मंगलवार, 18 अप्रैल 2017

केंद्रीय आयुध भंडार, पुलगांव






प्रस्तुति- स्वामी शरण


केंद्रीय आयुध भंडार महाराष्ट्र के वर्धा जिल के पुलगांव में स्थित भारतीय सेना का सबसे बड़ा आयुध भंडार है[1] जो कि लगभग 7,000-10,000 एकड़[2] में फैला है। इसकी गिनती एशिया के सबसे बड़े आयुध भंडारों में होती है।[1] भारतीय सेना के कुल 12 आयुध भंडार हैं, जिनमें 11 फील्ड आयुध भंडार तथा एक केंद्रीय आयुध भंडार हैं। केंद्रीय आयुध भंडार नागपुर से 115 किलोमीटर दूर पुलगांव में स्थित है जिसमें सेना के सभी हथियारों व गोल बारूद का भंडारण किया जाता है। नागपुर से पुलगांव 1 घंटे की दूरी पर है।[2][1]
देश की विभिन्न आयुध फैक्ट्रियों में बनने वाले हथियार पहले केंद्रीय भंडार में लाए जाते हैं जहां से उन्हें अग्रिम ठिकानों पर भेजा जाता है। इस भंडार में बमों, हथगोलों, गोलों, रायफलों, मिसाइलों और अन्य विस्फोटक सामग्री का विशाल भंडार है।[1] अपनी निर्धारित अवधि पार कर चुके हथियारों को नष्ट करने का काम भी इसी आयुध भंडार द्वारा किया जाता है।[2] ब्रह्मोस मिसाइल , एके 47 भी इस आयुध भंडार में रखे जाते हैं।[2]

घटनाएं

31 मई 2016, रात्रि 1:30 बजे से 2 बजे (आईएसटी) (30 मई 2016, सायं 8 बजे से 8:30 बजे के मध्य यूटीसी) अनुसार[2][3]इस भंडार गृह में आग लग गयी[4] जिसमें सेना के दो अधिकारियों तथा 18 अन्य लोगों की मौत हो गई तथा 130 टन टैंक रोधी सामग्री नष्ट हो गई।[5]
रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर और सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह ने मौके पर पहुंच कर स्थिति की समीक्षा की और घटना की जांच के आदेश दिये। मृतकों की पहचान लेफ्टिनेंट कर्नल आर एस पवार और मेजर के. मनोज के रूप में हुई है। घायल हुए सैनिकों में कई की स्थिति गंभीर है और मृतकों की संख्या अधिक होने की आशंका है।[1] दुर्घटना के समय वहां लगभग 70 लोग मौजूद थे जिसमें से ज्यादातर रक्षा सुरक्षा कोर के जवान थे।[1]घायलों कोे जिले के सावंगी मेघे में स्थित दत्ता मेघे चिकित्सा कॉलेज और अस्पताल में भर्ती कराया गया।[2][6] आग लगने के कुछ देर बाद ही आयुध भंडार के निकट स्थित पांच गांवों को तुरंत खाली करा लिया गया था।[2] इससे पहले 2010 में पारागढ़ में व अनंतनाग और भरतपुर आयुध भंडारों समेत देश के अन्य आयुध भंडारों में आग की 7 घटनाएं हुई हैं।[1][7][8][9][10][11][12][13][14][15][16][17][18]

प्रतिक्रिया

  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने शोक संदेश में कहा कि शस्त्र भंडार में आग लगने से उन्हें गहरा दुख हुआ है। उन्होंने प्रभावित परिवारो के प्रति संवेदना व्यक्त की व घायल हुए लोगों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। उन्होंने रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से घटना स्थल का दौरा कर स्थिति का जायजा लेने का निर्देश दिया है।[1]
  • गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर कहा, " मैं पुलगांव में लगी आग में घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूँ। शोकाकुल परिवारों को मेरी सांत्वना।"[2]
  • महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फणनवीस ने हादसे पर दुख जताया। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन को पूरी मदद करने के निर्देश दिए गए हैं। राज्य सरकार अपनी तरफ से हरसंभव सहायता मुहैया करा रही है।[2]
    • वर्धा के सांसद रामदास तडस ने कहा कि घायलों को उचित इलाज मुहैया कराया जा रहा है।[2]
  • कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी में अपने ट्वीट में कहा, "केंद्रीय आयुध भंडार, महाराष्ट्र में आग में अफसरों और जवानों की मौत की खबर जानकर गहरा दुःख और पीड़ा हुई है।"[2]

