ज़ी मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली : सोलह
दिसंबर 2012 के दिल्ली के सामूहिक बलात्कार मामले के दोषी के बेहद
आपत्तिजनक साक्षात्कार की बुधवार को राज्यसभा में विभिन्न दलों के सदस्यों
की ओर से कड़ी भर्त्सना किए जाने के बीच सरकार ने कहा कि वह इस साक्षात्कार
की अनुमति दिये जाने के मामले की जांच कराएगी और जिम्मेदारी तय करेगी।
सरकार ने यह भी आश्वासन दिया कि वह महिलाओं की रक्षा एवं गरिमा को बरकरार रखने के लिए प्रतिबद्ध है। उधर, गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सोलह दिसंबर सामूहिक बलात्कार मामले के दोषी का साक्षात्कार किए जाने को लेकर तिहाड़ जेल के महानिदेशक आलोक कुमार वर्मा को तलब किया है। सरकार ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई और जांच का भरोसा दिया।
तिहाड़ जेल में बंद सामूहिक बलात्कार के दोषी को साक्षात्कार की अनुमति दिये जाने के विरोध में सरकार के जवाब पर असंतोष जताते हुए जया बच्चन सहित सहित सपा के सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया। इससे पहले इसी मुद्दे पर सपा, कांग्रेस, जदयू, वाम दलों की महिला सदस्यों के आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करने के कारण बैठक को 15 मिनट के लिए स्थगित किया गया।
शून्यकाल में इस मुद्दे पर विभिन्न दलों द्वारा जताई गई चिंता और पीड़ा से सहमति जताते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सदन को आश्वासन दिया कि सरकार महिलाओं की रक्षा एवं गरिमा को बरकरार रखने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि सरकार इस बात की जांच कराएगी कि किन परिस्थितियों में इस साक्षात्कार की अनुमति दी गयी और जरूरत पड़ने पर इसके लिए जिम्मेदारी तय की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस तरह के मामलों के एक अध्ययन के लिए गृह मंत्रालय की ओर से 24 जुलाई 2013 को अनुमति दी गयी थी। उन्होंने कहा कि इसके लिए एक विदेशी महिला सहित दो पत्रकारों ने तिहाड़ जेल के भीतर जाकर साक्षात्कार लिया था।
सिंह ने बताया कि जिन शर्तो के तहत इस तरह की अनुमति दी गयी थी उसमें दोषियों से साक्षात्कार के लिए लिखित में पूर्व सम्मति लेना और असंपादित फुटेज को जेल अधिकारियों को दिखाना शामिल था। गृह मंत्री ने कहा कि बाद में जब जेल अधिकारियों ने सात अप्रैल 2014 को इस मामले में वृत्तचित्र निर्माताओं को एक कानूनी नोटिस भेजा तो उन्हें साक्षात्कार के असंपादित फुटेज दिखाये गये। उन्होंने कहा कि इसमें बलात्कार के दोषी ने कुछ बेहद आपत्तिजनक बातें कहीं थी। जेल अधिकारियों ने वृत्तचित्र निर्माताओं से इसे सार्वजनिक तौर पर नहीं दिखाने को कहा था। उन्होंने कहा कि सरकार के संज्ञान में यह बात आयी कि बीबीसी आठ मार्च को इस वृत्तचित्र को प्रसारित करने जा रहा है।
गृह मंत्री ने कहा कि सरकार ने इस वृत्तचित्र का प्रसारण रोकने के लिए अदालत से आदेश ले लिये हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने एक परामर्श जारी कर सभी चैनलों से इसका प्रसारण नहीं करने को कहा है। उन्होंने कहा कि सरकार इस साक्षात्कार की भर्त्सना करती है तथा वह इस तरह की घटनाओं का किसी संस्थान को वाणिज्यिक इस्तेमाल की अनुमति नहीं देगी। राजनाथ ने कहा कि सरकार इस बात की भी व्यवस्था कर रही है कि भविष्य में जेल के भीतर इस प्रकार के साक्षात्कार की अनुमति नहीं दी जाये। सामूहिक बलात्कार के दोषी को जल्द फांसी दिलाये जाने की कई सदस्यों की मांग पर उन्होंने कहा कि मामला अदालत के समक्ष विचाराधीन है।
