दिल्ली व एनसीआर (Delhi And NCR)
मंत्रिमण्डल की बैठक के बाद जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा कि मंत्रिमण्डल ने 45 जेजे पुनर्वास काॅलोनियों के आंवटियों और वहां रह-रहे परिवारों को फ्री-होल्ड मालिकाना हक देने का फैसला लिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 1950 के बाद डीडीए और भारत सराकार ने झुग्गी-झोपड़ी क्लस्टर हटाने के बाद इन्हें 25 से 80 वर्ग गज के प्लाट आवंटित कर यहां विस्थापित किया था, लेकिन तब इस इन कालोनियों में विकास नहीं हो पाया। इनकी दिक्कतों को देखते हुए सरकार ने पांच दशक से अधिक समय से इन कालोनियों में रह रहे लोगों को फ्री होल्ड मालिकाना हक देने का फैसला किया है।
शीला ने कहा कि इससे लगभग 2.50 लाख प्लाॅट धारकों को फायदा होगा। लगभग तीन लाख परिवार यानी 30 लाख लोगों को इन 45 काॅलोनियों में राहत की सांस मिलेगी। ये पुनर्वास काॅलोनियां दिल्ली के विभिन्न स्थानों में स्थित हैं। उन्होंने कहा कि मंत्रिमण्डल ने मालिकाना हक दिए जाने की शर्तों आदि को अंतिम रूप देते हुए सहानुभूतिपूर्वक रवैया अपनाया है। यह तय किया गया है कि मूल आंवटियों और उनके वैधानिक उत्तराधिकारियों से सर्किल रेट का केवल पांच प्रतिशत और खरीद-फरोख्त के कारण इन प्लाॅटों में 31 मार्च, 2007 से पहले निवास कर रहे परिवारों से सर्किल रेट का 30 प्रतिशत लिया जाएगा। 31 दिसम्बर, 2011 से पहले किरायेदारों के अलावा रह-रहे अन्य परिवारों से मालिकाना हक के लिए सर्किल रेट का शत्-प्रतिशत लिया जाएगा। शहरी विकास विभाग शीघ्र इस विषय पर विस्तृत अधिसूचना जारी करेगा।
शीला ने आगे जानकारी देते हुए कहा कि दिल्ली सरकार ने विभिन्न कल्याण योजनाओं के लाभार्थियों को अधिक मदद देने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि कैबिनेट ने विधावाओं, तलाकशुदा, परित्यक्त और अलग रह रही सभी महिलाओं की पेंशन एक हजार रुपए से बढ़ाकर 1500 रुपए कर दी है। इसके अलावा सभी श्रेणियों की विधावाओं को उनकी बेटी की शादी के समय तीस हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी, जो पहले पच्चीस हजार रुपए थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन याोजनाओं के लिए सरकार पहले से 116 करोड़ रुपए खर्च कर रही थी जो अब बढ़कर 172 करोड़ रुपए हो जाएगी।
मुख्यमंत्री ने आगे बताया कि दिल्ली सरकार चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय को सर्वश्रेष्ठ बाल चिकित्सालय के रूप में विकसित करना चाहती है इसलिए मंत्रिमण्डल ने इस अस्पताल को स्वायत्त संस्थान के रूप में संचालित करने की मंजूरी दी है। यह देश का पहला ऐसा सरकारी अस्पताल है जिसे एनएबीएच से मान्यता मिली है। इस अस्पताल को बच्चों को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने की बढ़ती मांग पूरी करने और उन्हें बाल उपचार के विभिन्न क्षेत्रों में कुशल और विशेषज्ञता प्राप्त स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए किया गया था। इसमें बाल चिकित्सा से संबंधित आंत्रशोथ, श्वास की बीमारियां, सघन देखभाल, बाल शल्य क्रिया, अस्थि रोग, ईएनटी आदि क्षेत्रों में विकसित स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के रूप में उन्नत बनाया गया।
शीला ने कहा कि सरकार ने इसे स्वायत्त संस्थान बनाने की मंजूरी देते हुए महसूस किया कि इससे डाॅक्टरों और अन्य जरूरी स्टाॅफ की भर्ती जल्द करने और अस्पताल के संचालन में लचीलापन लाने, जल्द निर्णय लेने और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने में मदद मिलेगी। इससे इस अस्पताल को सुपर-स्पेशलिटी बाल चिकित्सालय की श्रेणी में भी सर्वश्रेष्ठ बनाया जा सकेगा। इसे बाल चिकित्सा शिक्षण केन्द्र भी बनाया गया है जहां विभिन्न क्षेत्रों में स्नातक और सुपर-स्पेशलिटी शिक्षा दी जाती है। यह महसूस किया गया है कि इहबास, आईएलबीएस, मौलाना