बुधवार, 30 अप्रैल 2014

शाकाहारी होंगी मछलियां






प्रस्तुति-गुड्डू यादव, कृष्ण कुमार
वर्धा

फॉर्मों में पलने वाली मछलियां ज्यादातर समुद्र की छोटी मछलियों से बनी खुराक पर निर्भर रहती हैं. लेकिन जिस तेजी से समुद्र से मछलियां खत्म हो रही है, उसे देखते हुए मछलियों के शाकाहारी चारे का इंतजाम करना होगा.
कई देशों में ट्राउट मछली को बहुत शौक से खाया जाता है. लेकिन बड़ी संख्या में इन मछलियों को पालना चुनौती से कम नहीं. ट्राउट एक शिकारी मछली है और छोटी मछलियां इसका चारा हैं. पर समुद्र, नदी, तालाबों में छोटी मछलियां खत्म होने से ट्राउट पर भी असर पड़ रहा है. छोटी मछलियों की कमी की वजह से उसे पर्याप्त भोजन नहीं मिल पा रहा.
इसी वजह से जर्मनी में कुछ वैज्ञानिक ट्राउट के लिए शाकाहारी चारा बनाने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि गुन्ना रीजे जैसे मछली पालक इससे बहुत खुश नहीं हैं. रीजे कहते हैं, "ट्राउट मछली शुद्ध शाकाहारी चारा खाकर जी सकती है, पर मुझे शक है कि इस तरह हम भविष्य की परेशानियों से निपट पाएंगे. ये शिकारी मछलियां दूसरी छोटी मछलियों को खा कर पेट भरती है. अब अचानक ये पौधों के प्रोटीन को पचाने के लिए पूरी तरह अपने एंजाइम बदल देगी, ये तो बहुत ही मुश्किल लगता है."
मांसाहार से शाकाहार
एक्वामरीन कल्चर वैज्ञानिक कार्स्टेन शुल्त्स का दावा है कि रेप्स प्रोटीन, सोया और वनस्पति तेल से मिलाकर मछलियों के लिए आदर्श शाकाहारी चारा बनाया जा सकता है. लेकिन चारा मछलियों को पसंद भी आना चाहिए और उनका शारीरिक विकास भी इतना होना चाहिए कि मछली को खाने के काम लाया जा सके.
इस प्रयोग के साथ इंसान का आर्थिक फायदा भी जुड़ा है. यह जरूरी है कि मछलियों का वजन ज्यादा हो ताकि उन्हें बाजार में मुनाफे के साथ बेचा जा सके. शुल्त्स इससे पहले आलू के प्रोटीन का इस्तेमाल कर चुके हैं, लेकिन मछलियों के लिए वह बहुत कड़वा था, "अगर चारा मछलियों को पंसद नहीं आया, अगर उन्हें इसका स्वाद अच्छा नहीं लगा, तो वे इसे खाएंगी ही नहीं. और ऐसा वे बहुत लंबे समय तक कर सकती हैं." शुल्त्स बताते हैं कि प्रयोग के जरिए उन्होंने देखा है कि मछलियां लगातार दो महीने बिना कुछ खाए रह लेती हैं, "वे भूखी मर जाएंगी, लेकिन अगर चारा पसंद नहीं, तो हरगिज नहीं खाएंगी."
फिलहाल ट्राउट को रेपसीड से बना चारा खिलाया जा रहा है.
बदलाव से जुड़ी बहस
लेकिन क्या शाकाहारी ट्राउट इंसान के लिए उतनी ही पोषक है, जितनी की साधारण ट्राउट मछली? इसका पता आने वाले समय में चलेगा. ये जानने के लिए वैज्ञानिक मछलियों को मार कर उन्हें जमा लेते हैं. सूखी और जमी हुई मछली का फिर चूरा बनाया जाता है. इसे फिर पेट्रोलियम के साथ मिलाया जाता है. ऐसा करने से मछली का तेल अलग हो जाता है. वसा पर टेस्ट कर के मछली की सेहत की जानकारी हासिल की जाती है. शुल्त्स कहते हैं, "जब भी हमें बहुत ज्यादा वसा वाली मछली मिलती है तो हमें पता चलता है कि चारा पूरी तरह इस्तेमाल नहीं हुआ. ये हमारे के लिए अहम मानक है."
रिसर्चर इसी तरह मछली में मौजूद प्रोटीन पर भी नजर रख रहे हैं. वे जानना चाहते हैं कि शाकाहारी खाने में मौजूद कितना प्रोटीन पौष्टिक फिश प्रोटीन में बदला. आने वाले समय में भी ये प्रयोग चलते रहेंगे. वैज्ञानिक खुद भी इन मछलियों को खा रहे हैं, ताकि वे जान सकें कि प्रयोग का असर कैसा हो रहा है. शुल्त्स बताते हैं, "अच्छी बात यह है कि अब तक हमें मछली के स्वाद में कोई नकारात्मक बदलाव महसूस नहीं हुआ है."
फिलहाल ट्राउट को रेपसीड से बना चारा खिलाया जा रहा है. कभी कभार आलू और काई के चारे का भी प्रयोग होता है. लेकिन मकसद साफ है कि चारा चाहे जैसा हो, मछलियों का वजन बढ़ना चाहिए, ताकि भविष्य में उन्हें इंसान खा सकें. उम्मीद है कि अगले 15 साल में रिसर्चर मछलियों के चारे का विकल्प मुहैया करा देंगे. इससे मछली पालकों को भी फायदा होगा, नदियों में मछलियों की कमी की समस्या भी सुलझ जाएगी और यह शाकाहारी चारा सस्ता तो पड़ेगा ही.
रिपोर्ट: इंगा वेगेमन/ओएसजे
संपादन: ईशा भाटिया

