शनिवार, 14 जुलाई 2012

महानगरों में बेची जा रही है बालाघाट की लड़कियां

मध्य प्रदेश:
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प्रकाशन तरीख : 11-Dec-2011 01:49:03 द्वारा: रहीम खान एवं संजीव भाऊ अग्रवाल Font Size:
मध्य प्रदेश: महानगरों में बेची जा रही है बालाघाट की लड़कियां
-- आदिवासी क्षेत्रों से गायब होती है लड़कियां
-- अतीत में भी कई मामले उजागर हुए
-- गरीबी और बेबसी पहुंचाती है नर्क में
-- दलालों को असानी से मिलता है काम
-- पुलिस प्रशासन की भूमिका संदिग्ध
-- अनेक गुमशुदा का अभी भी पता नहीं
बालाघाट (मध्यप्रदेश): इसे विडंबना कहे या दुर्भाय की एक ओर मध्यप्रदेश सरकार बेटी बचाओं का डंका बजाकर शासन का करोड़ों रूपये प्रसार बाजी में पानी की तरह बहाकर जनता की वाहीवाही लूटने के लिये लगी हुई है । वहीं दूसरी ओर आदिवासी क्षेत्रों में गरीबी बेंबसी की मारी लड़कियों को दलाल प्रवृत्ति के लोग महानगरों में ले जाकर बेच देते है या फिर उन्हें बड़े बड़े घरों में नौकरानियों के रूप में काम दिलाते है और उनका कमीशन खूद खाते है । पिछले 5 वर्ष के भीतर बालाघाट जिले में ऐसे अनेक प्रकरण दृष्टिगोचर हुए जिसमें यह प्रमाण मिला की यहां की लड़कियों को ले जाकर महानगरों में बेचा गया । इस संबंध में 2 सप्ताह पूर्व मानव अधिकार आयोग मित्र श्रीमती फिरोजा खान ने भी आदिवासी क्षेत्रों से लड़कियां गायब होने होने और महानगरों में बेचे जाने की शिकायत पुलिस महानिरीक्षक से करते हुए संपूर्ण मामलों के विस्तृत जांच की मांग की थी और बकायदा उन्होंने गायब लडकियों की सूची भी सौंपी थी जिसमें दो महिला सहित अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया है । दूसरे राज्यों में बिकने से बची भाग कर वापस आई युवती की रिपोर्ट पर झुग्गी झोपड़ी निवासी पदमावती बंशकार, मोनू जोशी, मन्तुरा बाई, मनीराम बंशकार, राधेश्याम शर्मा को गिरफ्तार किया गया । जिस पर पुलिस महानिरीक्षक नेताम ने एक अधिकारी की नियुक्ति करते हुए पूरे मामले की जांच का आश्वासन दिया । यह समस्या लंबे समय से बालाघाट जिले के बैहर आदिवासी तहसील में चर्चा का विषय बनी हुई परन्तु गंभीरता पूर्वक कोई कदम आज तक नहीं उठाया गया है ।
बालाघाट पुलिस कोतवाली में दो युवतियों के अपहरण के मामले में 29 नवम्बर को एक गिरोह को गिरफ्तार किया जिसमें अलग अलग बयान से यह जाहिर हो गया कि यह भी युवतियों को ले जाकर बेचने का मामला है । जानकारी के अनुसार नगर के डेन्जर रोड के समीप टहलने गई दो युवतियों को अगवा कर ले जा रहे छः आरोपियों को पुलिस ने घेरा बंदी कर गिरफ्तार कर लिया है । जानकारी के अनुसार युवतियों स्थानीय झुग्गी झोपड़ी निवासी है जिनमें एक नाबालिग है जिसकी उम्र 16 वर्ष बताई जा रही है । वहीं एक अन्य युवती 25 वर्षीय है जो कि शाम 6 बजे करीब टहलने के इरादे से डेन्जर रोड पर गई थे । इसी बीच मार्शल क्रमांक एम.पी. 15 बीए 1125 में सवार 6 आरोपी जो स्वयं को सागर जिले के अंतर्गत छपरा एवं अन्नतपुरा के निवासी बता रहे है जिनके द्वारा द्वारा जबरन युवतियों को मार्शल में बैठाकर ले जाने का प्रयास किया तभी मुखबिर की सूचना की सूचना पर कोतवाली चीता मोबाइल के पुलिस कर्मियों ने घेराबंदी कर वाहन सहित गिरफ्तार कर लिया । पुलिस के अनुसार आरोपियों के नाम जगदीश पिता भंदी ठाकुर 35 वर्ष, चन्द्रभान उर्फ चिन्टु पिता पुरूषोत्तम कुर्मी 22 वर्ष, नर्मदा प्रसाद पिता लक्ष्मण कुर्मी 22 वर्ष रामेश्वर पिता मिटठु कुर्मी 27 वर्ष रामप्रसाद पिता लक्ष्मण कुर्मी 35 वर्ष, हरिसिंह पिता ज्वाला प्रसाद लोधी आदि है । आरोपियों ने बताया कि उनमें से एक नर्मदा प्रसाद कुर्मी की शादी को लेकर वे पहुंचे थे । यहां उन्होंने नर्मदा प्रसाद की शादी 25 वर्ष वर्षीय युवती से गर्रा स्थित एक मंदिर में कराई है जिसके बाद वे अपने गांव लौट रहे है तभी उन्हें पुलिस ने लालबर्रा गर्रा मार्ग पर गिरफ्तार किया। आरोपियों के अनुसार उक्त 25 वर्षीय युवती की मां ने उन्हें यहां बुलाया था जिसके द्वारा 25 हजार रूपये भी लिये गये है । उनमें से एक आरोपी रामप्रसाद कुर्मी वे अत्यंत गरीब लोग है । उनके यहां शादियों के लिये लड़कियां नहीं मिलती जिसके चलते उन्होंने यहां एक सम्पर्क सूत्र के माध्यम से युवती की मां से चर्चा कर यह कदम उठाया है ।