सन्दर्भ





  • "केन्द्रीय आयुध डिपो में आग लगने से 20 लोगों की मौत". देशबन्धु. 1 जून 2016. अभिगमन तिथि: 1 जून 2016.

  • "पुलगांव अग्निकांड: जायजा लेने पहुंचे रक्षा मंत्री ने दिए जांच के आदेश". दैनिक जागरण. 31 मई 2016. अभिगमन तिथि: 1 जून 2016.

  • "सेना का सबसे बड़ा हथियार डिपो भस्म, 17 जवानों की मौत, कहीं साजिश तो नहीं?". आईबीएन 7. 31 मई 2016. अभिगमन तिथि: 1 जून 2016.

  • "आतंकी संगठनों के निशाने पर हैं सेना के आयुध भंडार". अमर उजाला. 1 जून 2016. अभिगमन तिथि: 1 जून 2016.

  • "सेना के आयुध डिपो में आग: 130 टन टैंक रोधी सामग्री नष्ट, सात पीड़ितों के उड़ गये चीथड़े". प्रभात खबर. 1 जून 2016. अभिगमन तिथि: 1 जून 2016.

  • "सेना के डिपो में आग: मनोहर पर्रिकर ने साजिश ने किया इनकार". नवभारत टाइम्स. 31 मई 2016. अभिगमन तिथि: 2 जून 2016.

  • "एक और अग्निकांड". दैनिक जागरण. 1 जून 2016. अभिगमन तिथि: 1 जून 2016.

  • "India: Fire at ordnance depot in Maharashtra state kills 20 troops [भारत: महाराष्ट्र में आयुध भंडार ने आग 20 सैनिक मरे]" (अंग्रेजी में). अबतक.टीवी. 1 जून 2016. अभिगमन तिथि: 2 जून 2016.

  • "Indian army depot fire kills 16 raises safety fears [भारतीय सेना के भंडार में आग में 16 की मृत्यु, सुरक्षा चिंता बढ़ी]" (अंग्रेजी में). जीओपाकिस्तान.नेट. 31 मई 2016. अभिगमन तिथि: 2 जून 2016.

  • "Indian army depot fire kills 16 raises safety fears [भारतीय सेना के भंडार में आग में 16 की मृत्यु, सुरक्षा चिंता बढ़ी]" (अंग्रेजी में). ट्रिब्यून.कॉम.पीके. 31 मई 2016. अभिगमन तिथि: 2 जून 2016.

  • "130 tons of anti tank mines worth 14 million destroyed in india's army depot [भारत में 14 मिलियन मूल्य की 130 टन एंटी टैंक सामग्री सेना भंडार में आग से नष्ट]" (अंग्रेजी में). डिफेन्स.पीके. 1 जून 2016. अभिगमन तिथि: 2 जून 2016.

  • "India : Fire at ordnance depot in Maharashtra state [भारत: महाराष्ट्र राज्य में आयुध भंडार में आग]" (अंग्रेजी में). आलमीअख़बार.कॉम. 1 जून 2016. अभिगमन तिथि: 2 जून 2016.

  • "16 dead in fire at India's biggest ammo depot [भारत के सबसे बड़े भंडार में आग से 16 की मृत्यु]" (अंग्रेजी में). बीडीन्यूज़24.कॉम. 1 जून 2016. अभिगमन तिथि: 2 जून 2016.

