शनिवार, 27 नवंबर 2021

भारतीय प्रतिभा की दुनियां भर में गूंज रहा हैं डंका ,


 लक्ष्य पर स्टूडेंट्स खुद क़ो करें फोकस: कुलाधिपति


तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के एफओईसीएस में रिसेंट ट्रेंड्स ऑन इन्नोवेशन्स इन सिविल एंड मेकैनिकल इंजीनियरिंग पर दो दिनी नेशनल कॉन्फ्रेंस का शंखनाद


ख़ास बातें 


मुरादाबाद स्मार्ट सिटी के 39 प्रोजेक्ट्स में से 03 मुकम्मल: चीफ इंजीनियर


प्रोफेशनल दो प्रकार के होते हैं - आई शेप और टी शेप : प्रो. रघुवीर


समाज कल्याण के लिए सिस्टम के चार मापदंड प्रमुख, इन्हें  संजीदगी से लें: संजय पंत


डिजाइजिंग इंजीनियर मशीन लर्निंग से किसी भी निर्माण स्थल में विफलता का जोखिम कम: प्रो. द्विवेदी


फर्स्ट डे यूपी समेत 08 सूबों के 17 रिसर्चर्स ने पढ़े अपने  पेपर्स 




प्रो.श्याम सुंदर भाटिया/डॉ. संदीप वर्मा

मुरादाबाद   

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति  श्री सुरेश जैन ने कहा, भारतीय मेधा बेमिसाल है,इसीलिए दुनिया हमारे युवाओं का लोहा मानती है। ऐसे में युवा अपने टारगेट्स से न भटकें,बल्कि अपने लक्ष्यों पर फोकस करें। छात्रों से मुखातिब होते हुए बोले, यह नेशनल कॉन आपके जीवन में मील का पत्थर साबित होगी।यदि विद्वानों के अनुभव को सुनने और  सीखने का अवसर खो दिया  तो यह केवल आपका नुकसान होगा। आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि आपके माता-पिता ने आपको  कितने बलिदान करके यहां सीखने के लिए यहां भेजा है। उन्होंने कहा कि भारतीय लोग विदेशों में अत्याधिक सफल हैं, क्योंकि उनमें वहां के लोगों की तुलना में काम करने की अधिक क्षमता है। साथ ही सलाह दी, छात्रों को अपने स्नातक के समय में अपने कैरियर के प्रति स्वार्थी होना चाहिए। उन्होंने एक शेर के जरिए छात्रों को सावधान करते हुए कहा..पहुँच गए जो मंजिल पे, उनको नहीं गुरूर-ए-सफर... जो चार कदम चले नहीं, रफ़्तार की बातें करते हैं...। कुलाधिपति श्री जैन फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग एंड कम्प्यूटिंग साइंसेज - एफओईसीएस की ओर से रिसेंट ट्रेंड्स ऑन इन्नोवेशन्स इन सिविल एंड मेकैनिकल इंजीनियरिंग पर आयोजित दो दिनों नेशनल कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे। इससे पूर्व अतिथियों का बुके देकर वॉर्म वेलकम किया गया। अंत में मेहमानों को स्मृति चिन्ह भी भेंट किए गए। यह कॉन्फ्रेंस ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में हो रही है।  कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ टीएमयू के कुलाधिपति श्री सुरेश जैन की गरिमामई मौजूदगी में बतौर मुख्य अतिथि मुरादाबाद महानगर- स्मार्ट सिटी प्रोजेट के मुख्य अभियंता श्री एके मित्तल, कुलपति प्रो. रघुवीर सिंह, एफओईसीएस के निदेशक प्रो. आरके द्विवेदी, टीएमयू के रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा और टीएमयू  की एसोसिएट डीन एकेडेमिक्स प्रो. मंजुला जैन, कॉन्फ्रेंस कन्वीनर एवं सिविल इंजीनियरिंग के विभागाध्यक्ष प्रो. आरके जैन, मेकैनिकल इंजीनियरिंग के कोऑर्डिनेटर श्री हरीश कुमार ने माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलित करके किया। कॉन्फ्रेंस में टीएमयू के बोर्ड ऑफ गवर्नेंस के सम्मानित सदस्य श्री अक्षत जैन की उल्लेखनीय मौजूदगी रही, जबकि भारतीय मानक ब्यूरो, नई दिल्ली के उप महानिदेशक मानकीकरण-II (एजीएम-क्यूसी) इंजीनियर श्री संजय पंत बतौर विशिष्ट अतिथि ऑनलाइन मौजूद रहे। काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, यूपी के साइंटिफिक ऑफिसर डॉ. अश्वनी कुमार बतौर आब्जर्वर भी उपस्थित थे।अतिथियों ने कॉन्फ्रेंस प्रोसीडिंग का भी विमोचन किया। सिविल इंजीनियरिंग फ़ाइनल ईयर की नेहा सिंह पटेल, महक जैन और अभि जैन ने णमोकार मंत्र और सरस्वती वंदना की सुंदर प्रस्तुति से सभी का दिल जीत लिया। संचालन सीनियर फैकल्टी मिस इन्दु त्रिपाठी ने किया। 



स्मार्ट सिटी लिमिटेड- एमएससीएल के मुख्य अभियंता श्री एके मित्तल ने बतौर मुख्य अतिथि  राष्ट्रीय स्मार्ट सिटी अभियान की चर्चा करते हुए कहा, पूरे भारत में चयनित कुल सौ शहरों में मुरादाबाद का चयन चौथे चरण में हुआ है। मुरादाबाद के लिए इस परियोजना की लागत 825 करोड़ रूपए है। इस योजना में शुमार 39 परियोजनाओं में तीन पूरी हो चुकी हैं। उन्होंने स्मार्ट सिटी के ब्लू प्रिंट पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा, शाही तिराहे से लेकर टाउन हाल तक बाजार का जीर्णोद्धार, सुन्दर गलियारा और सड़क चौड़ीकरण का कार्य किया जा रहा है। स्मार्ट शौचालय 17 स्थानों पर स्थापित किया गया है, जहां ऑटो लाइटनिंग और ऑटो फ्लशिंग सिस्टम स्थित हैं।17 सरकारी भवनों को भूमिगत जल संग्रहण के लिए चुना गया है।  विभिन्न उपयोग के लिए सौर प्रणाली प्रदान करने के लिए शहर में 25 स्थानों का चयन किया गया है। इलेक्ट्रिक बस सेवा के तहत दिसंबर से 25 बसें जनता के उपयोग के लिए उपलब्ध होंगी, जो कम शोर और प्रदूषण में अत्यधिक प्रभावी हैं। वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली के तहत 24 घंटे काम करने वाले उपकरणों से हवा का नमूना प्राप्त करने के लिए 5 स्थानों का चयन किया गया है। इसका औसत वायु गुणवत्ता का मूल्य तय करेगा। छात्रों के लिए ई बाइक परियोजना भी इसमें शामिल है। कम किराए पर ई रिक्शा के लिए चार्जिंग प्वाइंट या स्टेशन भी होंगे। 35 स्थानों पर मुफ्त वाई-फाई, आपातकालीन कॉल के लिए 57 स्थान, संदेश प्रदर्शन बॉक्स, 37 स्थानों पर लाउडस्पीकर का उपयोग करके सार्वजनिक पता प्रणाली, इत्यादि का भी प्रावधान हैं। उन्होंने प्रौद्योगिकी में अंतःविषय प्रवृत्तियों पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर देते हुए कहा, जो विभिन्न सरकारी परियोजनाओं को संभव बनाने में कारगर हैं।


टीएमयू के कुलपति प्रो. रघुवीर सिंह ने कहा, अंतःविषय प्रवृत्ति को अपनाकर इंजीनियरिंग रखरखाव की समस्याओं को हल किया जा सकता है। पेशेवर दो प्रकार के होते हैं। एक है- आई शेप, जहां हम समस्या को हल करने के लिए अपने मस्तिष्क के सतही ज्ञान का उपयोग करते हैं, दूसरा- टी शेप ,जहां किसी भी औद्योगिक रखरखाव समस्या को हल करने के लिए गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है। हाल के दशकों में इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल और सिविल इंजीनियरिंग की भागीदारी जैसे अंतःविषय दृष्टिकोण का बहुत महत्व है, लेकिन वर्तमान परिदृश्य में कंप्यूटर प्रोग्रामिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग जैसी तकनीक की भागीदारी ने औद्योगिक और इंजीनियरिंग क्षेत्र के बारे में लोगों के दृष्टिकोण को बदल दिया है। साथ ही सॉफ्ट स्किल टेक्नोलॉजिस्ट को यह जानने में मदद करती है कि अलग-अलग लोगों को कैसे हैंडल करना है। तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय छात्रों को अपने कैरियर और उज्जवल भविष्य में खुद को विकसित करने के लिए इन अंतःविषय कौशल को सीखने का बड़ा अवसर प्रदान करता है।     

     


भारतीय मानक ब्यूरो, नई दिल्ली के उप महानिदेशक मानकीकरण-II (एजीएम-क्यूसी) इंजीनियर श्री संजय पंत ने बतौर विशिष्ट अतिथि ऑनलाइन बोलते हुए कहा, भारतीय मानक ब्यूरो में 32 साल के अपने कैरियर में उन्हें पहली बार सिविल और मैकेनिकल इंजीनियरिंग सहित अंतःविषय सत्र के इस तरह के कार्यक्रम को संबोधित करने का अवसर मिला है। उन्होंने समाज के कल्याण के लिए किसी भी प्रणाली को उपयोगी बनाने के लिए उसके कुछ महत्वपूर्ण मापदंडों पर जोर दिया। सबसे पहले किसी भी प्रणाली की कार्यप्रणाली उसके उचित डिजाइन और योजना के आधार पर होती है। दूसरा, अग्नि सुरक्षा, विद्युत सुरक्षा और भूकंप जैसी आपदा के संबंध में सुरक्षा। तीसरा, सभी मनुष्यों जैसे कम आयु वर्ग के बच्चों के साथ-साथ अधिक उम्र के व्यक्ति जैसे उनके जीवन के 90 के दशक में प्रणाली की पहुंच है। चौथा है, जेंडर सेंसिटिविटी, जो किसी भी स्वस्थ समाज के लिए बहुत जरूरी है। सबसे महत्वपूर्ण पैरामीटर स्थिरता है, जिसका अर्थ है कि हमें किसी भी प्रणाली के विकास के लिए ऐसी सामग्रियों का उपयोग करना होगा। किसी भी देश के विकास के लिए दो स्तंभ हैं। एक भूमि विकास ,जबकि दूसरा इष्टतम भवन डिजाइन। वेंटिलेशन,  रोशनी, शोर नियंत्रण और विभिन्न कार्यों को प्रभावी ढंग से करने के लिए मैकेनिकल इंजीनियरिंग की भागीदारी अति महत्वपूर्ण है।


एफओईसीएस के निदेशक एवं प्राचार्य प्रो. आरके द्विवेदी ने सभी मेहमानों का स्वागत करते हुए कहा, निर्माण क्षेत्र में अब सेल्फ हीटिंग एलिमेंट्स, थर्मल और काइनेटिक टूल मटीरियल, मॉड्यूलर कंस्ट्रक्शन इत्यादि जैसी अवधारणाएं विकसित हो रही हैं। आईओटी आधारित कार्य और मशीन से मशीन संचार निर्माण की जटिलता को काफी कम कर देता है। डिजाइनिंग इंजीनियर मशीन लर्निंग किसी भी निर्माण स्थल में विफलता के जोखिम को कम करता है। कॉन्फ्रेंस के पहले दिन तकनीकी ट्रैक सत्र के दौरान यूपी, एमपी, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र, दिल्ली, कर्नाटक, हरियाणा के कुल 17 शोधार्थियों ने शोध पfत्र पढ़े। अंत में प्रो. एस आर अली ने सभी का हार्दिक आभार व्यक्त किया।



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मंगलवार, 23 नवंबर 2021

एशिया का सबसे बड़ा होगा जेवर एयरपोर्ट : योगी

 

