मेरे लिए रास्ते भटकने का मतलब नवीन जानकारियों की प्राप्ति ही रही है। कई बार रास्ते भटकने के बाद ही अति महत्वपूर्ण पुरास्थलें प्राप्त हुए हैं।
कल थोड़ी सी भटकाव के उपरांत रजवाड़ा चौक पर रुका और जैसे ही पीछे मुड़ा तो देखा कि पीपल पेड़ के नीचे 09-11वीं शताब्दी की एक देवी प्रतिमा मेरे ही प्रतीक्षा में थी। फिर लौहयुगीन मालती से होते हुए वापस हुआ। लगभग 07 बीघा क्षेत्र में फैला बरौनी प्रखंड अंतर्गत आने वाला मालती गांव का हिस्सा एक अति विशिष्ट पुरास्थल के ऊपर बसा हुआ है, जो गंगा बेसिन से महज 03 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।
:-मुरारी कुमार झा(पुरातत्व)