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डिजिटल आंखे अब छिपाएंगी मन के भाव






प्रस्तुति मालिनी रॉय, सुजीत पटेल

आप लोगों को नहीं बताना चाहते कि आपके मन में क्या चल रहा है, तो कोई बात नहीं. एक जोड़ी डिजिटल आंखें मन के भाव छिपा कर झूठे इमोशन आपके लिए दिखा देंगी. नई खोज, एजेंसीग्लास.
चाहे गुस्सा हो, खुशी हो या फिर बोरियत ये डिजिटल आंखे हर भावना को दिखा सकती हैं. जापान में रोबोट और कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर कई प्रयोग किए जाते हैं, इनमें से हर प्रयोग प्रैक्टिकल और इस्तेमाल करने में आसान हो ये जरूरी नहीं. इसी तरह के प्रयोग की कड़ी में शामिल हैं ये डिजिटल आंखें जिन्हें एजेंसीग्लास नाम दिया गया है. इसे बनाने वाले हिरोताका ओसावा ने बताया, "मैं एक ऐसा सिस्टम बनाना चाहता था जो इंसानों के सामाजिक व्यवहार को दिखा सके."
ठीक उसी तरह जैसे रोबोट इंसान को काम में मदद कर सकते हैं, एजेंसी ग्लास किसी के लिए भावनाएं दिखा सकता है. यानी मन में भले ही गुस्सा चल रहा हो, लेकिन दिखा नहीं सकते हों, तो ये डिजिटल आंखें आपके लिए मुस्कुरा देंगी.
दो ऑर्गेनिक लाइट एमिटिंग डायोड (ओएलईडी) स्क्रीन हैं जो मोशन सेंसर और बाहरी कैमरे से जुड़ी हैं. इस स्क्रीन पर दो आंखें दिखाई देती हैं, जो बात करने वाले के तो संपर्क में रहेंगी भले ही उन्हें पहनने वाला कहीं देखता रहे.
जो इसका इस्तेमाल कर रहा है, वह खुद इमोशन चुन सकता है, कि क्या वह सचेत दिखाई देना चाहता है या खुश. चश्मा पहनने से पहले किसी एक इमोशन को चुनना होगा.
जापान की त्सुकुबा यूनिवर्सिटी के ओसावा के मुताबिक यह एयर होस्टेस के काफी काम आ सकता है, खासकर जब परेशान करने वाले यात्री उड़ान में हों या फिर उन शिक्षकों के लिए अच्छा हो सकता है जो शर्मीले छात्रों को अपनी दयावान छवि पेश करना चाहते हों. ओसावा ने बताया, "सेवा क्षेत्र जैसे जैसे बढ़ रहा है और जटिल होता जा रहा है, ऐसी स्थिति में हमें दूसरों के प्रति समझदारी का बर्ताव दिखाना होगा. और इसलिए हमारी सच्ची भावनाओं से अलग हमें व्यवहार करना होगा."
बार बार भावनाओं को दबाने के कारण लोग बीमार हो जाते हैं, इस तकनीक से ऐसे लोगों की मदद हो सकती है.
इन ग्लासेस का वजन 100 ग्राम है और इसकी बैटरी फिलहाल एक ही घंट चल सकती है. फिलहाल इसकी कीमत भी काफी है, 30 हजार येन यानी करीब 18 हजार रुपये. अभी इनका उत्पादन भी शुरू नहीं हुआ है.
एएम/आईबी (एएफपी)