संजय सिंह / राजेश सिन्हा 

ग्रेटर नोएडा ।

प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट देश का ही नहीं एशिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट होगा। इस एयरपोर्ट से 2024 में उड़ान शुरू हो जाएगी। यह यूपी का पांचवां इंटरनेशनल एयरपोर्ट होगा। इससे पहले लखनऊ, वाराणसी में इंटरनेशनल एयरपोर्ट थे। कुशीनगर का भी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट शुरू हो चुका है। अयोध्या में भी इंटरनेशनल एयरपोर्ट बन रहा है। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पूरी तरह से प्रदूषणमुक्त होगा। मुख्यमंत्री मंगलवार को 25 नवम्बर को होने वाले जेवर एयरपोर्ट के शिलान्यास कार्यक्रम की तैयारियों का निरीक्षण के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि जेवर एयरपोर्ट नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण मिलकर बना रहा है। केंद्र सरकार का पूरा सहयोग मिल रहा है। व्यापक संभावनाओं को देखते हुए युवाओं को रोजगार देगा। एयरपोर्ट के पास ही फिल्म सिटी बनने जा रही है जहां बहुत बड़ा निवेश होगा। एयरपोर्ट के पास ही डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग कॉरिडोर अलीगढ़ में बन रहा है। मेडिकल डिवाइस पार्क व इलेक्ट्रानिक्स सिटी भी बनने जा रही है। यूपी में इंफ्रास्ट्रक्चर के बहुत बड़े काम हो रहे हैं। यूपी में एक्सप्रेस वे का जाल फैल रहा है। देश के सबसे बड़े एक्सप्रेस वे पूर्वांचल एक्सप्रेस वे शुरू हो चुका है। बुदेलखंड एक्सप्रेस वे भी लगभग बनकर तैयार हो चुका है। गंगा एक्सप्रेस वे का निर्माण कार्य भी बहुत जल्द शुरू होने जा रहा है। ईस्टर्न व वेस्र्टन फ्रेट कॉरिडोर भी महत्वपूर्ण है। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस व बलिया एक्सप्रेस वे पर काम चल रहा है। 

उन्होंने कहा कि इंटरस्टेट कनेक्टविटी के तहत नेपाल, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, हरियाणा स्टेट को फोर लेन से जोड़ रहे हैं। वर्ष 2017 तक प्रदेश में सिर्फ दो एयरपोर्ट चालू थे। उड़ान योजना के तहत 9 एयरपोर्ट शुरू हो चुके हैं। 11 नए एयरपोर्ट बन रहे हैं। सोनभद्र, ललितपुर, आजमगढ़, अलीगढ़, सहारनपुर, मेरठ, श्रावस्ती में एयरपोर्ट बन रहे हैं। मुरादाबाद में एयरपोर्ट का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। प्रदेश के 80 स्थानों को एयरपोर्ट से जोड़ दिया गया है। पिछले चार-पांच साल में एयर कनेक्टविटी बहुत बढ़ गई है। उन्होंने विपक्षियों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि लोग यह कहते फिर रहे हैं कि यह काम हमने करने की सोची थी। इस मौके पर प्रशासन, पुलिस के अधिकारी मौजूद थे।



रविवार, 21 नवंबर 2021

आवश्यक निर्देश

 स्वास्थ्य संबंधी कुछ चेतवानी और सलाह जो अपने बड़े बूढ़ों से सुनी वो यहां पेश है।


पुराने समय की कहावत... अमूल्य अनुकरणीय सीख


चैते गुड़, वैसाखे तेल. 

जेठ के पंथ¹, अषाढ़े बेल.

सावन साग, भादौ दही². 

कुवांर करेला, कार्तिक मही³.

अगहन जीरा, पूसै धना. 

माघे मिश्री, फागुन चना.

जो कोई इतने परिहरै, 

ता घर बैद पैर नहीं धरै.


किस माह में क्या न खाएँ  - आवश्यक निर्देश


चैत्र माह में नया गुड़ न खाएं.

बैसाख माह में नया तेल न लगाएं.

जेठ माह में दोपहर में नहीं चलना चाहिए.

आषाढ़ माह में पका बेल न खाएं.

सावन माह में साग न खाएं.

भादों माह में दही न खाएं.

क्वार माह में करेला न खाएं.

कार्तिक माह में जमीन पर न सोएं.

अगहन माह में जीरा न खाएं.

पूस माह में धनिया न खाएं.

माघ माह में मिश्री न खाएं.

फागुन माह में चना न खाएं.


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चैत्र माह में नया गुड़ न खाएं. (15 March - 15 April)


बैसाख माह में नया तेल न लगाएं. (16 April - 15 May)


जेठ माह में दोपहर में नहीं चलना चाहिए. (16 May - 15 June)


अषाढ़ माह में पका बेल न खाएं. (16 June - 15 July)


सावन माह में साग न खाएं.  (16 July - 15 August)


भादों माह में दही न खाएं.  (16 August - 15 Sep)


क्वार माह में करेला न खाएं. (16 Sep - 15 Oct)


कार्तिक माह में जमीन पर न सोएं. (16 October - 15 Nov)


अगहन माह में जीरा न खाएं. (16 Nov -15 Dec)


पूस माह में धनिया न खाएं. (16 Dec - 15 Jan)


माघ माह में मिश्री न खाएं. (16 Jan - 15 Feb)


फागुन माह में चना न खाएं. (16 Feb- 14 March)


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1. पंथ=रास्ता. जेठ माह में दिन में रास्ता नहीं चलना चाहिए.

2. दही=मट्ठा या दही व दही से बने पदार्थ. ऐसी कहावत है कि भादो मास में दही या मट्ठा अगर घास या दूब की जड़ में डाल दें तो उसको भी फूक देता है. अर्थात् भादो मास में दही व दही से बने पदार्थ काफी हानिकारक हैं.

3. मही=भूमि पर कार्तिक मास में न सोएँ.


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अन्य निर्देश

(1) स्नान के पहले और भोजन के बाद पेशाब जरूर करें.

(2) भोजन के बाद कुछ देर बायी करवट लेटना चाहिये.

(3) रात को जल्दी सोना और सुबह जल्दी उठाना चाहिये.

(4) प्रातः पानी पीकर ही शौच के लिए जाना चाहिये.

(5) सूर्योदय के पूर्व गाय का धारोष्ण दूध पीना चाहिये, व्यायाम के बाद दूध अवश्य पियें.

(6) मल, मूत्र, छीक का वेग नही रोकना चाहिये.

(7) ऋतु (मौसमी) फल खाना चाहिये.. रसदार फलों के अलावा अन्य फल भोजन के बाद खाना चाहिये.. रात्रि में फल नहीं खाना चाहिये.

(8) भोजन करते समय जल कम से कम पियें.

(9) भोजन के पश्चात् कम से कम 45 मिनट के बाद जल पीना चाहिए.

(10) नेत्रों में सुरमा / काजल अवश्य लगायें.

(11) स्नान रोजाना अवश्य करना चाहिये.

(12) सूर्य की ओर मुह करके पेशाब न करें.

(13) बरगद, पीपल, देव मन्दिर, नदी व

 शमशान् में पेशाब न करें.

(14) गंदे कपड़े न पहने, इससे हानि होती है.

(15) भोजन के समय क्रोध न करें बल्कि प्रसन्न रहें. 

(16) आवश्यकता से अधिक बोलना भी नहीं चाहिये व बोलते समय भोजन करना रोक दें.

(17) ईश्वर आराधना अवश्य करनी चाहिये.

*🏵️प्रेतों का भोजन*🏵️

                      एक बार महर्षि गौतम ने प्रेतों से पूछा - संसार में कोई भी प्राणी बिना भोजन के नहीं रहते अतः बताओ तुम लोग क्या आहार करते हो       

प्रेतों ने कहा-

_अप्रक्षालितपादस्तु   यो   भुङ्क्ते  दक्षिणामुखः।_

 _यो वेष्टितशिरा भुङ्क्ते प्रेता भुञ्जन्ति नित्यशः।।_

अर्थात-          

द्विजश्रेष्ठ ! जहाँ भोजन के समय आपस में कलह होने लगता है वहाँ उस अन्न के रस को हम ही खाते हैं।          

जहाँ मनुष्य बिना लिपी-पुती धरती पर खाते हैं, जहाँ ब्राह्मण शौचाचार से भ्रष्ट होते हैं वहाँ हमको भोजन मिलता है।

जो पैर धोये बिना खाता हैं, और जो दक्षिण की ओर मुँह करके भोजन करता है, अथवा जो सिर पर वस्त्र लपेटकर भोजन करता है, उसके उस अन्न को सदा हम प्रेत ही खाते हैं।          

जहाँ रजस्वला स्त्री-चाण्डाल और सूअर श्राद्ध के अन्न पर दृष्टि डाल देते हैं, वह अन्न पितरों का नहीं हम प्रेतों का ही भोजन होता है।

जिस घर में सदा जूठन पड़ा रहता है, निरन्तर कलह होता रहे, और बलिविश्वैदैव न किया जाता हो वहाँ हम प्रेत लोग भोजन करते हैं।

महर्षि गौतम ने पूछा -

कैसे घरों में तुम्हारा प्रवेश होता है, यह बात मुझे सत्य-सत्य बताओ।

प्रेत बोले - जिस घर में बलिवैश्वदेव होने से धुँए की बत्ती उड़ती दिखाई देती है, उसमें हम प्रवेश नहीं कर पाते।

जिस घर में प्रातःकाल की वेला में चौका लग जाता है, तथा वेद मंत्रों की ध्वनि होती रहती है, वहाँ की किसी भी वस्तु पर हमारा अधिकार नहीं होता।

गौतम ने पूछा -किस कर्म के परिणाम में मनुष्य प्रेत भाव को प्राप्त होता है?

प्रेत बोले -जो धरोहर हड़प लेते हैं, जूठे मुँह यात्रा करते हैं, गाय और ब्राह्मण की हत्या करने वाले हैं  वे प्रेत योनि को प्राप्त होते हैं।

चुगली करनेवाले, झूठी गवाही देने वाले, न्याय के पक्ष में नहीं रहने वाले, वे मरने पर प्रेत होते हैं।

सूर्य की ओर मुँह करके थूक-खकार और मल-मूत्र का त्याग करते हैं, वे प्रेत शरीर प्राप्त करके दीर्घकाल तक उसी में स्थित रहते हैं।

गौ-ब्राह्मण तथा रोगी को जब कुछ दिया जाता हो उस समय जो न देने की सलाह देते हैं, वे भी प्रेत ही होते हैं, 

यदि शूद्र का अन्न पेट में रहते हुए ब्राह्मण की मृत्यु हो जाये तो वह अत्यंत भयंकर प्रेत होता है।

विप्रवर ! जो अमावस्या की तिथि में हल में बैलों को जोतता है वह मनुष्य प्रेत बनता है।

जो विश्वासघाती, ब्रह्महत्यारा, स्त्रीवध करने वाला, गोघाती, गुरुघाती और पितृहत्या करने वाला है वह मनुष्य भी प्रेत होता है। 

मरने पर जिसका अन्तिम संस्कार तथा श्राद्ध नहीं किये गये हैं, उसको भी प्रेतयोनि प्राप्त होती है।

*जय श्री कृष्ण*

🙏🙏💐🙏🙏*

सोमवार, 15 नवंबर 2021

खबर ही खबर / कुमार सूरज



: *दिल्ली-एनसीआर में हवा जहरीली होती जा रही है और वायु प्रदूषण की वजह से लोगों* का जीना मुहाल हो गया है। दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण से निपटने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार को इमरजेंसी मीटिंग बुलाने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए निर्माण, गैर-जरूरी परिवहन, बिजली संयंत्रों को रोकने और घर से काम (वर्क फ्रॉम होम) लागू करने जैसे मुद्दों पर कल एक इमरजेंसी बैठक बुलाने का निर्देश दिया है। 


सुप्रीम कोर्ट ने मामले को 17 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और एनसीआर क्षेत्र से जुड़े राज्य सरकारों को अपने कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम पर विचार करने को कहा। इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र द्वारा कल होने वाली इमरजेंसी बैठक में पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा के मुख्य सचिवों को भी उपस्थित रहने को कहा है और अपने सुझाव प्रस्तूत करने का आदेश दिया।


