मंगलवार, 28 फ़रवरी 2023

होलाष्टक शुरू,

 आज से होलाष्टक शुरू,

मांगलिक कार्यों पर लगेगी रोक:

*पंडित कृष्ण मेहता*

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फाल्गुन माह के शुक्ल अष्टमी से फाल्गुन माह की पूर्णिमा तक होलाष्टक का समय माना जाता है, जिसमें शुभ कार्य वर्जित रहते हैं। होला अष्टक अर्थात होली से पहले के वो आठ दिन जिस समय पर सभी शुभ एवं मांगलिक कार्य रोक दिए जाते हैं। होलाष्टक का लगना होली के आने की सूचना है।

होलाष्टक में आने वाले आठ दिनों का विशेष महत्व होता है। इन आठ दिनों के दौरान पर सभी विवाह, गृहप्रवेश या नई दुकान खोलना इत्यादि जैसे शुभ कार्यों को नहीं किया जाता है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका पर्व मनाया जाता है। इसके साथ ही होलाष्टक की समाप्ति होती है।

कब से कब तक होगा होलाष्टक

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होलाष्टक का आरंभ - 27 फरवरी 2023 को सोमवार के दिन से होगा।

होलष्टक समाप्त होगा - 07 मार्च 2023 को मंगलवार के दिन होगा।

होलाष्टक का समापन होलिका दहन पर होता है। रंग और गुलाल के साथ इस पर्व का समापन हो जाता है। होली के त्यौहार की शुरुआत ही होलाष्टक से प्रारम्भ होकर धुलैण्डी तक रहती है। इस समय पर प्रकृति में खुशी और उत्सव का माहौल रहता है। इस दिन से होली उत्सव के साथ-साथ होलिका दहन की तैयारियां भी शुरु हो जाती है।

होलाष्टक पर नहीं किए जाते हैं ये काम

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होलाष्टक मुख्य रुप से पंजाब और उत्तरी भारत के क्षेत्रों में अधिक मनाया जाता है। होलाष्टक के दिन से एक ओर जहां कुछ मुख्य कामों का प्रारम्भ होता है। वहीं कुछ कार्य ऎसे भी काम हैं जो इन आठ दिनों में बिलकुल भी नहीं किए जाते हैं। यह निषेध अवधि होलाष्टक के दिन से लेकर होलिका दहन के दिन तक रहती है।

होलाष्टक के समय पर हिंदुओं में बताए गए शुभ कार्यों एवं सोलह संस्कारों में से किसी भी संस्कार को नहीं किया जाने का विधान रहा है। मान्यता है की इस दिन अगर अंतिम संस्कार भी करना हो तो उसके लिए पहले शान्ति कार्य किया जाता है। उसके उपरांत ही बाकी के काम होते हैं। संस्कारों पर रोक होने का कारण इस अवधि को शुभ नहीं माना गया है।

इस समय पर कुछ शुभ मागंलिक कार्य जैसे कि विवाह, सगाई, गर्भाधान संस्कार, शिक्षा आरंभ संस्कार, कान छेदना, नामकरण, गृह निर्माण करना या नए अथवा पुराने घर में प्रवेश करने का विचार इस समय पर नहीं करना चाहिए। ज्योतिष अनुसार, इन आठ दिनों में शुभ मुहूर्त का अभाव होता है।

होलाष्टक की अवधि को साधना के कार्य अथवा भक्ति के लिए उपयुक्त माना गया है। इस समय पर केवल तप करना ही अच्छा कहा जाता है। ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए किया गया धर्म कर्म अत्यंत शुभ दायी होता है। इस समय पर दान और स्नान की भी परंपरा रही है।

होलाष्टक पर क्यों नहीं किए जाते शुभ मांगलिक काम

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होलाष्टक पर शुभ और मांगलिक कार्यों को रोक लगा दी जाती है। इस समय पर मुहूर्त विशेष का काम रुक जाता है। इन आठ दिनों को शुभ नहीं माना जाता है। इस समय पर शुभता की कमी होने के कारण ही मांगलिक आयोजनों को रोक दिया जाता है।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक, दैत्यों के राजा हिरयकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान श्री विष्णु की भक्ति न करने को कहा। लेकिन प्रह्लाद अपने पिता कि बात को नहीं मानते हुए श्री विष्णु भगवान की भक्ति करता रहा। इस कारण पुत्र से नाराज होकर राजा हिरयकश्यप ने प्रह्लाद को कई प्रकार से यातनाएं दी। प्रह्लाद को फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तिथि तक बहुत प्रकार से परेशान किया। उसे मृत्यु तुल्य कष्ट प्रदान किया। प्रह्लाद को मारने का भी कई बार प्रयास किया गया। प्रह्लाद की भक्ति में इतनी शक्ति थी की भगवान श्री विष्णु ने हर बार उसके प्राणों की रक्षा की।