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योगेंद्र यादव से राजेश जोशी की बातचीत



‘धारा 370 की भावना पूरे देश में लागू हो - आम आदमी पार्टी’

 मंगलवार, 29 अप्रैल, 2014 को 17:31 IST तक के समाचार 

प्रस्तुति - नीरज सिंह , अशोक पाडले
    वर्धा

योगेंद्र यादव
संविधान की जिस धारा 370 को भारतीय जनता पार्टी ख़त्म करना चाहती है, आम आदमी पार्टी उस धारा की भावना को देश के हर राज्य में ले जाना चाहती है.
आम आदमी पार्टी के नेता योगेंद्र यादव ने कहा है कि उनकी पार्टी धारा 370 की भावना को हर राज्य, हर ज़िले और हर गाँव में लागू करना चाहती है.
बीबीसी हिंदी से एक विशेष बातचीत में योगेंद्र यादव ने कहा, “लोग सिर्फ़ धारा 370 की बात करते हैं. इसकी मूल भावना क्या है? ये कि किसी एक इलाक़े के लोग अपने फ़ैसले स्वयं लें, उन पर दिल्ली वाले लोग फ़ैसले न थोपें. आम आदमी पार्टी इस भावना को इस देश के हर राज्य, हर ज़िले और हर गाँव में लागू करना चाहते हैं.”
सोमवार को कश्मीर में चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने कश्मीर ही नहीं बल्कि तमाम राज्यों को ज़्यादा स्वायत्तता देने की वकालत की थी.
क्लिक करें फ़ेसबुक पर योगेंद्र यादव से बातचीत

'उधार ली हुई सोच'

योगेंद्र यादव ने कहा, “धारा 370 की मूल भावना क्या है? वो भावना स्वायत्तता की भावना है, वो स्वराज की भावना है. और उसे हम कश्मीर ही नहीं महाराष्ट्र में ले जाना चाहते हैं. हम सिर्फ़ मुंबई में ही नहीं बल्कि गढ़चिरौली और गढ़चिरौली के गाँवों में ले जाना चाहते हैं. इसलिए उस भावना से हम असहमत कैसे हो सकते हैं?”
उनसे पूछा गया कि बहुत सारे लोग कहेंगे कि अगर आप धारा 370 की भावना आप हर जगह ले जाना चाहते हैं यानी आप भारत को खंड खंड करना चाहते हैं?
बीबीसी के फेसबुक पन्ने पर हुई लाइव चैट
इस पर योगेंद्र यादव ने कहा विविधता को एकता के विरुद्ध मानना उधार ली हुई सोच का नतीजा है.
उन्होंने कहा, “ये यूरोप के घबराए हुए लोगों का विचार है. भारत की सभ्यता, भारत का इतिहास बार बार इसे झुठलाता रहा है. भारत के पिछले 65 साल के इतिहास ने पूरी दुनिया के सामने सबक़ दिया है कि भारत की एकता विविधता का सम्मान करके ही होती है. विविधता को मज़बूत करने से भारत और ज़्यादा मज़बूत हुआ है इसलिए मैं समझता हूँ कि अगर ये स्वायत्तता गाँव गाँव में पहुँचेगी तब भारत की एकता सच्ची एकता होगी.”

सत्ता का विकेंद्रीकरण

योगेंद्र यादव का कहना है, "आम आदमी पार्टी चाहती है, केंद्र सरकार की ताक़त कम हों. ये ताक़त राज्यों के पास जाएँ, राज्यों की ताक़तें कम की जाएँ, ज़िले को दी जाएँ. ज़िला कलेक्टर की ताक़त गाँव में दी जाए"
वो कहते हैं, "गाँव पंचायत को भी नहीं ग्रामसभा को दी जाए. आम आदमी पार्टी इस देश में सत्ता के केंद्रीयकरण के ढाँचे को उलटना चाहती है. यही हमारा स्वराज का सपना है. उसमें 370 को एक छोटी सी मिसाल है. इससे ज़्यादा कुछ भी नहीं. आम आदमी पार्टी का अंतिम सपना है कि इस देश का जो फ़ैसला ग्राम सभा में हो सकता है उसे योजना आयोग में न किया जाए."

