मंगलवार, 31 मार्च 2020

पुलिसिया दोस्ती

पुलिसिया दोस्ती 
अलीपुर और कल्याणपुरी के सहायक पुलिस आयुक्त मोती राम गोठवाल


अनामी शरण बबल



यह संस्मरण एक पुलिसिया की है। दुख की तो यह बात है कि इतना जिंदादिल इंसान मोतीराम गोठवाल अब जीवित नहीं है। 50 से भी कम उम्र में संसार छोड़ने वाले गोठवाल की पत्नी की भी बहुत याद आती है । हालांकि मैं उनसे कभी मिला नहीं मगर मेरी आवाज सुनते ही सबसे पहले भईया बोलनी और गोठवाल जी कहं पर है यह बताते हुए वहां का नंबर दे देती थी । बात 1994 की है। दैनिक अखबार राष्ट्रीय सहारा में नार्थ ईस्ट का क्राईम भी मैं ही देखता था। दो चार बार गोठवाल से बात हुई तो उन्होने कहा कभी अलीपुर आओ यार गप्प भी करेंगे और क्राईम की ऐसी खबरे दूंगा जो किसी के पास नहीं होगी। एक दो दिन में ही उसने गाड़ी भेज दी तो मैं अपने पुलिसिया मित्र से अलीपुर निकल पड़ा। बहुत ही गरमजोसी के साथ मेल मिलाप हुआ दिल्ली पुलिस में सहायक पुलिस आयुक्त( एसीपी) अलीपुर के प्यार जोश और मिलने की लालसा के चलते हम गहरे दोस्त से बन गए। बिना काम के भी केवल हाल चाल जानने के लिए हमलोग आपस में बात कर ही लेते थे।
मगर अलीपुर एसीपी और किसी पेपर का क्राईम रिपोर्टर के बीच तो आंख मिचौली वाला नाता होता है। जरूरत बे जरूरत बात करने और संपंर्क मे तो रहना ही होता है। लगभग एक दर्जन बार ऐसा हुआ कि जब मुझे गोठवाल से रात में बात करनी हो तो वे घऱ पर नहीं होते। ( उस समय तक मोबइल की पैदाईश नहीं हुई ती। मैं भाभी से पूछता कहां है अपना हीरो? भाभी ने केवल एक बार मुझसे कहा था कि भैय्या मैं आपको हमेशा बता दिया करूंगी कि हीरो कहां पर हैं, मगर आपको कभी भी यह नहीं बताना होगा कि नंबर किसने दिया है । श्रीमती गोठवाल कहें य भाभी या बहन मैने पूछा कि क्या आपको मेरे उपर विश्वास है ? आपने तो मुझे देखा तक नही है कि मैं कैसा हूं ? इस पर उन्होने कहा कि विश्वास होने पर आदमी को देखने की जरूरत नहीं पड़ती आप एक नेक इंसान है यही मेरे अटल विश्वास का संबल है। मैं एक इतने सीनियर पुलिस अधिकारी की बीबी की बातें सुनकर दंग रह गया।

करीब दो साल में ऐसे सात आठ बार मौके आए जब रात में मैं बात करना चाह रहा था और वे घर या दफ्त कहीं नहीं थे। तो अंतत एक ही शरण था। फोन करते ही वे कहां हैं और वहां का नंबर क्या है सब मेरे पास होता। और जब मैने उनके घर पर फोन करके गोठवाल के बारे में पूछता तो बात हो जाती थी और एक दो संयोग पर ध्यान नहीं दिया मगर बाद में फोन आने पर गोठवाल एकदम चौक जाता और सबसे पहले यही पूछता कि नंबर कहां से पाए कि मैं यहां पर हूं। बाद मे जब कभी गोठवाल कहीं अपने घर से बाहर किसी मित्र के यहां बैठे हो और मैने फोन कर दिया तो वे सीधे लाईन पर आने की बजाय यह पूछने को कहते कि कहीं कोई अनामी शरण का तो फोन नहीं है ? जब मैं इधर से कहता कि हां अनामी तो बेचैन होकर गोठवाल मेरी बात सुने बगैर ही यही पूछते कि तुमको यह कैसे पता कि मैं यहां पर हूं। मैं बार बार हंसकर टाल देता। मगर उस दिन गोठवाल तैश में थे नहीं अनामी फोन पर बता न। मैंने हंसते हुए कहा कि तेरे भीतर मैने एक ट्रांसमीटर एडजस्ट करा दिया है जिसमें जहं कहीं भी रहो वहां का फोन नंबर और शक्ल दिखने लगती है। मेरी बातों से खीझते हुए गोठवाल फिर पूछते बोलो अनामी क्या काम है। एक बार वो कहीं बेहद गोपनीय बैठक में था और बीच में ही मेरा फोन टपक गया। इस बार तैश में आकर गोठवाल चीख पड़ा। अनामी यार तुम्हें खबरिया का नाम बताना होगा साला है कौन भाई जो मेरी जासूसी करता है और तुम तक नंबर आ जाता है। इस बार वो गुस्से में था तो बात नहीं हो सकी।

