रविवार, 31 जनवरी 2021

यूपी में विकास के बढ़ते कदम

पहले की  सरकारों में रोटी, कपड़ा और मकान था महज नारा, अब गारंटी*


*3.42 लाख से अधिक लाभार्थियों को मिली पीएम आवास योजना की सौगात*


*गोरखपुर से 2409 करोड़ रुपये लाभार्थियों के खातों में ऑनलाइन ट्रांसफर किया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने*


गोरखपुर,। सबके लिए आवास की दिशा में संकल्पित भाव से आगे बढ़ रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को प्रदेश के शहरी क्षेत्र के लोगों को एक और सौगात दी। सीएम योगी बुधवार को गोरखपुर सर्किट हाउस स्थित एनेक्सी भवन में प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के 3 लाख 42 हजार 322 लाभार्थियों के खातों में 2409 करोड़ रुपये की धनराशि ऑनलाइन ट्रांसफर की।

इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पूर्व की सरकारों में रोटी, कपड़ा और मकान महज एक नारा था, वर्तमान केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार में यह गारंटी है। हर व्यक्ति को मकान की गारंटी के साथ ही रोटी और उसके आजीविका के इंतजाम की गारंटी केंद्र व प्रदेश सरकार दे रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सब इसलिए संभव हो सका क्योंकि जनता ने केंद्र व उत्तर प्रदेश की सरकार को अपार समर्थन दिया। सीएम योगी ने कहा कि 2017 के पहले तक प्रधानमंत्री आवास योजना में उत्तर प्रदेश का देश मे 27वां स्थान था। लोगों को इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा था। 2017 में हमारी सरकार आई तो हमने युद्धस्तर पर कार्य कर तीन साल में इस योजना में प्रदेश को नम्बर वन बना दिया। अब तक प्रदेश के शहरी क्षेत्र में 16.82 लाख से अधिक तथा ग्रामीण क्षेत्र में 23 लाख से अधिक लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिया जा चुका है। यह सब ईमानदारी से की गई चयन प्रक्रिया से मात्र तीन साल में हुआ, बिना किसी सिफारिश, बिना रिश्वत और बिना इंतज़ार के। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी की मंशा के अनुरूप सबके लिए आवास के लक्ष्य को 2022 तक हासिल कर लिया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि शहरी क्षेत्र में इस योजना के तहत 2.5 लाख की सहायता दी जाती है। 1.5 लाख रुपये केंद्र सरकार देती है और 1 लाख राज्य सरकार। इसके लिए हर वह व्यक्ति पात्र है जिसके पास शहर में अपनी जमीन है और सालाना आय तीन लाख रुपये से कम है।


*पहले गरीबों के लिए सिर्फ नारे लगते थे*


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज जिन लाभार्थियों को इस योजना का लाभ मिल रहा है उनकी खुशी और उत्साह देखते ही बन रहा है। यह खुशी पहले भी आ सकती थी लेकिन पहले गरीबों के लिए सिर्फ नारे लगते थे, उनकी चिंता नहीं कि जाती थी। गरीब पूर्ववर्ती सरकारों के एजेंडे में नहीं थे। आज गरीबों को आवास, सौभाग्य योजना के तहत बिजली, उज्ज्वला योजना के तहत रसोई गैस, आयुष्मान योजना के तहत स्वास्थ्य सुविधा, पोषण की योजनाओं का लाभ प्राप्त कर रहा है।


*पैसा मांगने पर करें शिकायत, घर बनवाने में ही रकम का हो इस्तेमाल*


सीएम योगी ने कहा कि कांग्रेस, सपा और बसपा की सरकारी संस्कृति में वसूली और रिश्वतखोरी के चलते 100 में से 85 रुपये दलालों व घोटालेबाजों की जेब मे चले जाते थे। पीएम ने जनधन खाता खुलवाया ताकि पूरा का पूरा रुपया लाभार्थी के खाते में जाये। मुख्यमंत्री ने लाभार्थियों से अपील की कि कोई रुपया मांगे तो अपने विधायक, सांसद, मुख्यमंत्री हेल्पलाइन व आईजीआरएस पर शिकायत करें। रुपये मांगने वालों की पूरी संपति जब्त कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस अवसर पर उन्होंने जनप्रतिनिधियों से अपील की कि वे पीएम आवास योजना में बन रहे आवासों की साप्ताहिक समीक्षा करें और लाभार्थियों की कॉउंसिलिंग कर यह सुनिश्चित करें कि रकम का इस्तेमाल आवास बनाने में ही हो।


*10 लाभार्थियों से किया वर्चुअल संवाद, 10 का सौंपी आवास की चाबी*

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी, मथुरा, अयोध्या, सहारनपुर, गाजियाबाद की दस लाभार्थियों से वर्चुअल संवाद किया। बड़ी आत्मीयता से उनके आवास निर्माण की प्रगति, उनके परिजनों के बारे में जानकारी ली और उन्हें आजीविका मिशन से जुड़कर स्वावलंबी बनने को प्रेरित किया। इस अवसर पर उन्होंने गोरखपुर की दस लाभार्थियों को आवास की चाबी भी सौंपी

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री का स्वागत करते हुए नगर विकास, शहरी समग्र विकास, नगरीय रोजगार एवं गरीबी उन्मूलन विभाग के कैबिनेट मंत्री आशुतोष टण्डन ने प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी की अब तक की प्रगति की जानकारी दी। श्री टण्डन ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में इस योजना में यूपी देश में सर्वश्रेष्ठ है। मिर्जापुर नगरपालिका और मलिहाबाद नगर पंचायत अपने अपने संवर्ग में पूरे देश मे नम्बर वन आये हैं। विभाग के राज्य मंत्री महेश गुप्ता भी ऑनलाइन उपस्थित रहे। आभार ज्ञापन नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव दीपक कुमार ने किया। गोरखपुर एनेक्सी भवन के कार्यक्रम में राज्य सभा सदस्य जयप्रकाश निषाद, महापौर सीताराम जायसवाल, विधायकगण डॉ राधामोहन दास अग्रवाल, बिपिन सिंह, महेंद्र पाल सिंह, शीतल पांडेय, संगीता यादव, मंडलायुक्त जयंत नार्लिकर, जिलाधिकारी के विजयेंद्र पांडियन आदि उपस्थित रहे।


सभी शहीद स्मारकों पर माह में एक बार हो कार्यक्रम: योगी आदित्यनाथ*



चौरीचौरा शहीद स्मारक स्थल का किया निरीक्षण


बोले, चौरीचौरा आंदोलन के क्रांतिकारियों की बनाएं पेटिंग, संग्रहित करें इतिहास


निरीक्षण के बाद चौरीचौरा में अधिकारियों के साथ सीएम योगी आदित्यनाथ ने की बैठक


गोरखपुर, 27 जनवरी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश के सभी शहीद स्थलों पर माह में एक बार कार्यक्रम अवश्य आयोजित किए जाएं। इन कार्यक्रमों में ज्यादा से ज्यादा जन सहभागिता सुनिश्चित की जाए।  सप्ताह में एक दिन शहीद स्मारकों पर पुलिस बैण्ड भी अपना कार्यक्रम करें। 4 फरवरी को चौरीचौरा आंदोलन के 100 वर्ष पूर्ण होने पर शताब्दी समारोह आयोजित होगा। वर्ष भर चलने वाले इन कार्यक्रमों के मद्देनजर चौरीचौरा शहीद स्मारक की दीवारों पर चौरीचौरा आंदोलन से जुड़े क्रांतिकारियों के चित्र बनाए जाएं। सीएम ने निर्देश दिया कि स्वतंत्रता आन्दोलन से जुड़े इतिहास एवं साहित्य को संग्रहित कर प्रकाशित किया जाए।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुधवार को चौरीचौरा शहीद स्मारक का निरीक्षण के बाद सीएम जिले के अधिकारियों के साथ बैठक को संबोधित कर रहे थे। सीएम ने स्मारक के सामने रेलवे की भूमि को शहीद पार्क के रूप में विकसित करने और शहीद स्मारक स्थल तक आने वाली सड़क की तत्काल मरम्मत के निर्देश दिए। रेलवे लाइन के आसपास एवं शहीद स्थल तक आने वाली सड़क पर विशेष सफाई व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि चौरीचौरा के लोगो का इस्तेमाल सभी शासकीय पत्राचारों एवं स्मृति चिन्हों और अन्य स्थानों पर भी किया जाए। सीएम ने चौरीचौरा स्मारक के संग्रहालय में रखी गई प्रतिमाओं के इतिहास को प्रदर्शित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि चौरीचौरा कांड से जुड़े साहित्य एवं इतिहास का डिजिटलीकरण भी कराया जाए ताकि आमजन उसका अध्ययन कर जानकारी हासिल कर सके। बैठक में सांसद बासगांव कमलेश पासवान, विधायक चौरीचौरा संगीता यादव, एडीजी जोन दावा शेरपा, मण्डलायुक्त जयन्त नार्लिकर, जिलाधिकारी के विजयेन्द्र पाण्डियन आदि मौजूद रहे। 


*चौरीचौरा स्टेशन का होगा विकास*


सीएम योगी आदित्यनाथ ने चौरीचौरा रेलवे स्टेशन को विकसित करने के लिए प्रस्ताव बनाकर रेल मंत्रालय को भेजने का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि, प्रमुख स्थानों पर चौरीचौरा के इतिहास, लोगो को प्रदर्शित किए जाएं। जिससे चौरीचौरा स्थल को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल सके।


*आयोजन का होगा सीधा प्रसारण*


मुख्यमंत्री ने 4 फरवरी के मुख्य कार्यक्रम का पूरे प्रदेश में सीधा प्रसारण कराने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि पूरे वर्ष में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों का कैलेण्डर बनाया जाए। अन्य दिनों में भी विभिन्न शहीद स्मारकों पर भी कार्यक्रम आयोजित किए जाए। प्रदेश के अन्य शहीद स्थलों पर भी कार्यक्रम आयोजित कराए जाए।


*चौरीचौरा आंदोलन से जुड़े परिवार होंगे सम्मानित*


मुख्यमंत्री ने कहा कि 4 फरवरी के कार्यक्रम को पूरी भव्यता के साथ आयोजित किया जाए। इस दौरान चौरीचौरा आन्दोलन से जुड़े शहीदों के परिवारों को सम्मानित किया जाएगा।  इसके साथ ही शहीदों के परिजनों को शासकीय योजनाओं का लाभ भी दिया जाएगा।

[1/30, 16:28] Ss संजय सिंह Rsahaर: उप्र के गांवों में घर का स्वामित्व देने की पहल शुरू


केंद्र सरकार की स्वामित्व स्कीम के लिए यूपी सरकार ने शुरू किया सर्वे


प्रदेश के सभी 75 जिलों में शुरुआती दौर में 20-20 गांवों का सर्वे शुरू


यह योजना प्रदेश के 9 हजार से ज्यादा गांवों में की जाएगी लागू


नई दिल्ली/ लखनऊ।

गांव में घर है लेकिन उसका मालिकाना हक नहीं है। आजादी के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर तैयार की गई स्वामित्व योजना ग्रामीण आबादी में बने घरों के असली मालिकों को मालिकाना हक देगी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केंद्र सरकार की इस योजना अमली जामा पहनाने के लिए पूरे प्रदेश के 75 जिलों में सर्वे शुरू करा दिया है। शुरुआती दौर में प्रत्येक जिले के 20-20 गांवों को चुना गया है जहां सर्वे शुरू किया जा चुका है। खतौनी की तर्ज पर घरों के रिकार्ड के लिए घरौनी तैयार की जाएगी।