  • "Indian army depot fire kills 16 raises safety fears [भारतीय सेना के भंडार में आग में 16 की मृत्यु, सुरक्षा चिंता बढ़ी]" (अंग्रेजी में). न्यूऐजबीडी.नेट. 31 मई 2016. अभिगमन तिथि: 2 जून 2016.

  • "Fire at arms depot kills 16 in India [भारत। इ आयुध भंडार में आग ने 16 की जान ली]" (अंग्रेजी में). दडेलीस्टार.नेट. अभिगमन तिथि: 2 जून 2016.

  • "Ordnance depot inferno kills 16 [आयुध भंडार की आग में 16 की मृत्यु]" (अंग्रेजी में). एचटीसिंडिकेट.कॉम. 1 जून 2016. अभिगमन तिथि: 2 जून 2016.

  • "17 killed in fire at indian army ammunitions depot [भारतीय सेना आयुध भंडार में आग ने 17 लोग मारे गए]" (अंग्रेजी में). मायरिपब्लिका.कॉम. 1जून 2016. अभिगमन तिथि: 2 जून 2016.

    1. "Fire, blasts at Indian arms depot killed at least 16 [भारतीय आयुध भंडार में आग, धमाके में कम से कम 16 मरे]" (अंग्रेजी में). न्यूज़जेएस.कॉम. 31 मई 2016मई. अभिगमन तिथि: 2 जून 2016.


    रविवार, 16 अप्रैल 2017

    झारखंड का एक उपेक्षित सितारा जयपाल सिंह मुंडा






     

    प्रस्तुति-  डा. ममता शऱण

     

    ( झारखंड में पत्रकारिता को पुष्पित पल्लवित और पुर्नजीवित करने वाले इस राज्य के पहले पत्रकार संपादक बलवीर दत्त की किताब में इस सितारे पर प्रकाश डाला गया है.य फिलहाल इस महान खिलाड़ी को नमन के साथ एक साभार आलेख )

    जयपाल सिंह मुंडा (3 जनवरी 1903 – 20 मार्च 1970)[1] झारखंड आंदोलन के एक प्रमुख नेता थे। जयपाल एक जाने माने हॉकी खिलाडी भी थे। उनकी कप्तानी में भारत ने १९२८ के ओलिंपिक में भारत ने पहला स्वर्ण पदक प्राप्त किया।<ref name=":0">"जयपाल सिंह मुंडा".
    जयपाल सिंह छोटा नागपुर की मुंडा जनजाति के थे। मिशनरीज की मदद से वह ऑक्सफोर्ड के सेंट जॉन्स कॉलेज में पढ़ने के लिए गए। वह असाधारण रूप से प्रतिभाशाली थे। उन्होंने पढ़ाई के अलावा खेलकूद, जिनमें हॉकी प्रमुख था, के अलावा वाद-विवाद में खूब नाम कमाया।
    उनका चयन भारतीय सिविल सेवा (आईसीएस) में हो गया था। आईसीएस का उनका प्रशिक्षण प्रभावित हुआ क्योंकि वह 1928 में एम्सटरडम में ओलंपिक हॉकी में पहला स्वर्णपदक जीतने वाली भारतीय टीम के कप्तान के रूप में नीदरलैंड चले गए थे। वापसी पर उनसे आईसीएस का एक वर्ष का प्रशिक्षण दोबारा पूरा करने को कहा गया (बाबूगीरी का आलम तब भी वही था जो आज है!)। उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया।
    इसके बाद ही जयपाल सिंह देश में आदिवासियों के अधिकारों की आवाज बन गए। उन्होंने 1938 में आदिवासी महासभा का गठन किया जिसने बिहार से इतर एक अलग झारखंड राज्य की स्थापना की मांग की। उनके जीवन का सबसे बेहतरीन समय तब आया जब उन्होंने संविधान सभा में बेहद वाकपटुता से देश की जनजातियों के बारे में सकारात्मक ढंग से अपनी बात रखी।

    इन्हें भी देखें

    सन्दर्भ

    1.  