1995 में किसी एक दिन मैं अशोक विहार में नार्थ इस्ट जिले के पुलिस कमीश्नर करनैल सिंह के कमरे में घुसा ही था कि गोठवाल पहले से मौजूद थे। थोडी देर में काम निपटने के बाद मैं बाहर निकलने लगा तो गोठवाल ने कहा कि मैं भी चल रहा हूं बस मेरा इंतजार करना। दो चार मिनट में ही गोठवाल बाहर निकले और जबरन मुझे अपनी गाड़ी में चलने को कहा। मैने हंसकर पूछा कहीं थर्ड डिग्री का तो इस्तेमाल नहीं करना। मेरी बातों को सुनकर वो केवल हंसता रहा। जब अलीपुर मै उसके कमरे में बैठा तो वह एकदम पुलिसिय अंदाज में बोला अनामी तुम्हें आज नाम बताना होगा कि तुम्हें यह नंबर कौन देता है कि मैं कहं पर हूं। मैने भी आगाह किया कि पुलिसिया धौंस, पर तो कुछ नहीं बताउंगा और पुलिस की तरह नहीं एकदम जो याराना है उसी लय में बात करो। गोठवाल ने फिर पूछा तो मैने कहा कि एक बार बताया था न कि तेरे अंदर एक ट्रांसमीटर फिट है। इस पर वो उखड़ गया। कमाल है यार एक तरफ दोस्त भी कहता है और मेरी जासूसी भी करता है। मैंने हंसते हुए कहा चोर की दाढी में तिनका। साले किन चोरों से मिलने जाते हो कि हवा खराब है। मेरी बात से वो परेशान होकर कुर्सी पर बैठ गया। मैने बात मोड़ने के लिए पूछा कि चाय बगैरह पीलाओगे तो पीला नहीं तो वापस दफ्तर भिजवाइए। मेरी बात सुनते ही उसने कहा कि चलो। गाड़ी में जब हमलोग बैठ गए तो मैने पूछ किधर ? इस पर गोठवाल ने कहा चलो घर चलते हैं वहीं चाय भी पीएंगैं और उधर से ही तुमको भिजवा भी देंगे। घर क नाम सुनते ही मैं अंदर से थोडा कंपित हुआ कि कहीं गोठवाल को अपनी बीबी पर तो शक नहीं है कि वो नंबर देती हो। घर का नाम सुनते ही मैं खुश हो गया। उसने मेरे चेहरे के भाव को देखर ही कहा क्या बात है। मैने फौरन कहा कि गुस्से में लाल पीला टमाटर हो रहे गोठवाल को देखने तो भला है कि भाभी को देखूंगा। मैने चुटकी ली गोठवाल भईया कल तुम इस आरोप में पकड़ ना लेना कि साले मेरी बीबी से बात करता है। मेरी इस चुहल पर गोठवाल के चेहरे पर मुस्कान आ गयी। मगर एक बार फिर उसने पूछा कि यार लेकिन तुमको यह पता कैसे चलता है कि कहां पर हूं। मैने जोर से गोठवाल को कह कि गाड़ी रोको अगर मेरे उपर विश्वास है तो बात करो नहीं तो बार बार बच्चों वाली लालीपॉप देने के नाम पर एक ही सवाल को बार बार दोहरा रहे हो । अभी घर ले जा रहे हो बाद में पता नहीं क्या क्या इल्जाम लगा दो। मैं नहीं जाता यार गाड़ी रूकवा दो। मेरे यह कहने पर वो एकदम ठंडा सा हो गया। तुरंत माफी मंगने लगा। मैने कहा माफी की जरूरत नहीं है यर पर अब मैं कभी फोन ही नहीं करूंगा। बिना बात किए क्य तेरी तरफ से टिप्पणी डालना मैं नहीं जानता। पर जब हमलोग में विश्वस ही नहीं है तो चाय फाय क्या। मैं घर पर चलकर भी नहीं लूंगा ।
खैर घर के पास ही यह तकरर हो रही थी लिहाजा घर तो जाना ही पडा। उसने अपनी पत्नी से मेरी मुलाकात कराई। मैं भी अनजान सा देखकर खामोश रह। दफ्तर लौटते समय गोठवाल ने फिर माफी मांगी। तब मैने कहा कि अब मैं फोन नहीं करूंगा जब आपका गुस्सा शांत हो जाए तो फोन करना नहीं तो यह हमलोग की अंतिम भेट है। कई माह के बाद गोठवाल का फोन आया और फिर से बात चालू करने का आग्रह किया। मैने कहा कि अब तो मेरे पास क्राईम रहा नहीं मगर जरूरत पड़ी तो जरूर बात होगी। दो तीन साल के बाद एक बार फिर गोटवाल का फोन आया कहां हो अनामी भाई। बोली में पुलिसिय रौब और धमक आ गयी थी। एकदम पुलिसिया प्यार दिखाते हुए बोला साले कहां रहे सालो साल । यही दोस्ती करता है। अब मैं कल्याणपुरी का एसीपी बनकर आया हूं। तेरे कार्ड में नंबर देखा तो यार यह तो तेरा ही इलाका है। एकदम चहकते हुए खुशी जाहिर कर रहा था। मैने पूछा कहां है । तपाक से गोठवाल ने कहा दफ्तर में । मैं उसके पास आधे घंटे मे पहुंच गया। कमरे में घुसते ही गोठवाल ने मुझे अपनी बांहो में दबोच लिया, अभी तक नाराज हो क्या अनामी। मैने हंसते हुए कहा नहीं नाराज क्यों रहूंग। गोठवाल मुझे बांहों मे लिए लिए ही बीच के शक तकरार के लिए माफी मांगी। मैने गोठवाल से कहा कि तेरी बांहों में यदि मेरा दम टूट गया न तो सच मान मेरी बीबी तुमसे जरूर नाराज हो जएगी। फिर एक ठहाके के साथ मैं बंधन मुक्त हुआ।
कल्याणपुरी में रहते हुए उनसे कई बार मुलाकात होती रही। जब भी घर चलने को कह तो उसने हमेश कहा कि नहीं पत्नी को साथ लेकर ही आउंगा। मगर काल की क्रूर नियति और संयोग के बीच इतना निश्छल दोस्त कब भगवान को रास आया है। उसके निधन की खबर भी मुझे बहुत बाद में ज्ञात हुआ। तो मैं उसके घर जाकर अपनी शोक संवेदना भी जाहिर नहीं कर सका।