प्रदेश के सभी जिलों के 20-20 गांवों में स्वामित्व योजना के तहत आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए सर्वे शुरू करा दिया गया है। पहले चरण में वास्तवितक ग्रामीण आबादी में मौजूदा सभी घरों, उनके क्षेत्रफल आदि का सर्वे कर घरों के मालिकों की सूची तैयार कर घरौनी बनाई जाएगी। इसके बाद सभी खातेदारों की आपत्तियों का निस्तारण करने के बाद अंतिम रूप से मालिकाना हक घोषित किया जाएगा। इसके अलावा ग्रामीण आबादी में मौजूद सभी घरों की नम्बरिंग की जाएगी। इसका सबसे बड़ा फायदा पट्टीदारों के बीच विवाद समाप्त होने के साथ ही घरों का मालिकाना हक मिलने से उन पर बैंक लोन आदि भी मिल सकेगा।

दरअसल गांवों की कृषि भूमि, ग्रामसभा, बंजर आदि भूमि का रिकार्ड तो रेवन्यू विभाग के पास होता है। कृषि भूमि का मालिकाना हक दिखाने के लिए खसरा खतौनी बनाई जाती है लेकिन आबादी में बने घरों का मालिकाना हक के लिए कोई दस्तावेजी प्रमाण नहीं होता। आबादी में जिसका कब्जा है वही मालिक है लेकिन इसका कानूनी मालिकाना हक किसके पास है इसका कोई रिकार्ड नहीं होता है। इसकी वजह से तमाम परेशानियां सामने आती हैं। घरों का बंटवारा होने के बाद भी विवाद समाप्त नहीं होता है। इससे अदालती मुकदमें बढ़ते जा रहे हैं। इसके अलावा गांवों के घरों की यूनिक आईडी नहीं होती। मालिकाना हक नहीं होने से घरों को बैंकों में मॉर्गेज पर नहीं रखा जा सकता है। इस योजना के तहत मालिकाना हक मिलने के बाद खतौनी की तर्ज पर घरौनी बनेगी।


कैसे किया जा रहा है सर्वे


राम नगरी अयोध्या के करीब 20 गांवों में ड्रोन की मदद से स्वामित्व सर्वे चल रहा है। इसकी निगरानी कर रहे अयोध्या के जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने बताया कि इस योजना के लागू होने के बाद गांवों मे चल रहे तमाम विवाद समाप्त हो जाएंगे। उन्होंने बताया कि योजना के तहत ग्रामीण आबादी का जीपीएस ड्रोन की मदद से एरियल सर्वे किया जाएगा। आबादी में बने प्रत्येक घर की जियो टैगिंग की जाएगी। साथ ही प्रत्येक घर का क्षेत्रपल भी दर्ज किया जाएगा। इसके अलावा प्रत्येक घर को एक यूनिक आईडी या पता दिया जाएगा। सर्वे के बाद घरौनी में प्रत्येक घर के कब्जेदार व खाते दारों के नाम दर्ज किए जाएंगे। फिर सभी खातेदारों से आपत्तियां मांगकर उनका निस्तारण करने के बाद घरों का मालिकाना हक स्वामित्व कार्ड के रूप में प्रदान किया जाएगा।

यूपी  के गांवों में घर का स्वामित्व देने की पहल शुरू


केंद्र सरकार की स्वामित्व स्कीम के लिए यूपी सरकार ने शुरू किया सर्वे


प्रदेश के सभी 75 जिलों में शुरुआती दौर में 20-20 गांवों का सर्वे शुरू


यह योजना प्रदेश के 9 हजार से ज्यादा गांवों में की जाएगी लागू


नई दिल्ली/ लखनऊ।

गांव में घर है लेकिन उसका मालिकाना हक नहीं है। आजादी के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर तैयार की गई स्वामित्व योजना ग्रामीण आबादी में बने घरों के असली मालिकों को मालिकाना हक देगी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केंद्र सरकार की इस योजना अमली जामा पहनाने के लिए पूरे प्रदेश के 75 जिलों में सर्वे शुरू करा दिया है। शुरुआती दौर में प्रत्येक जिले के 20-20 गांवों को चुना गया है जहां सर्वे शुरू किया जा चुका है। खतौनी की तर्ज पर घरों के रिकार्ड के लिए घरौनी तैयार की जाएगी।

प्रदेश के सभी जिलों के 20-20 गांवों में स्वामित्व योजना के तहत आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए सर्वे शुरू करा दिया गया है। पहले चरण में वास्तवितक ग्रामीण आबादी में मौजूदा सभी घरों, उनके क्षेत्रफल आदि का सर्वे कर घरों के मालिकों की सूची तैयार कर घरौनी बनाई जाएगी। इसके बाद सभी खातेदारों की आपत्तियों का निस्तारण करने के बाद अंतिम रूप से मालिकाना हक घोषित किया जाएगा। इसके अलावा ग्रामीण आबादी में मौजूद सभी घरों की नम्बरिंग की जाएगी। इसका सबसे बड़ा फायदा पट्टीदारों के बीच विवाद समाप्त होने के साथ ही घरों का मालिकाना हक मिलने से उन पर बैंक लोन आदि भी मिल सकेगा।

दरअसल गांवों की कृषि भूमि, ग्रामसभा, बंजर आदि भूमि का रिकार्ड तो रेवन्यू विभाग के पास होता है। कृषि भूमि का मालिकाना हक दिखाने के लिए खसरा खतौनी बनाई जाती है लेकिन आबादी में बने घरों का मालिकाना हक के लिए कोई दस्तावेजी प्रमाण नहीं होता। आबादी में जिसका कब्जा है वही मालिक है लेकिन इसका कानूनी मालिकाना हक किसके पास है इसका कोई रिकार्ड नहीं होता है। इसकी वजह से तमाम परेशानियां सामने आती हैं। घरों का बंटवारा होने के बाद भी विवाद समाप्त नहीं होता है। इससे अदालती मुकदमें बढ़ते जा रहे हैं। इसके अलावा गांवों के घरों की यूनिक आईडी नहीं होती। मालिकाना हक नहीं होने से घरों को बैंकों में मॉर्गेज पर नहीं रखा जा सकता है। इस योजना के तहत मालिकाना हक मिलने के बाद खतौनी की तर्ज पर घरौनी बनेगी।


कैसे किया जा रहा है सर्वे


राम नगरी अयोध्या के करीब 20 गांवों में ड्रोन की मदद से स्वामित्व सर्वे चल रहा है। इसकी निगरानी कर रहे अयोध्या के जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने बताया कि इस योजना के लागू होने के बाद गांवों मे चल रहे तमाम विवाद समाप्त हो जाएंगे। उन्होंने बताया कि योजना के तहत ग्रामीण आबादी का जीपीएस ड्रोन की मदद से एरियल सर्वे किया जाएगा। आबादी में बने प्रत्येक घर की जियो टैगिंग की जाएगी। साथ ही प्रत्येक घर का क्षेत्रपल भी दर्ज किया जाएगा। इसके अलावा प्रत्येक घर को एक यूनिक आईडी या पता दिया जाएगा। सर्वे के बाद घरौनी में प्रत्येक घर के कब्जेदार व खाते दारों के नाम दर्ज किए जाएंगे। फिर सभी खातेदारों से आपत्तियां मांगकर उनका निस्तारण करने के बाद घरों का मालिकाना हक स्वामित्व कार्ड के रूप में प्रदान किया जाएगा।


संजय सिंह

होली कार्यक्रम और (सलाह) परामर्श

 *एडवाइजरी  नोट -  होली  २०२१* 


' *होली  २०२१* '  दयालबाग  में, भारत  में  सभी  अलग  अलग  ब्रांचेस  में  व  विदेशों  में  सभी  ब्रांचेस  में  सोमवार,२९  मार्च, २०२१  को  मनाई  जाएगी।


*१* . सभी  सतसंगी  एहतियात  के  तौर  पर  अपने - अपने  क्षेत्र  में  होली २०२१  मनाए।  ब्रांच / सत्संग हॉल / क्षेत्र  सत्संग / निजी  समूह  सत्संग / व्यक्तिगत  रूप  से नहीं  होगा। दयालबाग,  आगरा  के  लिए  यात्रा  के  अलावा  इस  एडवाइजरी  नोट  में  बाद  में  प्रदान  की  गई  और  केंद्र / राज्य / स्थानीय  सरकार  के  किसी  भी  निर्देश  के  अधीन। उन्हे  ऑडियो / वीडियो  प्रसारण  (दिशानिर्देशों  के  अनुसार)  ई - सत्संग  कास्केड  के  माध्यम  से  उपलब्ध  होगा।


*२* . केंद्र  सरकार / राज्य  सरकार / स्थानीय  प्रशासन  के  निर्देशों  का  कड़ाई  से  पालन  करना  अनलॉक  दिशा - निर्देशों  को  लागू  करना,  (सोशल  डिस्टेंसिंग  जैसे  एस.ओ.पी  के  साथ, मास्क  पहनना,  उपयोग  करना, हाथ  को  सैनीटाइज  आदि)  धार्मिक  सभाओं  के  लिए  लागू।


*३* ). निम्नलिखित  श्रेणियों  के  तहत  सत्संगियों  को  दयालबाग  में  होली  २०२१  को  अटैंड  करने  की  अनुमति :


*क* )  सभा  के  सदस्यों  को  होली  २०२१  में  भाग  लेने  की  अनुमति  है। 


*ख* ) दयालबाग / कर्मचारी / सेवकों और  अंशकालिक  सेवा  सभा  के  निवासियों  और  सोसाइटीज - ​​उनके  पति  और  उनके  जीवनसाथी  और  आश्रित  बच्चों  के  साथ  बच्चे। 


 *ग* )  होली  फैमिली  के  सदस्य, राधास्वामी  नगर  सोसाइटी  के  लाइसेंसधारी  और  आर.एस. नगर  विकेंद्र,  उपदेश  प्राप्त   स्पाउसेस (पति  या  पत्नी) के  साथ।


*४*)  बाहर  से  आने  वाले  व्यक्तियों  को  पहले  डॉ. एस.के. सत्संगी,  चिकित्सा  अधिकारी  प्रभारी  को  रिपोर्ट  करना  चाहिए। सरन  आश्रम  अस्पताल,  मेडिकल  जांच  के  लिए  दयालबाग  और  इससे  पहले  फिटनेस  प्रमाण  पत्र  प्राप्त  करना। सेवा  के  लिए  रिपोर्टिंग।  उन्हें  निजी  वाहनों  द्वारा  अधिमानतः  यात्रा  करनी  चाहिए।  मामले  में  वे  सार्वजनिक  रूप  से  यात्रा  करते  हैं।  परिवहन  के  लिए  उन्हें  घर  से  बाहर  रहने  की  आवश्यकता  होगी।


*५* .)  उचित  स्वच्छता - मास्क,  हेलमेट  और  दस्ताने  का  उपयोग,  साबुन  से  हाथों  को  बार - बार  धोना, सामाजिक  अनुमति  इत्यादि  बनाए  रखना  सभी  अनुमत  व्यक्तियों  द्वारा  पालन  किया  जाएगा।


 *६* ). सरन  आश्रम  अस्पताल  में  डॉक्टरों / पैरामेडिक  स्टाफ / अन्य  को  उचित  देखभाल  और  सुरक्षा  करनी  चाहिए।  कोविड़ - १९  (कोरोना  वायरस)  और  अस्पताल  परिसर  के  खिलाफ  नियमित  रूप  से  सफाई  की  जानी  चाहिए। डॉ. एस. के.  सत्संगी,  चिकित्सा  अधिकारी  प्रभारी,  सरन  आश्रम  अस्पताल  सख्ती  से  पालन  करेगा।

कोविड़  - १९  से  संबंधित  निवारक  और  अन्य  जरूरतों  के  लिए  सभी  रीजन  को  निर्देश  प्रसारित  किए  गए  हैं।