दिल्ली में प्रदूषण मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण से निपटने के लिए आप क्या बड़े कदम उठाने का प्रस्ताव रखते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि वायु प्रदूषण में पराली जलाए जाने का योगदान मात्र चार प्रतिशत है, ऐसे में इसे लेकर हल्ला मचाने का कोई आधार नहीं है।


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*केरल के पल्लकड़ में आरएसएस कार्यकर्ता की हत्या की खबर* मिली है। खबर के मुताबिक, यह कार्यकर्ता सोमवार सुबह करीब 9 बजे अपने परिवार के साथ कहीं जा रहा था, तभी उसपर हमला किया गया। मृतक की पहचान 27 वर्षीय एस संजीत के तौर पर हुई है।


समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, आरएसएस कार्यकर्ता अपनी पत्नी के साथ सफर कर रहा था। बीजेपी जिला अध्यक्ष केएम हरीदास ने इस हत्या के लिए सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया पर आरोप लगाया है, जो कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई की राजनीतिक इकाई है।


पुलिस ने बताया कि संजीत के शरीर पर 50 से ज्यादा बार धारधार हथियार से वार के निशान मिले हैं। हत्या के बाद इलाके में तनाव का माहौल है और पुलिस ने सुरक्षा कड़ी कर दी है। फिलहाल जांच जारी है। 


हालांकि, यह पहली बार नहीं जब केरल में आरएसएस वर्कर की जान ली गई हो। इसी साल फरवरी में भी एक आरएसएस कार्यकर्ता की मौत के बाद राज्य में बीजेपी और हिंदू संगठनों ने बंद का आह्वान किया था। उस समय चेर्थला के पास नगमकुलनगरा इलाके में आरएसएस और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के बीच हुई झड़प में संघ के कार्यकर्ता नंदू की मौत हो गई थी। एसडीपीआई इस्लामिक संगठन पीएफआई की राजनीतिक इकाई है।


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 *डेंगू का डंक अब बेकाबू होता दिख रहा* है। दिल्ली सरकार की तमाम कवायदों के बावजूद राजधानी में डेंगू और मलेरिया की रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही है। दिल्ली में बीते एक सप्ताह में डेंगू के रिकॉर्ड करीब 2570 मरीजों की पुष्टि होने के बाद मच्छर जनित बीमारी के कुल मरीजों का आंकड़ा बढ़कर 5270 तक पहुंच गया है। इसके साथ ही दिल्ली में डेंगू के मामलों का छह साल का रिकॉर्ड टूट गया है। 


दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (SDMC) द्वारा सोमवार को जारी साप्ताहिक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में इस सीजन में डेंगू के मामले बढ़कर 5,277 हो गए हैं, जो 2015 के बाद से राजधानी में मच्छर जनित बीमारी के सबसे अधिक मामले हैं। पिछले एक सप्ताह में 2,569 नए मामले दर्ज किए गए हैं, हालांकि, डेंगू के कारण कोई भी ताजा मौत की सूचना नहीं मिली है। अब तक कुल 9 लोगों की मौत हो चुकी है।


नगर निगम की रिपोर्ट के अनुसार, इस सीजन में 13 नवंबर तक 5,277 डेंगू के मामले दर्ज किए गए हैं, जो 2015 के बाद से एक साल में सबसे ज्यादा मामले हैं। पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो- साल 2016 में 4431 मामले, साल 2017 में 4726 मामले, साल 2018 में 2798 मामले, साल 2019 में 2036 मामले और साल 2020 में 1072 डेंगू के कुल मामले दर्ज किए गए थे।  


हर साल मॉनसून की शुरुआत के साथ दिल्ली में डेंगू का प्रकोप देखा जाता है, जो आमतौर पर सर्दी का मौसम आते ही समाप्त हो जाता है। हालांकि, इस वर्ष राजधानी में मामलों में बड़ी वृद्धि देखी जा रही है जो अब भी जारी है।


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नहीं रही मन्नू भंडारी 


*हिंदी साहित्य की मशहूर लेखिका मन्नू भंडारी का निधन हो गया* है। आंखों देखा झूठ, आपका बंटी जैसे लोकप्रिय उपन्यासों के लिए चर्चित रहीं मन्नू भंडारी का जन्म 3 अप्रैल, 1931 को हुआ था। उनके निधन से हिंदी साहित्य जगत की एक पीढ़ी का अवसान हो गया है। भोपाल में जन्मीं मन्नू भंडारी नई कहानी आंदोलन का हिस्सा रही हैं, जिसकी शुरुआत निर्मला वर्मा, राजेंद्र यादव, भीष्म साहनी, कमलेश्वर जैसे लेखकों ने की थी। मन्नू भंडारी उन लेखिकाओं में से रही हैं, जिन्होंने आजादी के बाद के भारत की आकांक्षी महिलाओं की कहानियों को लिखा है। उनकी कहानियों और उपन्यासों में महिला किरदारों के संघर्ष और समाज में उनकी स्थिति का चित्रण किया गया है। 


उनके महिला किरदार पुरानी रुढ़ियों को तोड़ते, स्वतंत्र अस्तित्व की बात करते दिखते हैं। मशहूर लेखक राजेंद्र यादव उनके पति थे। उनके साथ ही मन्नू भंडारी का पहला उपन्यास 'एक इंच मुस्कान' 1961 में प्रकाशित हुआ था। इस उपन्यास को उन्होंने राजेंद्र यादव के साथ ही मिलकर लिखा था। यह उपन्यास काफी लोकप्रिय हुआ था, जिसमें दो महिलाओं की एक ही पुरुष से प्रेम कहानी दिखाई गई थी। इस उपन्यास के पुरुष संवादों को राजेंद्र यादव ने लिखा था, जबकि दोनों महिलाओं को अभिव्यक्त करने का काम मन्नू भंडारी ने किया था। 


इसके बाद मन्नू भंडारी का दूसरा उपन्यास आपका बंटी प्रकाशित हुआ था। यह उपन्यास एक ऐसे बच्चे की कहानी पर आधारित था, जिसके माता-पिता का तलाक हो गया है और उन्होंने अलग-अलग लोगों से शादी कर ली थी। पैरेंट्स की शादी के टूटने का बच्चे पर क्या असर होता है, उसका चित्रण इस उपन्यास में देखने को मिला था। यह अपने आप में हिंदी साहित्य में नई तरह की कहानी का लेखन था, जिसकी काफी सराहना की गई थी। इस उपन्यास की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसे फ्रेंच, बंगाली और इंग्लिश में भी अनुवाद किया गया था।  


मन्नू भंडारी के लेखन की काफी सराहना की गई और उन पर आधारित फिल्में भी आईं। ऐसी ही एक मशहूर फिल्म रजनीगंधा थी, जो 1974 में रिलीज हुई थी। यह फिल्म उनकी शॉर्ट स्टोरी 'यही सच है' पर आधारित थी। यही नहीं इस फिल्म ने फिल्मफेयर अवॉर्ड भी जीता था। 


बेटी ने बताया- 10 दिन से थीं बीमार, मंगलवार को दिल्ली में होगा अंतिम संस्कार

मन्नू भंडारी की बेटी रचना यादव ने बताया, 'वह करीब 10 दिन से बीमार थीं। उनका हरियाणा के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था, जहां आज दोपहर को उन्होंने अंतिम श्वांस ली।' रचना ने बताया कि मन्नू भंडारी का अंतिम संस्कार मंगलवार को दिल्ली के लोधी रोड स्थित श्मशान घाट में किया जाएगा। तीन अप्रैल 1931 को मध्य प्रदेश के भानपुरा में जन्मीं भंडारी प्रसिद्ध साहित्यकार राजेंद्र यादव की पत्नी थीं। उन्होंने दिल्ली के प्रतिष्ठित मिरांडा हाउस कॉलेज में अध्यापिका के पद पर भी अपनी सेवाएं दी थीं।



गुरुवार, 11 नवंबर 2021

सौरभ गाँगुली

 सौरव गांगुली! जिन्होंने अपनी कप्तानी में भारतीय क्रिकेट टीम को विपक्षी टीम से आँख में आँख मिलाकर खेलना सिखाया, न कि दबकर। गांगुली का जन्म कोलकाता के एक रईस परिवार में हुआ था। उस दौर में कोलकाता में फुटबॉल बहुत प्रसिद्ध हुआ करता था और शुरु-शुरू में सौरव गांगुली भी फुटबॉल के प्रति आकर्षित थे। पर अपने बड़े भाई स्नेहाशिष गांगुली के कहने पर, उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरु किया। स्नेहाशिष ने, छोटे भाई सौरव की प्रतिभा को देखते हुए घर में ही क्रिकेट खेलने के लिए पिच बना दी।

1990-91 का साल था, जब सौरभ गांगुली ने रणजी ट्राफी में बेहतरीन प्रदर्शन किया। उनकी इस लगन ने सभी को उनके बारे में सोचने को मजबूर कर दिया और उन्हें 1992 में वेस्टइंडीज दौरे के लिए भारतीय क्रिकेट टीम में चुन लिया गया। लेकिन यह दौरा उनके लिए काफी बुरा साबित हुआ। उन्होंने केवल एक मैच खेला, जिसमें उन्होंने तीन रन बनाए। इतना ही नहीं, इस दौरे पर ही उनपर घमंडी होने की ‘छाप’ पड़ गई और उनके रवैये पर उंगली तक उठी।

चार साल बाद, समय पलटा और गांगुली को 1996 में, इंग्लैंड दौरे के लिए फिर से टीम में चुना गया। तीन वनडे में से, उन्हें सिर्फ एक मैच में ही मौका मिला, जिसमें उन्होंने 46 रन बनाए। लेकिन अब भी सौरभ अपने खेल से संतुष्ट नहीं थे। दुनिया को उनके अंदर की आग अब तक नहीं दिखी थी। आखिरकार लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर सौरभ गांगुली ने अपने टेस्ट करियर का आगाज एक असली महाराजा की तरह किया। इस मैच में सौरभ ने 131 रनों की पारी खेली और अगले टेस्ट में भी उन्होंने सेंचुरी ठोककर दिखा दिया कि उनमें शान से खेलने की काबिलियत है। इसके साथ ही, वह अपने दोनों शुरुआती टेस्ट मैचों में सेंचुरी ठोकने वाले दुनिया के तीसरे बल्लेबाज बने।

सौरभ गांगुली के जीवन में एक क्षण ऐसा भी आया, जब पूरे भारत की उम्मीदें उनपर थीं और उन्हें खुद को साबित करना था। वह साल था 2000, जब उस समय के कप्तान पर मैच फिक्सिंग का आरोप लगा और सौरव गांगुली को टीम की कप्तानी दी गयी ।

उस समय गांगुली के लिए इन सब से टीम को उबारना इतना आसन नहीं था । पूरे देश का भारतीय क्रिकेट टीम पर से भरोसा खो चुका था और टीम भी लगातार बुरे प्रदर्शन से 8वें पायदान पर आ चुकी थी। तब गांगुली की ही कप्तानी का असर था कि भारत दूसरे पायदान पर आ पाया। दादा की ही कप्तानी में भारत दूसरी बार 2003  फाइनल में पंहुचा। जहाँ एक समय पर लग रहा था कि इंडियन क्रिकेट का कोई अस्तित्व नहीं, वह टीम वर्ल्ड कप के फाइनल तक पहुँच गयी। यह असल में गांगुली की ही मेहनत का नतीजा था।


#sauravganguli #cricket #indianplayer

मंगलवार, 9 नवंबर 2021

देव छठ पर्व का अपने गर्भ में समेटे हुए इतिहास

 देव, त्रेतायुगीन देव सूर्यमंदिर और कालजयी इतिहास

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 देव अपने आप में अद्भुत कालजयी इतिहास समेटे है। कितने आये, कितने गए, पर देव, देव ही है। देव का अपना इतिहास है, अर्थात देवताओं के इतिहास से शुरू हुआ देव और उसका कालजयी इतिहास। इस इतिहास में  अनंत गाथायें भी है, कुछ प्रकट है, कुछ अप्रकट है, कुछ गाथाओं में चर्चित है। अभी भी देव का इतिहास खोज का विषय है। यथार्थ के अनसुलझे रहस्य जो बड़े केंद्र है, वह आस्थाओं पर टिक नहीं पाते।  बहरहाल, देव जो आस्थाओं में समेटे है, वह देव की गौरवशाली अतीत के पृष्टभूमि को जरूर परिलक्षित करती है।