आठवें दिन यानी की फाल्गुन पूर्णिमा के दिन हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका को जिम्मा सौंपा। होलिका को वरदान प्राप्त था की वह अग्नि में नहीं जल सकती। होलिका प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाती है। मगर भगवान श्री विष्णु ने अपने भक्त को बचा लिया। उस आग में होलिका जलकर मर गई लेकिन प्रह्लाद को अग्नि छू भी नहीं पायी। इस कारण से होलिका दहन से पहले के आठ दिनों को होलाष्टक कहा जाता हैं और शुभ समय नहीं माना जाता।

होलाष्टक पर कर सकते हैं ये काम

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होलाष्टक के समय पर जो मुख्य कार्य किए जाते हैं। उनमें से मुख्य हैं होलिका दहन के लिए लकडियों को इकट्ठा करना। होलिका पूजन करने के लिये ऎसे स्थान का चयन करना जहां होलिका दहन किया जा सके। होली से आठ दिन पहले होलिका दहन वाले स्थान को शुद्ध किया जाता है। उस स्थान पर उपले, लकडी और होली का डंडा स्थापित किया जाता है। इन काम को शुरु करने का दिन ही होलाष्टक प्रारम्भ का दिन भी कहा जाता है।

शहरों में यह परंपरा अधिक दिखाई न देती हो, लेकिन ग्रामिण क्षेत्रों में आज भी स्थान-स्थान पर गांव की चौपाल इत्यादि पर ये कार्य संपन्न होता है। गांव में किसी विशेष क्षेत्र या मौहल्ले के चौराहे पर होली पूजन के स्थान को निश्चित किया जाता है। होलाष्टक से लेकर होलिका दहन के दिन तक रोज ही उस स्थान पर कुछ लकडियां डाली जाती हैं। इस प्रकार होलिका दहन के दिन तक यह लकडियों का बहुत बड़ा ढेर तैयार किया जाता है।

शास्त्रों के अनुसार होलाष्टक के समय पर व्रत किया जा सकता है, दान करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है। इन दिनों में सामर्थ्य अनुसार वस्त्र, अन्न, धन इत्यादि का दान किया जाना अनुकूल फल देने वाला होता है।

होलाष्टक का पौराणिक महत्व

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फाल्गुण शुक्ल अष्टमी से लेकर होलिका दहन अर्थात पूर्णिमा तक होलाष्टक रहता है। इस दिन से मौसम की छटा में बदलाव आना आरम्भ हो जाता है। सर्दियां अलविदा कहने लगती है, और गर्मियों का आगमन होने लगता है। साथ ही वसंत के आगमन की खुशबू फूलों की महक के साथ प्रकृ्ति में बिखरने लगती है। होलाष्टक के विषय में यह माना जाता है कि जब भगवान श्री भोले नाथ ने क्रोध में आकर काम देव को भस्म कर दिया था, तो उस दिन से होलाष्टक की शुरुआत हुई थी।

इस दिन भगवान श्री विष्णु का पूजन किया जाता है। होलाष्टक की एक कथा हरिण्यकश्यपु और प्रह्लाद से संबंध रखती है। होलाष्टक इन्हीं आठ दिनों की एक लम्बी आध्यात्मिक क्रिया का केन्द्र बनता है जो साधक को ज्ञान की परकाष्ठा तक पहुंचाती है।

मंगलवार, 21 फ़रवरी 2023

चित्रा मुद्गल को वेदव्यास सम्मान*

 