मोदी में तो प्रचार की भी हिम्मत नहींः अब्दुल्ला






28 Apr 2014, 1721 hrs IST,नवभारतटाइम्स.कॉम  
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श्रीनगर
अब्दुल्ला परिवार और नरेंद्र मोदी के बीच वाक-युद्ध जारी है। अब फारुख अब्दुल्ला के बेटे और जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मोदी को करारा जवाब दिया है। उमर अब्दुल्ला ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि मोदी को इकश्मीर के इतिहास की जानकारी नहीं है और लगातार उन मुद्दों पर बोलकर मोदी अपनी अज्ञानता दिखाते रहते हैं, जिनके बारे में उन्हें कुछ नहीं पता होता। ​उन्होंने कहा, 'शुक्र है आपने (मोदी) हमें सेक्युलर होने का सर्टिफिकेट नहीं दिया, नहीं तो हमें सियासत छोड़नी पड़ जाती।' अब्दुल्ला ने कहा कि मोदी जैसा व्यक्ति देश का प्रधानमंत्री बनना चाहता है, यह बहुत खतरनाक बात है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी में कश्मीर आकर प्रचार करने की हिम्मत नहीं है। उन्होंने कहा, 'मोदी साहब में हिम्मत नहीं है कि यहां से अपने तीन-तीन प्रत्याशी होने के बावजूद यहां आकर उनके लिए कैंपेनिंग कर सकें।'



नरेंद्र मोदी ने सोमवार को एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि फारुक के पिता शेख अब्दुल्ला, खुद उन्होंने और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला ने कश्मीर को संप्रदाय के रंग में रंगने का काम किया है। ऐसे में अगर समंदर में किसी को डूबना चाहिए, तो उन्हें अपने पिता और अपना चेहरा याद करना चाहिए।

पढ़ें: ​मोदी का अब्दुल्ला परिवार पर पलटवार

अब्दुल्ला ने कहा कि जब मैंने मोदी को आर्टिकल 370 पर बहस करने की चुनौती दी, तो मुझसे कहा गया कि मेरा उनसे बहस करने का स्तर नहीं है, अब बीजेपी में तोगड़िया और अमित शाह जैसे जबान के तेज लोगों को आगे किया जा रहा है जबकि जसवंत सिंह साहब जैसे कुछ अच्छे लोगों को धकेल दिया गया है।


खबर पढ़ेंः मोदी को वोट देने वाले समंदर में डूब जाएंः फारुक अब्दुल्ला


अपने पिता का बचाव करते हुए उन्होंने कहा, 'फारुख साहब ने कहा था कि कश्मीर सांप्रदायिक भारत का हिस्सा नहीं होगा। उन्होंने यह कभी नहीं कहा कि अगर मोदी प्रधानमंत्री बने तो कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं होगा। कश्मीर ने लोगों को कश्मीरियत सिखाई, सहन करना सिखाया। कश्मीर में जब पहली बार बंदूक आई तो उसका निशाना हमारी पार्टी का सदस्य ही बना, और आज भी नुकसान हमारी पार्टी का ही हो रहा है।

तस्वीरेंः पार्टी को अच्छी लगी नेताओं की गंदी बाद!

उमर अब्दुल्ला ने मोदी के इस आरोप का भी जवाब दिया कि राज्य सरकार कश्मीरी पंडितों की रक्षा नहीं कर पाई। उन्होंने कहा, 'वह वीपी सिंह, जो बीजेपी के सहयोग से प्रधानमंत्री बने, वह मुफ्ती सईद, जो वीपी सिंह की कैबिनेट में होम मिनिस्टर थे, वह जगमोहन, जिनको मुफ्ती सैयद यहां लाए, उनके दौर में कश्मीरी पंडितों ने कश्मीर छोड़ा। कश्मीरी पंडित फारुख अब्दुल्ला के दौर में नहीं, बल्कि जनाब जगमोहन के दौर में यहां से गए।'