1 टिप्पणी:

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कथा - कविताएं







: ए गमे दिल क्या करूँ


रवि अरोड़ा

असरार उल हक़ यानि मजाज़ लखनवी मेरे पसंदीदा शायरों में से एक हैं । बेबसी से उपजे आक्रोश को उनसे बेहतर शायद ही कोई शायर व्यक्त कर सका होगा । मशहूर फ़िल्मी गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख़्तर के मामा और जानिसार अख़्तर के साले मजाज़ साहब की एक मशहूर नज़्म है- ए गमे दिल क्या करूँ , ए वहशते दिल क्या करूँ । सन 1953 में फ़िल्म ठोकर के लिए इसे तलत महमूद ने गाकर अमर कर दिया । हताशा में आदमी क्या कुछ सोचता है और किस किस का दामन चाक कर देना चाहता है , इस  ख़याल को अदबी दुनिया में शायद यह नज़्म ही पहली बार लाती है । यह नज़्म पिछले पाँच दिनो से मेरे भी दिलो दिमाग़ पर तारी है । बेशक मजाज़ साहब की तरह मैं नहीं कह सकता कि मुफ़्लिसी और ये मज़ाहिर हैं नज़र के सामने , सैकड़ों सुल्तान-ए-जाबिर हैं नज़र के सामने ,सैकड़ों चंगेज़ ओ नादिर हैं नज़र के सामने । मगर मन का भाव तो कुछ एसा ही है । अब देखिये न कोरोना के आतंक के चलते अपने अपने घर लौटने को सड़कों पर उतरे ये लाखों लोग क्या आसमान से आ गये ? ये लोग दिल्ली एनसीआर में आख़िर कहीं तो रहते होंगे ? इनका कोई तो मकान मालिक होगा, कोई तो होगा जिसकी नौकरी ये लोग बजाते थे , कोई तो पड़ोस में रहता होगा ? क्या एसा कोई नहीं था जो हाथ पकड़ कर इन्हें रोक लेता और कहता कि कहाँ जाते हो , संकट में हम तुम्हें यूँ अकेला कैसे छोड़ दें ?

