रविवार, 10 मई 2020

कोरोना जमात सेंटर दिल्ली



निजामुद्दीन के कोरोना 'संक्रमण सेंटर' के गुनाहगार कौन?
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विकास वर्मा


दिल्ली के निजामुद्दीन औलिया की दरगाह के बगल में तब्लीग़ी जमाअत मरकज़ में 24 शख्स के कोरोना वायरस (COVID-19) से संक्रमित पाए जाने, करीब 700 लोगों को क्वरंटाइन किए जाने और यहां से अपने-अपने राज्यों को लौटे करीब 10 लोगों की मौत और सैकड़ों लोगों में संक्रमण फैलने की आशंकाओं ने देश भर को हिला दिया है। अब इस मरकज़ को भारत में कोरोना वायरस के 'संक्रमण सेंटर' के तौर पर देखा जा रहा है। ऐसे में यह सवाल उठना लाज़िम है कि आखिर संक्रमण के इस सेंटर का जिम्मेदार कौन है?
क्या इस सबके लिए सिर्फ वे मौलाना जिम्मेदार हैं, जो इस मरकज़ के आयोजक थे और टोटल लाक डाउन के बाद भी गैर कानूनी रूप से वहां भीड़ इकट्ठा कर रखे थे या फिर इस गुनाह के और भी शागिर्द हैं? सवाल कई हैं।
मसलन, जब दुनिया भर के अनेक मुल्कों में कोरोना वायरस ने महामारी का रूप ले लिया था और भारत में भी इसने पांव पसारने शुरू कर दिए थे, ऐसे में देश की राजधानी दिल्ली में 14 मार्च से इस तब्लीग़ी जमाअत मरकज़ की अनुमति किसने दी? इस मरकज़ में पहुंचे दुनिया के 16 मुल्कों के जमाअतियों को 13-14 मार्च को भारत आने का वीज़ा किसने जारी किया? उन्हें लेकर आने वाली इंटरनेशनल फ्लाइट्स को भारत की सरजमीं पर उतरने की इजाजत किसने दी? फिर समय रहते इस मरकज़ को रद्द क्यों नहीं किया गया? जब टोटल लाक डाउन का ऐलान किया गया तो मरकज़ को खाली क्यों नहीं कराया गया? जबकि निजामुद्दीन थाना इस मरकज़ से बिल्कुल सटा हुआ है और थाना और इंटेलिजेंस के लोगों की इस मरकज़ पर खास निगाह रहती है, उन्हें नहीं पता था कि यहां हजार से अधिक लोग रूके हुए हैं? फिर जब मरकज़ की ओर से 25 मार्च को ही जमाअतियों को बाहर निकालने के लिए लिखित रूप में निजामुद्दीन थाना और मैजिस्ट्रेट से कर्फ्यू पास और बस की मांग की गई तो ये मुहैया क्यों नहीं कराए गए? और उस सबसे भी अधिक महत्वपूर्ण ये कि मरकज़ पहुंचने से पहले सभी विदेशी जमाअतियों की स्क्रिनिंग (स्वास्थ्य जांच) क्यों नहीं करवाई गई?
इसका जवाब हम आपको बताते हैं- तब्लीग़ी मरकज़ की अनुमति सरकारी एजेंसियों ने दी। वीज़ा सरकार ने दिया। इंटरनेशनल फ्लाइट्स आने की अनुमति सरकार ने दी। मरकज़ की अनुमति सरकार ने रद्द नहीं की। लाक डाउन के समय मरकज़ सरकार ने ख़ाली नहीं करवाई। पुलिस और इंटेलिजेंस एजेंसी को आन रिकार्ड्स सब पता था। कर्फ्यू पास और बसें सरकार ने मुहैया नहीं करवाई। स्वास्थ्य जांच सरकार ने नहीं करवाई।

मैंने अपने पिछले पोस्ट 'टोटल लाक डाउन संकट के लिए जिम्मेदार कौन' में जिस प्वाइंट को भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण फैलने के कारण के रूप में उठाया था, निजामुद्दीन के तब्लीग़ी मरकज़ कांड के बाद अब वही प्वाइंट भारत में इस वायरस से संक्रमण के बड़े पैमाने पर फैलाव के कारण के रूप में दिखने लगा है। उस पोस्ट में बताया था कि कोरोना वायरस का संक्रमण भारत में खुद से नहीं हुआ है बल्कि यह चीन और चीन के रास्ते दूसरे मूल्कों से होते हुए इंपोर्ट की गई महामारी है। तथ्यों के मुताबिक निजामुद्दीन के तब्लीग़ी मरकज़ में भी वहां जुटे बड़े पैमाने पर लोगों में कोरोना  वायरस का संक्रमण वहां मौजूद विदेशी जमाअतियों से ही फैला है। सरकार ने समय रहते अगर इंटरनेशनल फ्लाइट्स कैंसिल कर दी होती तो शायद ना तो ये विदेशी जमाअती भारत और मरकज़ पहुंचते और ना ही ये संक्रमण का सेंटर बनता।
 जाहिर तौर पर कोरोना की महामारी की एंट्री समय रहते देश में रोकी जा सकती थी। और शायद टोटल लाक डाउन जैसा सख्त और आत्मघाती कदम भी उठाने की नौबत नहीं आती। खासतौर पर फरवरी के अंतिम हफ्ते या मार्च के पहले हफ्ते में जब चीन और चीन के रास्ते वाया दूसरे मुल्कों में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से पांव पसार चुका था और एक बड़ी महामारी के रूप में साफ़ तौर पर दिखाई दे रहा था, उसी समय सरकार को दूसरे मुल्कों से भारत आने वालों के वीज़ा रद्द कर देना चाहिए था और सभी इंटरनेशनल फ्लाइट्स की भारत के सरजमीं पर एंट्री पूरी तरह रोक देनी चाहिए थी। विदेशों में रहने वाले भारतीय जो भारत वापस लौटना चाहते थे, उन्हें एडवाइजरी जारी कर वापस लाकर उनका स्वास्थ्य जांच कर क्वरंटाइन में भेज देना चाहिए था। मगर सरकार तब तक सोई रही, जब तक कि दुनिया भर के एक्सपर्ट्स ने यह कहना शुरू नहीं कर दिया कि भारत कोरोना वायरस के संक्रमण का नया एपिक सेंटर बनने जा रहा है। जाहिर तौर पर 'लाकडाउन' से पहले इंटरनेशनल फ्लाइट्स रोकी गई होती तो शायद निजामुद्दीन का तब्लीग़ी मरकज़ कोरोना वायरस के 'संक्रमण का सेंटर' नहीं बनता। और देश के कई राज्यों के सैकड़ों नागरिक इस संक्रमण के शिकार नहीं होते।
अभी भी वक्त है भारत की सरजमीं पर मौजूद सभी विदेशी नागरिकों को सरकार तुरंत ख़ोज निकाले और उसकी पूरी स्वास्थ्य जांच कर उसे क्वरंटाइन करे। वरना और कई निजामुद्दीन, मरकज़ और ऐसे धार्मिक केंद्र हो सकते हैं, जहां बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जुटी हुई हो और महामारी फ़ैला रहे हों। सरकार के पास दिसंबर 2019 से लेकर अभी तक भारत आने वाले सभी विदेशी नागरिकों का पूरा डाटा होगा, इसलिए देर किस बात की सभी को खोजें, जांच कराएं।



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