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'समंदर में डूबने' वाले बयान पर मोदी का फारुक पर पलटवार
28 Apr 2014, 1421 hrs IST,नवभारतटाइम्स.कॉम  
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modi
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नई दिल्ली
केंद्रीय मंत्री और नैशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारुक अब्दुल्ला के 'मोदी को वोट करने वाले को समंदर में डूब जाना चाहिए' वाले बयान पर नरेंद्र मोदी बेहद कड़ा पलटवार किया है। मोदी ने सोमवार को एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि फारुक के पिता शेख अब्दुल्ला, खुद उन्होंने और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला ने कश्मीर को संप्रदाय के रंग में रंगने का काम किया है। ऐसे में अगर समंदर में किसी को डूबना चाहिए, तो उन्हें अपने पिता और अपना चेहरा याद करना चाहिए। उधर, मोदी के इस पलटवार के बाद फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि वह मोदी नहीं, बल्कि सांप्रदायिक राजनीति के खिलाफ हैं।

खबर पढ़ेंः मोदी को वोट देने वाले समंदर में डूब जाएंः फारुक अब्दुल्ला

फारुक अब्दुल्ला ने रविवार को कहा था कि मोदी को वोट देने वालों को समुद्र में डूब जाना चाहिए। उन्होंने बीजेपी की ओर संकेत करते हुए कहा था कि अगर देश में सांप्रदायिक ताकतें हावी हो गईं, तो कश्मीर कभी भारत के साथ नहीं रहेगा।

तस्वीरेंः पार्टी को अच्छी लगी नेताओं की गंदी बाद!

मोदी ने फारुक अब्दुल्ला के इस बयान पर पूरे अब्दुल्ला परिवार को लपेटते हुए कहा कि हिंदुस्तान का सेक्युलरिज्म इतना रद्दी नहीं है कि इतनी छोटी से बात से खराब हो जाएगा। उन्होंने कहा, 'मैं फारुक अब्दुल्ला से कहना चाहता हूं कि हजारों साल के हिंदुस्तान के इतिहास में सेक्युलरिज्म की परंपरा को सबसे बड़ी और गहरी चोट अगर कहीं पड़ी है तो कश्मीर में पड़ी है और वह भी फारुक अब्दुल्ला जी आपके पिताजी (शेख अब्दुल्ला) और आपकी राजनीति के चलते हुआ है... आपके बेटे की राजनीति के चलते हुआ।'

खबर पढ़ेंः गुजरात के कसाई हैं नरेंद्र मोदीः तृणमूल

मोदी ने कहा कि देश में कश्मीर एक ही है, जहां से पंडितों को धर्म के आधार पर निकाल दिया गया। कश्मीर सूफी परंपरा की भूमि थी जिसे अब्दुल्ला परिवार ने निजी राजनीतिक स्वार्थ के लिए संप्रदाय के रंग से रंग दिया।

पढ़ें: मोदी की आंखें राक्षसों जैसीः सलमान खुर्शीद

फारुक पर बरसते हुए मोदी ने आगे कहा कि बीजेपी को वोट देने वालों को दरिया में डुबाने की बात करने वाले फारुक, उनके पिताजी शेख अब्दुल्ला और बेटे उमर ने कश्मीर की राजनीति को सारी दुनिया में कौमी रंग देने का पाप किया है। मोदी ने कहा, 'अगर डूबना है तो किसको डूबना चाहिए... जरा दर्पण में देखिए... आपके पिताजी का चेहरा दर्पण के सामने खड़ा करके सवाल पूछो...'

इससे पहले बीजेपी नेता अरुण जेटली ने भी अब्दुल्ला के बयान की निंदा की है। उन्होंने कहा, 'यह दर्शाता है कि अब्दुल्ला ने बहुमत की राय की अवमानना की है। फारुक साहब का मानना है और जो सही भी है कि भारत धर्मनिरपेक्ष है और यह सांप्रदायिक राजनीति को स्वीकार नहीं करेगा। भारत में इस धर्मनिरपेक्षता ने सबसे बड़ी एकमात्र असफलता कहां देखी है?'