सरकारों को गाली देते देते कभी कभी ख़ुद को गरियाने का भी मन करता है । हम किसी सरकार से कम निकम्मे हैं क्या ? सरकारें तो हमेशा भिखमँगा समाज ही चाहती हैं । एसे लोग ही सत्ता तक पहुँचते हैं जो तमाम शक्तियाँ अपनी मुट्ठी में रखने का ख़्वाब देखते हैं । समाज नपुंसक हो यही इनकी सबसे बड़ी ख़्वाहिश होती है । मगर क्या सारा दोष इन्हीं लोगों का है , हमारी क्या कोई भूमिका नहीं ? इन्हें इतनी ताक़त दी किसने ? याद तो कीजिये एक दौर में सरकारों को कोई पूछता तक नहीं था । सत्ता में कौन नेता आया और कौन गया, लोगों को पता भी नहीं होता था । हर गाँव की अपनी एक व्यवस्था थी जिसमें किसी सरकार की कोई भूमिका ही नहीं होती थी । मगर आज क्यों ये लोग हमारे माई बाप हो गये और हर बात पर हम इनका मुँह ताकते हैं ? क्या सब कुछ यही लोग करेंगे , हमारी कोई भूमिका नहीं ? ये जो लाखों लोग सड़कों पर भूखे प्यासे उतरे , ये कौन थे ? अवश्य ही इनमे कोई हमारा ड्राईवर होगा , हमरे घर में चौका-बर्तन करने वाली बाई होगी, हमारी दुकान का छोटू होगा अथवा हमारी फ़ैक्ट्री का कोई कर्मचारी होगा ।  यक़ीनन हमने उन्हें हाथ पकड़ कर नहीं रोका और उन्होंने हमसे विदा लेने का फ़ैसला लिया ।
इंसान का जीवन ख़ुशहाल बनाने को सारी दुनिया में माथापच्ची हुई । सत्ता किस तरह संचालित हो और किसके हाथ में हो इस पर सदियों तक तजुर्बे हुए और फिर लोगबाग़ इस नतीजे पर पहुँचे कि लोकतंत्र ही सबसे बेहतर तरीक़ा है । शुक्र है कि हमने भी लोकतंत्र का मार्ग चुना मगर क्या यही लोगतंत्र है ? जिसमें लोक की कोई भूमिका ही न हो और पाँच साल में एक बार वोट देने के अतिरिक्त उसका कोई दायित्व ही न हो ? कैसा समाज गढ़ लिया है हमने अपना जिसमें हमारी कोई ज़िम्मेदारी ही नहीं और अपने निजी दुःख सुख के लिए भी हम सरकार की ओर मुँह उठा कर देखते हैं ? बुरा मत मानिये हालात यही रहे तो समाज से कई मजाज़ फिर उठ खड़े होंगे और कहते फिरेंगे- बढ़ के उस इन्दर सभा का साज़ ओ सामाँ फूँक दूँ ,उसका गुलशन फूँक दूँ उस का शबिस्ताँ फूँक दूँ , तख़्त-ए-सुल्ताँ क्या मैं सारा क़स्र-ए-सुल्ताँ फूँक दूँ । ए गमे दिल क्या करूँ , ए वहशते दिल क्या करूँ ।।



