शनिवार, 23 अप्रैल 2022

स्त्री पुरुष

 👉 औरतें सामान्यतः आदमियों से बुद्धिमान होती हैं फिर भी वे  दुःखी क्यों रहती हैं ?उनके कष्टों के पीछे की  7 विचित्र सच्चाईयाँ* ... 


1  ये बचत में विश्वास करती हैं


2  फिर भी महंगे महंगे कपड़े खरीदती हैं


3  महंगे महंगे कपड़े खरीदती हैं, फिर भी कहती रहती हैं कि मेरे पास पहनने को कुछ भी नहीं है


4  पहनने को कुछ भी नहीं होता है फिर भी आलमारी में इंच भर भी जगह नहीं होती...और सजती बहुत सुन्दर हैं


5  सजती बहुत सुन्दर हैं,पर सन्तुष्ट कभी नहीं होतीं


6  सन्तुष्ट कभी नहीं होतीं, पर हमेशा चाहती हैं कि उनका पति उनकी तारीफ़ करे


7  चाहती हैं कि उनका पति उनकी तारीफ़ करे, पर पति सच में भी तारीफ़ करे तो विश्वास नहीं करतीं


*Short में*  -  

*औरत भिण्डी जैसी है .. और किसी के साथ  नहीं बनती हैं


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👉पुरुष हमेशा खुश क्यों रहते हैं ???


ये हैं उसके 7 कारण 


1. फोन पर बात 30 सेकेंड


2. 5 दिन की यात्रा पर 1 पेन्ट ही काफी


3. आमंत्रण नहीं हो तब भी दोस्ती पक्की


4. पूरी जिंदगी 1 ही हेयर स्टाइल


5. किसी भी तरह की शॉपिंग के लिए 20 min ही काफी


6. दूसरों के कपड़ों से कोई जलन नहीं।


7. कोई नखरे नहीं। सीधी साधी लाइफ स्टाइल,

आज पहना हुआ शर्ट कल की पार्टी में भी चले।


*Short में* ...

*आदमी टमाटर जैसा होता है....  किसी भी सब्जी में मिल कर खुश हो जाये

रविवार, 10 अप्रैल 2022

थाईलैंड ( में ) के राम और राम राज्य / विवेक शुक्ला

 

राम सर्वत्र हैं। वे थाईलैंड में भी हैं। थाईलैंड में राजा को राम कहा जाता है। उसके नाम के साथ अनिवार्य रूप से राम लगता है। राज परिवार अयोध्या नामक शहर में रहता हैl ये स्थान बैंकॉक से 50-60 किलोमीटर दूर होगा। बहुत खूबसूरत शहर हैं। यहां पर बुद्ध मंदिर भी है। जिनमें भगवान बुद्ध की विभिन्न मुद्राओं में मूर्तियां स्थापित हैं।थाईलैंड के लोग अपने राजा को राम का वंशज होने के चलते विष्णु का अवतार मानते हैं। इसलिए थाईलैंड में एक तरह से राम राज्य है l 


कुछ साल पहले थाईलैंड जाना हुआ था। वहां पर जाकर समझ आया कि राम  भारत की सीमाओं से बाहर जाते हैं। निश्चित रूप से भारत से बाहर अगर हिन्दू प्रतीकों और संस्कृति को देखना-समझना है तो थाईलैंड से बेहतर राष्ट्र कोई नहीं हो सकता। दक्षिण पूर्व एशिया के इस देश में हिन्दू देवी-देवताओं और प्रतीकों को आप चप्पे-चप्पे पर देखते हैं। इधर राम आऱाध्य है। राजधानी बैंकॉक से करीब है अयोध्या शहर। 


मान्यता है कि यही थी भगवान श्रीराम की राजधानी। थाईलैंड यही मानता है। इधर बुद्ध मंदिरों में आपको ब्रह्मा,विष्णु और महेश की मूर्तियां और चित्र मिल जाएंगे। इन सभी देवी-देवताओं के अलग से मंदिर भी हैं। इनमें रोज बड़ी संख्या में हिन्दू और बुद्धपूजा अर्चना के लिए आते हैं। यानी थाईलैंड बुद्ध और हिन्दू धर्म का सुंदर मिश्रण पेश करता है। कहीं कोई कटुता या वैमनस्थ का भाव नहीं है।