देव सूर्य मंदिर ही नहीं, आध्यात्मिक मार्ग पर कभी शीर्षस्थ था।  भगवान राम का सीता के साथ आगमन, कृष्ण का साम्ब के साथ आना, पांचों पांडवों का आना, गौतमबुद्ध का आना, जगद्गुरु शंकराचार्य, बाण भट्ट, मयूर भट्ट, राहुल सांकृत्यायन सहित अनेक इतिहास कारों, अन्वेषण कर्ताओं, खोजी फक्कड़ लोगों का आना यहां संस्कृति विरासत की पहचान रही है। सूर्योपासना के बहाने आध्यामिक ज्ञान की गंगा यहां सदैव से प्रवाहित रहा है।


यहां करीब एक सौ फुट ऊंचा देव सूर्य मंदिर स्थापत्य और वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है। बिना सीमेंट अथवा चूना-गारा का प्रयोग किये आयताकार, वर्गाकार, अर्द्धवृत्ताकार, गोलाकार, त्रिभुजाकार कई रूपों और आकारों में काटे गये पत्थरों को जोड़कर बनाया गया यह मंदिर अत्यंत आकर्षक व विस्मयकारी है।


जनश्रुतियों के आधार पर इस मंदिर के निर्माण के संबंध में कई किंवदंतियां प्रसिद्ध हैं, जिससे मंदिर के अति प्राचीन होने का स्पष्ट पता तो चलता है लेकिन इसके निर्माण के संबंध में अभी भी भ्रामक स्थिति बनी हुई है। निर्माण के मुद्दे को लेकर इतिहासकारों और पुरातत्वविदों के बीच चली बहस से भी इस संबंध में ठोस परिणाम प्राप्त नहीं हो सका है।


सूर्य पुराण से सर्वाधिक प्रचारित जनश्रुति के अनुसार ऐल एक राजा थे, जो किसी ऋषि के शापवश श्वेत कुष्ठ से पीड़ित थे। वे एक बार शिकार करने देव के वनप्रांत में पहुंचने के बाद राह भटक गये। राह भटकते भूखे-प्यासे राजा को एक छोटा सा सरोवर दिखायी पड़ा, जिसके किनारे वे पानी पीने गये और अंजुरी में भरकर पानी पिया। पानी पीने के क्रम में वे यह देखकर घोर आश्चर्य में पड़ गये कि उनके शरीर के जिन जगहों पर पानी का स्पर्श हुआ उन जगहों के श्वेत कुष्ठ के दाग जाते रहे। इससे अति प्रसन्न और आश्चर्यचकित राजा अपने वस्त्रों की परवाह नहीं करते हुए सरोवर के गंदे पानी में लेट गये और इससे उनका श्वेत कुष्ठ पूरी तरह जाता रहा। 

अपने शरीर में आश्चर्यजनक परिवर्तन देख प्रसन्नचित राजा ऐल ने इसी वन प्रांतर में रात्रि विश्राम करने का निर्णय लिया और रात्रि में राजा को स्वप्न आया कि उसी सरोवर में भगवान भास्कर की प्रतिमा दबी पड़ी है। प्रतिमा को निकालकर वहीं मंदिर बनवाने और उसमें प्रतिष्ठित करने का निर्देश उन्हें स्वप्न में प्राप्त हुआ।


कहा जाता है कि राजा ऐल ने इसी निर्देश के मुताबिक सरोवर से दबी मूर्ति को निकालकर मंदिर में स्थापित कराने का काम किया और सूर्य कुण्ड का निर्माण कराया लेकिन मंदिर यथावत रहने के बावजूद उस मूर्ति का आज तक पता नहीं है। जो अभी वर्तमान मूर्ति है वह प्राचीन अवश्य है, लेकिन ऐसा लगता है मानो बाद में स्थापित की गयी हो। मंदिर परिसर में जो मूर्तियां हैं, वे खंडित तथा जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं।


 मंदिर निर्माण के संबंध में एक कहानी यह भी प्रचलित है कि इसका निर्माण एक ही रात में देवशिल्पी भगवान विश्वकर्मा ने अपने हाथों किया था और कहा जाता है कि इतना सुंदर मंदिर कोई साधारण शिल्पी बना ही नहीं सकता। इसके काले पत्थरों की नक्काशी अप्रतिम है और देश में जहां भी सूर्य मंदिर है, उनका मुंह पूरब की ओर है, लेकिन यही एक मंदिर है जो सूर्य मंदिर होते हुए भी उषाकालीन सूर्य की रश्मियों का अभिषेक नहीं कर पाता वरन अस्ताचलगामी सूर्य की किरणें ही मंदिर का अभिषेक करती हैं।


जनश्रुति है कि एक बार बर्बर लुटेरा काला पहाड़ मूर्तियों और मंदिरों को तोड़ता हुआ यहां पहुंचा तो देव मंदिर के पुजारियों ने उससे काफी विनती की कि इस मंदिर को कृपया न तोड़े क्योंकि यहां के भगवान का बहुत बड़ा महात्म्य है। इस पर वह हंसा और बोला- यदि सचमुच में तुम्हारे भगवान में कोई शक्ति है तो मैं रात भर का समय देता हूं और यदि इसका मुंह पूरब से पश्चिम हो जाये तो मैं इसे नहीं तोडूंगा। पुजारियों ने सिर झुकाकर इसे स्वीकार कर लिया और वे रातभर भगवान से प्रार्थना करते रहे। सबेरे उठते ही हर किसी ने देखा कि सचमुच मंदिर का मुंह पूरब से पश्चिम की ओर हो गया था और तब से इस मंदिर का मुंह पश्चिम की ओर ही है।


कहा जाता है कि एक बार एक चोर मंदिर में आठ मन (एक मन 40 किलोग्राम के बराबर) वजनी स्वर्ण कलश को चुराने आया। वह मंदिर के ऊपर चढ़ ही रहा था कि उसे कहीं से गड़गड़ाहट की आवाज सुनायी दी और वह वहीं पत्थर बनकर चिपक गया। आज लोग सटे चोर की ओर अंगुली दिखाकर बताते हैं। इस संबंध में पूर्व सांसद प्रख्यात साहित्यकार एवं देव के बगल के ही गांव भवानीपुर के रहने वाले स्व, शंकर दयाल सिंह का मानना था कि इसके दो कारण हो सकते हैं। उनमें एक यह कि कोई सोना चुराने नहीं आये, इसलिए यह किंवदंति प्रसिद्धि में आयी और दूसरी बात यह कि जिसे चोर की संज्ञा दी जाती है वह देखने पर बुद्ध की मूर्ति नजर आती है। हालांकि यह तस्वीर शेर की मुखड़े के रूप में है।


वहीं, इस मत से भिन्न रुख रखने वालों में पंडित राहुल सांकृत्यायन प्रमुख हैं, जिनके अनुसार यह प्राचीनकाल में बुद्ध मंदिर था जिसे विधर्मियों से भयाक्रांत भक्तजनों ने इसे मिट्टी से पाट दिया था। कहा जाता है कि सनातन धर्म के संरक्षक और संस्कारक शंकराचार्य जब इधर आये तो संशोधित और सुसंस्कृत कर यहां मूर्ति प्रतिष्ठित की। 


पुरातत्व से जुड़े डॉ. के.के. दत्त और पंडित विश्वनाथ शास्त्री ने भी इसकी अति प्राचीनता का प्रबल समर्थन किया है। इस मंदिर के निर्माण से संबद्ध विवाद चाहे जो भी हो, कोई साफ अवधारणा भले ही नहीं बन पायी हो लेकिन इस मंदिर की महिमा को लेकर लोगों के मन में अटूट श्रद्धा एवं आस्था है। यही कारण है कि हर साल चैत्र और कार्तिक के छठ मेले में लाखों लोग विभिन्न स्थानों से यहां आकर भगवान भास्कर की आराधना करते हैं। भगवान भास्कर का यह त्रेतायुगीन मंदिर सदियों से लोगों को मनोवांछित फल देने वाला पवित्र धर्मस्थल रहा है। यूं तो सालों भर देश के विभिन्न जगहों से लोग यहां पधारकर मनौतियां मांगने और सूर्यदेव द्वारा उनकी पूर्ति होने पर अर्घ्य देने आते हैं लेकिन लोगों का विश्वास है कि कार्तिक एवं चैती छठ व्रत के पुनीत अवसर पर सूर्य देव की साक्षात उपस्थिति की रोमांचक अनुभूति होती है। यहां दो तस्वीरें प्रस्तुत है, एक 50 वर्ष पहले की और एक अब की।  सिर्फ रंग रोगन बदला है, मुख्य छवि जीवंत है।


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सोमवार, 8 नवंबर 2021

🌺छठ पूजा से जुड़ी जानकारी / सुरेश चौरसिया

🌺छठ पूजा अब केवल बिहार का ही प्रसिद्ध लोकपर्व नहीं रह गया है, बल्कि इसका फैलाव देश-विदेश के उन सभी भागों में हो गया है जहां इस प्रदेश के लोग जाकर बस गए हैं। फिर भी बहुत से लोग इस व्रत की मौलिक बातों से अनजान है।

🌺कई लोगों के मन में ये सवाल आता है कि छठ या सूर्यषष्ठी व्रत में सूर्य देव की पूजा के साथ छठ मईया की पूजा क्यों की जाती है? कौन है छठी मईया।


🌺श्वेताश्वतरोपनिषद् में बताया गया है कि परमात्मा ने सृष्टि रचने के लिए स्वयं को दो भागों में बांटा दाहिने भाग से पुरुष, बाएं भाग से प्रकृति का रूप सामने आया।

🌺ब्रह्मवैवर्तपुराण के प्रकृतिखंड में बताया गया है कि सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी के एक प्रमुख अंश को देवसेना कहा गया है प्रकृति का छठा अंश होने के कारण इन देवी का एक प्रचलित नाम षष्ठी हुआ, पुराण के अनुसार ये देवी सभी बालकों की रक्षा करती हैं और उन्हें लंबी आयु प्रदान करती हैं।


🌺''षष्ठांशा प्रकृतेर्या च सा च षष्ठी प्रकीर्तिता।

बालकाधिष्ठातृदेवी विष्णुमाया च बालदा।।

आयु:प्रदा च बालानां धात्री रक्षणकारिणी ।

सततं शिशुपार्श्वस्था योगेन सिद्धियोगिनी''।।

(ब्रह्मवैवर्तपुराण/प्रकृतिखंड)


🌺षष्ठी देवी को ही स्थानीय बोली में षठ/छठ मईया कहा गया है। षष्ठी देवी को ब्रह्मा की मानसपुत्री भी कहा जाता है जो, नि:संतानों को संतान देती हैं और सभी बालकों की रक्षा करती हैं।

🌺आज भी देश के बड़े भूभाग में बच्चों के जन्म के छठे दिन षष्ठी पूजा या छठी पूजा का चलन है। पुराणों में इन देवी का एक नाम कात्यायनी भी है, इनकी पूजा नवरात्र में षष्ठी तिथि को ही होती है

रविवार, 7 नवंबर 2021

मार्च 22 तक कार्ड धारको के बल्ले blle

मार्च 22  तक अन्त्योदय कार्डधारकों को चावल, गेंहू के साथ दाल, तेल,नमक, चीनी भी मुफ्त मिलेगी- योगी आदित्यन


 राजेश सिन्हा/ संजय  सिंह 

नई दिल्ली, 7 नवंबर।


 उत्तर प्रदेश में आगामी दिसम्मर से अगले साल मार्च तक अन्त्योदय कार्डधारकों को चावल, गेहूं के साथ एक किलो दाल, एक लीटर खाद्य तेल, एक किलो नमक और एक किलो चीनी नि:शुल्क दी जाएगी।  इसके अलावा पात्र गृहस्थी कार्डधारकों को मिलने वाले खाद्यान्न के साथ-साथ एक किलो दाल, एक लीटर खाद्य तेल और एक किलो नमक भी नि:शुल्क दिया जाएगा।