*गाजियाबाद शहर की स्थिति:-*

*पुलिस खड़ी है डगर डगर।*
*तुम ना जाना विजय नगर।।*

*मिलेगा बस.. डंडों का फाइन*
*पहुँच ना जाना, पुलिस लाइन ।।*

*लट्ठ सज़ा रखे हैं : हर मोड़ पर।*
*निकलो तो सही..चौधरी मोड़ पर।।*

*मार मार के कर देंगे, तबियत हरी।*
*घूमना मत तुम, कालका गढ़ी ।।*

*तुम्हे उठा के पटक देंगे :  धड़ाम।*
*जो ग़लती से पहुचे तुम - नन्दग्राम ।।*

*ना पैदल निकलो. ना मचाना गदर।*
*पड़ेंगे लट्ठ अगर दिखे, रामनगर।।*

*मारमार कर सुजा देंगे हाथ पांव।*
*जो बेवजह पहुंच जाओगे, कोटगाँव ।।*

*इतना पिटोगे कि ना उठ पाओगे कल।*
*बस ग़लती से जाकर देखो संतोष मेडिकल।।*

*लट्ठ भी पड़ते है और जाता है खचेडा *
*ग़लती से पहुँच मत जाना डुण्डाहेडा ।।*

*डर रहा है आदमी काँप रहा थर-थर  ।*
*जो भूल के पहुंच गया है,घण्टाघर ।।*

🙏🏻🙏🏻



*इसलिये, मित्रों : घर पर बैठने मे ही शराफ़त है,*

राधास्वामी

शुक्रवार, 27 मार्च 2020

कोरोना यात्रा / भ्रमण



😂😂😂😂😂😂
मैंने घर में रहने की समस्या का हल ढूंढ लिया है
मैंने अपने घर के सभी जगहों के नाम रख दिये हैं, जैसे:-

एक कमरे का नाम *रेनेसांस*

दूसरे कमरे का नाम *होटल राँयल रेसिडेंसी*,

तीसरे कमरे का नाम *होटल आयॉवर्त*

किचन का नाम
*प्रमोद लड्डू भण्डार*,

बालकनी का नाम
*APR Mall*

छत का नाम
*गांधी मैदान*😄😄😄

जहां मर्ज़ी होती है पैदल ही घूम आता  हूँ।
😄😄😄😄

शनिवार, 21 मार्च 2020

डा. सुधीर तोमर परामर्श




[19/03, 22:33] Dr Sudhir tomar: मानव जाति की रक्षा के लिये
कोरोना वायरस के संक्रमण को खत्म करने की ताकत होम्योपैथिक चिकित्सा पद्ति में है।
देश दुनिया की कोई भी सरकार या संस्था सम्पर्क करें
डॉ तोमर होम्योपैथिक क्लिनिक,51,सिंधिया हॉउस, कनॉट प्लेस,नई दिल्ली
मोबाईल 9810616917, 9818456066
[21/03, 18:15] Dr Sudhir tomar: सेवा में
आदरणीय
 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी
भारत सरकार, नई दिल्ली

विषय :- कोरोना वायरस का  संक्रमण

महोदय,
कोरोना वायरस को खत्म करने में होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति प्रभावकारी हो सकती है।
पिछले 20 सालों से वायरस  जनित व अन्य जटिल रोगों पर काम करना.होम्योपैथिक चिकित्सा से इंसान को स्वस्थ रखना ही मेरे जीवन का उद्देश्य हैं.  अपना चिकित्सकीय अनुभव कहता है कि  वायरस जनित रोगों के रोकथाम में  होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति बहुत असरदार है।
होम्योपैथिक चिकित्सा से लोगों को कोरोना वायरस संक्रमण से बचाना और रोग को खत्म करने में मदद मिल सकती हैं।
 आपसे अनुरोध करता हूं ,एक बार मेरे अभियान में सहयोग करें.सेवा का मौका दे,जिससे मानव जाति की रक्षा में अपना कुछ योगदान कर सकूं।

जय हिंद जय भारत
आपका
डॉ सुधीर तोमर
B.H.M.S.(Rajasthan)
51,सिंधिया हॉउस, कनॉट प्लेस,नई दिल्ली
मोबाईल
9810616917
9818456066

शनिदेव की जय हो


प्रस्तुति - दर्शन लाल

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मित्रो आज शनिवार है, शनिमहाराजजी का दिन है।आज हम आपको बतायेगें कि शनि महाराज को प्रसन्न करने के लिये क्या करें और क्या न करें??????

शनिवार के दिन यह दस चीजें ना लाएं घर में!!!!!