राष्ट्र ग्रंथ रामायण


थाईलैंड का राष्ट्रीय ग्रन्थ रामायण है। वैसे थाईलैंड में थेरावाद बुद्ध के मानने वाले बहुमत में हैं, फिर भी वहां का राष्ट्रीय ग्रन्थ रामायण हैl जिसे थाई भाषा में  “ राम-कियेन“ कहते हैं l जिसका अर्थ राम-कीर्ति होता है,  जो वाल्मीकि रामायण पर आधारित हैl  राजधानी बैंकॉक के सबसे बड़े और भव्य हॉल का नाम ‘रामायण हॉल’ है। 


ये राजधानी के विज्ञान भवन से दोगुना बड़ा होगा। यहां पर राम कियेन ( रामलीला) पर आधारित नृत्य नाटक और कठपुतलियों का प्रदर्शन प्रतिदिन होता है। राम कियेन के मुख्य पात्रों में राम (राम), लक (लक्ष्मण),  पाली (बाली),  सुक्रीप (सुग्रीव),  ओन्कोट (अंगद),  खोम्पून ( जाम्बवन्त), बिपेक ( विभीषण),


 रावण, जटायु आदि हैं। क्या भारत के किसी शहर में राम के जीवन पर प्रतिदिन नृत्य नाटिका होती है,जिसे  रोज औसत पांचहजार लोग देखने के लिए आते हैं? हमारे यहां रामलीलाएं भी अब पहले से कम होने लगी हैं। इस नाटिका के मंचन के दौरान हॉल में वातावरण पूरी तरह से राममय हो जाता है।


नवरात्र पर बैंकॉक के सिलोम रोड पर स्थित श्री नारायण मंदिर थाईलैंड के हिन्दुओं का केन्द्र बन जाता है। यहां के सभी हिन्दू इधर कम से एक बार जरूर आते हैं पूजा या फिर सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए। इस दौरान भजन,कीर्तन और अन्य धार्मिक अनुष्ठान जारी रहते हैं। दिन-रात प्रसाद और भोजन की व्यवस्था रहती है। इस दौरान दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती जी की एक दिन सवारी भी मुख्य  मार्गों से निकलती है। 


इसमें भगवान गणपति, कृष्ण,सुब्रमण्यम और दूसरे देवी-देवताओं की   मूर्तियों को भी सजाकर किसी वाहन में रखा गया होता है। इस आयोजन में हजारों बुद्ध भी भाग लेते हैं। ये वास्तव में बेहद भव्य आयोजन होता है। ये सवारी अपना तीन किलोमीटर का रास्ता सात घंटे में पूरा करती है। इसमें संगीत और नृत्य टोलियां भी रहती हैं।

थाईलैंड में 94 प्रतिशत आबादी बुद्ध धर्मावलंबी है। फिऱ भी इधर का राष्ट्रीय चिन्ह गरुड़ है। हिन्दू धर्म की पौराणिक कथाओं में गरुड़ को विष्णु की सवारी माना गया है। गरुड़ के लिए कहा जाता है कि वह आधा पक्षी और आधा पुरुष है। उसका शरीर इंसान की तरह का है, पर चेहरा पक्षी से मिलता है। उसके पंख हैं।


अब प्रश्न उठता है कि जिस देश का सरकारी धर्म बुद्ध हो, वहां पर हिन्दू धर्म का प्रतीक क्यों है? इस प्रश्न का उत्तर ये है कि चूंकि थाईलैंड मूल रूप से हिन्दू धर्म था, इसलिए उसे इस में कोई विरोधाभास नजर नजर नहीं आती कि वहां पर हिन्दू धर्म का प्रतीक राष्ट्रीय चिन्ह हो।  एक सामान्य थाई गर्व से कहता है कि उसके पूर्वज हिन्दू थे और उसके लिए हिन्दू धर्म भी आदरणीय है।

 

