंग स्तुरंगमे।

नोकायां सर्वसिद्धि स्या ढोलायां मरणंधुवम्।।


देवी भगवती का आगमन भी वाहन से होता है और गमन भी निश्चित वाहन से ही करती हैं. यानी जिस दिन नवरात्र का अंतिम दिन होता है, उसी के अनुसार देवी का वाहन भी तय होता है. इसी के अनुसार जाने के दिन व वाहन का भी शुभ अशुभ फल होता है. 


विवार या सोमवार को देवी भैंसे की सवारी से जाती हैं तो देश में रोग और शोक बढ़ता है. शनिवार या मंगलवार को देवी मुर्गे पर सवार होकर जाती हैं, जिससे दुख और कष्ट की वृद्धि होती है. बुधवार या शुक्रवार को देवी हाथी पर जाती हैं. इससे बारिश ज्यादा होती है. 

गुरुवार को मां दुर्गा मनुष्य की सवारी से जाती हैं. इससे सुख और शांति की वृद्धि होती है.


शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा।

शनि भौमदिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करी विकला।।

बुधशुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा।

सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा॥

#by_शरारती_छोरीi https://www.facebook.com/profile.php?id=100048197207048

बुधवार, 23 नवंबर 2022

एक कालगर्ल का खुला खत,,,,

 सभ्य समाज का आईना,,,



जी नहीं ! मुझे यह कहने में जरा भी शर्म नहीं है कि मैं एक वेश्या यानी सेक्स वर्कर हूँ! मेरे कई नाम हो सकते हैं- वेश्या, कॉलगर्ल, एस्कोर्ट, धन्धेवाली, कोठे वाली, रण्डी, सेक्स वर्कर, प्रोस्टीच्यूट....।


मुझे मालूम है कि आप मेरे काम को एक गाली की तरह इस्तेमाल करते हैं। लेकिन आपको एक बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि जिनके घर फूस के हों उन्हें दूसरों के घर पर जलती तीलियां नहीं फेंकनी चाहिए। मैंने शताब्दियों से कोई जवाब नहीं दिया तो सिर्फ इसलिए कि मुझे आपके कुछ भी कहने से फर्क नहीं पड़ता, लेकिन अब मुझे लगता है कि आपको भी आईना दिखा ही दिया ही जाए।


एक बात बताइए, अगर मैं इतनी ही बुरी हूं और मेरा काम इतना ही बुरा है तो फिर मेरा कारोबार इतना जबरदस्त कैसे चल रहा है? क्या हमारे पास मंगल ग्रह से एलियन आते हैं? या वे आते हैं जो दिन-भर चरित्र और सभ्यता के मुखौटे लगाए घूमते हैं और शाम ढलते-ढलते हमारे आस-पास चक्कर काटने लगते हैं?


पहले हमारी दुकानें सिर्फ एक जगह होती थीं, लेकिन अब हमारी दुकानें कॉलोनियों के अंदर, धर्मस्थलों के आस-पास, कॉलेजों के पीछे और मॉलों-शॉपिंग आर्केड के आसपास भी खूब फल-फूल रही हैं। भगवान सलामत रखे इन ढोंगियों को, जो दिन भर हमें हिकारत से देखते हैं और शाम को हमारी रोजी-रोटी का बंदोबस्त करते हैं।

जब आपकी पूरी व्यवस्था ही खरीदने-बेचने को लेकर चल रही है तो मेरे काम को लेकर ही इतना हो-हल्ला क्यों है?


बाजार सिर्फ चौराहों और रास्तों पर नहीं रह गया है, वह हमारे घरों में घुस गया है। इंसानियत, ईमानदारी, सच्चाई, क्या नहीं बिक रहा यहां? जरा बताइए कि आपके यहां सरकारी नौकरियों के कोठे नहीं सजते हैं क्या?