 किसी भी वस्तु के उपयोग या क्रय करने का समय उसकी आवश्यकता पर ही निर्भर करता है, परंतु ज्योतिष शास्त्र में भी इसके कुछ नियम बताए गए हैं। जानिए ऐसी कौनसी वस्तुएं हैं जो शनिवार को घर नहीं लानी चाहिए या इस दिन इन्हें नहीं खरीदना चाहिए।

लोहे का सामान : - भारतीय समाज में यह परंपरा लंबे समय से चली आ रही है कि शनिवार को लोहे का बना सामान नहीं खरीदना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि शनिवार को लोहे का सामान क्रय करने से शनि देव कुपित होते हैं।

इस दिन लोहे से बनी चीजों के दान का विशेष महत्व है। लोहे का सामान दान करने से शनि देव की कोप दृष्टि निर्मल होती है और घाटे में चल रहा व्यापार मुनाफा देने लगता है। इसके अतिरिक्त शनि देव यंत्रों से होने वाली दुर्घटना से भी बचाते हैं।

तेल : - इस दिन तेल खरीदने से भी बचना चाहिए। हालांकि तेल का दान किया जा सकता है। काले श्वान को सरसों के तेल से बना हलुआ खिलाने से शनि की दशा टलती है। ज्योतिष के अनुसार, शनिवार को सरसों या किसी भी पदार्थ का तेल खरीदने से वह रोगकारी होता है।

नमक : - नमक हमारे भोजन का सबसे अहम हिस्सा है। अगर नमक खरीदना है तो बेहतर होगा शनिवार के बजाय किसी और दिन ही खरीदें। शनिवार को नमक खरीदने से यह उस घर पर कर्ज लाता है। साथ ही रोगकारी भी होता है।

कैंची : - कैंची ऐसी चीज है जो कपड़े, कागज आदि काटने में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाती है। पुराने समय से ही कपड़े के कारोबारी, टेलर आदि शनिवार को नई कैंची नहीं खरीदते। इस दिन खरीदी गई कैंची रिश्तों में तनाव लाती है। इसलिए अगर आपको कैंची खरीदनी है तो किसी अन्य दिन खरीदें।

काले तिल : - सर्दियों में काले तिल शरीर को पुष्ट करते हैं। ये शीत से मुकाबला करने के लिए शरीर की गर्मी को बरकरार रखते हैं। पूजन में भी इनका उपयोग किया जाता है। शनि देव की दशा टालने के लिए काले तिल का दान और पीपल के वृक्ष पर भी काले तिल चढ़ाने का नियम है, लेकिन शनिवार को काले तिल कभी न खरीदें। कहा जाता है कि इस दिन काले तिल खरीदने से कार्यों में बाधा आती है।

काले जूते  : - शरीर के लिए जितने जरूरी वस्त्र हैं, उतने ही जूते भी। खासतौर से काले रंग के जूते पसंद करने वालों की तादाद आज भी काफी है। अगर आपको काले रंग के जूते खरीदने हैं तो शनिवार को न खरीदें। मान्यता है कि शनिवार को खरीदे गए काले जूते पहनने वाले को कार्य में असफलता दिलाते हैं।

ज्वलनशील पदार् : - रसोई के लिए ईंधन, माचिस, केरोसीन आदि ज्वलनशील पदार्थ आवश्यक माने जाते हैं। भारतीय संस्कृति में अग्नि को देवता माना गया है और ईंधन की पवित्रता पर विशेष जोर दिया गया है लेकिन शनिवार को ईंधन खरीदना वर्जित है। कहा जाता है कि शनिवार को घर लाया गया ईंधन परिवार को कष्ट पहुंचाता है।

झाड़ू  : - झाड़ू घर के विकारों को बुहार कर उसे निर्मल बनाती है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का आगमन होता है। झाड़ू खरीदने के लिए शनिवार को उपयुक्त नहीं माना जाता। शनिवार को झाड़ू घर लाने से दरिद्रता का आगमन होता है।

चक्की : - इसी प्रकार अनाज पीसने के लिए चक्की भी शनिवार को नहीं खरीदनी चाहिए। माना जाता है कि यह परिवार में तनाव लाती है और इसके आटे से बना भोजन रोगकारी होता है।

स्याही  : - विद्या मनुष्य को यश और प्रसिद्धि दिलाती है और उसे अभिव्यक्त करने का सबसे बड़ा माध्यम है कलम। कलम की ऊर्जा है स्याही। कागज, कलम और दवात आदि खरीदने के लिए सबसे श्रेष्ठ दिन गुरुवार है। शनिवार को स्याही न खरीदें। यह मनुष्य को अपयश का भागी बनाती है।

शनि को अनुकूल करेंगी यह दस काम की बातें!!!!!!!