  साहित्यकार गंगा राम राजी को कथा साहि.त्य पर साहित्य रत्न पुरस्कार दिया जाएगा। यह पुरस्कार इंडिया नेटबुक्स एवं बीपीए फाउंडेशन की ओर से 12 मार्च को दिल्ली में दिया जाएगा। इंडिया नेटबुक्स, बीपीए फाउंडेशन और अनुस्वार की साझेदारी में हर साल पंडित भगवती प्रसाद अवस्थी की जयंती पर रचनाकारों को सम्मानित किया जाता है। पुरस्कारों के संयोजक संजीव कुमार ने कहा कि इस वर्ष का शिखर सम्मान - वेद व्यास सम्मान चित्रा मुद्गल को दिया जाएगा। बागीश्वरी सम्मान के लिए प्रताप सहगल को नामित किया गया है।

  साहित्य विभूषण सम्मानों के लिए फारुक अफरीदी, गिरीश पंकज, राहुल देव और प्रबोध कुमार गोविल का चयन किया गया है। साहित्य भूषण पुरस्कार के लिए विवेक रंजन श्रीवास्तव, अरुण अर्णव खरे, धर्मपाल महेंद्र जैन कनाडा, उर्मिला शिरीष, श्याम सखा श्याम, हरिप्रकाश राठी, अनिता कपूर यूएसए, संध्या सिंह सिंगापुर, बीना सिन्हा नेपाल, मंजू लोढा, राजेंद्र मोहन

शर्मा जयपुर को चुना गया है। साहित्य रत्न पुरस्कार के लिए अंजू खरबंदा, स्वाति चौधरी, सीमा चड्डा, अर्णा चार्वी अग्रवाल, प्रदीप कुमार मनोरमा ईयर बुक, आलोक शुक्ला, सुषमा मुनींद्र, यशोधरा भटनागर, मनोज अबोध, जयराम जय, रोहित कुमार हैप्पी न्यूजीलैंड, गंगाराम राजी, बलराम अग्रवाल, कमलेश भारतीय, देवेंद्र जोशी, राम अवतार बैरवा, शैलेंद्र शर्मा, सुभाष नीरव एवं पारूल तोमर को दिया जाएगा। आलोक शुक्ला, संजय मिश्रा, रिंकी त्रिवेदी, सुधीर आचार्य, वरुण महेश्वरी और प्रेम विज को समाज रत्न पुरस्कार दिया जाएगा।



रविवार, 12 फ़रवरी 2023

निवेश का सुरक्षित गंतव्य होगा उत्तर प्रदेश: सीएम योगी*

 


राजेश सिन्हा 


*पहले निवेश का मतलब सिर्फ एनसीआर में निवेश, अब प्रदेश के सभी 75 जनपदों में 33.5 लाख करोड़ का निवेश*


*ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के समापन समारोह में बोले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ*


लखनऊ, 12 फरवरी। उत्तर प्रदेश ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 के समापन समारोह में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का स्वागत करने के साथ देश-दुनिया से आए निवेशिकों, औद्योगिक घरानों के प्रमुखों प्रतिनिधियों, विदेशों से आए राजनयिकों समेत समिति के सभी भागीदारों के प्रति आभार जताते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सबको विश्वास दिलाया कि उत्तर प्रदेश निवेश का सुरक्षित गंतव्य होगा। उत्तर प्रदेश में आया और आने वाला निवेश प्रदेश के विकास में सहायक तो होगा ही, स्वयं निवेशकों के लिए भी काफी फलदायी होगा। 


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीन दिन तक चले ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की उपलब्धियों की जानकारी देते हुए बताया कि निवेश के इस वैश्विक महाकुंभ में 33.50 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले। इसके बारे में किसी ने सोचा भी नहीं था। इस निवेश से 93 लाख नौकरी व रोजगार का सृजन होगा। उन्होंने कहा कि पहले निवेश का मतलब सिर्फ एनसीआर में निवेश होता था। समिट में प्रदेश के सभी 75 जनपदों के लिए निवेश मिले हैं। कमजोर समझे जाने वाले पूर्वांचल व बुंदेलखंड में भी भारी निवेश आया है। 9.54 लाख करोड़ तथा बुंदेलखंड में 4.28 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। उन्होंने विश्वास दिलाया कि मंत्री समूह व प्रशासनिक अधिकारी मिलकर टीम भावना से सभी निवेश प्रस्तावों को व्यवस्थित तरीके से धरातल पर उतारेंगे। 


मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रिफार्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म के मूल मंत्र पर काम किया। पारदर्शी नीतियों और तकनीकी को अपनाकर निवेश के चार स्तम्भो पर काम किया। एमओयू से लेकर निवेश को धरातल पर उतारने तक के चरणों में उद्यमियों की सहायता के लिए निवेश सारथी, निवेश मित्र, मुख्यमंत्री उद्यमी मित्र और इंसेंटिव मॉनिटरिंग सिस्टम जैसे पारदर्शी सिंगल विंडो सिस्टम बनाए गए। इन सबके साथ हर निवेशक प्रदेश के कानून व्यवस्था से प्रभावित होकर निवेश के लिए आकर्षित हुआ। 


सीएम योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में असीम संभावनाएं हैं प्रधानमंत्री की अनुकंपा से औद्योगिक निवेश को आगे बढ़ाने में मदद मिल रही है। उन्होंने कहा कि नए भारत के विकसित उत्तर प्रदेश और देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का प्रदेश बनाने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। उन्होंने जोर देकर कहा कि देश के किसी भी राज्य की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य लेकर यूपी को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का प्रदेश मनाया जाएगा।


मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सौभाग्य की बात है कि उत्तर प्रदेश वैश्विक निवेश महाकुंभ को 10 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक नई ऊंचाई प्रदान की। विगत नौ वर्षों में पीएम मोदी के नेतृत्व में पूरी दुनिया में भारत का सम्मान बढ़ा है। इस बढ़े सम्मान का लाभ ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के भव्य आयोजन में उत्तर प्रदेश को भी मिला है। वैश्विक समुदाय निवेश के सबसे अच्छे गंतव्य उत्तर प्रदेश के प्रति आकर्षित हुआ है। 


उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश प्राचीनकाल से ही आध्यात्मिक, सांस्कृतिक विरासत से समृद्ध है। विश्व की सबसे प्राचीन नगरी, काशी का बाबा विश्वनाथ धाम पूरी दुनिया को आकर्षित करता है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या हो या कान्हा मथुरा वृंदावन यूपी में है। गंगा, जमुना और सरस्वती की त्रिवेणी, कुंभ की धरती प्रयागराज भी यही है। भगवान बुद्ध की साधना स्थली, बाल्यकाल का क्षेत्र, प्रथम उपदेश की प्रथम भूमि और महापरिनिर्वाण स्थली भी यूपी के सौभाग्य में शामिल है। या विद्या की धरती है तो विशिष्ट पहचान रखने वाले परंपरागत उद्यम के आकर्षण की भी धरती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री की प्रेरणा से प्रत्येक जनपद के विशिष्ट उत्पाद, परंपरागत उद्यम को ओडीओपी से जोड़कर इन उद्यमों के उत्पादों को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई गई है। 


मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में दुनिया की सबसे उर्वरा भूमि है। दुनिया के किसी भी राज्य की सबसे बड़ी आबादी उत्तर प्रदेश में निवास करती है। सबसे बड़ी युवा शक्ति उत्तर प्रदेश में ही है। उन्होंने कहा कि 6 वर्ष पूर्व तक उत्तर प्रदेश को बीमारू राज्य जाना जाता था। अपने पुरुषार्थ और परिश्रम से उत्तर प्रदेश के नागरिकों ने बीमारू राज्य के दंश को मिटाने का संकल्प लिया। 25 सेक्टर चिह्नित कर पारदर्शी नीतियां बनाई और आज उसका परिणाम है कि वैश्विक निवेशक समुदाय यहां निवेश करने को तत्पर है। 


सीएम योगी ने ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में मार्गदर्शन देने व सहभागी बनने के लिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के साथ ही केंद्रीय मंत्रीगण राजनाथ सिंह, अमित शाह, नितिन गडकरी, पीयूष गोयल, श्रीमती स्मृति ईरानी, अश्वनी वैष्णव, राजीव चंद्रशेखर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सभी 10 साझीदार देशों, डेनमार्क, यूएई, यूके के मंत्रियों, 9 देशों के उच्चायुक्त, देश के सभी प्रमुख उद्योगपतियों, 40 देशों के डेलीगेट समेत सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। 


ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के समापन समारोह को प्रदेश सरकार के औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्रीद्वय केशव प्रसाद मौर्य व ब्रजेश पाठक समेत मंत्रीगण, जनप्रतिनिधि, वरिष्ठ अधिकारी, देश विदेश के निवेशक, उद्यमी आदि उपस्थित रहे।

शनिवार, 11 फ़रवरी 2023

16 साल में भी काम शुरू

 

कुमार सूरज 


औरंगाबाद सांसद सुशील कुमार सिंह लोकसभा में नियम 377 के अंतर्गत लोकसभा अध्यक्ष एवं भारत सरकार को ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि पूर्व मध्य रेल के अंतर्गत वर्ष 2007 में 326 करोड़ रूपए की लागत से बिहटा-औरंगाबाद नई रेल परियोजना की स्वीकृति प्रदान की गई और परियोजना का कार्य 2011-12 में पूरा किया जाना था।इस परियोजना से पटना,अरवल,जहानाबाद और औरंगाबाद की जनता लाभान्वित होगी।इस क्षेत्र का अधिकांश भाग अति पिछड़ा और एल.डब्ल्यू.ई. के अधीन है।इस परियोजना के लिए कई बार सर्वेक्षण हुआ और किसानों को भूमि अधिग्रहण के लिए नोटिस भी जारी किया गया परंतु बताया गया है कि परियोजना की प्राक्कलन राशि 326 करोड़ रूपये से बढ़कर 2800 करोड़ रूपए हो गई।इस संबंध में मेरे द्वारा मामले को कई बार लोकसभा में उठाया गया है और सांसदों के साथ रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से परियोजना का कार्य शीघ्र पूरा कराने के लिए व्यक्तिगत रूप से आग्रह किया गया है।संबंधित क्षेत्र के प्रतिनिधिमंडल द्वारा इस परियोजना का कार्य पूरा कराने के लिए धरना प्रदर्शन भी किया गया लेकिन सरकार द्वारा समुचित राशि का आवंटन नहीं करने और अन्य कारणों से परियोजना का कार्य लम्बित है। अधिकारियों की उदासीनता के कारण प्राक्कलन राशि में काफी वृद्धि हो गई है और इस पिछड़े क्षेत्र की जनता को विकास योजना से वंचित करने का कार्य किया गया। मेरा आग्रह है कि बिहटा औरंगाबाद रेल परियोजना का कार्य शीघ्र पूरा किया जाए।इस रेल परियोजना को पूर्ण होने से बेहतर स्थानीय संपर्क उपयोगी होगा एवं इसके साथ-साथ इलाके में ब्यवसाय और विकास के लिए नए आयाम शुरु होंगे।



बुधवार, 8 फ़रवरी 2023

अंग्रेज vs

 अंग्रेज ही हैं जो प्रेम के क्षेत्र में उपभोक्ता वादी संस्कृति लाये। उन्होंने ही हमें सिखाया कि बाबू है सदा के लिये ,वाली हमारी थ्योरी पुरानी पड़ चुकी।बाबू कोई हीरा जैसी शाश्वत चीज़ नहीं ।आनी जानी चीज़ है वो ,उसे छूट गई रेलगाड़ी से अधिक महत्व दिया जाना अकारण है।एक बाबू के जाने से जीवन ख़त्म नहीं होता।


वक्त बदल गया है अब।पहले के ज़माने में किशोर कुमार जैसे लड़के मन ही मन जोड़ घटाना करते करते अशोक कुमार हो जाते थे।मुँह में दही जमाये रहने की परम्परा थी पहले ।कहना है पर कहा नही जा रहा ! देखा देखी में ही सामने वाली इंतज़ार करते करते दादी नानी हो लेती थी और ये भाई लाठी टेकते टेकते दुनिया छोड़ जाते थे। 


आजकल प्रपोज़ करना पहले से ज़्यादा आसान है।किसी से कहना है तो कह के फ़ुर्सत हो लें।सामने वाली ने हाँ कह दिया तो मौज है आपकी ।ना हो तो इसमें बुरा मानने जैसा कुछ है नहीं ।बुरा मानता भी नहीं कोई।ऐसे अवसरों पर हिम्मत बनाये रखना ही उचित है।उद्यमी लड़कों के लिये अवसरों की कमी होती भी नहीं।असफलता ही सफलता की कुंजी है ।धैर्य ,परिश्रम ,एकाग्रता से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।