शब्दों की दलाली करके कितने छुटभइये महान साहित्यकार का दर्जा पा गए और डिग्रियों का सौदा करके कितने अनपढ़ शिक्षाविद् बन गए। क्या आपकी राजनीति धनकुबेरों का बिस्तर नहीं गर्म नहीं कर रही और क्या जनता पर शासन करने वाले ये राजे-रजवाड़े जिन्हें आप नौकरशाह कहते हैं, नोट की गड्डियाँ देखते ही नंगे नहीं हो जाते हैं?

मुझे पता है कि सबको बड़ा नाज है इस विवाह संस्था पर। लेकिन दहेज में कार, फ्लैट देखते ही लार टपकाने वाले आपके युवा में एक जिगोलो जितना आत्मसम्मान भी है क्या? क्या अधिकांश युवतियां कोई और करियर ऑप्शन न होने के कारण विवाह की नौकरी नहीं करतीं, जहां वे अपनी देह से दिन में चूल्हा तपाती हैं और रात में बिस्तर?


सुना है कानपुर और आगरा में चमड़े का बहुत बड़ा कारोबार है। लेकिन उससे भी कई गुना बड़ा चमड़े का कारोबार तो मुम्बई में होता है, जिसे आप फिल्म इंडस्ट्री कहते हैं। मेकअप की परतों, फोटोशॉप के चमत्कारों, बोटॉक्स, सिलिकॉन और स्टेरॉयड की मेहरबानी से चलते इस उद्योग में अभिनय बिकता है या हड्डियों पर टिकी ये एपीथिलीयल टिश्यू की परतें, ये आप अपने आप से पूछिए।


फैशन की भी क्या कहूं ! शरीर की रक्षा के लिए बने कपड़ों को लाज-शर्म की अश्लील भावनाओं से जोड़ कर आपने जो गुल खिलाए हैं, उसकी तो पूछो ही मत। हद है कि लाखों-करोड़ों का कारोबार सिर्फ इसलिए चल रहा है कि कपड़े पहन कर नंगई किस तरह दिखाई जाए!!


धर्म की बात तो बस रहने ही दो, ईश्वर और धर्म की दलाली करने वालों के सामने तो हमारे यहां के दल्ले भी पानी मांग जाएं। दया आ जाए तो हम तो शायद ग्राहक पर पचास रुपये छोड़ दें, लेकिन आपके दक्षिणाजीवी तो दस रुपये के लिए जमीन पर लोट जाएंगे और आपकी सात पुश्तों की मां-बहन एक कर देंगे। राजनैतिक दलों की गोद में बैठते आपके धर्मगुरुओं को देख कर सच मुझे भी शर्म आने लगती है। आप लोगों की समझ का भी लोहा मानना पड़ेगा कि चंद पैसे लेकर लाशों को फूंकने वाले महामना को तो आप अछूत कहते हैं, लेकिन कंगाल को भी चूस लेने वाले आपके बाबा, गुरु, ज्योतिषी की चरणवंदना करते हैं।


साम्प्रदायिकता का बड़ा हल्ला है आजकल लेकिन मैं जानती हूं कि हमसे ज्यादा धर्मनिरपेक्ष, पंथनिरपेक्ष और वादनिरपेक्ष कोई नहीं है। कोई भी हमारे पास आता है हम उसे अपनी सेवाएं बिना किसी भेदभाव के देती हैं। मजेदार बात तो यह है कि एक बार कपड़े उतर जाएँ तो हर सम्प्रदाय के मर्द सब एक सा ही व्यवहार करते हैं।


डिस्क्लेमर – मेरे आर्टिकल पर सेक्स और सेक्सुअलिटी के सम्बन्ध में बात इसलिए की जाती है कि पूर्वाग्रहों, कुंठाओं से बाहर आ कर, इस विषय पर संवाद स्थापित किया जा सके, और एक स्वस्थ समाज का विकास किया जा सके | यहाँ किसी की भावनाएं भड़काने, किसी को चोट पहुँचाने, या किसी को क्या करना चाहिए ये बताने का प्रयास हरगिज़ नहीं किया जाता |