 *७* ). दयालबाग  निवासियों / अन्य  को  दयाल  भंडार  से  प्रीतिभोज  वितरित  नहीं  किया  जाएगा। होली  वाले  दिन  को  छोड़कर  जो  नियमित  रूप  से  दयाल  भंडार  से  भोजन  लेते  हैं।  दयाल  भण्डार  और  अन्य  लोगों  के  नियमित  डिनर  में  प्रीतिभोज  को  उनके  घरों  में  खाना  पकाने  की  सलाह  दी  जाती  है।

__________________________________


*होली  प्रोग्राम -* 


 *२८ - ०३ - २०२१ (रविवार)* 


 *सुबह  का  सतसंग*  ३.४५  बजे


 *अनुमोदित  समूह  द्वारा  पाठ* सुबह  खेतों  में


 *शाम  का  सतसंग*  ३.४५  बजे

__________________________________


*२९ - ०३ - २०२१ (सोमवार)* 

*होली वाले  दिन  का  प्रोग्राम* 


 *आरती  व  खेतों  का  काम  एवं अनुमोदित  समूह  द्वारा  पाठ* -  सुबह  ३.४५  बजे


 *पावन  समृतालय (पावन  कक्ष  व  अन्य  कक्ष)*  - उपदेश  प्राप्त  बहनों  के लिए  सुबह  ८  बजे  से ९.३०  बजे  तक

उपदेश  प्राप्त  भाईसाहबान  के  लिए  सुबह  ९.३०  बजे  से  ११  बजे  तक।


*स्पेशल  सतसंग  व  प्रीतिभोज* 

 *होली  फैमिली  द्वारा  पाठ* 

 *दयालबाग  के*  

 *बच्चो  का  पाठ* 

 *भाईसाहबान का पाठ* 

 *बहनों का पाठ* 

- ग्रेसियस  निर्देशो  द्वारा


 *शाम  का  सतसंग  व  खेतों  का  काम*  ३.४५  बजे


 *२९ मार्च, २०२१  को  होली  का  कार्यक्रम  निर्धारित  मानदंडों  के  अनुसार  प्रसारित  किया  जाएगा।  इसमें 'आरती'  और  'प्रीतिभोज'  शामिल  होंगे।* 


*राधास्वामी*

चिंता से चिंता मिटै...

 🙏🌹चिंता ब्यापी रहै ,भांति भांति कीमन भ्रान्ति ।



 चिंता ब्यापी रहै ,भांति भांति कीमन भ्रान्ति ।

यह होगा , वह होगा,उथल पुथल अशान्ति ।

उथल पुथल अशान्ति , कभी बच्चो की चिन्ता ।

कभी बुढापा और भबिष्य ,कभि काया की चिन्ता

मन तू है रे बावरा , बुनता ताना बाना ।

अन्त नाहि उस जाल का , फंसै उसी ठिकाना ।

निकलन का नहि राह , मूढ मन फिर फछताना ।

भज मन सीताराम ,सकल बिपत्ति निदाना ।

सब कुछ उन पर डारि दे , करम सहित परिणाम ।

फिर निश्चिन्त हो भाव से ,भज मन सीताराम ।

फिर नहि चिंता काहु की , शरण भरोशा राम ।

उथल पुथल सब शान्त हो , राम राम बिश्राम ।

महामंत्र इस जगत मे ,सुमिरन जय श्रीराम ।

राम राम श्रीराम जय , या फिर राधेश्याम ।

  चिंता से चिंता मिटै,जय श्रीसीताराम ।।

🙏

ऊँश्रीहरिनामशरणम्

🙏🌹

शनिवार, 30 जनवरी 2021

माघ कथा

 माह की कथ


🌊 प्राचीन काल में नर्मदा तट पर शुभव्रत नामक

ब्राह्मण निवास करते थे। वे सभी वेद शास्त्रों के अच्छे

ज्ञाता थे। किंतु उनका स्वभाव धन संग्रह करने का

अधिक था।

🌊 उन्होंने धन तो बहुत एकत्रित किया।

वृद्घावस्था के दौरान उन्हें अनेक रोगों ने घेर लिया।

तब उन्हें ज्ञान हुआ कि मैंने पूरा जीवन धन कमाने में

लगा दिया अब परलोक सुधारना चाहिए। वह

परलोक सुधारने के लिए चिंतातुर हो गए।

🌊 अचानक उन्हें एक श्लोक याद आया जिसमें

माघ मास के स्नान की विशेषता बताई गई थी।

उन्होंने माघ स्नान का संकल्प लिया और माघे

निमग्ना: सलिले सुशीते विमुक्तपापास्त्रिदिवं

प्रयान्ति।

🌊 इसी श्लोक के आधार पर नर्मदा में स्नान करने

लगे। नौ दिनों तक प्रात: नर्मदा में जल स्नान किया

और दसवें दिन स्नान के बाद उन्होंने अपना शरीर

त्याग दिया।

🌊 शुभव्रत ने जीवन भर कोई अच्छा कार्य नहीं

किया था लेकिन माघ मास में स्नान करके

पश्चाताप करने से उनका मन निर्मल हो गया। माघ

मास के स्नान करने से उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति हुई। इस

तरह जीवन के अंतिम क्षणों में उनका कल्याण हो

गया।

क्या होता है कल्पवास

🌊 प्रयाग में हर वर्ष लगने वाले इस मेले को

कल्पवास भी कहा जाता है। वेद, मंत्र व यज्ञ आदि

कर्म ही कल्प कहे जाते है। पुराणों में माघ मास के

समय संगम के तट पर निवास को ही कल्पवास कहा

जाता है। संयम,अहिंसा व श्रद्धा ही कल्पवास का

मूल आधार होता है। यदि सकामभाव से माघ स्नान

किया जाय तो उससे मनोवांछित फल की सिद्धि

होती है और निष्काम भाव से स्नान आदि करने पर

वह मोक्ष देने वाला होता है ऐसा शास्त्रों में कहा

गया है

🌊 शास्त्रों में माघ माह के स्नान, दान, उपवास

और माधव पूजा का महत्व बताते हुए कहा गया है कि

इन दिनों में प्रयागराज में अनेक तीर्थों का समागम

होता है इसलिए जो प्रयाग या गंगा आदि अन्य

पवित्र नदियों में भी भक्तिभाव से स्नान करते है वह

तमाम पापों से मुक्त होकर स्वर्गलोक के अधिकारी

हो जाते है।

🌊 इस माह के महत्व पर तुलसीदास जी ने श्री

रामचरित्र मानस के बालखण्ड में लिखा है-माघ मकर

गति रवि जब होई, तीरथपतिहिं आव सब कोई !!

अर्थात माघ मास में जब सूर्य मकर राशि में आते हैं तब

सब लोग तीर्थों के राजा प्रयाग के पावन संगम तट

पर आते हैं देवता, दैत्य, किन्नर और मनुष्यों के समूह सब

आदरपूर्वक त्रिवेणी में स्नान करते हैं। वैसे तो प्राणी

इस माह में किसी भी तीर्थ, नदी और समुद्र में स्नान

कर दान -पुण्य करके कष्टों से मुक्ति पा सकता है

लेकिन प्रयागराज संगम में स्नान का फल मोक्ष देने

वाला है।

🌊 धर्मराज युधिष्ठिर ने महाभारत युद्ध के दौरान

मारे गए अपने रिश्तेदारों को सदगति दिलाने हेतु

मार्कण्डेय ऋषि के कहने पर कल्पवास किया था।

गौतमऋषि द्वारा शापित इंद्रदेव को भी माघ

स्नान के कारण श्राप से मुक्ति मिली थी। माघ के

धार्मिक अनुष्ठान के फलस्वरूप प्रतिष्ठानपुरी के

नरेश पुरुरवा को अपनी कुरूपता से मुक्ति मिली थी।

🌊 माघ मास में जो पवित्र नदियों में स्नान करता

है उसे एक विशेष प्रकार की सकारात्मक ऊर्जा

प्राप्त होती है, जिससे उसका शरीर निरोगी और

आध्यात्मिक शक्ति से संपन्न हो जाता है। माघ

स्नान से शरीर के पाप जलकर भस्म हो जाते है एवं इस

मास में पूजन-अर्चन व स्नान करने से भगवान नारायण

को प्राप्त किया जा सकता है। स्कन्द पुराण के

अनुसार इस मास में शीतल जल में डुबकी लगाने से

मनुष्य पाप मुक्त होकर स्वर्ग चले जाते है।

माघ माह के व्रत-त्यौहार


🌊 माघ माह के दौरान कृष्ण पक्ष में सकट चौथ

(गणेश चतुर्थी व्रत )षटतिला एकादशी,मौनी

अमावस्या आती है तो शुक्ल पक्ष में वरदतिलकुन्द-

विनायक चतुर्थी,वसंत पंचमी,शीतला षष्ठी,रथ-

अचला सप्तमी,जया एकादशी व्रत और माघी

पूर्णिमा जैसे पर्व आते है। मकर संक्रांति से ही देवों के

दिन शुरू होते है,उत्तरायण शुरू होता है। गंगापुत्र

भीष्म ने अपनी देह का त्याग उत्तरायण में किया

था।

सूर्य उपासना और दान-पुण्य

🌊 पदम् पुराण के अनुसार सभी पापों से मुक्ति और

भगवान जगदीश्वर की कृपा प्राप्त करने के लिए

प्रत्येक मनुष्य को माघ स्नान कर सूर्य मंत्र का

उच्चारण करते हुए सूर्य को अर्घ्य अवश्य प्रदान करना

चाहिए।भविष्य पुराण के अनुसार सूर्यनारायण का

पूजन करने वाला व्यक्ति प्रज्ञा, मेधा तथा सभी

समृद्धियों से संपन्न होता हुआ चिरंजीवी होता है।

🌊 यदि कोई व्यक्ति सूर्य की मानसिक आराधना

भी करता है तो वह समस्त व्याधियों से रहित होकर

सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करता है। व्यक्ति को अपने

कल्याण के लिए सूर्यदेव की पूजा अवश्य करनी

चाहिए। इस मास में तिल,गुड़ और कंबल के दान का

विशेष महत्त्व माना गया है। ऊनी वस्त्र, रजाई,जूता

एवं जो भी शीतनिवारक वस्तुएँ हैं उनका दान कर

माधवः प्रीयताम यह वाक्य कहना चाहिए।

शुक्रवार, 29 जनवरी 2021

धार्मिक लोक कथाएं

🙏 धार्मिक प्रसंग 


🌷माघ मास की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी (सकट चौथ) कहा जाता है। इस दिन महिलायें व्रत रखती हैं। इस दिन माताएं अपने पुत्र की सलामती के लिए व्रत रखती हैं। इस बार संकष्टी चतुर्थी 31 जनवरी को होगी। इस दिन तिलकूट का प्रसाद बनाकर भगवान गणेश जी को भोग लगाया जाता है। इस दिन तिल के लड्डू भी प्रसाद में बनाए जाते है ! सकट चतुर्थी का शुभ मुहूर्त और पूजन कैसे करे आये जानते हैं विस्तार से....