हम सभी चाहते हैं कि शनिदेव की हम पर कृपा दृष्टि बनी रहे लेकिन अपने रोज के जीवन में हम जो गलतियां करते हैं उनसे वे नाराज हो जाते हैं। पूजा पाठ और मंत्र से ज्यादा जरूरी है अपनी जीवनशैली में अपनाएं कुछ अच्छी बातें ताकि शनिदेव रहें प्रसन्न....

1 . शनि देव को वृद्धावस्था का स्वामी कहा गया है, जिस घर में माता पिता व वृद्धजनों का सम्मान होता है उस घर से शनि देव बहुत प्रसन्न होते हैं तथा जिस घर में वृद्ध का अपमान होता है उस घर से खुशहाली दूर भागती है।

2. शनि को दरिद्रों के नारायण भी कहते हैं इसलिए दरिद्रों की सेवा से भी शनि प्रसन्न होते हैं।

3. असाध्य रोगों से ग्रस्त व्यक्ति को काला छाता, चमडे के जूते चप्पल पहनाने से शनि देव प्रसन्न होते हैं।

4. शनि देव को उड़द की दाल की बूंदी के लड्डू बहुत प्रिय है अत: शनिवार को लड्डू का भोग लगाकर बांटना चाहिए।

5. शनिवार को तेल मालिश कर नहाना चाहिए।

6. लोहे की कोई वस्तु शनि मंदिर दान करनी चाहिए। वह वस्तु ऐसी हो जो मंदिर के किसी काम आ सके।

7. शनि मंदिर में बैठकर ॐ एं श्री श्री शनैश्चराय का जाप करना चाहिए।

8. शनि से उत्पन्न भीषण समस्या के लिए भगवान भोलेनाथ व हनुमान जी की पूजा एक साथ करनी चाहिए। शनि चालीसा, शिव चालीसा, बजरंगबाण, हनुमान बाहुक व हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।

9. शनि सम्बन्धी कथा पढ़ें।

10. शनि मंदिर से शनि रक्षा कवच या काला धागा हाथ में बांधने के लिए अवश्य लें।

सोमवार, 16 मार्च 2020

पुलिस और पत्नी में समानताएं




प्रस्तुति - गंगा भास्कर
*👍पुलिस और पत्नी में 12 समानताएं :-👍*
*👌1. ना इनकी दोस्ती अच्छी और ना ही दुश्मनी।*
*👌2. इनसे बनाकर रखना, मजबूरी है।*
*👌 3. इनका मूड पता ही नहीं चलता, कब बिगड़ जाए।*
*👌 4. अगर ये प्यार से बात करें तो अलर्ट हो जाएं।*
*👌 5. दोनों ही खतरनाक धमकी देते हैं।*
*👌 6. इनसे बहस में जीतना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है।*
*👌 7. ये पिछला हिसाब याद रखते हैं।*
*👌 8. अपने राज कभी नहीं खोलते।*
*👌 9. इनको जबर्दस्ती तारीफ चाहिए।*
*👌10. सुन भले ही आपकी लें पर करेंगे अपने मन की ही।*
*👌 11. दोनों ही रौब से काम लेते हैं।*
*👌12. इनकी नजर हमेशा आपकी जेब पर रहती है।*
*👍इनसे न ही उलझे तो अच्छा है।*

*सूचना जनहित में जारी ।*




शनिवार, 14 मार्च 2020

शाप




प्रस्तुति - कृष्ण मेहता


प्राचीन काल में राजा थे पद्य। वे महापराक्रमी ओर धर्मनिष्ठ थे। एक बार राजा अपनी सेना के साथ शिकार करने के लिए वन में गए। वहां एक मृग का पीछा करते हुए दूसरे वन में चला गए। प्यास से व्याकुल राजा एक आश्रम में पहुंच गए।