मैं शून्य हूँ

शनिवार, 19 नवंबर 2022

दिल्ली के पत्रकार का आगरा में धमाल

 फ़ेसबुक पर बहुत लोग हैं लेकिन इस आभासी दुनिया के हीरों-नगीनों को साथ जोड़ कर वास्तविक दुनिया में एक साथ उतार लाने का कार्य दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार संजय सिन्हा करते रहते हैं। इंडियन एक्सप्रेस और आजतक ग्रुप में लम्बे समय तक कार्यरत रहे संजय सिन्हा पिछले कई वर्षों से वे रोज़ एक कहानी फ़ेसबुक पर लिखते हैं। इस से प्रभावित होकर उनके चाहने वालों का लम्बा चौड़ा फ़ेसबुक परिवार बन गया है। इस फ़ेसबुकी परिवार के सदस्यों का कल जमावड़ा आगरा में हुआ। नीचे की तस्वीर गवाह है कि प्रेम में डूबा ऐसा आयोजन भी हो सकता है।

कल के इस सफल आयोजन को लेकर आज संजय सिन्हा ने जो थैंकयू पोस्ट एफबी पर पब्लिश किया है, उसे पढ़िए-

चांद ही चांद
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शुक्रिया। शुक्रिया। शुक्रिया। शुक्रिया। शुक्रिया। शुक्रिया। शुक्रिया।शुक्रिया।शुक्रिया।

जी हां, नौ बार शुक्रिया। नौ बार अपना संजय सिन्हा फेसबुक परिवार अलग-अलग शहरों में आपस में मिल चुका है। साल 2014 में दिल्ली के पहले मिलन से लेकर साल 2022 के आगरा मिलन समारोह में मेरे पास कहने को कुछ नहीं है, सिवाय शुक्रिया के।

मैंने बहुत तरह के कार्यक्रम देखे हैं। बहुत तरह के आयोजन देखे हैं, पर ये स्वयंभू संचालित कार्यक्रम बिना किसी व्यवधान के संपूर्ण हो जाए तो इसके मायने ही कुछ और हैं। ऐसा लगता है, जैसे हर परिजन जी-जान से जुट जाता है इस कार्यक्रम को सफल बनाने में।

इस बार कार्यक्रम में पचास से अधिक वो परिजन थे, जो पहली बार इस परिवार से जुड़े थे। इस बार बहुत-सी महिला परिजन अपने पतियों को मना कर लाने में कामयाब रहीं। इस बार बहुत से नए परिजन आए तो बहुत से परिजन तमाम तैयारियों के बाद किन्ही कारणों से नहीं पहुंच पाए। पर जो आए, जितने आए, संपूर्ण दिल से आए।

कार्यक्रम झमाझम हुआ। सुबह नाश्ते से लेकर देर रात तक खाने पर परिजन भोजन का स्वाद लेते रहे और सारा दिन कार्यक्रम के रंग में डूबे रहे। “मजा आ गया।” जी हां, मजा आ गया। ये सिर्फ मैं नहीं कह रहा, हर परिजन यही कहते हुए मुझसे विदा लेकर गए हैं।

टीम आगरा ने कार्यक्रम को सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। किसी एक का क्या नाम लूं सभी जी-जान से कार्यक्रम से जुड़े रहे और कभी ये विचार भी उठा था कि चार चांद लगाएंगे इस मिलन समारोह में, तो मेरा यकीन कीजिए, इस बार के मिलन समारोह में चार नहीं सच्ची में आठ चांद लगे थे। चांद ही चांद।
बहुत से वो परिजन भी कार्यक्रम में आए थे, जो पहली बार से हमसे जुड़े हैं। कई बहनें तो आकर मुझसे गले लिपट कर रो ही पड़ीं, जैसे कि बरसों से बिछड़ा भाई उन्हें मिल गया हो।

इस बार के मिलन समारोह की खुमारी एक रात में नहीं उतरेगी। कई दिनों तक मुहब्बत का नशा सिर चढ़ कर बोलता रहेगा।