*कैसे होती है संकष्टी चतुर्थी पूजा*

🌷इस दिन माताएं गणेश जी की पूजा कर भगवान को भोग लगाकर कथा सुनती हैं। शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही गणेश जी का व्रत संपन्न होता है। इस दिन कई जगह तिलकूट का पहाड़ बनाकर उसको भी काटे जाने की परंपरा है। सकट चौथ के दिन गणेश जी के संकटमोचन स्तोत्र का पाठ करना अच्छा माना जाता है। सकट चौथ के दिन भगवान गणेश के साथ चंद्रदेव की पूजा भी की जाती है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। रात में चंद्रमा देखने पर अर्घ्य देती हैं और पूजा करती हैं। इस दौरान छोटा सा हवन कुंड तैयार किया जाता है। हवन कुंड की परिक्रमा करके महिलाएं चंद्रदेव के दर्शन करती हैं और अपने बच्चों के लिए आशीर्वाद मांगती हैं।

*विशेष पूजा-*

गणेश मंत्र का जप करते हुए 21 दूर्वा गणेश जी को अर्पित करनी चाहिए ओर यह मंत्र का जाप करते रहना चाहिए *"ॐ गं गणपतये नमः"* साथ ही भगवान गणेश जी को बूंदी ओर तिल के लड्डूओं का भोग लगाना चाहिए। तिल तथा गुड़ से बने हुए लड्डू तथा ईख, शकरकंद, गुड़ और घी अर्पित करने की महिमा है इस दिन चंद्र उदय रात में 8 बजकर 35 मिनिट 


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राजा जनक को आत्म ज्ञान की प्राप्ति


मिथिला नामक देश में एक महाप्रतापी राजा हुए । उनका नाम महाराज जनक था । महाराज जनक को आत्मज्ञान के बारे में बहुत जिज्ञासा थी । और इस पर चर्चा के लिए उनके दरबार में हमेशा विद्वानों की महफ़िल बनी रहती थी ।


 पर राजा जनक को जिस आत्मज्ञान की तलाश थी । उसके बारे में कोई विद्वान उन्हें संतुष्ट नहीं कर पाता था । उन्हीं दिनों की बात है राजा जनक ने एक रात में सोते हुए एक सपना देखा कि वो अपने बहुत सारी सेना के साथ जंगल में शिकार खेलने के लिए गए हुए हैं । 


एक जंगली सूअर का पीछा करते करते राजा जनक बहुत दूर तक निकल गए । उनकी सारी सेना पीछे छूट गयी । और वह सूअर घने जंगल में बहुत दूर जाकर अदृश्य हो गया । राजा जनक थककर चूर हो चूका थे । उनकी पूरी सेना का कोई पता नहीं था । अब राजा को बहुत तेज भूख प्यास लगने लगी थी । 


बेचैन होकर राजा ने इधर उधर नजर दौड़ाई । तो कुछ ही दूर पर उन्हें एक झोपड़ी नजर आई । जिसमें से धुआं उठ रहा था । राजा ने सोचा कि वहां कुछ खाने पीने के लिए मिल जायेगा । वो झोपड़ी में गये । तो देखा कि झोपड़ी के अन्दर एक बुढ़िया औरत बैठी हुई थी । राजा ने कहा ।


 मैं एक राजा हूँ । और मुझे खाने की लिए कुछ दो । मैं बहुत भूखा हूँ । बुढिया ने कहा कि इस समय खाने के लिए कुछ नहीं है । और मुझसे काम नहीं होता । लेकिन यदि तुम चाहो तो वहां थोड़े से चावल रखे है । तुम उनको पकाकर खा सकते हो ।


 राजा ने सोचा । इस समय इसके अतिरिक्त और कोई उपाय भी तो नहीं है । राजा ने बड़ी मुश्किल से चूल्हा जलाकर किसी तरह भात को पकाया । फिर जैसे ही राजा एक केले के पत्ते पर रखकर उस भात को खाने लगा । तभी तेजी से दौड़ता हुआ एक सांड आया । 


और पूरे भात पर धूल गिर गई । उसी समय राजा की आँख खुल गई । और वो राजा आश्चर्यचकित होकर चारों और देखने लगा । उसके मन में ख्याल आया कि मैंने एक राजा होकर इस तरह का स्वप्न क्यों देखा ?? यही सोचते हुए राजा को पूरी रात नींद नहीं आई ।

दूसरी सुबह राजा ने दो सिंहासन बनवाये और एक एलान अपने राज्य में कर दिया कि मेरे दो प्रश्न हैं । जो कोई मेरे पहले प्रश्न का जवाब देगा । उसे मैं अपना आधा राज्य दूंगा । और यदि नहीं दे पाया । तो बदले में आजीवन कारावास मिलेगा ।


 तथा जो मेरे दूसरे प्रश्न का उत्तर देगा । उसे मैं पूरा राज्य दूंगा । और यदि नहीं दे पाया तो उसे फांसी की सजा होगी । राजा ने ये दोनों सजाएँ इसलिए तय कर दी थी कि वही लोग उसका उत्तर देने आये जिनको वास्तविक ज्ञान हो । ऐसा न करने पर फालतू लोगों की काफी भीड़ हो सकती थी ।


.. आगे की कहानी जानने से पहले हमें महान संत अष्टावक्र के बारे में जानना होगा । अष्टावक्र जी उन दिनों मां के गर्भ में थे । और संत होने के कारण उन्हें गर्भ में भी ज्ञान था । एक दिन की बात है । जब अष्टावक्र के पिता शास्त्रों का अध्ययन कर रहे थे ।


 अष्टावक्र ने कहा । पिताजी । जिस परमात्मा को तुम खोज रहे हो । वो शास्त्रों में नहीं है । अष्टावक्र के पिता शास्त्रों के ज्ञाता थे । उन्हें अपने गर्भ स्थिति पुत्र की बात सुनकर बहुत क्रोध आया । उन्होंने कहा । तू मुझ जैसे ज्ञानी से ऐसी बात कहता है । जा मैं तुझे शाप देता हूँ कि तू आठ जगह से टेढा पैदा होगा । इस तरह ज्ञानी अष्टावक्र विकृत शरीर के साथ पैदा हुए थे ।


 उधर क्या हुआ कि अष्टावक्र के पिता को धन की कमी हो गई । तो वे राजा जनक के आधे राज्य के इनाम वाला उत्तर देने चले गए । और उत्तर ठीक से नहीं दे पाए । अतः आजीवन कारावास में डाल दिए गए । इस तरह 12 साल गुजर गए । अष्टावक्र अब 12 साल की आयु के हो गए थे ।


 और लगभग विकलांग जैसे थे । एक दिन जब अष्टावक्र अपने साथियों के साथ खेल रहे थे । सब अपने अपने पिता के बारे में बात करने लगे । तो अष्टावक्र भी करने लगे । अब क्योंकि बच्चों ने उनके पिता को जेल मैं पड़े होने के कारण कभी देखा नहीं था । इसलिए सब बच्चों ने उन्हें झिड़क दिया कि झूठ बोलता है । तेरा पिता तो कोई है ही नहीं । हमने उन्हें कभी नहीं देखा

अष्टावक्र जी अपनी माँ के पास आये । और बोले कि माँ आज तुम्हे बताना ही होगा कि मेरे पिता कहाँ गए हैं ?? वास्तव में जब भी बालक अष्टावक्र अपने पिता के बारे में पूछता । 


तो उसकी माँ जवाव देती कि वे धन कमाने बाहर गए हुए है । आज अष्टावक्र जी जिद पकड़ गए कि उन्हें सच बताना ही होगा कि उनके पिता कहाँ हैं ?? तब हारकर उनकी माँ ने उन्हें बताया कि वे राजा जनक की जेल में पड़े हुए है । बालक अष्टावक्र ने कहा कि वे अपने पिता को छुडाने जायेंगे ।


 और राजा के दोनों प्रश्नों का जवाव भी देंगे । उनकी माँ ने बहुत कहा कि यदि राजा ने तुझे भी जेल में डाल दिया । तो फिर मेरा कोई सहारा नहीं रहेगा । लेकिन अष्टावक्र जी ने उनकी एक न सुनी । और वे कुछ बालकों के साथ राजा जनक के महल के सामने पहुँच गए । एक बालक को महल की तरफ घुसते हुए देखकर दरबान ने उन्हें झिड़का । ऐ बालक कहाँ जाता है ?? वक्र जी बोले । मैं राजा जनक के प्रश्नों का उत्तर देने आया हूँ । मुझे अन्दर जाने दो ।


 दरबान ने बालक जानकर उन्हें रोकने की बहुत कोशिश की । तब अष्टावक्र ने कहा कि वो राजा से उसकी शिकायत करेंगे । क्योंकि राजा ने ये घोषणा कराइ है कि कोई भी उनके प्रश्नों का उत्तर दे सकता है । ये सुनकर दरबान डर गया । वो समझ गया कि ये बालक तेज है । 


यदि इसने मेरी शिकायत कर दी । तो राजा मुझे दंड दे सकता है । क्योंकि ये बालक सच कह रहा है । उसने अष्टावक्र को अन्दर जाने दिया । अन्दर राजा की सभा जमी हुई थी । अष्टावक्र जी जाकर सीधे उस सिंहासन पर बैठ गए । जिस पर बैठने बाले को राजा के दुसरे प्रश्न का जवाव देना था । और इनाम में पूरा राज्य मिलता । 


तथा जवाव न दे पाने की दशा में उन्हें फांसी की सजा मिलती । एक विकलांग बालक को ऐसा करते देखकर सब आश्चर्यचकित रह गए । और फिर पूरी सभा जोर जोर से हंसी । उनके चुप हो जाने के बाद अष्टावक्र जोर से हँसे । राजा जनक ने कहा कि सभा के विद्वान क्यों हँसे ? ये तो मेरी समझ में आया । पर तुम क्यों हँसे ? ये मेरी समझ में नहीं आया ।


अष्टावक्र ने कहा । राजा मैं इसलिए हंसा कि मैंने सुना था कि आपके यहाँ विद्वानों की सभा होती है, पर मुझे तो इनमें एक भी विद्वान नजर नहीं आ रहा । ये सब तो चमड़े की पारख करने वाले चर्मकार मालूम होतें हैं । अष्टावक्र के ये कहते ही राजा जनक समझ गए कि ये बालक कोई साधारण बालक नहीं हैं । लेकिन अष्टावक्र के द्वारा विद्वानों को चर्मकार कहते ही सभा में मौजूद विद्वान भड़क उठे । उन्होंने कहा ।


 ये चपल बालक हमारा अपमान करता है । अष्टावक्र ने कहा । मैं किसी का अपमान नहीं करता । पर आप लोगों को मेरा विकलांग शरीर दिखाई देता है । विकलांग शरीर होने से क्या इसमें विराजमान आत्मा भी विकलांग हो गयी । क्या किसी भी ज्ञान का शरीर से कोई सम्बन्ध है ? उनकी ये बात सुनकर पूरी सभा में सन्नाटा हो गया । राजा जनक ने उनकी बात का समर्थन किया । राजा जनक समझ गए कि बालक के रूप में ये कोई महान ज्ञानी आया है । ये बोध होते ही जनक अपने सिंहासन से उठकर कायदे से अष्टावक्र के पास पहुंचे । 


और उन्हें दंडवत प्रणाम किया । अष्टावक्र बोले । पूछो क्या पूछना है ?? जनक ने अपना पहला प्रश्न किया । उन्होंने अपने सूअर के शिकार वाला स्वप्न सुनाया । और कहा कि स्वप्न व्यक्ति की दशा और सोच पर आधारित होते हैं । कहाँ मैं एक चक्रवर्ती राजा । और कहाँ वो दीनदशा दर्शाता मेरा स्वप्न ? जिसमें मैं लाचारों की तरह परेशान था । इनमें क्या सच है ? एक चक्रवर्ती राजा या वो स्वप्न .. ? अष्टावक्र हंसकर बोले । न ये सच है । न वो स्वप्न सच था । 


वो स्वप्न 15 मिनट का था । और जो ये तू राजा है । ये स्वप्न 100 या 125 साल का है । इन दोनों में कोई सच्चाई नहीं है । वो भी सपना था । ये जो तू राजा है । ये भी एक सपना ही है । क्योंकि तेरे मरते ही ये सपना भी टूट जायेगा.. ?? इस उत्तर से पूरी सभा दंग रह गई । इस उत्तर ने सीधे राजा की आत्मा को हिला दिया । और वे संतुष्ट हो गए । आधा राज्य अष्टावक्र जी को दे दिया गया । पर क्योंकि अष्टावक्र जी पूरे राज्य के इनाम वाली कुर्सी पर बैठे थे । 