प्रश्नकाल के बाद सदन में यह मुद्दा उठाए जाने पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि जिस डाक्यूमेंट्री को लेकर सारा देश शर्मिदगी और नाराजगी महसूस कर रहा है उनके अंदर भी इसे लेकर भारी नाराजगी है। उन्होंने कहा कि वह इस डाक्यूमेंट्री को किसी भी सूरत में जारी नहीं होने देंगे, चाहे वह इलेक्ट्रोनिक मीडिया पर हो, वेब मीडिया पर हो या प्रिंट मीडिया में हो। उन्होंने कहा कि इस बारे में कल ही अदालत से आदेश प्राप्त कर लिया गया है कि इस विवादास्पद डाक्यूमेंट्री को भारत में जारी नहीं किया जाएगा।
सदस्यों द्वारा यह कहे जाने पर कि अगर यह विदेशों में जारी होती है तो इसका भारत में जारी होना या नहीं होना बेमानी साबित होगा, गृह मंत्री ने कहा कि हमें भरोसा है कि यह डाक्यूमेंट्री ब्राडकास्ट नहीं होगी और इसके प्रयास किए जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि आगामी आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर इसे बीबीसी द्वारा प्रसारित किया जाना था। उन्होंने बताया कि निर्भया कांड के दोषी से इस डाक्यूमेंट्री के लिए साक्षात्कार लेने की अनुमति जेल अधिकारियों द्वारा 25 जुलाई 2013 को दी गयी थी। उन्होंने कहा कि वह इस अनुमति से अचंभित हैं। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि जेल में कैदियों से साक्षात्कार लेने के प्रावधान हों लेकिन जिस व्यक्ति को उच्चतम न्यायालय ने बलात्कारी करार दिया हो उससे साक्षात्कार की अनुमति देना चौंकाने वाली बात है। गृह मंत्री ने कहा कि वह पूरे मामले की जांच कराएंगे और अगर जरूरी हुआ तो कैदियों से साक्षात्कार लेने वाले प्रावधान को समीक्षा करके उसमें आवश्यक संशोधन करवाएंगे।
इससे पहले, शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए जदयू के केसी त्यागी ने कहा कि सामूहिक बलात्कार के दोषी मुकेश सिंह ने पीड़िता के बारे में साक्षात्कार में बेहद आपत्तिजनक बातें कही हैं। उन्होंने कहा कि यह साक्षात्कार किसी चैनल पर प्रसारित नहीं होना चाहिए। उन्होंने इस साक्षात्कार की अनुमति देने के लिए जेल के महानिदेशक एवं अन्य संबद्ध अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग की।
इस मुद्दे पर संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि यह बेहद गंभीर एवं संवेदनशील मुद्दा है और इस मामले में सरकार पूरे सदन की भावनाओं से सहमत है। उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले में जरूरी कार्रवाई कर रही है और उससे सदन को अवगत कराया जाएगा। सपा की जया बच्चन ने इस साक्षात्कार की कड़ी निंदा जताते हुए कहा कि इस पूरे मामले में पिछली सरकार का जो रूख रहा था, वही काम अब मौजूदा सरकार भी कर रही है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के नाम पर घड़ियाली आंसू बहाये जा रहे हैं।
इसी बीच, उपसभापति पी जे कुरियन द्वारा बीजद के भूपेन्द्र सिंह को शून्यकाल के तहत लोक महत्व का मुद्दा उठाये जाने के लिए लिए कहने पर जया बच्चन सहित सपा की महिला सदस्य आसन के समक्ष आकर सामूहिक बलात्कार के दोषी के साक्षात्कार की निंदा करने लगी। उनके साथ कांग्रेस, वाम एवं जदयू की महिला सदस्य भी आसन के समक्ष आ गयी। बाद में अन्य दलों के पुरुष सदस्य भी वहां आ गये। हंगामे के कारण कुरियन ने दोपहर 11 बजकर 22 मिनट पर बैठक को 15 मिनट के लिए स्थगित कर दिया गया।