आजाद दंत महाविद्यालय और दिल्ली राज्य कैंसर इंस्टीट्यूट जैसे संस्थान सफलतापूर्वक कार्य कर रहे हैं। इन संस्थानों में तेजी से निर्णय लिए जाते हैं। प्रक्र्रिया जटिल नहीं है और रिक्तियां भरने का काम आसान और तीव्र है। स्वायत्त संस्थान में अधिक नवीनता लाई जा सकती है और मरीजों की जरूरतों के अनुरूप तेजी से काम किया जा सकता है। मंत्रिमण्डल के फैसले के अनुसार चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय को सोसायटी के अंतर्गत संचालित किया जाएगा। सरकार सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के अंतर्गत एक सोसायटी का पंजीकरण करायेगी। प्रमुख रूप से निर्णय लेने के लिए एक शासी परिषद होगी जिसके पास पर्याप्त शक्तियां होंगी।
मंत्रीमंडल के अन्य फैसलों पर प्रकाश डालते हुए सीएम ने कहा कि मंत्रिमण्डल ने दिल्ली में 11 राजस्व/सेशन जिले गठित करने की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। नौ जिलों और 27 सब-डिविजन का वर्तमाना ढांचा 01 जनवरी, 1997 में अस्तित्व में आया। अब भी मंडलायुक्त पूरी दिल्ली के लिए डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट हैं। वह मजेस्ट्रियल कार्य के लिए डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट माने जाते हैं। कहां जाता है कि डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के कार्य का विकेन्द्रयीकरण नहीं हुआ और इसे 1997 में नियुक्त उपायुक्त के कार्यालयों को वितरित नहीं किया गया। दिल्ली सरकार के विधि विभाग ने इस मुद्दे को भारत सरकार के पास उठाया और अब तक एक रहे महानगर क्षेत्र को जनता की सहूलियत और बढ़ती जनसंख्या की दृष्टि से राज्य सरकार के विवेक के अनुरूप विभाजित करने का अनुरोध किया। इसके बाद अतिरिक्त सचिव विधि एवं न्याय और अन्य सदस्यों की एक समिति का गठन किया गया। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की कि दिल्ली सरकार आम आदमियों के घर के निकट न्याय उपलब्ध कराने और प्रशासन को कारगर बनाने के लिए 11 राजस्व/न्यायिक सिविल और सेशन जिले बनाएं। समिति की सिफारिशों और मौजूदा नौ जिलों में असमान जनसंख्या के मद्देनजर नौ जिलों की सीमाओं को संशोधित करने और इन्हें 11 राजस्व और सेशन जिलों में विभाजित करना आवश्यक हो गया।
दीक्षित ने कहा कि मंत्रिमण्डल ने दिल्ली में स्कूलों में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी लागू करने का फैसला किया है क्योंकि सीबीएससी पाठ्यक्रम में कम्प्यूटर शिक्षा को शामिल किया गया है। केन्द्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय की इस योजना को लागू करने से विद्यार्थियों को ज्यादा से ज्यादा कम्प्यूटर साक्षर और आईटी प्रशिक्षित बनाया जा सकेगा। मंत्रिमण्डल ने इस योजना को दिल्ली में छठी से बाहरवीं कक्षा में बिल्ड, ओन, आॅपरेट और ट्रांसफर माॅडल के अनुरूप टीसीआईएल के जरिए लागू करने का फैसला किया है। कम्प्यूटर शिक्षा दिल्ली में अगस्त, 2000 में 115 स्कूलों में शुरू की गई थी। जिसे बाद में 727 सरकारी स्कूलों और 161 सहायता प्राप्त स्कूलों में लागू किया गया। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अनुरोध पर शिक्षा निदेशालय ने भारत सरकार को दिल्ली के सभी 194 सरकारी और सहायता प्राप्त सैकण्डरी और सीनियर सैकण्डरी स्कूलों में नई संशोधित योजना लागू करने का प्रस्ताव दिया। दिल्ली सरकार सभी सरकारी स्कूलों और सहायता प्राप्त स्कूलों में कक्षा छह से बारह के विद्यार्थियों के लिए कम्प्यूटर लैब स्थापित करेगी। इनमें उन्नत कम्प्यूटर, प्रोजेक्टर, प्रिंटर लगाए जाएंगे जिनमें इंटरनेट और गुणवत्तापूर्ण साॅफ्टवेयर भी होगा। दिल्ली सरकार ने बच्चों के सभी विषयों के लिए बेहतरीन साॅफ्टवेयर विकसित किया है। ऐसा काॅलटून्स परियोजना के अंतर्गत किया गया है।
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