इसलिए बोले बताओ । राजन तुम्हारा दूसरा प्रश्न क्या है

?? जनक ने कहा । मैंने शास्त्रों में पढा है । और बहुतों से सुना है कि यदि कोई सच्चा संत मिल जाय । तो परमात्मा का ज्ञान इतनी देर में हो जाता है । जितना घोड़े की एक रकाब से दूसरी रकाब में पैर रखने में समय लगता है । अष्टावक्र बोले । बिलकुल सही सुना है । राजा बोले ठीक है । फिर मुझे इतने समय में परमात्मा का अनुभव कराओ । अष्टावक्र जी बोले । 


राजन तैयार हो जाओ । लेकिन इसके बदले में मुझे क्या दोगे ? जनक बोले- मेरा सारा राज्य आपका । अष्टावक्र जी बोले । राज्य तो तुझे भगवान का दिया है । इसमें तेरा क्या है ? जनक बोले- मेरा ये शरीर भी आपका । अष्टावक्र जी बोले । तूने तन तो मुझे दे दिया । लेकिन तेरा मन अपनी चलाएगा । तब जनक बोले- मेरा ये मन भी आपका हुआ । अष्टावक्र जी बोले – देख राजन, तुम मुझे अपना तन मन धन सब दे चुके हो अब मैं इसका मालिक हूँ, तुम नहीं | तो मैं हुक्म करता हूँ कि तुम सबके जूतों में जाकर बैठ जाओ | यह बात सुनकर दरबार में सन्नाटा छा गया | मगर राजा जनक समझदार थे जरा भी नहीं झुंझलाये | और जूतियों में जाकर बैठ गये | अष्टावक्र ने ऐसा इस लिए किया कि राजा से लोक-लाज छुट जाये | लोक- लाज रूकावट है बड़े-बड़े लोग यहाँ आकर रुक जाते है |


फिर अष्टावक्र ने कहा कि यह धन मेरे है मेरे धन में मन न लगाना | राजा का ध्यान बार-बार अपने राज,धन की और जाता और वापस आ जाता कि नहीं यह तो अब अष्टावक्र जी का हो चूका है | मन की आदत है, वह बेकार और चुप नहीं बैठता, कुछ न कुछ सोचता ही रहता है | राजा के मन का यह खेल अष्टावक्र देख रहे थे | आखिर राजा आँखे बंद करके बैठ गया कि मैं बाहर न देखूं,न मेरा मन वैभवो में भागे | अष्टावक्र जी यही चाहते थे उन्होंने राजा जनक से कहा तुम कहाँ हो | राजा जनक बोले मैं यहाँ हूँ | इस पर अष्टावक्र बोले- तुम मुझे मन भी दे चुके हो, खबरदार जो उसमे कोई ख्याल भी उठाया तो | राजा जनक समझदार थे समझ गये कि अब मेरे अपने मन पर भी मेरा कोई अधिकार नहीं है | समझने की देर थी कि मन रुक गया | जब ख्याल बंद हुआ तो अष्टावक्र ने अपनी अनुग्रह दृष्टी दे दी | रूह अंदर की यात्रा पर चल पड़ी रूहानी मंजिल की सैर करने | 


राजा को अंतर का आनंद होने लगा | घंटे भर पश्चात राजा जनक को अष्टावक्र ने आवाज दी | राजा ने अपनी आंखे खोली तो अष्टावक्र ने पुछा – क्या तुम्हे ज्ञान हो गया | राजा जनक ने जवाब दिया - हाँ हो गया | तब अष्टावक्र ने कहा मैं तुम्हे तन,मन,धन वापिस देता हूँ इसे अपना न समझना | अब तुम राज्य भी करो और आत्म ज्ञान का आनंद लो | इस तरह अष्टावक्र ने एक सेकंड में मुक्ति और जीवनमुक्ति पाने की विधि बताई और ज्ञान दिया | राजा जनक ने अष्टावक्र जी के पिता और सभी कैदियों को रिहा करवा दिया । राजा जनक ने उन्हे गुरु का स्थान दिया ।


धार्मिक प्रसंग


और आत्मज्ञान प्राप्त किया


आध्यात्मिक भाव.......

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जीवनमुक्त स्तिथि माना जीते जी सब आकर्षण, बंधन, वैभवो के प्रभाव ससे मुक्त रहना | इसका मतलब यह नहीं कि सब कुछ छोडकर सभी से दूर रहना परन्तु सबके बीच रहते हुए, सभी जिम्मेवारियों को निभाते हुए भी किसे भी बंधन में नहीं फँसना सुख और दुख: के बंधन में भी नहीं फँसना – यही सच्ची जीवनमुक्त स्तिथि ह

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पवन वेग हनुमान बलवान

 🙏#हनुमानजी की उड़ने की गति कितनी थी ?

प्रस्तुति : कृष्ण मेहता


#जानिए हनुमानजी की उड़ने की गति कितनी रही होगी उसका अंदाजा आप लगा सकते हैं की रात्रि को 9:00 बजे से लेकर 12:00 बजे तक #लक्ष्मण जी एवं #मेघनाद का युद्ध हुआ था। मेघनाद द्वारा चलाए गए बाण से#लक्ष्मण जी को शक्ति लगी थी लगभग रात को 12:00 बजे के करीब  और वो #मूर्छित हो गए थे।


#रामजी को लक्ष्मण जी मूर्छा की जानकारी मिलना फिर दुखी होने के बाद चर्चा जे उपरांत हनुमान जी & विभीषणजी के कहने से #सुषेण वैद्य को #लंका से लेकर आए होंगे 1 घंटे में अर्थात 1:00 बजे के करीबन।


सुषेण वैद्य ने जांच करके बताया होगा कि #हिमालय के पास #द्रोणागिरी पर्वत पर यह चार #औषधियां मिलेगी जिन्हें उन्हें #सूर्योदय से पूर्व 5:00 बजे से पहले लेकर आना था ।इसके लिए #रात्रि को 1:30 बजे हनुमान जी हिमालय के लिए रवाना हुए होंगे।


हनुमानजी को ढाई हजार किलोमीटर दूर हिमालय के द्रोणगिरि पर्वत से उस औषधि को लेकर आने के लिए  3:30 घंटे का समय मिला था। इसमें भी उनका आधे घंटे का समय औषधि खोजने में लगा होगा ।आधे घंटे का समय #कालनेमि नामक राक्षस ने जो उनको भ्रमित किया उसमें लगा होगा एवं आधे घंटे का समय #भरत जी के द्वारा उनको नीचे गिराने में तथा वापस भेजने देने में लगा होगा।अर्थात आने जाने के लिये मात्र दो घण्टे का समय मिला था।


मात्र  दो  घंटे में हनुमान जी द्रोणगिरी पर्वत हिमालय पर जाकर वापस 5000 किलोमीटर की यात्रा करके आये थे, अर्थात उनकी गति ढाई हजार किलोमीटर प्रति घंटा रही होगी।


आज का नवीनतम #मिराज #वायुयान  की गति 2400 किलोमीटर प्रति घंटा है ,तो हनुमान जी महाराज उससे भी तीव्र गति से जाकर मार्ग के तीन-तीन अवरोधों को दूर करके वापस सूर्योदय से पहले आए ।यह उनकी विलक्षण #शक्तियों के कारण संभव हुआ था।

बोलिए हनुमान जी महाराज की जय

#पवनसुत हनुमान की जय 

#सियावर रामचंद्र जी की जय🙏

🙏🙏

ठगो का वीआईपी वकील /आलोक तोमर

 अभिषेक मनु सिंघवी बहुत बड़े वकील है।


इतने बड़े कि उनके ग्राहकाें में लॉटरी किंग और फर्जी सांसद होने का आरोप झेलने वाले मणि कुमार सुब्बा भी हैं और भूटान को अपनी लॉटरी से लूट लेने वाले और आयकर

विभाग को 19 करोड़ रुपए का सिर्फ जुर्माना भरने वाले केरल के सांटियागो मार्टिन भी

हैं। 


 


दरअसल भूटान के इतिहास का यह सबसे बड़ा आर्थिक घोटाला बन गया

है और भारत पर राज कर रही पार्टी कांग्रेस के महासचिव और प्रवक्ता अभिषेक मनु

सिंघवी अपराधी सुब्बा के साथ अंतर्राष्ट्रीय अपराधी सांटियागो मार्टिन के वकील भी

है। 


 


अभिषेक मनु सिंघवी के बारे में बहुत लोग जानते हैं। फिल्म बीस

साल बाद का गाना - जरा नजरो से कह दो कि निशाना चूक न जाए, अभिषेक का प्रिय गीत है

और बड़े लोगों के मामले लड़ने में वे निशाना चूकते भी नहीं है। मगर सांटियागो

मार्टिन आपके लिए जरूर नया नाम होगा। भूटान सरकार ने भारत सरकार से शिकायत की है

कि देश पर राज कर रही कांग्रेस के नेता उनके अपराधी को बचा रहे हैं। भूटान लॉटरी

के करोड़ों रुपए वह हजम कर गया है। 


 


एक जमाने में केरल के पलक्कड़ में एक छोटी सी लॉटरी की दुकान

चलाने वाले मार्टिन के अब तमिलनाडु के कोयंबटूर में साम्राज्य है। वह गोल्फ से ले

कर अंतर्राष्ट्रीय कार कंपनी हुडई के साथ कई बड़े समारोह प्रायोजित करता है। खास

तौर पर उत्तर पूर्वी राज्यों के मुख्य सचिव उसके खर्चे पर विदेश घूम चुके हैं।

दक्षिण भारत का होने के बावजूद मार्टिन अच्छी हिंदी बोलता है मगर ताज होटल समूह से

उसके लिए हर होटल में हमेशा एक कमरा रिजर्व रखने का आजीवन अनुबंध है। 


 


भूटान में मार्टिन को राजपरिवार का दोस्त और बहुत बड़ा आदमी

माना जाता है। वहां के मंत्री उससे मिलने के लिए लाइन लगाते हैं। 2007 में उसने

भूटान लॉटरी का कैलेंडर जीता था और 2010 में उसने लॉटरी के कमीशन की सारी शर्तें

अपने और अपनी कंपनी के हित में भी करवा ली। 


 


जब भूटान के लोग पैसा वसूलने कोयंबटूर गए तो देख कर हैरान रह

गए कि आम तौर पर थिंपू की सड़कों पर यों ही खड़े हो कर घूमने वाला मार्टिन कोयंबटूर

में बॉडी गार्ड रखता है, सबसे महंगी कारों मे चलता है, उसके ऑफिस के कमरे में 12

फैक्स मशीने लगी हुई है और लाइसेंस की सीमा के बाहर भारत के कई प्रदेशों में गैर

कानूनी ढंग से वह महंगे दाम पर लॉटरी टिकट बेचता है और विजेता को मिलने वाली रकम

का आधा हिस्सा खुद ले लेता है। 


 


ऐसे प्रतिभाशाली अपराधी के वकील हैं अभिषेक मनु सिंघवी। वे

जैसा कि पहले बताया, मणि कुमार सुब्बा के भी वकील हैं। यूनियन कार्बाइड को खरीदने

वाली डाउ केमिकल की तरफ से वकील बन पहले ही विवादों में घिरे कांग्रेस प्रवक्ता

अभिषेक मनु सिंघवी इस दफा बड़े झमेले में फंस गए हैं। केरल में लॉटरी माफिया की तरफ

से मुकदमा लड़ने को लेकर वह अब नए विवाद के केंद्र में हैं। हालांकि, उन्होंने इस

मुकदमे की पैरवी से अपना नाम वापस ले लिया है, फिर भी विवाद तूल पकड़ चुका है और

मामला पार्टी आलाकमान तक पहुंच गया है। 


 


कांग्रेस महासचिव और मीडिया विभाग के प्रभारी जनार्दन

द्विवेदी ने सोमवार को खुद इसके संकेत दिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हाईकमान ने