यहां राजा को देख मुनि कन्या सामने आई और राजा का आदर सत्कार किया। राजा ने उससे पूछा यह किसका आश्रम है और तुम कौन हो।राजा और कन्या तुरंत महाकाल वन में आए और शिवलिंग के दर्शन किए। शिवलिंग के दर्शन मात्र से दोनों पहले से भी अधिक रूपवान हो गए और फिर राज्य में लौट गए ओर अंतकाल में स्वर्ग को प्राप्त किया।

मान्यता है कि जो भी रूपेश्वर महादेव के दर्शन ओर पूजन करता है वह रूपवान होगा। अंतकाल में शिवलोक को प्राप्त करेगा।कन्या ने कहा कि यह मुनि कण्व का आश्रम है और मैं उनकी कन्या हूं। मैं मुनि को अपना पिता मानती हूं मेरे पिता कौन है मुझे नहीं पता। कन्या के रूप पर मोहित होकर राजा ने उससे विवाह का प्रस्ताव दिया।

कन्या ने कहा कि मुनि कण्व आते ही होंगे वे ही मेरा दान करेंगे। राजा ने कन्या से कहा कि मैं इतनी देर प्रतीक्षा नहीं कर सकता। मैं तुमसे अभी गंधर्व विवाह करता हूं। कन्या ने इस पर स्वीकृति दे दी। इसी बीच मुनि कण्व भी वहां आ गए और राजा और कन्या को विवाह बंधन में देख क्रोधित होकर दोनों को श्राप दिया कि वे दोनों कुरूप हो जाए।

दोनों ने मुनि से क्षमा मांगी ओर पुनः रूपवान होने का उपाय पूछा। मुनि ने उनसे कहा कि तुम दोनों जल्द ही महाकाल वन में पशुपतेश्वर महादेव के पूर्व में स्थित शिवलिंग के दर्शन करो, तुम दोनों रूप को प्राप्त करोगे।।




।। 

चीनी वायरस की कहानी




एक किताब जिसका नाम "THE EYES OF DARKNESS" है जो सन् 1981 को पब्लिश हुई थी है जिसके लेखक का नाम Dean Koontz है।----- जिसके पेज़ न० 353 में
लिखा है कि "कोरोना वायरस" को चीन ने अपने शहर वुहान के एक लैब में सबसे छुपा कर बनाया था और चीन बाद में इसका इस्तेमाल बायोलोजिकल हथियार के रूप में अपनी गरीब लोगों की आबादी कम करने के लिए जिससे कि उसे सुपर पावर बनने में आसानी हो, अज़ीब इत्तेफाक है की कोरोना फैला भी चीन के वुहान शहर से हैं और धीरे-धीरे इस वायरस ने पुरे चीन को यहाँ तक पुरी दुनिया को अपने कब्जे में ले लिया है।।

और इस बुक में कोरोना वायरस का नाम "वुहान 400" के नाम पर है इस किताब में पहले ही बता दिया है कि आगे चलकर चीन इस वायरस का उपयोग करेगा जो बायोलॉजिकल हथियार के रूप में होगा..

और ये आज 2020 में चीन ने अमल में ले लिया है, जिसे आज दुनिया को भुगतना पड़ रहा है।
  साभार--लेनिन सेना

पुलिस और पत्नी




*👍पुलिस और पत्नी में 12 समानताएं :-👍*
*👌1. ना इनकी दोस्ती अच्छी और ना ही दुश्मनी।*
*👌2. इनसे बनाकर रखना, मजबूरी है।*
*👌 3. इनका मूड पता ही नहीं चलता, कब बिगड़ जाए।*
*👌 4. अगर ये प्यार से बात करें तो अलर्ट हो जाएं।*
*👌 5. दोनों ही खतरनाक धमकी देते हैं।*
*👌 6. इनसे बहस में जीतना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है।*
*👌 7. ये पिछला हिसाब याद रखते हैं।*
*👌 8. अपने राज कभी नहीं खोलते।*
*👌 9. इनको जबर्दस्ती तारीफ चाहिए।*
*👌10. सुन भले ही आपकी लें पर करेंगे अपने मन की ही।*
*👌 11. दोनों ही रौब से काम लेते हैं।*
*👌12. इनकी नजर हमेशा आपकी जेब पर रहती है।*
*👍इनसे न ही उलझे तो अच्छा है।*

*सूचना जनहित में जारी ।*