जेटली ने कहा, 'भारत में धर्मनिरपेक्षता की एकमात्र सबसे बड़ी असफलता फारुक साहब के अपने राज्य कश्मीर में है। यदि भारत ने राज्य से कश्मीरी पंडित नामक एक समुदाय को निकालकर जातीय सफाये की घटना देखी है तो ऐसा केवल कश्मीर में हुआ है।'

बीजेपी नेता ने कहा कि वह अब्दुल्ला के यह कहने से खुश हैं कि कश्मीर सांप्रदायिक राजनीति को स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने कहा, 'लेकिन क्या कश्मीर कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए उनका फिर स्वागत करेगा।' जेटली ने कहा कि यदि नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बनते हैं तो किसी को समुद्र में कूदने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन कश्मीरी पंडितों के घर वापस नहीं जा पाने पर यदि फारुक साहब और उनकी पार्टी मूकदर्शक बनी हुई है तो पश्चाताप के रूप में उन्हें कम से कम डल झील में एक डुबकी लगानी चाहिए।'



रॉबर्ट वाड्रा मामले में वसुंधरा सरकार पर बढ़ा दबाव
29 Apr 2014, 1429 hrs IST,टाइम्स ऑफ इंडिया  
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Vadra
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नई दिल्ली
सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर करप्शन के मामले में निशाना बनाने की स्ट्रैटिजी खुद राजस्थान में बीजेपी की सरकार पर ही भारी पड़ती दिख रही है। पहले दिग्विजय सिंह ने टाइम्स ऑफ इंडिया के लेख में रॉबर्ट वाड्रा का बचाव किया। दिग्विजय सिंह ने वसुंधरा राजे सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर वाड्रा के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं, तो राज्य सरकार ने कार्रवाई क्यों नहीं की?

पढ़ेंः कांग्रेस के लिए बोझ बने रॉबर्ट वाड्रा?

दिग्विजय सिंह के बाद आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी वाड्रा मामले पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों को आड़े हाथ लिया है। केजरीवाल ने कहा कि रॉबर्ट वाड्रा के मामले में कार्रवाई नहीं होना इस बात का सबूत है कि बीजेपी-कांग्रेस में डील हो गई है। अरविंद केजरीवाल का कहना है कि उन्होंने दिल्ली में अपनी 49 दिनों की सरकार में ही शीला दीक्षित और अंबानी पर एफआईआर दर्ज करवाई थी। केजरीवाल ने वसुंधरा राजे को वाड्रा पर कार्रवाई करने की चुनौती दी है।

पढ़ेंः रॉबर्ट वाड्राः लव, लैंड और लोचा

कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा है कि राजस्थान में बीजेपी की ही सरकार है। अगर वाड्रा ने जमीन सौदे में नियमों का पालन नहीं किया, तो बीजेपी सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए थी। दिग्विजय सिंह ने वाड्रा का बचाव करते हुए कहा कि चुनावी फायदे के लिए बीजेपी इस तरह का झूठा प्रचार कर रही है। दिग्विजय का दावा है कि प्रियंका गांधी को मिल रहे जनसमर्थन से मोदी, बीजेपी घबरा गए हैं। इसीलिए उनके और वाड्रा के खिलाफ निजी हमले हो रहे हैं।

पढ़ेंः वाड्रा ने एक लाख से बनाए 325 करोड़

दिग्विजय सिंह ने वाड्रा के बहाने मोदी-अडाणी के कथित रिश्ते पर भी निशाना साधा है। दिग्विजय ने कहा, 'ऑपिनियन पोल ने जैसे ही मोदी को पीएम प्रॉजेक्ट करना शुरू किया, अडाणी के शेयर खूब चढ़े। अगर एक परिवार से जुड़ने के कारण वाड्रा से 3.5 एकड़ जमीन के लिए हिसाब मांगा जा रहा है, तो मोदी को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से लिंक का जवाब भी देना चाहिए।'

पढ़ेंः वाड्रा पर फिल्म से बीजेपी का कांग्रेस पर निशाना

हालांकि दिग्विजय सिंह और केजरीवाल के पलटवार के बाद राजस्थान सरकार की ओर से भी सफाई आई है। राजस्थान सरकार ने फिर कहा है कि रॉबर्ट वाड्रा ने जमीन से सौदों में नियमों का उल्लंघन किया है। बीजेपी ने दावा किया है कि चुनाव के बाद राजस्थान में वाड्रा के जमीन के सौदों की जांच कराई जाएगी।

देखेंः रॉबर्ट वाड्रा के विडियो पर बढ़ा बवाल
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