इसको गंभीरता से लिया है। मामला उनके समक्ष विचाराधीन है। केरल में संचालित भूटान

लॉटरी की तरफ से वहां के हाई कोर्ट में मुकदमा लड़ रहे सिंघवी का नाम राज्य के

सत्तााधारी दल माकपा ने सीधे कांग्रेस हाई कमान से जोड़ दिया। केरल के वित्ता

मंत्री थॉमस इसाक और गृह मंत्री कोदियारी बालाकृष्णन ने आरोप लगाया है कि सिंघवी

लॉटरी माफिया के लिए कांग्रेस आलाकमान की अनुमति से मुकदमा लड़ रहे हैं। इसाक ने तो

केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम के भी लॉटरी टाइकून कहे

जाने वाले सेंटियागो मार्टिन की तरफ से हाई कोर्ट में खड़े होने का आरोप लगाया। 


 


माकपा की तरफ से इसे मुद्दा बनाए जाने से केरल कांग्रेस की

स्थिति बड़ी विकट हो गई। राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष रमेश चेन्निथला ने पार्टी

आलाकमान के समक्ष यह मुद्दा उठाया। साथ ही औपचारिक रूप से सिंघवी के मुकदमा लड़ने

पर असहमति भी जताई। विवाद बढ़ता देख कांग्रेस प्रवक्ता ने तत्काल इस मुकदमे से अपना

नाम वापस ले लिया, लेकिन तब तक मामला कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के समक्ष

पहुंच चुका था। 


 


कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने इसकी पुष्टि कर सिंघवी

के लिए मुसीबतें बढ़ा दी हैं। इससे पहले डाउ केमिकल की तरफ से सिंघवी के मुकदमा

लड़ने का विवाद भी बमुश्किल शांत हो पाया था। डाउ केमिकल वर्तमान में यूनियन

कार्बाइड ख्भोपाल त्रासदी के लिए जिम्मेदार कंपनी, की मालिक है।


उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि कांग्रेस के पूर्व सांसद

मणि कुमार सुब्बा की राष्ट्रीयता को लेकर गंभीर संदेह हैं और उन पर अभियोजन की

कार्रवाई का फैसला न्यायालय ने सीबीआई के जिम्मे छोड़ दिया है।


सीबीआई ने अपनी जांच में पाया था कि सुब्बा ने फर्जी तरीके से

अपना पासपोर्ट बनवाया था। प्रधान न्यायाधीश के जी बालकृष्णन की अध्यक्षता वाली पीठ

ने कहा कि अब इस संबंध में उचित कार्रवाई का फैसला सीबीआई को करना है। पीठ के अन्य

दो सदस्य न्यायमूर्ति तरुण चटर्जी और न्यायमूर्ति दीपक वर्मा भी हैं।


 


बालकृष्णन ने कहा कि सुब्बा की पहचान के संबंध में गंभीर

संदेह है। मैंने सीबीआई की पूरी रिपोर्ट देखी है। प्रधान न्यायाधीश ने सुब्बा के

वकील अभिषेक मनु सिंघवी की दलील पर यह टिप्पणी की। सिंघवी ने कहा था कि सुब्बा कभी

नेपाल में हत्या आरोपी नहीं रहे, जैसा कि काठमांडो से अधिकारियों से प्राप्त

रिपोर्ट में साबित करने की कोशिश की गई है।


 


सुब्बा की नागरिकता के बारे संदेह व्यक्त किए जा रहे हैं,

क्योंकि एजेंसी ने उच्चतम न्यायालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि फर्जी

तरीके से उन्होंने अपना जन्म प्रमाण पत्र हासिल किया था।

प्रतिदिन/आलोक तोमर

 राजन पिल्लई की ''हत्या'' का पूरा सच


पूरे एशिया में आठ देशों में फैक्टरियां चला

कर दुनिया का एक सबसे बड़ा बिस्किट ब्रांड बनाने वाले अरबपति राजन पिल्लई की मौत

दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल के फर्श पर हुई थी। जुलाई 1995 में दिल्ली के पांच सितारा

होटल ली मैरिडियन से पकड़ कर तिहाड़ ले जाए गए राजन पिल्लई की चौथे दिन मौत हो गई थी

और केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री एके एंटनी और भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने

न्यायिक हत्या कहा था। 


इसके बाद आडवाणी देश के उप प्रधानमंत्री और

गृह मंत्री भी रह लिए, एंटनी

आज देश के रक्षा मंत्री हैं और बहुत ताकतवर हैं मगर दिल्ली की तिहाड़ जेल में राजन

पिल्लई की मौत कैसे हुई इस पर कोई सवाल नहीं कर रहा। राजन पिल्लई की विधवा और अब

दूसरा विवाह कर चुकी नीना पिल्लई का आरोप है कि इस हत्याकांड में भूतपूर्व

प्रधानमंत्री नरसिंह राव और उनके खास सलाहकार चंद्रास्वामी का भी हाथ है। नीना ने

लिखित शिकायत में कहा है कि चंद्रास्वामी ने एक बार में पच्चीस लाख रुपए और इसके

बाद एक मोटी रकम सरकार में कुछ काम करवाने के लिए ली थी और सिंगापुर के तत्कालीन प्रधानमंत्री

की बहन को अपनी शिष्या बता कर राजन पिल्लई के खिलाफ मामले वापस करवाने का भी लालच

दिया था और पैसे लिए थे। 


इस मामले में वर्तमान सरकार के एक चमकदार और

एक हद तक जोकर मंत्री सुब्रमणी रेड्डी भी शामिल है क्योकि नीना के अनुसार नरसिंह

राव पैसा लेने के लिए उन्हें ही भेजते थे। सनसनीखेज बात तो यह भी है कि अदालत

सीबीआई से पिल्लई की मौत की जांच के लिए आदेश दे चुकी है और उच्च न्यायालय इस आदेश

की पुष्टि कर चुका है लेकिन सीबीआई की रिपोर्ट नहीं आई है। पंद्रह साल में सीबीआई

चार कदम नहीं चल पाई। 


आरोप पत्र में बाम्बे डाइंग के मालिक नुस्ली

वाडिया, चंद्रास्वामी, इंदौर में जन्में, कनाडा और बैंकाक में बहुत

बड़े आर्थिक घोटाले मे पकड़े गए राकेश सक्सेना और सिंगापुर के उद्योगपति फैडरिक रॉस

जॉनसन के नाम भी भारत सरकार के साथ मिल कर राजन की हत्या में शामिल बताए गए हैं।

नीना पिल्लई की शिकायत इसलिए भी आश्चर्यजनक है कि पिल्लई और वाडिया दोनों दोस्त

हुआ करते थे मगर चार लाख डॉलर के लेन देन को ले कर झगड़ा हुआ और वाडिया ने

ब्रिटानिया ग्रुप हथियाने की कोशिश में सिंगापुर में पिल्लई के खिलाफ मामले दर्ज

करवा लिए। 


नीना पिल्लई का आरोप रहा है कि वे लोग चौदह

साल से भारत में नहीं रह रहे थे और राजन को उनके ही दोस्तों ने धोखा दिया है।

सुब्रमणी रेड्डी ने ही चंद्रास्वामी से राजन पिल्लई का परिचय करवाया था। राजन

पिल्लई ने चंद्रास्वामी के सम्मान में 1995

के फरवरी में एक पार्टी भी दी थी। 


वैसे सारे रईस कारोबारियों की तरह राजन

पिल्लई कांग्रेस को भी पैसा देते थे और रेड्डी के जरिए नरसिंह राव को तीन करोड़

रुपए भिजवाने की भी पुष्टि नीना ने की है। नीना बाद में भाजपा में शामिल हो गई थी

और लाल कृष्ण आडवाणी के साथ मंच पर दिखाई भी दी थी। बाद में राजनीति में उनकी

दिलचस्पी खत्म हो गई और उनके पति की मौत में राजनीति के महारथियों की भी कोई

दिलचस्पी नहीं रही। आडवाणी, एके

एंटनी और चंद्रास्वामी यही मौजूद हैं लेकिन न उनसे कोई सवाल पूछ रहा है और न वे

किसी से सवाल पूछ रहे हैं। राजन पिल्लई जिनके अमेरिका और फ्रांस सहित शानदार बंगले

और अपने जहाज हाें, उसकी पोर्स्ट मार्टम रिपोर्ट में एक

पुलिस हवलदार उसका पता गेट नंबर 4, तिहाड़ जेल, नई दिल्ली लिखे तो इससे बड़ी विडंबना और क्या हो सकती है। 


राजन पिल्लई को भारत में शायद इतने लोग नहीं

जानते थे लेकिन दुनिया के बहुत सारे बड़े क्लबों और पांच सितारा होटलों तक उनकी

पहुंच थी और आम तौर पर वे अपने जहाज में ही दुनिया की सैर करते थे। राजन पिल्लई

केरल में काजू की खेती करने वाले एक परिवार के सदस्य थे लेकिन उन्होंने व्यापार

में हाथ आजमाया और 48

साल की उम्र में महाअरबपति बन गए। 


अचानक 1993

में पिल्लई को सिंगापुर में नोटिस मिला कि उनके बैंक खाते में एक

करोड़ बहत्तर लाख डॉलर का घपला हुआ है। मुकदमा दो दिन चला और पिल्लई को चौदह साल की

सजा देने की तैयारी कर ली गई। ऐसे में कोई भी जो करता वह पिल्लई ने किया और वे

भारत चले आए। उन्होंने चंद्रास्वामी और नरसिंह राव से मिल कर अपील की थी कि उन्हें

सिंगापुर की अदालत में न्याय दिया जाए और इसके लिए सरकार भी कोशिश करे। नीना

पिल्लई अदालतों में अब भी मुकदमा लड़ रही है। 27 अक्टूबर 2010

को दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एस मुरलीधर ने नीना

पिल्लई की मुआवजा याचिका पर सुनवाई करते समय कहा कि पूरे देश में जेल जलादों के

अड्डे बन गए है।


मदन लाल खुराना उस समय दिल्ली के

मुख्यमंत्री थे और उन्होंने राजन पिल्लई की अस्वाभाविक मौत को देखते हुए

न्यायमूर्ति लीला सेठ के नेतृत्व में एक आयोग बनाया था और इसी आयोग की रपट के आधार

पर नीना पिल्लई के वकील ने कहा कि राजन पिल्लई को जेल में कोई सुविधा नही दी गई।

यहां तक कि बीमारी रक्तचाप की थी लेकिन इलाज मधूमेह का किया गया। वैसे सच तो यह है

कि राजन पिल्लई को, जैसा

कि दिल्ली पुलिस हमेशा करती है, होटल ली मैरिडियन के कमरे

से देर रात उठा कर ले जाया गया और संसद मार्ग पुलिस थाने में मौजूद एक मजिस्ट्रेट

से उनकी न्यायकि हिरासत मंजूर करवा ली गई। पुलिस ने पिल्लई से झूठ बोला था और

इसलिए जब राजन पिल्लई तिहाड़ जेल में थे तो भी उनके नाम से पांच सितारा होटल में एक

वीआईपी रूम बुक रहा। 


राजन पिल्लई के दुर्भाग्य से यह तो पता चलता

ही है कि न्याय हमेशा खरीदा नहीं जा सकता लेकिन यह भी पता लगता है न्याय के नाम पर

कत्ल कैसे किए जाते हैं। आखिर अगर एक पल को मान भी लिया जाए कि राजन पिल्लई की

हत्या नहीं हुई थी बल्कि डाक्टरी, लापरवाही के वे शिकार हुए थे फिर भी इस लापरवाही की सजा तक किसी को नहीं

मिली और सबसे ज्यादा हैरत की बात तो यह है कि देश भर में सर्वोच्च स्तर तक मचा

हंगामा और इस हंगामे के सूत्रधार आडवाणी और एंटनी जैसे साफ सुथरे नेता भी अचानक

खामोश हो गए। इंदौर के राकेश श्रीवास्तव की इस मामले के अलावा एक अलग कहानी है और

वह भी जल्दी आपके सामने आएगी।

प्रतिदिन / आलोक तोमर

 आलोक तोमर / प्रधानमंत्री अदालत से कर्तव्य सीखेंगे?