कोलकाता से पहली बार अपने पुलिसिया पति को संग लेकर आगरा पहुंची मनीषा उपाध्याय के पति ने जाते हुए मुझसे कहा, “संजय जी, यकीन नहीं होता कि दुनिया में ऐसा भी कोई कार्यक्रम होता है।” उन्होंने वादा किया कि फिर आऊंगा। बार-बार आऊंगा। उनकी तरह ही बीकानेर की सुनीता चावला के पति भी इस बार कार्यक्रम में आए। ये देख कर खुश हुए कि उनकी पत्नी पिछली दफा अपनी बहन ज्योति चिब के संग जिस भाई से मिलने जबलपुर पहुंची थी, उस संग रिश्ता रखा जा सकता है। बार-बार मुझसे कह गए, “कमाल है। कमाल है। कमाल है।”

किन-किन के नाम गिनाऊं? बहनों के संग पहली बार जिनके पति आए, उनके नाम बता कर अपनी वाहवाही लूट रहा हूं। आगरा से ही अपनी पुलिस वाली बहन वंदना मिश्र अपने पति संग ये कहते हुई मिलीं कि भैया, मां ने कहा था…”संजय भैया से मिलना।” मां-पापा दोनों कोविड में चले गए, रह गईं यादें।

जबलपुर की सोनिया सैनी भी अपने पति को संग लिए अपने ssfb परिवार में चली आई थीं। जाते हुए अपने जीजा ने कहा, “संजय जी सचमुच यकीन नहीं होता कि संसार में ऐसा भी परिवार होता है।”

बहनें जब रैंप पर उतरीं, तो संसार की आंखें हैरान रह गईं। वाह! क्या परिवार है?

पचास पार वाली भी खुल्ले में स्वीकार करके रैंप पर उतरीं कि पचास पार हैं तो क्या? अपने घर में तो हमीं विश्व सुंदरी हैं। उनके अंदाज-ए- कदम देख कर हर कोई दांतों तले उंगली दबा गया।
और परिवार के सदस्य ही जज बने, क्या मजाल जो जजमेंट में जरा-सी चूक रह गई हो। न्यायप्रिय परिवार।

मेरे पास असल में कहने को इतना कुछ है कि मैं कुछ कह ही नहीं पा रहा। इस बार सच में इतनी कहानियां हैं इस आगरा मिलन समारोह की कि एक नहीं सुना पाऊंगा अगर ऐसे ही बहक कर कुछ का कुछ लिखता रहा।

मैं लिखूंगा। रुक-रुक कर लिखूंगा।

इस बार मिलन समारोह डेढ़ दिन का हुआ। 12 की रात हम मिले फिर अगले दिन 13 को सारा दिन मिलते रहे। बहुत से लोग बहुत से लोगों से पहली बार मिले थे, पर रिश्ता बना ऐसा जैसे बरसों से बिछड़े हुए हम आज यहां आ मिले। जो पहले से आ रहा है उसे तो रिश्तों का स्वाद पता था, लेकिन जो पहली बार आया, ये कह कर गया कि सचमुच ऐसा नहीं देखा, ऐसा नहीं सुना।

लोगों ने रिश्तों में भरोसे को जिया। लोगों ने रिश्तों में प्यार को जिया। लोगों ने रिश्तों में बेफिक्री को जिया। आज जब संसार में सबसे बड़ी समस्या ही अकेलेपन की है तो ये परिवार इस संसार को प्यार बांट रहा है।

कार्यक्रम खूब सफल रहा। हालांकि हर कार्यक्रम में कुछ लोगों को शिकायत भी रह जाती है। कुछ लोगों के मन में नाराज़गी भी रह जाती है। जिनके मन में नाराज़गी रह गई उनसे माफी। इतने बड़े आयोजन में छोटी-छोटी चूक रह जाती हैं। हमारी कोशिश थी सभी को जोड़ने की। कुछ लोग छूटे भी। पर इसका अफसोस नहीं करना चाहिए। अच्छे को याद रखिए। कमियों को भूलिए। यही हैं रिश्ते। यही है परिवार।

आज इससे अधिक कुछ नहीं। जो कमियां रह गईं उसके लिए माफी मैं मांग रहा हूं। जो कुछ अच्छा हुआ उसका श्रेय आपको दे रहा हूं। प्यार में कुछ कमियों को नज़रअंदाज़ कर देना होता है। आप भी कीजिएगा जो मेरे प्यार में कोई कमी रह गई हो।
फिर मिलेंगे। अगले साल। किसी नई जगह पर।

संजय सिन्हा के बारे में ज़्यादा जानने और उनकी रोज़ की कहानियाँ पढ़ने के लिए फ़ेसबुक पर #ssfbFamily लिख कर सर्च करें!