सदन की बैठक फिर शुरू होने पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इसी मुद्दे पर अपना बयान दिया। बाद में मनोनीत अनु आगा ने कहा कि इस साक्षात्कार में जो बातें महिलाओं के बारे में कहीं गयी हैं, वैसी ही मानसिकता समाज में कई पुरूषों की है। मनोनीत जावेद अख्तर ने कहा कि एक वृत्तचित्र पर रोक लगाने से क्या होगा क्योंकि महिलाओ के बारे में आम पुरूषों की यही मानसिकता है। इस मानसिकता को बदलने की जरूरत है।
कांग्रेस की रजनी पाटिल एवं अंबिका सोनी ने भी कहा कि समाज में महिलाओं के बारे में, उनके वस्त्रों के बारे में पुरूषों की जो सोच है, उसे बदले बिना परिस्थितियां नहीं बदली जा सकती। वाणिज्यिक एवं उद्योग राज्यमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस मामले में सरकार ने फौरन कार्रवाई की है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस मामले में समय पर कदम उठाने के कारण अदालती रोक लगायी गयी है। उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले में सदन की भावना से पूरी तरह सहमत है। बसपा प्रमुख मायावती ने इस मामले में सरकार द्वारा की गयी कार्रवाई का स्वागत करते हुए कहा कि वृत्तचित्र बनाने की अनुमति देने के मामले की जांच समयबद्ध तरीके से करवायी जानी चाहिए। माकपा की टी एन सीमा ने कहा कि जब इस तरह की घटनाएं होती हैं तो ही हम क्यों जागते हैं, उससे पहले क्यों नहीं। उन्होंने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा के मामले में हमारी व्यवस्था बिल्कुल काम नहीं कर रही। उन्होंने कहा कि निर्भया कोष से एक भी रुपया खर्च नहीं किया गया है। कांग्रेस की विप्लव ठाकुर ने बलात्कार के अदालतों में लंबित मामलों की जल्द कार्रवाई की जानी चाहिए।
सरकार ने यह भी आश्वासन दिया कि वह महिलाओं की रक्षा एवं गरिमा को बरकरार रखने के लिए प्रतिबद्ध है। उधर, गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सोलह दिसंबर सामूहिक बलात्कार मामले के दोषी का साक्षात्कार किए जाने को लेकर तिहाड़ जेल के महानिदेशक आलोक कुमार वर्मा को तलब किया है। सरकार ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई और जांच का भरोसा दिया।
तिहाड़ जेल में बंद सामूहिक बलात्कार के दोषी को साक्षात्कार की अनुमति दिये जाने के विरोध में सरकार के जवाब पर असंतोष जताते हुए जया बच्चन सहित सहित सपा के सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया। इससे पहले इसी मुद्दे पर सपा, कांग्रेस, जदयू, वाम दलों की महिला सदस्यों के आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करने के कारण बैठक को 15 मिनट के लिए स्थगित किया गया।
शून्यकाल में इस मुद्दे पर विभिन्न दलों द्वारा जताई गई चिंता और पीड़ा से सहमति जताते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सदन को आश्वासन दिया कि सरकार महिलाओं की रक्षा एवं गरिमा को बरकरार रखने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि सरकार इस बात की जांच कराएगी कि किन परिस्थितियों में इस साक्षात्कार की अनुमति दी गयी और जरूरत पड़ने पर इसके लिए जिम्मेदारी तय की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस तरह के मामलों के एक अध्ययन के लिए गृह मंत्रालय की ओर से 24 जुलाई 2013 को अनुमति दी गयी थी। उन्होंने कहा कि इसके लिए एक विदेशी महिला सहित दो पत्रकारों ने तिहाड़ जेल के भीतर जाकर साक्षात्कार लिया था।