अगर नैतिकता का जरा भी ध्यान होता तो सर्वोच्च न्यायालय

की बहुत तल्ख और साफ साफ टिप्पणी के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अब तक इस्तीफा दे

चुके होते। आखिर सर्वोच्च न्यायालय ने उन पर देश के सबसे बड़े बेईमानी के मामले में

निकम्मा और एक हद तक सहयोगी होने का इल्जाम लगाया है। मनमोहन सिंह को मिस्टर क्लीन

कहा जाता है और हो सकता है कि राजा की कमाई का उन्हें पता नहीं रहा हो मगर इससे वे

बेदाग साबित नहीं हो जाते। जो प्रधानमंत्री अपने एक मंत्री द्वारा सरेआम की जा रही

लूट और संचार मंत्रालय में चल रही दलाली की पूरी जानकारी होते हुए भी मंत्री को सिर्फ

सलाह देता हैं, आदेश नहीं देता, ऐसे प्रधानमंत्री की क्या वाकई हमारे

देश को जरूरत है?


मनमोहन सिंह ने राजा को जो करने दिया वह उनका अपना गुनाह

भी है। सीएजी की रिपोर्ट में भी इशारे किए गए हैं कि राजा जो कर रहे थे वह प्रधानमंत्री

को बता रहे थे। अदालत से भी वे यही कहने वाले है। मगर इससे हमारे और आपके एक लाख छिहत्तर

हजार करोड़ रुपए वापस नहीं आने वाले जो देश के कारपोरेट ठगों ने नीरा राडिया नाम की

दलाल के जरिए देश से ठग लिए हैं। मनमोहन सिंह को आखिरकार तो जवाब देना ही पड़ेगा। जवाब

दे कर भी वे बच नहीं जाएंगे। 


अशोक चव्हाण, कलमाडी और इसके पहले शशि थरूर को जिन आरोपों में निकाला गया

है, मनमोहन सिंह की मेहरबानी से ए राजा द्वारा किया गया गुनाह

उससे कई हजार गुना बड़ा है। अब मनमोहन सिंह संसद में कुछ भी कहे, अदालत में उनकी ओर से जो भी दस्तावेज पेश किए गए हों, पूर्ण सत्य यही है कि मनमोहन सिंह निकम्मे ही नहीं, नालायक

प्रधानमंत्री साबित हुए हैं और अगर वे यह कहते हैं कि राजा क्या कर रहे थे,

उन्हें पता नहीं था तो आप जानते हैं कि वे झूठ बोल रहे हैं और एक पल

को उनके इस बयान को ही सच मान लिया जाए तो भी ऐसा प्रधानमंत्री किस काम का जिसके राज

में मंत्री अलग से घर घर खेल रहे हों। 


रही बात राजा और मनमोहन सिंह के रिश्तों की तो सर्वोच्च

न्यायालय ने भी वहीं पूछा है जो आम लोग इतने दिनों से पूछते आ रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय

का सवाल है कि प्रधानमंत्री को सोलह महीने यानी एक साल चार महीने से राजा की कुटिल

करतूतों की जानकारी थी तो वे खामोश क्यों बने रहे? सर्वोच्च न्यायालय ने ही सुझाया है

कि प्रधानमंत्री एक लाइन में कह सकते थे कि जो जानकारियां फाइलों में हैं वे काफी नहीं

हैं और टू जी स्पेक्ट्रम का आवंटन अपने हाथ में ले सकते थे या उसे खारिज कर सकते थे

मगर वे तो एक चली फिरती सलाह दे कर खामोश हो गए। डॉक्टर सुब्रमण्यम स्वामी ने सोलह

महीने पहले प्रधानमंत्री को दस्तावेजों के साथ इस घोटाले की जानकारी दी थी और हवाला

के मामले का हवाला देते हुए कहा था कि राजा पर मुकदमा चलाने के लिए सिर्फ शिकायत के

तथ्य काफी हैं और तीन महीने के भीतर मुकदमा शुरू हो सकता था। स्वामी होमवर्क जम कर

करते हैं और उन्होंने देश की सबसे बड़ी अदालत से राजा पर आपराधिक मुकदमा चलाने की अनुमति

मांगी हैं जिसमें जाहिर है कि माननीय प्रधानमंत्री को भी पक्ष बनाया जाएगा। सर्वोंच्च

न्यायालय ने भारत के सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम से अड़तालीस घंटे के भीतर जवाब

मांगा था जो कितना चिढ़ाने वाला और न्याय को विचलित करने वाला था, यह अब तक आपको भी पता लग गया है। और वैसे भी अब राजा मंत्री नहीं रहे इसलिए

उन पर मुकदमा चलाने के लिए किसी तहसीलदार की भी अनुमति नहीं चाहिए। 


यह मामला पहले भी सर्वोच्च न्यायालय में जा चुका है।

तब अदालत ने कहा था कि फैसले के तीन महीने के भीतर स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच शुरू

की जाए। इस फैसले को भी ग्यारह महीने हो चुके हैं। भारत सरकार और उसके मुखिया पर अदालत

की अवमानना का मामला भी बनता है। न्यायमूर्ति ए के गांगुली ने तो साफ कहा है कि अब

अनुमति दी जाए या न दी जाए इससे फर्क नहीं पड़ता मगर सोलह महीने बीत चुके हैं। यह सोलह

महीने अकर्मण्यता और आपराधिक खामोशी के थे। 19 मार्च 2010 को प्रधानमंत्री ने डॉक्टर

स्वामी को लिखा था कि राजा के खिलाफ जांच करवाने के पहले वे और जानकारी और सीबीआई जांच

का इंतजार कर रही है। प्रधानमंत्री की लाचारी ने सर्वोच्च न्यायालय को भी चिंतित किया

है। अदालत की राय में प्रधानमंत्री हां या ना में जवाब दे सकते हैं। 


प्रधानमंत्री ने एक नहीं कई मौको पर राजा का बचाव किया

है। सार्वजनिक रूप से पत्रकार वार्ता में 24 मई 2010 को मनमोहन सिंह ने कहा कि संचार

मंत्री एनडीए सरकार द्वारा बनाई गई नीतियाेंं का ही पालन कर रहे थे। अगर उन्हें नीतियों

का पालन करना था तो यूपीए सरकार आखिर बनी ही क्यों हैं? मनमोहन

सिंह ने राजा का खुलेआम समर्थन करते हुए कहा था कि मैंने मंत्री जी से इस बारे में

बात की हैं और उन्होंने बताया है कि 2003 से चली आ रही नीतियों

का ही पालन किया जा रहा है और यह नीति पहले आओ, पहले पाओ की है।

अरुण शौरी कहते हैं कि जब उन्होने संचार मंत्रालय छोड़ा था तो सात सौ तिरपन आवेदन पड़े

हुए थे। उन पर तो विचार भी नहीं किया गया। प्रधानमंत्री राजा के बचाव में यहां तक कह

गए कि दूर संचार नियामक संस्था यानी ट्राई की नीतियों का पूरा पालन किया गया है। असलियत

लेकिन यह है कि मंत्रालय की नीतियों का पालन ट्राई करती हैं। 


आप अगर गौर करें तो पाएंगे कि प्रधानमंत्री देश को दो

बाते बताने की कोशिश कर रहे हैं। पहली बार वे कह रहे हैं कि एनडीए की नीतियों का पालन

हुआ और दूसरी बार कह रहे हैं कि ट्राई ने जो कहा वही हुआ। उन्होंने तो यहां तक कह डाला

कि श्री राजा पर मीडिया ही मुकदमा चला रहा है और संस्थाएं जिन्हें न्याय के हित में

काम करना चाहिए, कुछ नहीं कर पा रही है। प्रधानमंत्री ने जो कहा, वह अगर

सही है तो क्या यह जनता की जिम्मेदारी है? 


बाद में प्रधानमंत्री को जब समझ में आ गया कि वे गलत

सलत बोल रहे हैं और इसका फायदा उनके खिलाफ भी उठाया जा सकता है तो उन्होंने सुर बदल

लिए। उन्होने कहा कि संसद चल रही है और मामला अदालत में हैं इसलिए मैं कुछ नहीं कहना

चाहूंगा। वैसे भी उन्होंने जो कहा और किया है, देश और उसकी छवि का कबाड़ा करने के लिए वह काफी है।

सोमवार, 11 जनवरी 2021

सुंदरकांड

 *सुंदरकांड के इस प्रसंग को अवश्य पढ़ें!


*"मैं न होता, तो क्या होता?”


*"अशोक वाटिका" में जिस समय रावण क्रोध में भरकर, तलवार लेकर, सीता माँ को मारने के लिए दौड़ पड़ा, तब हनुमान जी को लगा, कि इसकी तलवार छीन कर, इसका सर काट लेना चाहिये!*


*किन्तु, अगले ही क्षण, उन्हों ने देखा "मंदोदरी" ने रावण का हाथ पकड़ लिया! यह देखकर वे गदगद हो गये! वे सोचने लगे, यदि मैं आगे बड़ता तो मुझे भ्रम हो जाता कि यदि मै न होता, तो सीता जी को कौन बचाता?


*बहुधा हमको ऐसा ही भ्रम हो जाता है,  मैं न होता, तो क्या होता ? परन्तु ये क्या हुआ? सीताजी को बचाने का कार्य प्रभु ने रावण की पत्नी को ही सौंप दिया! तब हनुमान जी समझ गये, कि प्रभु जिससे जो कार्य लेना चाहते हैं, वह उसी से लेते हैं!


*आगे चलकर जब "त्रिजटा" ने कहा कि "लंका में बंदर आया हुआ है, और वह लंका जलायेगा!" तो हनुमान जी बड़ी चिंता मे पड़ गये, कि प्रभु ने तो लंका जलाने के लिए कहा ही नहीं है, और त्रिजटा कह रही है कि उन्होंने स्वप्न में देखा है, एक वानर ने लंका जलाई है! अब उन्हें क्या करना चाहिए? जो प्रभु इच्छा!


*जब रावण के सैनिक तलवार लेकर हनुमान जी को मारने के लिये दौड़े, तो हनुमान ने अपने को बचाने के लिए तनिक भी चेष्टा नहीं की, और जब "विभीषण" ने आकर कहा कि दूत को मारना अनीति है, तो हनुमान जी समझ गये कि मुझे बचाने के लिये प्रभु ने यह उपाय कर दिया है!


*आश्चर्य की पराकाष्ठा तो तब हुई, जब रावण ने कहा कि बंदर को मारा नहीं जायेगा, पर पूंछ मे कपड़ा लपेट कर, घी डालकर, आग लगाई जाये, तो हनुमान जी सोचने लगे कि लंका वाली त्रिजटा की बात सच थी, वरना लंका को जलाने के लिए मै कहां से घी, तेल, कपड़ा लाता, और कहां आग ढूंढता? पर वह प्रबन्ध भी आपने रावण से करा दिया! जब आप रावण से भी अपना काम करा लेते हैं, तो मुझसे करा लेने में आश्चर्य की क्या बात है !


*इसलिये सदैव याद रखें, कि संसार में जो हो रहा है, वह सब ईश्वरीय विधान है! हम और आप तो केवल निमित्त मात्र हैं! इसीलिये कभी भी ये भ्रम न पालें कि...