और फिर प्रपोज़ करने में धरा क्या है।बंदे को खुद पर भरोसा हो और जलेबी जैसी बातें करना आता हो इतना काफ़ी है।जेब में भरा पर्स रखने वाले और सच लगने जैसा झूठ बोल पाने वालों के प्रपोज़ल जल्दी मंज़ूर होते हैं।बड़े दिल वाले ,तमीजदार या भलेमानस नहीं है आप।कोई बात नहीं।पर ऐसा दिखना ज़रूरी है।फूलों और चॉकलेट्स पर पैसा खर्च करें।तारीफ़ भरे व्हाट्सअप मैसेज यदि खुद लिखने की क़ाबिलियत ना हो तो ऐसे मैसेज तलाश कर फ़ॉरवर्ड करें।


और फिर भी कुछ हासिल ना हो तो निराश ना हों।हौसला बनाये रखें।जूझते रहे।अपने बाप दादा के ज़माने का , गिरते हैं शहसवार ही मैदान ए जंग में वाला शेर याद रखें।छिले हुये घुटनों की परवाह ना करें।उठ खड़े हो।एक बार फिर दौड़ पड़ें।मंज़िल आपके इंतज़ार में है।


हमें फ़िल्म क़समें वादे के लिये गुलशन बावरा का लिखा ये महान गीत आती रहेंगी बहारें जाती रहेगी बहारें ,दिल की नज़र से दुनिया को देखो दुनिया बड़ी ही हंसी है ,याद रखना चाहिये।एक बाबू के जाने के बाद दूसरा बाबू तलाश लेना ही जीवन है।यह प्रेम की प्राकृतिक चिकित्सा है।अव्वल इससे डिप्रेशन होता ही नहीं और होता भी है तो बिना दवाइयों के जल्दी चला जाता है।


और फिर बाबू ही क्यों छोड़े आपको।आपको खुद अवसर देखकर अपने बाबू से पिंड छुड़ा लेना चाहिये।अंग्रेजों पर भरोसा ना हो तो गीता ही पढ़ लें।गीता में लिखा है कि आत्मा अजर अमर है और यह शरीर के वृद्ध ,जीर्ण शीर्ण होते ही उसे पुराने वस्रों की तरफ़ छोड दूसरे शरीर में प्रवेश कर जाती है।बाबुओं की भी यही नियति है।जब भी आप इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि आपका बाबू अब फक्कड़ हो चुका।अनुपयोगी हैं और इन मूल कारणों की वजह से बोर और खड़ूस होने की मनोदशा को प्राप्त कर चुका तो ऐसे में उससे तत्काल ,किसी ना किसी बहाने छुटकारा पाकर किसी नये बाबू को तलाश लेना ही शास्त्रसम्मत है।


प्रायः बाबू मिलते है प्रारब्ध और संयोग से ,पर यथोचित प्रयास भी करना ही होते हैं इसके लिये।आपको हासिल बाबू कितना दर्शनीय और गुणवान होगा ये आपकी अपनी औक़ात पर निर्भर है।ऐसे में खुद को परिष्कृत करने से उच्च गुणवत्ता का बाबू मिलता है।


और ऐसा बाबू जब भी दिख जाये तो उस पर अपना ठप्पा लगाने के लिये उसे प्रपोज़ करना ही पड़ता है।अब तो नहीं ,पर आज से बीस पच्चीस साल पहले तक हमारे संस्कृति प्रधान देश में प्रपोज़ करना बेहद रिस्की गतिविधि रही है।उन दिनों इस बात की पूरी आशंका बनी रहती थी कि होने वाले बाबू के बाप भाई आपको भीषण नुक़सान पहुँचा सकते हैं।सौ पचास साल पहले अंग्रेज भी कुछ ऐसी ही मानसिकता से ग्रस्त थे ऐसे में उनमें से किसी चतुर आदमी ने प्रपोज़ डे जैसे पर्व का अविष्कार किया,और इस हेतु यह विधान निश्चित किये कि बाबू तलाश रहे किसी भी बाबू को किसी भी तरह की शारीरिक हानि नहीं पहुँचायेगी जायेगी।पर यह ख़ुशी की बात है कि हमारा देश भी अब अंग्रेजों की तरह उदार और अहिंसक हो चला है।