दिल्ली में आयोजित भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में राजनातिक प्रस्ताव पेश करने के बाद मुख्यमंत्री योगी ने करीब 20 मिनट तक बैठक को संबोधित किया। योगी ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में प्रधानमंत्री जी के संकल्प के अनुरूप नया भारत आकार ले रहा। सितम्बर, 2021 में मॉर्निंग कन्सल्ट द्वारा किए गए एक सव्रेक्षण के अनुसार प्रधानमंत्री जी वि के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता। ग्लासगो में सम्पन्न कॉप-26 शिखर सम्मेलन में उनकी ‘वन सन, वन र्वल्ड, वन ग्रिड’ की परिकल्पना को ठोस रूप मिला। रोम में सम्पन्न ‘जी-20 सम्मेलन’ में प्रधानमंत्री जी ने दुनिया को दिशा दिखाने वाला ‘वन अर्थ, वन हेल्थ’ का सामयिक सन्देश दिया।

मुख्यमंत्री योगी ने कहा प्रधानमंत्री के प्रयासों और पहल से कनाडा से माँ अन्नपूर्णा की प्राचीन प्रतिमा भारत सरकार को प्राप्त हुई। आगामी 15 नवम्बर को देवोत्थान एकादशी पर काशी में बाबा विनाथ धाम में माँ अन्नपूर्णा की यह प्रतिमा स्थापित की जाएगी। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री के नेतृत्व व मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विास’ की भावना के अनुरूप जनता-जनार्दन की सेवा कर रही। उत्तर प्रदेशवासियों को डबल इंजन की सरकार का भरपूर लाभ मिल रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी दिसम्बर से मार्च, 2022 तक प्रदेश के अन्त्योदय कार्डधारकों को मिलने वाले खाद्यान्न के तहत चावल, गेहूं ही नहीं, बल्कि 1 किलो दाल, 1 लीटर खाद्य तेल, 1 किलो नमक और 1 किलो चीनी नि:शुल्क दी जाएगी। इसी प्रकार, पात्र गृहस्थी कार्डधारकों को मिलने वाले खाद्यान्न के साथ-साथ 1 किलो दाल, 1 लीटर खाद्य तेल और 1 किलो नमक भी नि:शुल्क दिया जाएगा।

उन्होंने कहा दीपावली के अवसर पर डीजल और पेट्रोल की एक्साइज ड्यूटी में भारी कटौती करायी है। प्रदेश सरकार ने इसमें  सहयोग करते हुए डीजल और पेट्रोल पर 12-12 रुपए कटौती करने का निर्णय लिया। इससे आमजन को काफी राहत मिली है।

राज्य सरकार अपराध एवं अपराधियों के प्रति जीरो टालरेंस की नीति के तहत कार्य कर रही। प्रदेश में कानून का राज स्थापित। प्रत्येक नागरिक के मन में सुरक्षा का भाव पैदा हुआ। अपराधी व माफिया जेलों में बंद हैं। माफियाओं और पेशेवर अपराधियों की अब तक 1,800 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की सम्पत्ति का जब्तीकरण व ध्वस्तीकरण एवं अवैध कब्जे से अवमुक्त कराने की कार्यवाही की गयी। पिछले साढ़े चार वर्षों में प्रदेश में एक भी दंगा नहीं हुआ।

भारत सरकार की 44 महत्वपूर्ण योजनाओें के क्रियान्वयन में उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर है। ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस’ रैंकिंग में उत्तर प्रदेश का देश में द्वितीय स्थान है। उत्तर प्रदेश देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है।  वर्तमान राज्य सरकार ने प्रति व्यक्ति आय को बढ़ाने में सफलता प्राप्त की।


संजय सिंह

शुक्रवार, 5 नवंबर 2021

देव का अलौकिक छठ महापर्व / सुरेश चौरसिया


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इतिहास के स्वर्णिम पन्नों का अध्याय है, देव का सूर्यमंदिर

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कोरोना का कालखंड इस साल भी देव में छठ महापर्व पर भारी पड़ गया है। इसके मद्देनजर जिला प्रशासन ने यहां छठ पर्व के आयोजन पर बंदिशें लगा दी है। लेकिन यहां आस्थाओं का समंदर कम नहीं होने वाला है। देव में भले ही छठ पर्व मनाने लोग नहीं आ सकेंगे, पर देव के नाम पर लोग अन्य जगहों पर छठव्रत कर इस त्यौहार का पारंपरिक रस्म जरूर पूरा करेंगे। इसे रोकना किसी के बूते में नहीं है। देव जो कोरोना कालखंड से पूर्व विराट मेले का आकार ग्रहण करता था, वह स्मृतियों में जीवंत है।

छठ मुख्‍य रूप से सूर्य की उपासना का पर्व माना जाता है और अर्घ्‍य देकर इस त्‍योहार की परंपरा निभाई जाती है। भारत में कुछ प्रमुख सूर्य मंदिर जहां छठ पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इन सभी मंदिरों के पीछे कई प्रकार की पौराणिक कथाएं हैं। ऐसा ही एक मंदिर है औरंगाबाद जिले के देव में। इस मंदिर का अपना एक अलग इतिहास है और माना जाता है कि यहां सूर्यदेव की माता ने स्‍वयं छठ का व्रत किया था। 

छठ के वक्‍त देव के त्रेतायुगीन सूर्य मंदिर का महत्‍व और भी बढ़ जाता है। इस मंदिर में छठ की पूजा करने का विशेष महत्‍व माना जाता है। मानते हैं कि यहां भगवान सूर्य 3 रूपों में विराजमान हैं। यह पूरे देश का एकलौता सूर्य मंदिर है जिसका मुख पूर्व में न होकर पश्चिम में है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान सूर्य की मुख्य प्रतिमा विराजमान है। जो कि ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश के रूप में है। वहीं गर्भगृह के बाहर मुख्‍य द्वार पर भगवान सूर्य की प्रतिमा है तो दाईं ओर भगवान शंकर की प्रतिमा है।

मान्‍यता है कि असुरों और देवताओं के संग्राम में जब असुर हार गए थे तब देव माता अदित‍ि ने सूर्यदेव से मदद की गुहार की और कड़ी तपस्‍या पर बैठ गईं। तब माता अदिति ने तेजस्‍वी पुत्र की प्राप्ति के यहीं देवारण्‍य में आकर तपस्‍या की। तब उनका आराधना से प्रसन्‍न होकर छठी माई ने उन्‍हें सर्वगुण संपन्‍न पुत्र के प्राप्‍त होने का वरदान दिया। इसके बाद सूर्यदेव ने माता अदिति के गर्भ से जन्‍म लेने का वरदान दिया। माता अदिति के गर्भ से जन्‍म लेने के कारण सूर्यदेव का नाम आदित्‍य पड़ गया और आदित्‍य ने ही असुरों का संहार किया। उसी समय से देव सेना षष्‍ठी देवी के नाम पर इस धाम का नाम देव हो गया।

देश भर के अन्‍य सूर्य मंदिरों में सूर्य भगवान की ऐसी प्रतिमा नहीं देखने को मिलती। यहां हर साल छठ पर्व के दौरान भव्‍य उत्‍सव का आयोजन होता है। माना जाता है कि इस मंदिर में आकर छठ की पूजा करने से विशेष पुण्‍य की प्राप्ति होती है। व्रती की हर मनोकामना पूरी होती है।

मान्‍यता है कि इस मंदिर का निर्माण भी प्राचीन काल के इंजीनियर माने जाने वाले भगवान विश्‍वकर्मा ने खुद इस मंदिर का निर्माण किया है। यहां के अभिलेखों में बताया गया है कि इसका निर्माण त्रेतायुग में हुआ था।

देव मंदिर में सात रथों से सूर्य की उत्कीर्ण प्रस्तर मूर्तियां अपने तीनों रूपों उदयाचल (सुबह) सूर्य, मध्याचल (दोपहर) सूर्य, और अस्ताचल (अस्त) सूर्य के रूप में विद्यमान है। पूरे देश में यही एकमात्र सूर्य मंदिर है जो पूर्वाभिमुख न होकर पश्चिमाभिमुख है। करीब एक सौ फीट ऊंचा यह सूर्य मंदिर स्थापत्य और वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है।

बिना सीमेंट या चूना-गारा का प्रयोग किए आयताकार, वर्गाकार, आर्वाकार, गोलाकार, त्रिभुजाकार आदि कई रूपों और आकारों में काटे गए पत्थरों को जोड़कर बनाया गया यह मंदिर अत्यंत आकर्षक एवं विस्मयकारी है।

देव सूर्य मंदिर देश की धरोहर एवं अनूठी विरासत है। हर साल छठ पर्व पर यहां लाखों श्रद्धालु छठ करने झारखंड, मध्य प्रदेश, उतरप्रदेश समेत कई राज्यों से आते हैं। कहा जाता है कि जो भक्त मन से इस मंदिर में भगवान सूर्य की पूजा करते हैं, उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

जनश्रुतियों के मुताबिक, एक राजा ऐल एक बार देव इलाके के जंगल में शिकार खेलने गए थे। शिकार खेलने के समय उन्हें प्यास लगी। उन्होंने अपने आदेशपाल को लोटा भर पानी लाने को कहा। आदेशपाल पानी की तलाश करते हुए एक पानी भरे गड्ढे के पास पहुंचा।वहां से उसने एक लोटा पानी लेकर राजा को दिया। राजा के हाथ में जहां-जहां पानी का स्पर्श हुआ, वहां का कुष्ठ ठीक हो गया।

राजा बाद में उस गड्ढे में स्नान किया और उनका कुष्ठ रोग ठीक हो गया। उसके बाद उसी रात जब राजा रात में सोए हुए, तो सपना आया कि जिस गड्ढे में उन्होंने स्नान किया था, उस गड्ढे में तीन मूर्तियां हैं।खुदाई कर उन मूर्तियों को निकाला गया। राजा ने फिर उन मूर्तियों को एक मंदिर बनाकर स्थापित किया।

 कहते हैं, एक बार औरंगजेब मंदिरों को तोड़ता हुआ औरंगाबाद के देव पहुंचा। वह मंदिर पर आक्रमण करने ही वाला था कि वहां के पुजारियों ने उससे काफी अनुरोध किया कि वह मंदिर को न तोड़े। पहले तो औरंगजेब किसी भी कीमत पर राजी नहीं हुआ, लेकिन बार-बार लोगों के अनुरोध को सुनकर उसने कहा कि यदि सच में तुम्‍हारे भगवान हैं और इनमें कोई शक्ति है तो मंदिर का प्रवेश द्वार पश्चिम दिशा में हो जाए। यदि ऐसा हो गया तो मैं मदिर नहीं तोड़ूंगा।

सुरेश चौरसिया द्वारा लिखित " त्रेतायुगीन सूर्यमंदिर देव "

नामक पुस्तक के अनुसार,  औरंगजेब पुजारियों को मंदिर के प्रवेश द्वार की दिशा बदलने की बात कहकर अगली सुबह तक का वक्‍त देकर वहां से चला गया। लेकिन इसके बाद पुजारीजन काफी परेशान हुए और वह रातभर सूर्य देव से प्रार्थना करते रहे कि वह उनके वचन की लाज रख लें। इसके बाद जब पुजारीजन अगली सुबह पूजा के लिए मंदिर पहुंचे तो उन्‍होंने देखा कि मंदिर का प्रवेश द्वार तो दूसरी दिशा में हो गया है। तब से आज तक देव सूर्य मंदिर का मुख्‍य द्वार पश्चिम दिशा में ही है।

देव सूर्यमंदिर से जुड़े अन्य प्राचीन गाथाएं भी हैं। इसे क्रमशः आपके बीच प्रस्तुत करेंगे। धन्यवाद !

                            * सुरेश चौरसिया ( पत्रकार )

                              9810791027, 9310183241

मंगलवार, 2 नवंबर 2021

Very वैरी स्पेशल लक्ष्मण / रेहान फ़ज़ल

 आज वी वी एस लक्ष्मण का 47 वा जन्मदिन है...