 *मै न होता, तो क्या होता?🚩🌹🙏🌷🕉️🚩🐚💐

सोमवार, 4 जनवरी 2021

यूपी में सिंचाई की 15 परियोजनाएं

 *सिंचाई की 15 परियोजनाएं बदलेंगी यूपी के किसानो की किस्‍मत* 


*प्रदेश की योगी सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए कर रही लगातार काम*                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                              


*उत्‍पादन क्षमता बढ़ाने के लिए कृषि को तकनीक से जोड़ा*


*सिंचाई की दो दर्जन से परियोजनाएं देंगी प्रदेश के किसानों को बढ़ी राहत* 


*लखनऊ। 4 जनवरी* 


 प्रदेश की योगी सरकार किसानों की किस्‍मत चमकाने का काम कर रही है। तकनीक के जरिए कृषि को आसान कर उत्‍पादन क्षमता बढ़ाने के साथ किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्‍त जल उपलब्‍ध कराने का काम कर रही है। नए साल पर 15 सिंचाई की परियोजनाएं आने वाले समय में किसानों को बढ़ी राहत देंगी। 


किसानों की कर्ज माफी हो या फिर तकनीक के जरिए किसानों की आय व उत्‍पादन क्षमता बढ़ाने का काम। प्रदेश की योगी सरकार पिछले साढ़े तीन सालों से लगातार किसानों के हित व विकास के लिए  प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है। प्रदेश के 2 करोड़ 30 लाख से अधिक किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्‍त पानी उपलब्‍ध कराने के साथ-साथ खेती को तकनीक से जोड़ने का काम तेजी से किया जा रहा है। कृषि विश्‍वविद्यालय के सहयोग से किसानों को तकनीकी जानकारी देने के लिए तीन सालों में 20 कृषि विज्ञान केन्‍द्रों को स्‍थापित किया गया है। 


इनमें से कुछ केन्‍द्रों को सेंटर ऑफ एक्‍सीलेंस बनाया जा रहा है। जहां पर कृषि उत्‍पादन बढ़ाने की तकनीक पर शोध का कार्य होगा। साथ ही किसानों को वैज्ञानिक तरीके से फसल उगाने की जानकारी किसानों को दी जाएगी। इससे किसानों की आमदनी बढ़ने के साथ कृषि से जुड़ी जानकारियों में बढ़ोत्‍तरी होगी। किसान तकनीकी जानकारी हासिल करके दूसरों के लिए प्ररेणा बन सकेंगे। तकनीक के जरिए किसानों के जीवन में परिवर्तन आएगा।


*यह सिंचाई परियोजनाएं देंगी बढ़ी राहत* 

उत्‍तर प्रदेश के किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्‍त जल उपलब्‍ध कराने के लिए कई महत्‍वपूर्ण योजनाओं का संचालन प्रदेश सरकार द्वारा किया जा रहा है। खासकर साल 2021 में सरकार की 15 परियोजनाएं किसानों के विकास की नई इबारत लिखेंगी। इसमें सरयू नहर परियोजना-2, अर्जुन सहायक परियोजना, मध्‍य गंगा द्वितीय चरण परियोजना, उमरहट पम्‍प नहर परियोजना द्वितीय चरण, रतौली वीयर परियोजना, भावनी बांध परियोजना, लखेरी बांध परियोजना, जाखलौन पम्‍प नहर पर 3.42 मेगावाट क्षमता के सोलर पावर प्‍लांट की स्‍थापना, बबीना ब्‍लाक के 15 ग्रामों को सिंचाई सुविधा परियोजना, बण्‍डई बांध के अवशेष कार्यों की परियोजना, मसगांव एवं चिल्‍ली स्प्रिंकलर सिंचाई परियोजना, शहजाद बांध स्प्रिंकलर सिंचाई परियोजना, कुलपहाड़ स्प्रिंकलर सिंचाई परियोजना, बडवार झील को गुरूसराय नहर से भरने हेतु फीडर कैनाल निर्माण परियोजना इस साल के अंत तक पूरी कर ली जाएंगी। इसके अलावा कनहर सिंचाई परियोजना, बंदायू सिंचाई परियोजना, रामपुर में कोसी नहर प्रणाली का विस्‍तार जैसी परियोजनाएं आने वाले समय में किसानों के लिए बढ़ी राहत बनकर सामने आएंगी।

यूपी होगा हेल्थ टूरिज्म का नया डेस्टिनेशन

 *यूपी होगा हेल्थ टूरिज्म का नया डेस्टिनेशन: मुख्यमंत्री*


*मुख्यमंत्री ने कहा योग, आयुर्वेद और नैचुरोपैथी में नए शोध को दें गति*


*नवचयनित 1065 आयुर्वेद/होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारियों को मुख्यमंत्री ने दिए नियुक्ति पत्र*


*आयुष टेलीमेडिसिन सेवा शुरू करने वाला पहला राज्य बना उप्र*


*प्रदेश में 142 योग वेलनेस सेंटरों का हुआ उद्घाटन*


*लखनऊ, 04 जनवरी* मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि आज के दौर में दुनिया आयुर्वेद, योग और नेचुरोपैथी जैसी भारतीय चिकित्सा पद्धतियों की ओर आशा भरी निगाहों से देख रही है। कोविड काल के अनुभवों ने पूरी दुनिया को प्राचीन भारतीय ऋषि परंपरा की देन इन चिकित्सा विधियों को वैश्विक स्वीकार्यता दी है। इस लिहाज से उत्तर प्रदेश को दुनिया के लिए नए हेल्थ टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में पहचान दिलाई जाएगी।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सोमवार को अपने सरकारी आवास पर उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा नवचयनित 1065 आयुर्वेद/होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारियों को नियुक्ति पत्र वितरण तथा 142 हेल्थ एन्ड वेलनेस सेंटरों का शुभारंभ कर रहे थे।


नवचयनित चिकित्सकों से संवाद करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे ऋषियों ने 'नास्ति मूलं अनौषधं' का सूत्र दिया है। इसका आशय है कि कोई भी मूल कोई भी वनस्पति ऐसी नहीं जिसमें औषधीय गुण न हों। हमें अपनी जिज्ञासु प्रवृत्ति को विस्तार देते हुए वनस्पतियों के औषधीय गुणों के सम्बंध में नए शोध करने चहिए। उन्होंने कहा कि जिन 'दादी के नुस्खों' को पुरातन मान कर उपेक्षा की जाती थी, आज कोविड काल में वही काढ़ा, हींग, हल्दी, अदरक,कालीमिर्च, तुलसी और गिलोय आदि हमारे लिए जीवनदायिनी सिद्ध हुए। हमें इसका महत्व समझना होगा और इसी के अनुसार भविष्य की राह बनानी होगी।


प्रदेश के विभिन्न जिलों में स्थापित 142 योग और वेलनेस सेंटरों का शुभारंभ करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सेंटर हेल्थ टूरिज्म में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। अभी भले ही यह योग प्रशिक्षण दे रहे हों किन्तु निकट भविष्य में यहां षट्कर्म जैसी विधियों का प्रशिक्षण भी दिया जाना चहिए। सीएम योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सतत प्रयासों से योग को वैश्विक स्वीकार्यता मिली। उन्होंने आयुष मंत्रालय का गठन किया और आयुष विश्वविद्यालय भी स्थापित किया। उनके प्रयासों को गति देना हमारी जिम्मेदारी है। मुख्यमंत्री ने इन केंद्रों पर तैनात योग प्रशिक्षकों और सहायकों के कार्यों की सतत समीक्षा के निर्देश भी दिए। 


*चिकित्सकों को योगी का संदेश, चिकित्सा धर्म को बनाएं मिशन*

सीएम योगी के 'मिशन रोजगार' के क्रम में सोमवार को प्रदेश में 1065 नए आयुष/होम्योपैथिक चिकित्सकों की तैनाती हुई।वर्चुअल माध्यम से संवाद करते हुए सीएम योगी ने सभी को बधाई दी। नियुक्ति पत्र वितरित करते हुए मुख्यमंत्री ने चिकित्सकों से कहा कि आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी नेचुरोपैथी चिकित्सा विधियों में अभी बहुत संभावनाएं हैं। इस क्षेत्र में कॅरियर बनाना महज सरकारी डॉक्टर के पद पर चयनित होने तक सीमित नहीं है, इसे मिशन रूप में लेना होगा। उन्होंने विश्वास जताया कि शुचिता और पारदर्शिता पूर्ण प्रक्रिया के जरिये अपनी मेरिट के बल पर चयनित हुए यह चिकित्सक निश्चित ही चिकित्सक के मूल धर्म का पालन करेंगे।

 बता दें कि बीते ढाई दशक में यह पहला अवसर है कि जब आयुष विभाग में एक साथ इतनी संख्या में चिकित्सकों की नियुक्ति हुई है।


मुख्यमंत्री आवास पर हुए कार्यक्रम में जनपद रायबरेली में तैनाती पाने वाली डॉ. श्रेया पांडेय व डॉ. वसीम, कुशीनगर के डॉ.ऋषभ कुमार, बाराबंकी की डॉ.पारुल वर्मा, सीतापुर के डॉ. रत्नेश कुमार, उन्नाव की डॉ.निहारिका गुप्ता, गोंडा की डॉ. तान्या वार्ष्णेय, सुल्तानपुर के डॉ. आशीष गोयल, और लखनऊ में तैनाती पाने वाली डॉ.बबिता कैन व डॉ. अदिति सोनकर को नियुक्ति पत्र प्रदान किया, जबकि वर्चुअली इस कार्यक्रम से जुड़े शेष नव चयनित चिकित्सकों को स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा नियुक्ति पत्र वितरित किए गए।


*घर बैठे लीजिये आयुष विशेषज्ञों से परामर्श:* मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को आयुष टेलीमेडिसिन सेवा की शुरुआत भी की। इस नई सेवा से प्रदेशवासियों को अब घर बैठे आयुष विशेषज्ञों से परामर्श लेने की सुविधा मिल सकेगी। आयुष टेलीमेडिसिन की राज्यव्यापी सेवा शुरू करने वाला उत्तर प्रदेश पहला राज्य है। प्रथम चरण में गोरखपुर, अयोध्या, लखनऊ सहित प्रदेश के 16 जनपदों की 384 डिस्पेंसरियां इस व्यवस्था से जुड़ी हैं। कोई भी जरूरतमंद https://ayushup-telemedicine.in/ वेबसाइट के अलावा आयुष कवच-कोविड एप के माध्यम से रोगी को अपना पंजीकरण कर इस आयुष टेलीमेडिसिन सेवा का लाभ ले सकता है। पंजीकरण के बाद परामर्श के लिए अपॉइंटमेंट लेना होगा और फिर तय समय पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग/टेली कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से विशेषज्ञों द्वारा परामर्श मिल सकेगा। यही नहीं, अगर कोई रोगी स्मार्टफोन या इंटरनेट इस्तेमाल करने में सक्षम नहीं है तो वह नजदीकी आयुष चिकित्सालय में संपर्क कर टेलीमेडिसिन सेवा का लाभ उठा सकते हैं।


*कोरोना में आयुर्वेद बना सहारा:* 

कार्यक्रम में प्रदेश के आयुष विभाग के मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्म सिंह सैनी ने कहा कि कोरोना काल में आयुष काढा और आयुष कवच-कोविड के अभिनव प्रयासों ने करोड़ों लोगों के जीवन की रक्षा की। उन्हें आवश्यक विशेषज्ञों का परामर्श मिला। अब 1065 चिकित्सकों की नियुक्ति, आयुष टेलीमेडिसिन सेवा और योग एन्ड वेलनेस सेंटर उत्तर प्रदेश के लोगों को समय पर, सहजता से गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधा देने में सहायक होंगे। कार्यक्रम में आयुष विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रशांत त्रिवेदी, विशेष सचिव राजकमल यादव, मुख्यमंत्री कार्यालय के सचिव आलोक कुमार व विशेष सचिव सुरेंद्र सिंह, राज्य आयुष मिशन के अधिकारी सहित अनेक अधिकारियों व नव चयनित चिकित्सकों की उपस्थिति रही।