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शिवशरण सिंह-

शुभ संध्या #SanjaySinha #ssfbfamily के परिजनों एवं सहेलियों तथा हम सब की परिजनानियों…..पारिवारिक मिलन समारोह अद्वितीय था इसमें कोई दो राय नहीं. संजय भाई तो हीरा पन्ना और जो भी आप सोच सकते हैं उसके भी दो तीन इंच ऊपर हैं. रसायन शास्त्र का एक सिद्धांत है ‘Like dissolves like’

मेरा अनुभव है कि आप भला तो जग भला… इतने सारे परिजन जो डेढ़ दिवसीय परवारिक मिलन समारोह में इकट्ठे हुए थे उनमें बहिन,जीजा,भैया एवं भाभियां ही अधिक थी, फूआ और फूफा लगभग नदारद थे. सच बताऊं तो कुछ कह नहीं सकता निःशब्द हूं. एक बात और मैं थोड़ा भोजन भट्ट हूं, खाता भी हूं और खिलाता भी हूं हिक्कम तोड़. मेरे बाबूजी कहा करते थे कि किसी को खिलाओ तो भर पेट और पीटो तो भी हिक्कम तोड़. खैर मंतव्य है दिल से खिलाना और प्रेम से.

मैं आगरा में अपने सरकारी नौकरी के आखिरी अढ़ाई साल बतौर सहायक आयुक्त औषधि गुजारे हैं, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन उत्तर प्रदेश सरकार में. हम दवाइयों की गुणवत्ता का ध्यान रखते थे और हमारे सहकर्मी खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता का. बहरहाल मेरी यह स्वीकारोक्ति है कि दोनों दिन भोजन की गुणवत्ता उच्चतम स्तर की थी, सिर्फ भौतिक नहीं भाव का रंग मुझे नजर आया, और थोड़ा बनारसी अंदाज़ में दबा कर खाया भी. डॉ पुनीत मंगला इतनी बढ़िया व्यवस्था करके एक पेटू मोल लिए हैं (बतर्ज मुसीबत). आगरा के मेरे मित्रों का प्यार मुझे बुलाता रहता है, अब उनको अगली यात्राओं में तंग करूंगा तो उनकी शिकायत पर आपलोग ध्यान मत दीजिएगा.

राजगीर में सोने का रहस्य?

 दुनियाभर में भारत अपनी पुरानी संस्कृति के लिए जाना जाता है। इसके अलावा देश में कई रहस्यमयी जगहें हैं जो आज भी वैज्ञानिकों के लिए पहेली हैं। इन्हीं में शामिल है बिहार में स्थित एक सोने का भंडार। जहां पर एक रहस्यमयी दरवाजा है, जिसे हजारों कोशिशों के बाद भी आजतक कोई भी खोल नहीं पाया है। इस दरवाजे को कई बार खोलने की कोशिश हुई, लेकिन कभी कामयाबी नहीं मिली। यह सोने का भंडार बिहार के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल राजगीर में एक गुफा के अंदर स्थित है। 