शेन वॉर्न को जिस तकनीक से लक्ष्मण ने खेला उस पर  सबसे दिलचस्प टिप्पणी इयान चैपल की आई. 'उस इनिंग्स के बारे में मुझे हमेशा एक चीज़ याद रहेगी जिस तरह से लक्ष्मण ने क्रीज़ से काफी बाहर निकल कर शेन वॉर्न को खेला.  उस समय शेन वॉर्न दुनिया के सबसे अच्छे लग स्पिनर थे और गेंद को काफ़ी स्पिन करा रहे थे. मेरे हिसाब से एक अच्छी पिच पर सबसे मुश्किल शॉट होता है एक लेग स्पिनर को ऑन ड्राइव करना . उस दिन लक्ष्मण क्रीज़ से तीन फीट आगे निकल कर बॉल की पिच पर आकर वार्न को ऑन ड्राइव कर रहे थे. मुझे याद है मैने मैच के बाद वार्न से पूछा क्या तुमने इस मैच में ख़राब गेंदबाजी की? वार्न का जवाब था बिल्कुल नहीं. मैंने भी देखा कि पिटने के बाद जब वॉर्न उन्हें स्टंप आउट करने के चक्कर में शॉर्ट गेंद करते थे तो लक्ष्मण बैक फुट पर जाकर मिड विकेट पर उन्हें चार रनों के लिए पुल कर देते थे. मैने इससे पहले इतनी अच्छी तरह से स्पिन गेंदबाजी को खेलते  किसी को नहीं देखा था.'

Raman Hitkari

धनतेरस महात्म

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धनत्रयोदशी के दिन भगवान धनवंतरी जन्म हुआ था और इसीलिए इस दिन को धनतेरस के रूप में पूजा जाता है. दीपावली के दो दिन पहले आने वाले इस त्योहार को लोग काफी धूमधाम से मनाते हैं. इस दिन गहनों और बर्तन की खरीदारी जरूर की जाती है.

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भगवान धनवंतरी के पूजन का महत्व  शास्त्रों के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान त्रयो‍दशी के दिन भगवान धनवंतरी प्रकट हुए थे, इसलिए इस दिन को धन त्रयोदशी कहा जाता है. धन और वैभव देने वाली इस त्रयोदशी का विशेष महत्व माना गया है. कहा जाता है कि समुद्र मंथन के समय बहुत ही दुर्लभ और कीमती वस्तुओं के अलावा शरद पूर्णिमा का चंद्रमा, कार्तिक द्वादशी के दिन कामधेनु गाय, त्रयोदशी को धनवंतरी और कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को भगवती लक्ष्मी जी का समुद्र से अवतरण हुआ था. यही कारण है कि दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन और उसके दो दिन पहले त्रयोदशी को भगवान धनवंतरी का जन्म दिवस धनतेरस के रूप में मनाया जाता है.

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भगवान धनवंतरी को प्रिय है पीतल- भगवान धनवंतरी को नारायण भगवान विष्णु का ही एक रूप माना जाता है. इनकी चार भुजाएं हैं, जिनमें से दो भुजाओं में वे शंख और चक्र धारण किए हुए हैं. दूसरी दो भुजाओं में औषधि के साथ वे अमृत कलश लिए हुए हैं. ऐसा माना जाता है कि यह अमृत कलश पीतल का बना हुआ है क्योंकि पीतल भगवान धनवंतरी की प्रिय धातु है. मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई कोई भी वस्तु शुभ फल प्रदान करती है और लंबे समय तक चलती है. लेकिन अगर भगवान की प्रिय वस्तु पीतल की खरीदारी की जाए तो इसका तेरह गुना अधिक लाभ मिलता है.

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सोमवार, 1 नवंबर 2021

धनतेरस /

 *उम्रभर रहना है स्वस्थ तो धनतेरस पर करें भगवान धन्वंतरि की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त व पूजा विधि*

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हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतरेस का पर्व मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं अनुसार, इस दिन पर समुद्र-मंन्थन के समय भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए इस दिन को धनतेरस या धनत्रयोदशी कहा जाता है। इस शुभ दिन पर भगवान धन्वन्तरि, देवी लक्ष्मी, कुबेर देवता और मृत्यु के देवता यमराज की पूजा करने का विशेष महत्व है। इसके साथ ही सोना-चांदी व अन्य सामान खरीदने का भी विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस शुभ दिन पर शुभ मुहूर्त में खरीदारी करने से घर की धन-संपदा कई गुना बढ़ जाती है। चलिए जानते हैं धनतेरस की पूजा विधि व खरीदारी का शुभ मुहूर्त...


धनतेरस के शुभ मुहूर्त


धनतेरस तिथि- 2 नवंबर 2021, दिन मंगलवार


पूजा का शुभ मुहूर्त शाम- 06:18 मिनट से रात 08:14 मिनट तक

खरीदारी का शुभ मुहूर्त- सुबह 06:34 मिनट से 11: 30 मिनट तक

शाम- 06:18 मिनट से रात 10:21 मिनट तक

त्रिपुष्कर योग- शुभ मुहूर्त- 06:06 मिनट से 11:31 मिनट तक। इस मुहूर्त में खरीदारी करना शुभ माना जाता है।

धनतेरस पूजा मुहूर्त शाम 06.18 बजे से रात 08.14 बजे तक


धनतेरस पूजन विधि


. पूजा के लिए घर की उत्तर दिशा सबसे उत्तम मानी जाती है।

. इसके लिए घर की उत्तर दिशा में पूजा करें।

. घर के मंदिर में भगवान सूर्य, भगवान गणेश, माता दुर्गा, भगवान शिव, भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, कुबेर देव, गणश जी और भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा स्थापित करें।

. घी का दीपक जलाएं।

. भगवान धनवंतर‍ि की षोडशोपचार पूजा करें।

. कुबेर देव को सफेद रंंग और भगवान धन्वंतरि को पीली मिठाई का भोग लगाएं।

. सभी देवी-देवताओं को भी भोग लगाकर फूल अर्पित करें।

. भगवान धन्वंतरि को गंध, अबीर, गुलाल, पुष्प, रोली, अक्षत आदि अर्पित करके उनके मंत्रों का जाप करें।

. उसके बाद भगवान धन्वंतरि को श्रीफल व दक्षिणा अर्पित करें।

. विधिवत पूजा करके अंत में कपूर जलाकर आरती करें।

. शाम के समय घर के आंगन व मुख्य द्वार पर दीपक जलाएं।

. रात को यम देवता का पूजन करके घर के बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीपक जलाएं। मान्यता है कि इससे अकाल मृत्यु का भय दूर होता है।


धनतेरस के दिन की परंपरा


. धनतेरस पर भगवान धनवंतरी की पूजा करने अच्छी सेहत मिलती है। देवी लक्ष्मी की पूजा करने से धन में अन्न व धन की बरकत रहती है। इसी के साथ यमराज जी की पूजा करने से अकाल मृत्यु का डर दूर रहता है।


. इस दिन पीतल, चांदी, स्टील के बर्तन खरीदने से घर में धन समृद्धि आती है।


. धनतेरस के दिन से दिवाली की शुरुआत मानी जाती है। इसलिए इस दिन शाम को घर के मुख्य द्वार और आंगन में दीया जरूर जलाएं।


धनतेरस पर इन चीजों को खरीदना भी शुभ


जो लोग सोना-चांदी आदि नहीं खरीद सकते हैं तो धनिया, झाड़ू, लक्ष्मी श्रीयंत्र, हल्दी गांठ आदि जरूर खरीदें। मान्यता है इन चीजों को खरीदने से भी शुभफल की प्राप्ति होती है।


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*दीवान हेमंत किंगर* (कश्यप गोत्र,क्षत्रिय,सूर्यवंशी

9915470001

आज का हिन्दू पंचांग* ~ 🌞021121

 🌞 ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~ 🌞


कृष्ण मेहता 

⛅ *दिनांक - 02 नवंबर 2021*

⛅ *दिन - मंगलवार*

⛅ *विक्रम संवत - (2078)*

⛅ *शक संवत -1943*

⛅ *अयन - दक्षिणायन*

⛅ *ऋतु - हेमंत*, *शरद*

⛅ *मास - (कार्तिक)*

⛅ *पक्ष -  कृष्ण* 

⛅ *तिथि -  द्वादशी सुबह 11:31 तक तत्पश्चात त्रयोदशी*

⛅ *नक्षत्र - उत्तराफाल्गुनी सुबह 11:44 तक तत्पश्चात हस्त* 

⛅ *योग -  वैधृति शाम 06:14 तक तत्पश्चात विषकंभ*

⛅  *राहुकाल -  शाम 03:12 से शाम 04:37 तक*

⛅ *सूर्योदय - 06:43* 

⛅ *सूर्यास्त - 18:01*

⛅ *दिशाशूल - उत्तर  दिशा में*

⛅ *व्रत पर्व विवरण - गुरु द्वादशी, भौम प्रदोष व्रत, धनतेरस, भगवान धन्वंतरि जयंती- राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस, यमदीप दान*

💥 *विशेष - द्वादशी को पूतिका(पोई) अथवा त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

          🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞


🌷 *आर्थिक परेशानी या कर्जा हो तो* 🌷

➡ *02 नवम्बर 2021 मंगलवार को भौम प्रदोष योग है ।*

🙏🏻 *किसी को आर्थिक परेशानी या कर्जा हो तो भौम प्रदोष योग हो, उस दिन शाम को सूर्य अस्त के समय घर के आसपास कोई शिवजी का मंदिर हो तो जाए और ५ बत्ती वाला दीपक जलाये और थोड़ी देर जप करें :*

👉🏻 *ये मंत्र बोले :–*

🌷 *ॐ भौमाय नमः*

🌷 *ॐ मंगलाय नमः*

🌷 *ॐ भुजाय नमः*

🌷 *ॐ रुन्ह्र्ताय नमः*

🌷 *ॐ भूमिपुत्राय नमः*

🌷 *ॐ अंगारकाय नमः*

👉🏻 *और हर मंगलवार को ये मंगल की स्तुति करें:-*

🌷 *धरणी गर्भ संभूतं विद्युत् कांति समप्रभम |*

*कुमारं शक्ति हस्तं तं मंगलम प्रणमाम्यहम ||*

🙏🏻 

          🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞


🌷 *धनतेरस* 🌷

➡ *02 नवम्बर 2021 मंगलवार को धनतेरस है ।*

🙏🏻 *(कार्तिक कृष्ण) त्रयोदशी के दिन को धनतेरस कहते हैं । भगवान धनवंतरी ने दुखी जनों के रोग निवारणार्थ इसी दिन आयुर्वेद का प्राकट्य किया था । इस दिन सन्ध्या के समय घर के बाहर हाथ में जलता हुआ दीप लेकर भगवान यमराज की प्रसन्नता हेतु उन्हे इस मंत्र के साथ दीप दान करना चाहिये-*

🌷 *मृत्युना पाशदण्डाभ्याम्  कालेन श्यामया सह ।*

*त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम ॥*

🔥 *(त्रयोदशी के इस दीपदान के पाश और दण्डधारी मृत्यु तथा काल के अधिष्ठाता देव भगवान देव यम, देवी श्यामला सहित मुझ पर प्रसन्न हो।)*

           🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞


🌷 *नरक चतुर्दशी* 🌷

➡ *03 नवम्बर 2021 बुधवार को नरक चतुर्दशी है ।*

🙏🏻 *नरक चतुर्दशी के दिन चतुर्मुखी दीप का दान करने से नरक भय से मुक्ति मिलती है । एक चार मुख ( चार लौ ) वाला दीप जलाकर इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिये –*

🌷 *” दत्तो दीपश्वचतुर्देश्यां नरकप्रीतये मया ।*

*चतुर्वर्तिसमायुक्तः सर्वपापापनुत्तये  ॥“*

👉🏻 *( नरक चतुर्दशी के दिन नरक के अभिमानी देवता की प्रसन्नता के लिये तथा समस्त पापों के विनाश के लिये मै चार बत्तियों वाला चौमुखा दीप अर्पित करता हूँ।)*

🙏🏻 *यद्यपि कार्तिक मास में तेल नहीं लगाना चाहिए, फिर भी नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर तेल-मालिश (तैलाभ्यंग) करके स्नान करने का विधान है। 'सन्नतकुमार संहिता' एवं धर्मसिन्धु ग्रन्थ के अनुसार इससे नारकीय यातनाओं से रक्षा होती है। जो इस दिन सूर्योदय के बाद स्नान करता है उसके शुभकर्मों का नाश हो जाता है।*

           🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞


🌷 *काली चौदसः नारकीय यातनाओं से रक्षा* 🌷

➡ *03 नवम्बर 2021 बुधवार को नरक चतुर्दशी (काली चौदस) है ।*

▪ *नरक चतुर्दशी (काली चौदस) के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर तेल-मालिश (तैलाभ्यंग) करके स्नान करने का विधान है। 'सनत्कुमार संहिता' एवं 'धर्मसिंधु' ग्रंथ के अनुसार इससे नारकीय यातनाओं से रक्षा होती है।*

▪ *काली चौदस और दीपावली की रात जप-तप के लिए बहुत उत्तम मुहूर्त माना गया है। नरक चतुर्दशी की रात्रि में मंत्रजप करने से मंत्र सिद्ध होता है।*

▪ *इस रात्रि में सरसों के तेल अथवा घी के दिये से काजल बनाना चाहिए। इस काजल को आँखों में आँजने से किसी की बुरी नजर नहीं लगती तथा आँखों का तेज बढ़ता है।*


*🚩 जय हो मात श्री धोली सती दादीजी की 🚩*



🌞 ~ *हिन्दू पंचांग* ~ 🌞

🙏🏻🌷🌻🌹🍀🌺🌸🍁💐🙏🏻

नया कम्पोजिट सिलेंडर*

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राजेश सिन्हा / 


भारी-भरकम रसोई गैस सिलेंडर से छुटकारा दिलाएगा नया कम्पोजिट सिलेंडर*


*सीएम ने किया लोकार्पण, लखनऊ, गोरखपुर, कानपुर, प्रयागराज और वाराणसी में है उपलब्ध*


*स्टील बॉडी से 50 फीसदी हल्का है फाइबर युक्त इंडेन का नया जंगरोधी सिलेंडर, देख सकेंगे बाकी है कितनी गैस*


*लखनऊ, 01 नवम्बर:* भारी-भरकम रसोई गैस सिलेंडर की मुसीबत वाले दिन अब बीत गए। इंडियन ऑयल ने अब नया रसोई गैस सिलिंडर पेश किया है जो न केवल अभी के स्टील बॉडी वाले रसोई गैस सिलेंडर से न केवल 50 फीसदी हल्का और जंगरोधी है, बल्कि पारदर्शी होने के चलते बाहर से सिलेंडर में बची गैस भी देखी जा सकेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को अपने सरकारी आवास पर आयोजित कार्यक्रम में इंडियन ऑयल के इस नए युग के पारदर्शी "कंपोजिट गैस सिलेंडर" का लोकार्पण किया। इंडियन ऑयल को इस पहल के लिए को बधाई देते हुए सीएम योगी ने कहा, " इस नवीनतम नए युग के कंपोजिट सिलेंडर से जनता को एक नया विकल्प मिलेगा। उन्होंने कहा कि फ़ाइबर से बना होने के कारण यह स्टील सिलेंडर की तुलना में करीब 50 फीसदी हल्का, सुविधाजनक एवं जंगरोधक है। पारदर्शी होने के कारण उपभोक्ता एलपीजी की मात्रा देखकर समय से रीफ़िल ऑर्डर भी कर सकेंगे। इसकी जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी। 


इस अवसर पर इंडियन ऑयल के कार्यकारी निदेशक व राज्य प्रमुख डॉ. उत्तीय भट्टाचार्य ने पहला 10 किग्रा का कंपोजिट सिलेंडर मुख्यमंत्री को भेंट किया। उन्होंने मुख्यमंत्री को बताया कि इण्डेन कंपोजिट सिलेंडर , इंडियन ऑयल की एक नवीनतम एलपीजी पेशकश है, जोकि एक ब्लो-मोल्डेड इनर लाइनर से बनी एक तीन-परत निर्माण है , जो पॉलीमर फाइबर ग्लास की मिश्रित परत से ढका होता है और एक एचडीपीई बाहरी जैकेट से सुसज्जित होता है। लखनऊ, गोरखपुर, कानपुर, प्रयागराज और वाराणसी में यह पारदर्शी फ़ाइबर युक्त सिलेंडर उपलब्ध हो गया है। यह आकर्षक फ़ाइबर सिलेंडर ग्रहकों के घरों की शोभा भी बढ़ाएगा। उन्होंने बताया कि कंपोजिट सिलेंडर के 05 व 10 किग्रा के वेरिएंट क्रमशः ₹2150 एवं ₹3350 की सिक्योरिटी देकर प्राप्त किये जा सकेंगे। डॉ. उत्तीय ने सीएम को लखनऊ, वाराणसी एवं कानपुर बॉटलिंग प्लांट में कंपोजिट सिलेंडरों की उत्पादन क्षमता सहित अन्य तकनीकी जानकारियां भी दीं। लोकार्पण अवसर पर अपर मुख्य सचिव सूचना एवं एमएसएमई, नवनीत सहगल, इंडियन ऑयल के महाप्रबंधक (एलपीजी) अरुण प्रसाद, मुख्य प्रबंधक (सीसी एवं प्लानिंग) संजीव कुमार त्रिपाठी, प्रमुख, लखनऊ इण्डेन मंडल कार्यालय से स्वर्ण सिंह, वरिष्ठ प्रबंधक (सीसी एवं प्लानिंग) सर्वजीत सिंह तथा मुख्य प्रबंधक (एलपीजी) चन्दन कुमार की उपस्थिति रही।

टिल्लन रिछारिया की दुनियां

 भूलेश्वर के पंचमुखी हनुमान मंदिर में ठिकाना



भूलेश्वर का पंचमुखी हनुमान मंदिर। फूलवाली गली के बगल से।...बार बार यह पता ठिकाना कौंध रहा था , एक्सप्रेस टॉवर में 1980 के 6 दिसंबर से काम तो शुरू कर दिया। पर अभी तो रिहाइस का टेम्परेरी इंतजाम शहर से दूर कल्याण में है। 


चित्रकूट के सत्यनारायन शर्मा जी अक्सर बताते रहते थे कि हमारे एक मामा यहां हैं , एक वहां और  एक भूलेश्वर के  पंचमुखी हनुमान मंदिर के महंत हैं।  बम्बई में फूलवाली गली के बगल से है यह मंदिर। मैने इस लोकेशन तक पहुंचने की जानकारी ली और एक दिन दोपहर के बाद पहुच गया भूलेश्वर के इस मंदिर के द्वार पर ।


भूतल पर हनुमान जी विराजे हैं , बगल से जो जीना जाता है फर्स्ट फ्लोर के लिये वहां महंत जी बैठते हैं ।...हनुमान जी को प्रणाम कर जीना चढ़ गया । देखा सामने महंत जी बैठे हैं । मैने चित्रकूट का नाम लिया । आइए , आइये । कैसे आना हुआ । मैने उन्हें संक्षेप में अपनी कथा सुनाते हुए कहा ,यहां इंडियन एक्सप्रेस में पिछले दिनों ज्वाइन किया है । अभी कल्याण में रुके हैं । यहीं आसपास कहीं रहने की जगह तलाश रहे हैं । वहां  से आना जाना दिक्कत तलब है , घंटे भर से ऊपर लगते हैं । महंत जी ने चाय नाश्ता कराया और बातें होती रहीं । शाम होने पहले मैं  निकल जाना चाहता था । चलने की अनुमति मांगी । उन्होंने अपने साथ आने को कहा और एक फ्लोर और ऊपर ले गए , जगह दिखाई , बोले ये आप के रहने की जगह है । ये जगह जरूरतमंद छात्रों के लिए होती है । आज तो शनिवार है , आज यहीं रुकिए , कल जा कर सामान ले आइयेगा ।...बड़े हाल जैसी जगह है , खूब खिड़कियां हैं , खुली जगह है , बाहर मंदिरों के शिखर दिख रहे हैं । फर्श पर मोटी दरी  बिछी है ।चार पांच अटैचियाँ रखी हैं । महंत जी बोले यहां ज्यादा कुछ नहीं चाहिए ।अपना चादर बिछाइये और सो जाइये । मनचाही मुराद मिल जाये तो और क्या चाहिए । मन ही मन ऊपर वाले का शुक्रिया अदा किया , संकोचवश महंत जी से कुछ नहीं कह पाया । 


शाम ढल रही है , मैं महंत जी की इजाजत ले कर कुछ देर के लिए नीचे उतार गया । जाते हुए महंत जी ने कहा 9 बजे तक आ जाना , भोजन यहीं करना है । उतरते हुए फिर हनुमान  जी को प्रणाम किया । बगल में ही फूल वाली गली है ।


 सड़क पर आया तो पता चला कि यह जगह कॉटन एक्सचेंज के नाम से जानी जाती है । सड़क पार कर गया । यहीं पास ही रमेश निर्मल और कीर्ति राणा रहते हैं । दिसंबर है पर उत्तर भारत की तरह यहां सर्दियों के कोई लक्षण नहीं हैं । दोनों से मिल कर और अपना ताजा हाल बता कर 9 बजे तक आ गया । रमेश निर्मल ने कहा , सुबह चाय साथ पियेंगे ।  


भोजन से पहले देखा , सिक्कों के ढेर लगे हैं । चढ़ावे की राशि है । महंत जी ने कहा  कि मंगलवार और शनिवार को अगर आप शाम को यहां हैं तो इन सिक्कों को छाँट  कर अलग करने में सहयोग दीजियेगा । आधा घंटे में काम निबट गया । भोजन हुआ और रात्रि विश्राम । 


सुबह चार साढ़े चार बजे , घंटे घड़ियाल बजने लगे । पहले से रह रहे साथियों ने बताया , फ्रेश हो कर जल्दी नहा लीजिये , पानी देर तक नहीं रहता फिर नीचे जाना पड़ता है । यह पूरा इलाका चार बजे से जाग जाता है , मंदिरों में चहल पहल बढ़ने लगती है । स्नान आदि के बाद एक साथी ने कहा , कपड़े पहनिए नीचे आइए । नीचे आकर उन्होंने चाय पिलाई और ले गए  सुबह सुबह  बम्बई के दर्शन कराने । चर्नी रोड स्टेशन पार कर हम आ गये समंदर किनारे । भोर फुट रही थी , लहरें करवट बदल रहीं थी ।


साथी से परिचय हुआ वे यहां रह कर सी ए कर रहे हैं , राजस्थान से हैं । साथी ने पूछा ओबेरॉय होटल तक चला जाये । मैंने हामी भर दी । अभी उजाला नहीं फूटा था , छीजती हुई रात थी । समंदर की लहरें सांवली नागिन की तरह चमक रही थीं । रात की रानी चौपाटी को पीछे छोड़ते हुए हम समंदर के साथ साथ हल्की फुल्की बातें करते हुए चलने लगे ।... मरीन लाइंस स्टेशन आया इसके बाद चर्चगेट , नरीमन प्वाइंट पर आया , एयर इण्डिया के बगल में तन कर  खड़े एक्सप्रेस टॉवर को दिखाते हुए मैंने अपने साथी बताया की यह मेरा ऑफिस  है। ओबेराय के आगे से हम एण्ड तक जा कर लौट पड़े। ... सुबह सुबह  वाक करने करने वाले बढ़ने लगे थे । रात सिमट रही थी , धीरे धीरे  आसमान साफ़ हो रहा था। चौपाटी आते आते सुबह के 6 बजे  का समय हो रह था। नज़ारा यह था -


प्रात नभ था बहुत नीला शंख जैसे 


भोर का नभ 


राख से लीपा हुआ चौका 


(अभी गीला पड़ा है )


बहुत काली सिल ज़रा-से लाल केसर से 


कि जैसे धुल गई हो 


स्लेट पर या लाल खड़िया चाक 


मल दी हो किसी ने 


नील जल में या किसी की 


गौर झिलमिल देह 


जैसे हिल रही हो। 


और... 