सिंह ने बताया कि जिन शर्तो के तहत इस तरह की अनुमति दी गयी थी उसमें दोषियों से साक्षात्कार के लिए लिखित में पूर्व सम्मति लेना और असंपादित फुटेज को जेल अधिकारियों को दिखाना शामिल था। गृह मंत्री ने कहा कि बाद में जब जेल अधिकारियों ने सात अप्रैल 2014 को इस मामले में वृत्तचित्र निर्माताओं को एक कानूनी नोटिस भेजा तो उन्हें साक्षात्कार के असंपादित फुटेज दिखाये गये। उन्होंने कहा कि इसमें बलात्कार के दोषी ने कुछ बेहद आपत्तिजनक बातें कहीं थी। जेल अधिकारियों ने वृत्तचित्र निर्माताओं से इसे सार्वजनिक तौर पर नहीं दिखाने को कहा था। उन्होंने कहा कि सरकार के संज्ञान में यह बात आयी कि बीबीसी आठ मार्च को इस वृत्तचित्र को प्रसारित करने जा रहा है।
गृह मंत्री ने कहा कि सरकार ने इस वृत्तचित्र का प्रसारण रोकने के लिए अदालत से आदेश ले लिये हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने एक परामर्श जारी कर सभी चैनलों से इसका प्रसारण नहीं करने को कहा है। उन्होंने कहा कि सरकार इस साक्षात्कार की भर्त्सना करती है तथा वह इस तरह की घटनाओं का किसी संस्थान को वाणिज्यिक इस्तेमाल की अनुमति नहीं देगी। राजनाथ ने कहा कि सरकार इस बात की भी व्यवस्था कर रही है कि भविष्य में जेल के भीतर इस प्रकार के साक्षात्कार की अनुमति नहीं दी जाये। सामूहिक बलात्कार के दोषी को जल्द फांसी दिलाये जाने की कई सदस्यों की मांग पर उन्होंने कहा कि मामला अदालत के समक्ष विचाराधीन है।
प्रश्नकाल के बाद सदन में यह मुद्दा उठाए जाने पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि जिस डाक्यूमेंट्री को लेकर सारा देश शर्मिदगी और नाराजगी महसूस कर रहा है उनके अंदर भी इसे लेकर भारी नाराजगी है। उन्होंने कहा कि वह इस डाक्यूमेंट्री को किसी भी सूरत में जारी नहीं होने देंगे, चाहे वह इलेक्ट्रोनिक मीडिया पर हो, वेब मीडिया पर हो या प्रिंट मीडिया में हो। उन्होंने कहा कि इस बारे में कल ही अदालत से आदेश प्राप्त कर लिया गया है कि इस विवादास्पद डाक्यूमेंट्री को भारत में जारी नहीं किया जाएगा।
सदस्यों द्वारा यह कहे जाने पर कि अगर यह विदेशों में जारी होती है तो इसका भारत में जारी होना या नहीं होना बेमानी साबित होगा, गृह मंत्री ने कहा कि हमें भरोसा है कि यह डाक्यूमेंट्री ब्राडकास्ट नहीं होगी और इसके प्रयास किए जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि आगामी आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर इसे बीबीसी द्वारा प्रसारित किया जाना था। उन्होंने बताया कि निर्भया कांड के दोषी से इस डाक्यूमेंट्री के लिए साक्षात्कार लेने की अनुमति जेल अधिकारियों द्वारा 25 जुलाई 2013 को दी गयी थी। उन्होंने कहा कि वह इस अनुमति से अचंभित हैं। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि जेल में कैदियों से साक्षात्कार लेने के प्रावधान हों लेकिन जिस व्यक्ति को उच्चतम न्यायालय ने बलात्कारी करार दिया हो उससे साक्षात्कार की अनुमति देना चौंकाने वाली बात है। गृह मंत्री ने कहा कि वह पूरे मामले की जांच कराएंगे और अगर जरूरी हुआ तो कैदियों से साक्षात्कार लेने वाले प्रावधान को समीक्षा करके उसमें आवश्यक संशोधन करवाएंगे।