घेराबंदी कर किया गिरफ्तार - शर्मा
कोतवाली थाना प्रभारी श्याम चन्द्र शर्मा ने बताया की शाम 7 बजे करीब मुखबिर की सूचना पर चीता मोबाइल एवं महिला कांस्टेबल के माध्यम से डेन्जर रोड के समीप घेराबंदी कर आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। जिसमें दो युवतियों एवं 6 आरोपी मार्शल में सवार पाये गये । जहां पूछताछ के दौरान युवतियों ने जबरदस्ती अपहरण किया जाना बताया । जिसके आधार पर आरोपियों के खिलाफ धारा 363, 366, 366ए, 34 आईपीसी के तहत मामला पंजीबद्ध कर जांच में लिया गया ।
एक जानकारी के अनुसार जनवरी,2011 से अब तक जिले के विभिन्न थानों में 642 गुम इंसान के प्रकरण पंजीबद्ध किये गये है । जिसमेें से 364 लोगों को ढुंढ लिया गया है । इनमें कुछ लोगों की लाशे पाई गई शेष 52 प्रतिशत इंसान को कोई अता पता नहीं है । आदिवासी क्षेत्रों से बड़ी संख्या में महानगर भेजे जाने वाली लड़कियों के माताा-पिता पुलिस में रिपोर्ट भी दर्ज नहीं करा पाते कारण यह होता है कि जो लोग इनको ले जाते है वह एक मोटी रकम उनके माता-पिता को सौंप देते है। जिसके कारण यह स्थिति निर्मित होती है ।  गुम लड़कियों की सूचना पुलिस में दर्ज कराई भी जाती है तो पुलिस भी उतनी गंभीरता से जांच नहीं करती । जिसकी आवश्यकता है । आदिवासी क्षेत्रों में काम करने वाले अनेक सामाजिक कार्यकर्ताओं ने चर्चा में बताया कि लड़कियों की खरीद फरोख्त की घटनाएं लगातार बढ रही है । इसके पीछे भी मुख्य कारण अपनी आर्थिक सम्पन्नता बढ़ाना है । बड़े घरों में नौकरानी के रूप में काम करने ले जाने के बहाने इन्हें अन्य अनैतिक कार्यो में भी ढकेल दिया जाता है । वहीं दूसरी ओर पुलिस विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि परिवार के सदस्य इतनी पुष्ठ जानकारी उपलब्ध नहीं कराते जिस आधार पर एक गाईड लाईन बनाकर काम करके आरोपियों तक पहुंचा जाय । इस प्रकार के घटनाक्रम में वृद्धि एक चिंतनीय विषय है परन्तु इसका समाधान भी उसी समय ठोस रूप ले सकता है । प्रभावी परिवार भी खुलकर सामने आये । चूंकि बालाघाट का बहुत बड़ा भाग गरीब आदिवासी क्षेत्रों से प्रभावित है यहां के लोग काम के अभाव में प्रतिवष्र हजारों की संख्या में पलायन करके महानगर जाते हे तो कोई आश्चर्य नहीं कि उनकी बेटियां भी महानगर में बेची जाती है ।
इस संबंध में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रकाश सिंह परिहार ने प्रेस के साथ चर्चा में कहा कि जिले के थानों के स्टाफ को बीट में बांटा जाता है । जिस क्षेत्र से गुमशुदा की रिपोर्ट आती है । उस क्षेत्र के पुलिस अधिकारी उसकी जांच करते है । सवाल लड़कियों के महानगरों में बेचे जाने का है तो यह उनके मिलने के बाद ही स्पष्ट होता है वह अपनी मर्जी से गई थी या दलालों के चंगुल में फंस कर । कई मामलों में लड़कियों के लापता होने पर उनके माता पिता भी पुलिस को सही जानकारी नहीं दे पाते । शायद इसका कारण यह होता है कि उनकी कहीं सामाजिक प्रतिष्ठा नष्ठ हो जाय । परन्तु मुझे इस बात को कहने में कोई संकोच नहीं है कि गुमशुदा या गायब होने की जो भी सूचनाएं पुलिस तक आती है उन पर पुलिस अपने स्तर पर सच्चाई तक पहुंचने में कोई कमी नहीं छोड़ती ।
बहरहाल आदिवासी क्षेत्रों से लड़कियों के गायब होने की घटनाएं बालाघाट जिले में आम बनते जा रही है । बेटी बचाओं अभियान का ढीढोरा पीटने वाले राजनेता शहरी क्षेत्र के आसपास घुमकर अपने कार्यो की इतिश्री करते है । इनके पास सुदूर अंचल में रहकर गरीबी बेबसी की जीवन काटने वाली लड़कियों के दुख दर्द को समझने का समय नहीं है ।
रहीम खान
पत्रकार
गुजरी चौक, भरवेली
बालाघाट (म.प्र.)
मो. 09301210541
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