इतिहासकार बताते हैं कि हर्यक वंश की स्थापना करने वाले बिम्बिसार को सोने चांदी बहुत पसंद थे। सोने और चांदी के प्रति लगाव की वजह से वह आभूषणों को जमा करते रहते थे। कहा जाता है कि राजगीर की इस गुफा में बिम्बिसार का बेशकीमती खजाना छिपाकर रखा गया है। इस खजाने को बिम्बिसार की पत्नी ने छिपाया है। लेकिन इस खजाने को आज तक कोई भी नहीं खोज पाया। अंग्रेजों ने भी इस गुफा में जाने की तमाम कोशिशें कीं, लेकिन उनके भी हाथ नाकामी लगी। इस खजाने को 'सोन भंडार' कहा जाता है। 
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रहस्यमयी सोने का भंडार (प्रतीकात्मक तस्वीर) - फोटो : iStock


जानकारों के मुताबिक, बिम्बिसार की पत्नी ने इस गुफा का निर्माण करवाया था। यह सोन भंडार आज भी दुनियाभर के लिए एक रहस्य है जिसे देखने के लिए देश और विदेश से हर साल हजारों पर्यटक आते हैं। यहां पर आने वाले पर्यटकों में इस अनसुलझी पहेली को जानने की इच्छा होती है।

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रहस्यमयी सोने का भंडार (प्रतीकात्मक तस्वीर) - फोटो : iStock

प्राचीन समय में मगध की राजधानी राजगीर में ही भगवान बुद्ध ने बिम्बिसार को धर्म के बारे में बताया था। बिहार के प्रसिद्ध स्थलों में शामिल यह स्थान भगवान बुद्ध से जुड़े स्मारकों के लिए मुख्य रूप से जाना जाता है। कुछ लोगों का मानना है कि यह खजाना पूर्व मगध सम्राट जरासंघ का है, लेकिन इस बात के अधिक प्रमाण हैं कि यह खजाना हर्यक वंश के संस्थापक बिम्बिसार का है, क्योंकि इस गुफा से कुछ दूरी पर वह जेल थी जिसमें अजातशत्रु ने अपने पिता बिम्बिसार को बंदी बना कर रखा हुआ था। उस जेल के अवेशष आज भी हैं, इसलिए इस खजाने को बिम्बिसार का ही माना जाता है।
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रहस्यमयी सोने का भंडार (प्रतीकात्मक तस्वीर) - फोटो : iStock
बताया जाता है कि बिम्बिसार की कई रानियां थीं। इनमें से एक रानी बिम्बिसार के बेहद करीब थी जो उनके पसंद का पूरा ख्याल रखा करती थी। जब अजातशत्रु ने अपने पिता को बंदी लिया तो, इस रानी ने ही इस गुफा में राजा के सभी खजानों को छिपाकर रख दिया। सोन भंडार के अंदर जाते ही सबसे पहले खजाने की रक्षा करने वाले सैनिकों का कमरा है। इसके बाद खजाने तक पहुंचने वाला रास्ता है जिसके दरवाजे पर एक विशाल पत्थर रखा हुआ है। आज तक कोई भी इस रहस्यमयी खजाने के दरवाजे को नहीं खोल पाया है। इसलिए यह अभी भी वैज्ञानिकों के लिए भी पहेली बनी हुई है। 

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रहस्यमयी सोने का भंडार (प्रतीकात्मक तस्वीर) - फोटो : iStock

इस गुफा के दरवाजे पर रखे पत्थर पर शंख लिप में कुछ लिखा गया है जिसे आज तक कोई नहीं पढ़ पाया। माना जाता है कि इसमें खजाने के दरवाजे को खोलने के बारे में बताया गया है। अगर इसको पढ़ने में कामयाबी मिल जाती है, तो खजाना तक पहुंचा जा सकता है। 
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रहस्यमयी सोने का भंडार (प्रतीकात्मक तस्वीर) - फोटो : iStock
कुछ लोग मानते हैं कि बिम्बिसार के रहस्यमयी खजाने तक वैभवगिरी पर्वत सागर से होकर पहुंचा जा सकता है। यह रास्ता सप्तपर्णी गुफाओं तक जाता है जो सोन भंडार गुफा की दूसरी तरफ पहुंचता है। इस खजाने को पाने के लिए अंग्रेजों ने गुफा के दरवाजे को तोप से तोड़ने की कोशिश की थी, लेकिन उनको सफलता नहीं मिली।  
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