प्रस्तुति- डा. ममता शऱण
( झारखंड में पत्रकारिता को पुष्पित पल्लवित और पुर्नजीवित करने वाले इस राज्य के पहले पत्रकार संपादक बलवीर दत्त की किताब में इस सितारे पर प्रकाश डाला गया है.य फिलहाल इस महान खिलाड़ी को नमन के साथ एक साभार आलेख )
जयपाल सिंह मुंडा (3 जनवरी 1903 – 20 मार्च 1970)[1] झारखंड आंदोलन के एक प्रमुख नेता थे। जयपाल एक जाने माने हॉकी खिलाडी भी थे। उनकी कप्तानी में भारत ने १९२८ के ओलिंपिक में भारत ने पहला स्वर्ण पदक प्राप्त किया।<ref name=":0">"जयपाल सिंह मुंडा".जयपाल सिंह छोटा नागपुर की मुंडा जनजाति के थे। मिशनरीज की मदद से वह ऑक्सफोर्ड के सेंट जॉन्स कॉलेज में पढ़ने के लिए गए। वह असाधारण रूप से प्रतिभाशाली थे। उन्होंने पढ़ाई के अलावा खेलकूद, जिनमें हॉकी प्रमुख था, के अलावा वाद-विवाद में खूब नाम कमाया।
उनका चयन भारतीय सिविल सेवा (आईसीएस) में हो गया था। आईसीएस का उनका प्रशिक्षण प्रभावित हुआ क्योंकि वह 1928 में एम्सटरडम में ओलंपिक हॉकी में पहला स्वर्णपदक जीतने वाली भारतीय टीम के कप्तान के रूप में नीदरलैंड चले गए थे। वापसी पर उनसे आईसीएस का एक वर्ष का प्रशिक्षण दोबारा पूरा करने को कहा गया (बाबूगीरी का आलम तब भी वही था जो आज है!)। उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया।
इसके बाद ही जयपाल सिंह देश में आदिवासियों के अधिकारों की आवाज बन गए। उन्होंने 1938 में आदिवासी महासभा का गठन किया जिसने बिहार से इतर एक अलग झारखंड राज्य की स्थापना की मांग की। उनके जीवन का सबसे बेहतरीन समय तब आया जब उन्होंने संविधान सभा में बेहद वाकपटुता से देश की जनजातियों के बारे में सकारात्मक ढंग से अपनी बात रखी।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
झारखंड के प्रसिद्व लोग
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- भारतीय (आदिवासी)
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- व्यक्तिगत जीवन
- भारत के हॉकी खिलाड़ी
जयपाल सिंह
जयपाल सिंह
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पूरा नाम
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जयपाल सिंह मुण्डा
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जन्म
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जन्म भूमि
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राँची
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मृत्यु
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मृत्यु स्थान
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कर्म भूमि
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खेल-क्षेत्र
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प्रसिद्धि
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खिलाड़ी तथा राजनीतिज्ञ
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नागरिकता
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भारतीय
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संबंधित लेख
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अन्य जानकारी
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वर्ष 1928 में
एमस्टर्डम ओलम्पिक में भारतीय हॉकी टीम पहली बार प्रतियोगिता में शामिल हुई थी। टीम ने जयपाल सिंह के नेतृत्व में
पाँच मुक़ाबलों में एक भी गोल दिए
बगैर स्वर्ण पदक जीता था।
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- भारतीय हॉकी के प्रसिद्ध खिलाड़ी जयपाल सिंह का जन्म झारखण्ड की राजधानी राँची में 3 जनवरी, 1903 को हुआ था।
- जयपाल सिंह झारखण्ड की प्रमुख आदिवासी जनजाति मुण्डा से सम्बन्ध रखते थे, जिसका मूल स्थान दक्षिणी छोटा नागपुर है।
- भारत के लिए हॉकी का स्वर्णिम युग 1928-1956 तक था, जब भारतीय हॉकी दल ने लगातार 6 ओलम्पिक स्वर्ण पदक प्राप्ति किए थे।
- 1928 तक हॉकी भारत के लिए एक जुनून बन चुकी थी और बाद में यह देश का राष्ट्रीय खेल बन गई।
- वर्ष 1928 में ही एमस्टर्डम ओलम्पिक में भारतीय टीम पहली बार प्रतियोगिता में शामिल हुई। टीम ने पाँच मुक़ाबलों में एक भी गोल दिए बगैर स्वर्ण पदक जीता।
- जयपाल सिंह की कप्तानी में टीम ने, जिसमें 'हॉकी के जादूगर' कहे जाने वाले महान खिलाड़ी ध्यानचंद भी शामिल थे, अंतिम मुक़ाबले में हॉलैंड को आसानी से हराकर स्वर्ण पदक जीता था।
- युवा ध्यानचंद ने अपने खेल से एम्सटर्डम के खेल प्रेमियों को मंत्र मुग्ध कर दिया था। पूरे टूर्नामेंट में जहाँ ध्यानचंद की जादूगरी शबाब पर थी, वहीं कोई भी विरोधी टीम एक बार भी भारतीय गोलपोस्ट को भेदने के लिए तरस गई।
- वर्ष 1936 में जयपाल सिंह राजनीति में आ गये थे और बाद में 'झारखण्ड पार्टी' का गठन किया।
- आदिवासी नेता जयपाल सिंह 1952 में वे प्रथम लोकसभा के सदस्य बने और आजीवन अपने क्षेत्र से लोकसभा के सदस्य रहे।
- भारत की महान विभूति का निधन 20 मार्च, 1970 को दिल्ली में हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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