जादू टूटता है इस उषा का अब 


सूर्योदय हो रहा है।


कवि शमशेर की कविता जीवंत हो रही है । मंदिर मे आकर थोड़ा विश्राम के बाद रमेश निर्मल जे साथ चाय पी कर कल्याण के लिए निकल जाता हूँ । 


...यहां जहां रुक हूँ ये एक मराठी परिवार है । इस परिवार के प्रमुख रेलवे में ट्रेन के चालक हैं । अभी बाहर हैं , यहां उनकी पत्नी और बहन हैं, अजीब से संकोच में  हूँ इन महिलाओं के बीच । ये दोनों महिलाएं मेरा बाद ख्याल रख रहीं है । भोजन के समय एक खाना पकाती हैं एक मेरे पास बैठती हैं । यहां थाली में एक समय में एक चपाती रखते है, दाल , सब्जियां , सलाद , पापड़ सब है । स्वादिष्ट और सात्विक खाना है । भोजन के बाद मैं उन्हें अपनी व्यवस्था भूलेश्वर में होने की बात बताता हूँ । सामान तो कुछ ज्यादा है नहीं एक अटैची एक बैग है , मैं भूलेश्वर के लिए निकल लेता हूँ । ये  सेंटल लाइन जो वीटी जाती है , इससे मस्जिद  बंदर उतर भूलेश्वर पहुंच जाता हूँ ।इस लाइन से मस्जिद बंदर और वेस्टर्न लाइन के चर्नी रॉड स्टशन , दोनों तरफ से पैदल मार्च करते हुए 10 मिनट का रास्ता है  भूलेश्वर के हनुमान मंदिर  तक का । 3 बज रहे हैं , मैं अपना सामान अपने साथियों के  निर्देश पर  हाल में सब से किनारे लगाने की सोचता हूँ , बताया जाता है , इधर नहीं ,यहां तक बारिश का पानी कभी कभी आ जाता है , आप तो ये दीवार का किनारा पकड़िए ।


 भोजन के समय अगर आप मंदिर में हैं तो भोजन यहीं कीजिये , ऐसा महंत का कहना है ।...यहां भूतल पर हनुमान जी विराजे हैं , पहले माले पर महंत जी ,  दूसरे माले पर हमलोग , तीसरे माले पर आने जाने वाले साधू संत रुकते हैं । बढ़िया चहल पहल  वाला इलाका है । खूब सजे बजे हैं बाज़ार ।


...यह इलाका सुबह 4 बजे घड़ी , घंटों आरती की स्वर लहरियों के साथ जाग जाता । साढ़े 4 बजे मैं चर्नीरोड होता हुआ चौपाटी पहुंच जात हूं । शांत प्रशांत महा सागर और प्रभात बेला । दाहिनी ओर गुमसुम चौपाटी और उससे ऊपर मलबार हिल की जगमगाती पहाड़ी । बम्बई के संपन्न लोगों की रिहाइश । बम्बई सुबह जल्दी जागता है और रात देर से सोता है । रात 2बजे तक बम्बई अपनी रौनक के साथ कामकाजी लोगों के लिए लोकल ट्रेन की सुविधा देती है । 2 से चार बजे तक यह सुविधा विश्राम पाती है । सुबह 4 बजे से रात 2 बजे तक लोकल फिर आपके साथ हो जाती है । बम्बई के जनजीवन के लिए प्राण है लोकल । वेस्टर्न , सेंट्रल और हार्बर तीन रुट हैं लोकल के ।चर्चगेट से विरार तक वेस्टर्न , वीटी से अम्बर नाथ तक सेंट्रल और हार्बर वीटी से चेम्बूर की तरफ  जाती है । . .जहां तक लोकल से अपने सफर का वास्ता है अंधेरी तक का तो तीनों रुट के लिए एक माह का फेयर बनता है 29 रुपये । ..लोकल की इस सुविधा के साथ अब आपके पास 2 रुपये भी हों तो आराम से दिन काट सकते हैं । बस भी कालबा देवी से मेरे गंतव्य , चर्चगेट या वीटी तक मिनिमम 25-30 पैसे में पहुंचा देती है  ।


 वैसे इन जगहों पर मुझे पैदल जाना ज्यादा पसंद है । सेहत की दृष्टि  से और शहर के भूगोल ज्ञान के हिसाब से भी ।... पैदल में कोई आप के साथ हो न हो आप तो अपने साथ होते हो ।..रोजाना 30 मिनट यानी करीब 10 हजार कदम मतलब 6-7 किलोमीटर पैदल चलने का बड़ा फायदा है ।...इस बात का ध्यान रखें कि अगर आप छोटे कद के हैं तो थोड़ा तेज चलिए और  अगर आप बड़े हैं तो धीरे-धीरे । चलते समय लंबी सांसें लेना भी याद रखें । ताकि आप को पर्याप्त ऑक्सीजन मिल सके।


मेरी यह सुबहें  अपने आप से साक्षात्कार की सुबहें है । इन सुबहों में मैं स्वयं को अकेलें  ज्यादा बेहतर महसूस करता हूँ । कोई साथ हो तो गपशप से बचता हूँ । ... मौन आत्म संवाद का पहला चरण है । ...मौन से संकल्प शक्ति की वृद्धि तथा वाणी के आवेगों पर नियंत्रण होता है। मौन आन्तरिक लय है । मौन के क्षणों में आन्तरिक जगत के नवीन रहस्य उद्घाटित होते है। वाणी का अपब्यय रोककर मानसिक संकल्प के द्वारा आन्तरिक शक्तियों के क्षरण को रोकना परम् मौन को उपलब्ध होना है। 


योग कहता है कि मौन ध्यान की ऊर्जा और सत्य का द्वार है। मौन से मन की चंचलता शांत होती है , मन निष्क्रिय होता है ।  मौन से मन की ‍शक्ति बढ़ती है।   योग में किसी भी क्रिया को करते समय मौन का  बड़ा महत्व है ।


अनुभूतियां तो होती है बशर्ते आप सहेज पाएं । बेचैन मन छलका देता है ।...मन चेतना की  वह क्षमता हैं जो हमारे चिंतन , स्मरण , निर्णय  , बुद्धि, भाव, एकाग्रता, व्यवहार, परिज्ञान आदि में सक्षम बनाता है । मन ही सुख दुख का कारक है । ...मन के हारे हार है /  मन के जीते जीत ।...जो मन के चंचल अश्व को साध लेता है वह इस दृश्यमान जगत को दृष्टा या साक्षी भाव से देखता है । यही निर्लिप्तता और निष्काम वृत्ति यथेष्ट हैं ।...ये सुबहें बड़ी सात्विक हैं , नहाई नहाई सी , रातें बड़ी कौतूहल भरी होती हैं यहीं नशीली नशीली सी । ...रातें अप्सराओं जैसी , सुबहें साध्वी सी सात्विक । ...बम्बई आपको रूप ,  रस , रंग , सौंदर्य , फ़िल्म , कला , ज्ञान , विज्ञान तमाम विधाओं से रू-ब-रू कराती हैं । आप चुनिए आपका हेतु क्या है । 

अब ज्ञानयोग से कर्मयोग की ओर चलते हैं । ...बच्चे अपने स्कूल के लिए निकल पड़े हैं । शहर गति पकड़ रहा है , सुबह  सूरज की अरुणाभा अपनी रंगत दिखा रही है । लौटते हैं अपने ठिकाने की ओर ।....जारी 


मंगलवार  /26  - 10 -21 / 09 -35 पी एम

जम्मू कश्मीर की वादियों में खुनी अक्टूबर


सूरज यादव 

*जम्मू कश्मीर में अक्टूबर का महीना इस साल का अब तक का सबसे कातिल महीना साबित* हुआ है। एक ही महीने में आतंकी मुठभेड़ों में कुल 44 मौतें हुई हैं। एक तरफ सुरक्षा बलों ने 19 आतंकियों को एकाउंटर में ढेर किया है तो वहीं दूसरी तरफ 12 सुरक्षाकर्मियों की शहादत हुई है। इसके अलावा 13 नागरिकों की आतंकी हमलों में मौत हुई है। इस साल फरवरी से पाकिस्तान के साथ जारी सीजफायर और घुसपैठ की घटनाओं में कमी के बाद भी जम्मू कश्मीर में कई मोर्चों पर हिंसक घटनाओं में इजाफा देखने को मिला है। 5 बाहरी मजदूरों समेत कुल 13 नागरिकों की जान आतंकियों ने ली है। 


इनमें घाटी के अल्पसंख्यक समुदायों के भी 3 लोग शामिल हैं। इस तरह से आतंकियों ने आम लोगों में भी दहशत पैदा करने की कोशिश की है, जिन्हें अब तक वे निशाना बनाने से बचते थे। इन घटनाओं के चलते घाटी से पलायन भी बढ़ा है और अब तक 350 से ज्यादा परिवार निकल चुके हैं। हालांकि आतंकी हमलों के जवाब में सुरक्षा बलों ने कड़ी कार्रवाई की है। बीते करीब 20 दिनों से राजौरी-पुंछ के जंगलों में सुरक्षा बलों ने आतंकियों को घेर रखा है। अब तक 14 मुठभेड़ों में सुरक्षा बल 19 आतंकियों को ढेर कर चुके हैं। 


इन मुठभेड़ों के अलावा जम्मू कश्मीर सरकार ने भी सख्ती बरती है। आतंकियों के समर्थकों और ओवरग्राउंड वर्कर्स पर ऐक्शन लेते हुए उन्हें नौकरियों से हटा दिया गया है। हालांकि बीते करीब एक सप्ताह से माहौल थोड़ा शांत लग रहा है। पिछले ही दिनों होम मिनिस्टर अमित शाह जम्मू कश्मीर के तीन दिनों के दौरे पर पहुंचे थे और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा समेत कई अधिकारियों के साथ मीटिंग की थी।

सरदार पटेल की जयंती के अवसर पर अखिल भारतीय कवि सम्मेलन

अखंड,एकीकृत भारत पटेल की देन:विजय प्रकाश 


औरंगाबाद,1 नवम्बर। 

सरदार पटेल ने देश के लगभग छह सौ रजवाड़े  को अपने देश में मिलाकर देश को मजबूत किया।आज अखंड एवं एकीकृत भारत सरदार पटेल की देन है। 

    उपरोक्त बातें वरीय शिक्षाविद एवं अवकाश प्राप्त भारतीय प्रशासनिक पदाधिकारी श्री विजय प्रकाश ने सरदार पटेल की जयंती के अवसर पर साहित्य,

कला व सांस्कृति की संवाहक संस्था " साहित्यकुंज" द्वारा ऑनलाइन आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का उद्धाटन करते हुये कही।

    वरीय साहित्यकार श्रीराम राय की अध्यक्षता एवं वरीय रचनाकार अरविन्द अकेला एवं नवोदित संचालिका सुश्री करिश्मा सिंह के कुशल संचालन में संचालित इस कवि सम्मेलन में राजेश कुमार "मक्खन"झाँसी",कलावती करवा (कूचबिहार),

रंजना विनानी"काव्या ",स्वाति जैसलमेरिया (रेवा),मधु वैष्णव "मान्या"(जयपुर),आरती तिवारीसनत(वाराणसी),

मीना जैन "दुष्यंत" 

(भोपाल),प्रीति हर्ष (नागपुर),मधु भूतडा,

निर्मल जैन "नीर", प्रकाश कुमार (मधुबनी),वीणा आडवाणी "तनवी",गीता पाण्डेय"अपराजिता"(रायबरेली),डाक्टर ब्रजेन्द्र नारायण द्विवेदी "शैलेश"

(बाराणसी),अणपूर्णा मालवीय "सुभाषिणी"

 (प्रयागराज),हीरा सिंह "कौशल"(हिमाचल प्रदेश),डाक्टर बत्सला (झालावाड),कुमारी चन्दा देवी मालाकार

(जबलपुर)एवं ईश्वर चंद्र जायसवाल(गोडा)सहित

तीन दर्जन कवियों,

कवयित्रियों,व गजलकारो ने अपनी अपनी कविताओं,गीतों व गजलों के माध्यम से संपूर्ण वातावरण को काव्यमय बना दिया।

     कार्यक्रम के पूर्व आगत अतिथियों का स्वागत वरीय कवियित्री आदरणीया सुषमा सिंह ने किया जबकि सम्मेलन को मुख्य अतिथि के रूप में दिल्ली से पधारे वरीय पत्रकार अनामी शरण "बबल" एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में औरंगाबाद जिले के वरीय पत्रकार प्रमेन्द्र कुमार मिश्र ने संबोधित किया।कार्यक्रम में कविवर अरविन्द अकेला एवं श्री राम राय द्वारा सभी कवियों को सम्मानित किया गया।

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            अरविन्द अकेला