प्रस्तुति : प्रदीप सिन्हा
!! हे परमपिता परमेश्वर !!*
🙏मैने कोई भी आवेदन नहीं किया था, और न ही किसी की सिफारिश कराई थी,
फिर भी हम सृष्टि मे रह रहे सभी मनुष्यों के सिर के *बालों* से लेकर पैर के *अंगूठे* तक 24 घंटे भगवन, आप *रक्त* प्रवाहित करते हैं...
*जीभ* पर नियमित अभिषेक हो रहा है...
निरंतर आप मेरा ये
*हृदय* चला रहे हैं...
चलने वाला ये कौन सा *यंत्र* आपने फिट कर दिया है,
*हे प्रभु ...*
*पैर के नाखून से लेकर सिर के बालों तक बिना रुकावट संदेशवाहन करने वाली प्रणाली...*
किस *अदृश्य शक्ति* से चल रही है,
कुछ समझ नहीं आता।
*हड्डियों और मांस में* बनने वाला *रक्त* कौन सा अद्वितीय *आर्किटेक्चर* है...,
इसका मुझे कोई अंदाजा नहीं है।
*हजारों प्रकार की गंध* की सटीक पहचान करने वाली अनोखी *नासिका।*
*हजार-हजार मेगापिक्सल वाले दो-दो कैमरे* दिन-रात सारे दृश्यों को कैद कर रहे हैं।
*दस-दस हजार* तरीके के टेस्ट करने वाली *जीभ* नाम की टेस्टर,
अनगिनत *संवेदनाओं* का अनुभव कराने वाली *त्वचा* नामक *सेंसर प्रणाली*...
और...
अलग-अलग *फ्रीक्वेंसी की* आवाज पैदा करने वाली *स्वर प्रणाली*
और
उन फ्रीक्वेंसी का *कोडिंग-डीकोडिंग* करने वाले *कान* नामक यंत्र...,
*(70%) प्रतिशत पानी से भरा शरीर रूपी टैंकर हजारों छेद होने के बावजूद कहीं से भी लीक नहीं होता...,*
*स्टैंड के बिना* मैं खड़ा रह सकता हूँ...
गाड़ी के *टायर* घिसते हैं, परंतु पैर के *तलवे* कभी नहीं घिसते।
*अद्भुत* ऐसी रचना है ,भगवान आपकी।
देखभाल, स्मृति, शक्ति, शांति ये सब भगवान आप
ही देते है।
आप ही अंदर बैठ कर यह *शरीर* चला रहे है।
*अद्भुत* है यह सब, *अविश्वसनीय,*
*अबूझ , अतुलनीय।*
ऐसे *शरीर रूपी* मशीन में हमेशा भगवन आप ही निवास करते हो,
इसका अनुभव कराने वाली *आत्मा* भगवान आपने ऐसा कुछ *फिट* कर दिया है कि और क्या आपसे मांगू ...,
आपके इस *जीवाशिवा* के खेल का निश्छल,
*निस्वार्थ आनंद* का हिस्सा रहूँ..!
ऐसी *सद्बुद्धि* मुझे हमेशा देते रहना !!
आप ही यह सब संभालते है, इसका *स्मरण* मुझे हमेशा रहे!!!
*रोज पल-पल कृतज्ञता से आपका ऋणी होने का स्मरण, चिंतन हो,*
*परम पिता परमेश्वर के चरणों में यही प्रार्थना है!*
*🙏नमन, 🙏वंदन, 🙏प्रणाम।*
🙏🌹💐🙏🌹💐🙏
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