इससे पहले, शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए जदयू के केसी त्यागी ने कहा कि सामूहिक बलात्कार के दोषी मुकेश सिंह ने पीड़िता के बारे में साक्षात्कार में बेहद आपत्तिजनक बातें कही हैं। उन्होंने कहा कि यह साक्षात्कार किसी चैनल पर प्रसारित नहीं होना चाहिए। उन्होंने इस साक्षात्कार की अनुमति देने के लिए जेल के महानिदेशक एवं अन्य संबद्ध अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग की।
इस मुद्दे पर संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि यह बेहद गंभीर एवं संवेदनशील मुद्दा है और इस मामले में सरकार पूरे सदन की भावनाओं से सहमत है। उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले में जरूरी कार्रवाई कर रही है और उससे सदन को अवगत कराया जाएगा। सपा की जया बच्चन ने इस साक्षात्कार की कड़ी निंदा जताते हुए कहा कि इस पूरे मामले में पिछली सरकार का जो रूख रहा था, वही काम अब मौजूदा सरकार भी कर रही है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के नाम पर घड़ियाली आंसू बहाये जा रहे हैं।
इसी बीच, उपसभापति पी जे कुरियन द्वारा बीजद के भूपेन्द्र सिंह को शून्यकाल के तहत लोक महत्व का मुद्दा उठाये जाने के लिए लिए कहने पर जया बच्चन सहित सपा की महिला सदस्य आसन के समक्ष आकर सामूहिक बलात्कार के दोषी के साक्षात्कार की निंदा करने लगी। उनके साथ कांग्रेस, वाम एवं जदयू की महिला सदस्य भी आसन के समक्ष आ गयी। बाद में अन्य दलों के पुरुष सदस्य भी वहां आ गये। हंगामे के कारण कुरियन ने दोपहर 11 बजकर 22 मिनट पर बैठक को 15 मिनट के लिए स्थगित कर दिया गया।
सदन की बैठक फिर शुरू होने पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इसी मुद्दे पर अपना बयान दिया। बाद में मनोनीत अनु आगा ने कहा कि इस साक्षात्कार में जो बातें महिलाओं के बारे में कहीं गयी हैं, वैसी ही मानसिकता समाज में कई पुरूषों की है। मनोनीत जावेद अख्तर ने कहा कि एक वृत्तचित्र पर रोक लगाने से क्या होगा क्योंकि महिलाओ के बारे में आम पुरूषों की यही मानसिकता है। इस मानसिकता को बदलने की जरूरत है।
कांग्रेस की रजनी पाटिल एवं अंबिका सोनी ने भी कहा कि समाज में महिलाओं के बारे में, उनके वस्त्रों के बारे में पुरूषों की जो सोच है, उसे बदले बिना परिस्थितियां नहीं बदली जा सकती। वाणिज्यिक एवं उद्योग राज्यमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस मामले में सरकार ने फौरन कार्रवाई की है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस मामले में समय पर कदम उठाने के कारण अदालती रोक लगायी गयी है। उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले में सदन की भावना से पूरी तरह सहमत है। बसपा प्रमुख मायावती ने इस मामले में सरकार द्वारा की गयी कार्रवाई का स्वागत करते हुए कहा कि वृत्तचित्र बनाने की अनुमति देने के मामले की जांच समयबद्ध तरीके से करवायी जानी चाहिए। माकपा की टी एन सीमा ने कहा कि जब इस तरह की घटनाएं होती हैं तो ही हम क्यों जागते हैं, उससे पहले क्यों नहीं। उन्होंने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा के मामले में हमारी व्यवस्था बिल्कुल काम नहीं कर रही। उन्होंने कहा कि निर्भया कोष से एक भी रुपया खर्च नहीं किया गया है। कांग्रेस की विप्लव ठाकुर ने बलात्कार के अदालतों में लंबित मामलों की जल्द कार्रवाई की जानी चाहिए।
First Published: Wednesday, March 4, 2015 - 11:59
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