कौन सा काम कब करना है।कैसे करना है हर चीज़ पहले से तय करके चलने वाली क़ौम है अंग्रेज। ऐसे ही इन्होंने किसी का बाबू हो जाने ,किसी को बाबू बना लेने का भी टाईम टेबल तय किया हुआ है। वे तारीख़ तय कर प्रेम करते हैं और जब प्रेम करते है तो और कुछ नही करते।अग्रेंजो के आने के पहले इस मामले मे बडी कन्फ्यूज कौम थे। हम काम के वक्त प्रेम करते थे और प्रेम के वक्त काम करते थे। हमने उनसे जो कुछ थोडी बहुत अच्छी बातें सीखी उनमें बाबू से प्रेम करने बाबत एक निश्चित समय और तारीख की प्रतीक्षा करना भी शामिल है। 


दुनिया की सबसे काबिल और दूरंदेशी कौम का तय किया हुआ ,हाँ कहो बाबू दिवस है आज। ज़ाहिर है आप भी इस इस उचित मुहूर्त में गंगा नहा सकते हैं।


मुकेश नेमा

क्या सीनियर सिटिजन होना गुनाह है?

  



 भारत में 70 वर्ष की आयु के बाद वरिष्ठ नागरिक चिकित्सा बीमा के लिए पात्र नहीं हैं, उन्हें ईएमआई पर ऋण नहीं मिलता है। ड्राइविंग लाइसेंस नहीं दिया जाता है। उन्हें आर्थिक काम के लिए कोई नौकरी नहीं दी जाती है। इसलिए वे दूसरों पर निर्भर हैं। उन्होंने अपनी युवावस्था में सभी करों का भुगतान किया था। अब सीनियर सिटिजन बनने के बाद भी उन्हें सारे टैक्स चुकाने होंगे। भारत में वरिष्ठ नागरिकों के लिए कोई योजना नहीं है। रेलवे पर 50% की छूट भी बंद कर दी गई। दुःख तो इस बात है कि राजनीति में जितने भी वरिष्ठ नागरिक हैं फिर चाहे MLA हो या MP या Ministers  उन्हें सबकुछ मिलेगा और पेंशन भी लेकिन हम सिनीअर सिटिज़न पूरी जिंदगीभर सरकार को कई तरह के टैक्स देते हैं फिर भी बुढ़ापे में पेंशन नहीं,  सोचिए अगर औलाद न संभाल पाए (किसी कारणवश ) तो बुढ़ापे में कहां जायेंगे,यह एक भयानक और पीड़ादायक बात है। अगर परिवार के वरिष्ठ सदस्य नाराज हो जाते हैं, तो इसका असर चुनाव पर पड़ेगा और सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल कौन करेगा? तो सरकार? वरिष्ठों में है सरकार बदलने की ताकत, उन्हें कमजोर समझकर न करें नजरअंदाज! वरिष्ठ नागरिकों के जीवन में किसी भी तरह की परेशानी से बचने के लिए कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।  सरकार गैर-नवीकरणीय योजनाओं पर बहुत पैसा खर्चा करती है, लेकिन यह कभी नहीं महसूस करती है कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी एक योजना आवश्यक है। इसके विपरीत बैंक की ब्याज दर घटाकर वरिष्ठ नागरिकों की आय कम कर रहा है। अगर मामूली पेंशन भी मिलती है जिसमें परिवार का गुजारा भी मुश्किल चलता है तो उस पर भी इन्कम टैक्स 😟 

एक भारतीय वरिष्ठ नागरिक होना एक अपराध लगता है...! यह सब सोशल मीडिया में साझा करें आप सभी सोशल मीडिया से जुड़े हुए हैं। आइए वरिष्ठ नागरिकों की आवाज को सरकार के कानों तक पहुंचाएं (इस जानकारी को सभी वरिष्ठ नागरिकों की जागरूकता के लिए साझा करें।) मैं अनसुनी आवाज को इतना जोर से सुनना चाहता हूं कि इसे एक जन आंदोलन के रूप में खड़े होने दें, हम सभी को वरिष्ठ नागरिकों ने अपने सभी मित्रों के साथ यह साझा करना चाहिए। ....।