    झारखंड के प्रसिद्व लोग







    जयपाल सिंह  

    जयपाल सिंह
    पूरा नाम
    जयपाल सिंह मुण्डा
    जन्म
    जन्म भूमि
    राँची
    मृत्यु
    मृत्यु स्थान
    कर्म भूमि
    खेल-क्षेत्र
    प्रसिद्धि
    खिलाड़ी तथा राजनीतिज्ञ
    नागरिकता
    भारतीय
    संबंधित लेख
    अन्य जानकारी
    वर्ष 1928 में एमस्टर्डम ओलम्पिक में भारतीय हॉकी टीम पहली बार प्रतियोगिता में शामिल हुई थी। टीम ने जयपाल सिंह के नेतृत्व में पाँच मुक़ाबलों में एक भी गोल दिए बगैर स्वर्ण पदक जीता था।
    जयपाल सिंह (अंग्रेज़ी: Jaipal Singh; जन्म- 3 जनवरी, 1903, राँची; मृत्यु- 20 मार्च, 1970, दिल्ली) भारतीय हॉकी के प्रसिद्ध खिलाड़ियों में से एक थे। वर्ष 1928 से 1956 तक का समय भारतीय हॉकी के लिए स्वर्णिम युग था। डॉ. जयपाल सिंह को वर्ष 1928 में एमस्टर्डम में आयोजित ओलम्पिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम का कप्तान नियुक्त किया गया था। इस ओलम्पिक में भारत ने जयपाल सिंह के नेतृत्व में देश के लिए स्वर्ण पदक प्राप्त किया था।
    • भारतीय हॉकी के प्रसिद्ध खिलाड़ी जयपाल सिंह का जन्म झारखण्ड की राजधानी राँची में 3 जनवरी, 1903 को हुआ था।
    • जयपाल सिंह झारखण्ड की प्रमुख आदिवासी जनजाति मुण्डा से सम्बन्ध रखते थे, जिसका मूल स्थान दक्षिणी छोटा नागपुर है।
    • भारत के लिए हॉकी का स्वर्णिम युग 1928-1956 तक था, जब भारतीय हॉकी दल ने लगातार 6 ओलम्पिक स्वर्ण पदक प्राप्ति किए थे।
    • 1928 तक हॉकी भारत के लिए एक जुनून बन चुकी थी और बाद में यह देश का राष्ट्रीय खेल बन गई।
    • वर्ष 1928 में ही एमस्टर्डम ओलम्पिक में भारतीय टीम पहली बार प्रतियोगिता में शामिल हुई। टीम ने पाँच मुक़ाबलों में एक भी गोल दिए बगैर स्वर्ण पदक जीता।
    • जयपाल सिंह की कप्तानी में टीम ने, जिसमें 'हॉकी के जादूगर' कहे जाने वाले महान खिलाड़ी ध्यानचंद भी शामिल थे, अंतिम मुक़ाबले में हॉलैंड को आसानी से हराकर स्वर्ण पदक जीता था।
    • युवा ध्यानचंद ने अपने खेल से एम्सटर्डम के खेल प्रेमियों को मंत्र मुग्ध कर दिया था। पूरे टूर्नामेंट में जहाँ ध्यानचंद की जादूगरी शबाब पर थी, वहीं कोई भी विरोधी टीम एक बार भी भारतीय गोलपोस्ट को भेदने के लिए तरस गई।
    • वर्ष 1936 में जयपाल सिंह राजनीति में आ गये थे और बाद में 'झारखण्ड पार्टी' का गठन किया।
    • आदिवासी नेता जयपाल सिंह 1952 में वे प्रथम लोकसभा के सदस्य बने और आजीवन अपने क्षेत्र से लोकसभा के सदस्य रहे।
    • भारत की महान विभूति का निधन 20 मार्च, 1970 को दिल्ली में हुआ।


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    टीका टिप्पणी और संदर्भ

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    भारत के प्रसिद्ध खिलाड़ी


    पुरुष
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