बैकॉक स्थित शिव मंदिर, दुर्गा मंदिर विष्णु मंदिर वगैरह का निर्माण हिन्दुओं के साथ-साथ यहां के बुद्ध लोगों  ने भी करवाया है। ये वास्तव में कमाल है। जहां तक हिन्दू मंदिरों की बात है तो इन्हें यहां पर दशकों से बस गए भारत वंशियों ने बनवाया है। कुछ मंदिर निजी प्रयासों से भी बने हैं। थाईलैंड में तमिल और उत्तर भारत के भारतवंशी हैं। इसलिए मंदिर दक्षिण और उत्तर भारत के मंदिरों की तरह से बने हुए हैं। बैकॉक के प्रमुख रथचेप्रयोंग चौराहे पर ब्रह्मा जी के मंदिर में लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां देखने लायक हैं। इनमें हिन्दुओं के साथ-साथ बुद्ध भी आ रहे हैं। कहीं कोई भेदभाव नहीं है। कई बुद्ध मंदिरों में हिन्दू देवी-देवताओं के चित्र और मूर्तियां हैं। ये सब देखकर लगता है कि हिन्दू और बौद्ध सहअस्तित्व में विश्वास करते है। ये सहनशील है। पृथक धर्म होने पर भी एक-दूसरे के प्रति सम्मान  का भाव स्पष्ट है।


विवेक शुक्ला- कुछ अखबारों में छपे लेख के अंश।

चित्र- राम कियेन के कलाकार.

शनिवार, 9 अप्रैल 2022

राखी सा कोई और नहीं

 Old is Gold - 48

महान अभिनेत्री राखी (1947)


हमारे देश को आजादी मिलने के चंद घंटों बाद जन्मी राखी का पूरा नाम राखी मजूमदार था। इनके पिताजी का बंगाल में व्यवसाय था।


राखी जब मात्र 16 वर्ष की थीं तब इनकी शादी बंगाली फ़िल्म डायरेक्टर अजय बिस्वास के साथ कर दी गई थी। लेकिन यह शादी ज्यादा दिन नही चली और 1965 में इनका तलाक हो गया।  राखी जब बीस साल की थीं तब उन्होंने बंगाली फ़िल्म 'बधु बरन' के द्वारा फ़िल्मी दुनिया में कदम रखा। बॉलीवुड में उनकी पहली फ़िल्म थी "जीवन-मृत्यु"(1970)। यह फ़िल्म सुपर हिट रही और इसके बाद राखी ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। उन्होंने एक से बढ़कर एक सुपर हिट फिल्मों में काम किया। उनके द्वारा अभिनीत प्रमुख फ़िल्म हैं :- शहजादे, आंखों आंखों में, आंचल, बनारसी बाबू , जोशीले, लूटमार, कभी-कभी, मुकद्दर का सिकंदर, त्रिशूल, काला पत्थर, श्रीमान श्रीमती, बरसात की एक रात, बेमिसाल, शक्ति, बाजीगर, खलनायक, करण-अर्जुन,  बॉर्डर आदि।  राखी को अपने श्रेष्ठ अभिनय के लिए तीन बार फ़िल्म फेयर अवार्ड और एक बार नेशनल अवार्ड मिला। 


आप शायद एक मात्र अभिनेत्री हैं जिन्होंने महानायक अमिताभ बच्चन की प्रेमिका, सेक्रेटरी और माँ का रोल निभाया है। 


राखी ने 1973 में लेखक और डायरेक्टर गुलज़ार साहब  से दुसरी शादी की। गुलज़ार साहब राखी से उम्र में 13 साल बड़े हैं। इनकी शादी के कुछ समय बाद बेटी मेघना गुलजार का जन्म हुआ, लेकिन जब इनकी बेटी मात्र 1 साल की थी तभी दोनों अलग हो गए। दोनों अलग तो हुए लेकिन इन्होंने कभी तलाक नहीं लिया। साल 2018 में गुलजार साहब ने अपने और अपनी पत्नी के बारे में बात करते हुए कहा कि राखी से 44 साल से अलग होने के बाद भी वह दोनों कभी अलग नहीं हो सके । गुलजार साहब ने बताया कि जब भी उन्हें राखी के हाथों की बनाई फिश खानी होती है तो मैं उन्हें पहले की तरह आज भी रिश्वत के तौर पर एक शानदार  साड़ी गिफ्ट करता हूँ। उन्होंने कहा कि हम अलग होकर भी अलग नहीं हैं।


राखी लंबे समय से फिल्मों से दूर हैं आजकल वह पनवेल स्थित अपने फार्म हाउस पर रहती हैं जहां वे अपना ज्यादातर समय सब्जियां उगाने और किताबें पढ़ने में बिताती हैं।


राखी इस साल अगस्त में अपना 75 वां जन्मदिन मनाएँगी। ईश्वर से प्रार्थना है कि वे उन्हें स्वस्थ रखें और दीर्घायु प्रदान करें। 


Written and sketched by:-

                             Vijay Sohni

                 vijaysohni@gmail.com