केदारनाथ सिंह
प्रस्तुति- अनामी शरण बबल
केदारनाथ सिंह
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केदारनाथ सिंह
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जन्म
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1934
चकिया गाँव, बलिया जिला, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु
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19 मार्च 2018
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राष्ट्रीयता
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भारतीय
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व्यवसाय
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कवि
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अनुक्रम
जीवन परिचय
केदारनाथ सिंह का जन्म 1 july 1934 ई॰ में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के चकिया गाँव में हुआ था। उन्होंने बनारस विश्वविद्यालय से 1956 ई॰ में हिन्दी में एम॰ए॰ और 1964 में पी-एच॰ डी॰ की उपाधि प्राप्त की। वे जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय में भारतीय भाषा केंद्र में बतौर आचार्य और अध्यक्ष काम कर चुके हैं।[4]मुख्य कृतियाँ
कविता संग्रह
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आलोचना
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संपादन
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पुरस्कार
केदारनाथ सिंह को मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, कुमारन आशान पुरस्कार, जीवन भारती सम्मान, दिनकर पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार, व्यास सम्मान आदि पुरस्कारों मिल चुके हैं।[6]सन्दर्भ
केदारनाथ सिंह
केदारनाथ सिंह
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पूरा नाम
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केदारनाथ सिंह
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जन्म
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जन्म भूमि
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कर्म-क्षेत्र
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कवि, लेखक
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मुख्य रचनाएँ
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अभी बिल्कुल अभी, ज़मीन पक रही है,
यहाँ से
देखो, अकाल
में सारस, उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ, बाघ, तालस्ताय और
साइकिल
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भाषा
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विद्यालय
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शिक्षा
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एम.ए. (हिंदी), पी.एच.डी.
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पुरस्कार-उपाधि
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ज्ञानपीठ
पुरस्कार, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, कुमारन आशान
पुरस्कार, जीवन भारती सम्मान, दिनकर पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार, व्यास
सम्मान
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नागरिकता
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भारतीय
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अन्य जानकारी
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इनकी कविताओं के अनुवाद लगभग सभी प्रमुख भारतीय
भाषाओं के अलावा अंग्रेज़ी,
स्पेनिश,
रूसी,
जर्मन और
हंगेरियन आदि विदेशी भाषाओं में भी हुए हैं।
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इन्हें भी देखें
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जीवन परिचय
केदारनाथ सिंह का जन्म 1934 में उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले के चकिया गाँव में हुआ था। इन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से 1956 में हिन्दी में एम.ए. और 1964 में पी.एच.डी की। केदारनाथ सिंह ने कई कालेजों में पढ़ाया और अन्त में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त हुए। इन्होंने कविता व गद्य की अनेक पुस्तकें रची हैं और अनेक सम्माननीय सम्मानों से सम्मानित हुए। आप समकालीन कविता के प्रमुख हस्ताक्षर हैं। केदारनाथ सिंह की कविता में गाँव व शहर का द्वन्द्व साफ नजर आता है। 'बाघ' इनकी प्रमुख लम्बी कविता है, जो मील का पत्थर मानी जा सकती है।साहित्यिक परिचय
यह कहना काफ़ी नहीं कि केदारनाथ सिंह की काव्य-संवेदना का दायरा गांव से शहर तक परिव्याप्त है या यह कि वे एक साथ गांव के भी कवि हैं तथा शहर के भी। दरअसल केदारनाथ पहले गांव से शहर आते हैं फिर शहर से गांव, और इस यात्रा के क्रम में गांव के चिह्न शहर में और शहर के चिह्न गांव में ले जाते हैं। इस आवाजाही के चिह्नों को पहचानना कठिन नहीं हैं, परंतु प्रारंभिक यात्राओं के सनेस बहुत कुछ नए दुल्हन को मिले भेंट की तरह है, जो उसके बक्से में रख दिए गए हैं। परवर्ती यात्राओं के सनेस में यात्री की अभिरुचि स्पष्ट दिखती है, इसीलिए 1955 में लिखी गई ‘अनागत’ कविता की बौद्धिकता धीरे-धीरे तिरोहित होती है, और यह परिवर्तन जितना केदारनाथ सिंह के लिए अच्छा रहा, उतना ही हिंदी साहित्य के लिए भी। बहुत कुछ नागार्जुन की ही तरह केदारनाथ के कविता की भूमि भी गांव की है। दोआब के गांव-जवार, नदी-ताल, पगडंडी-मेड़ से बतियाते हुए केदारनाथ न अज्ञेय की तरह बौद्धिक होते हैं न प्रगतिवादियों की तरह भावुक। केदारनाथ सिंह बीच का या बाद का बना रास्ता तय करते हैं। यह विवेक कवि शहर से लेता है, परंतु अपने अनुभव की शर्त पर नहीं, बिल्कुल चौकस होकर। केदारनाथ सिंह की कविताओं में जीवन की स्वीकृति है, परंतु तमाम तरलताओं के साथ यह आस्तिक कविता नहीं है।[1]मैं जानता हूं बाहर होना एक ऐसा रास्ता है
जो अच्छा होने की ओर खुलता है
और मैं देख रहा हूं इस खिड़की के बाहर
एक समूचा शहर है
मुख्य कृतियाँ
कविता संग्रह
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आलोचना
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संपादन
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सम्मान और पुरस्कार
ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रतीकः वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा
- मैथिलीशरण गुप्त सम्मान
- कुमारन आशान पुरस्कार
- जीवन भारती सम्मान
- दिनकर पुरस्कार
- साहित्य अकादमी पुरस्कार
- व्यास सम्मान
समाचार
शुक्रवार, 20
जून, 2014
प्रख्यात कवि केदारनाथ सिंह को मिला ज्ञानपीठ पुरस्कार
हिंदी की आधुनिक पीढ़ी के रचनाकार केदारनाथ सिंह को वर्ष 2013 के लिए देश का सर्वोच्च साहित्य सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। वह यह पुरस्कार पाने वाले हिन्दी के 10वें लेखक हैं। ज्ञानपीठ की ओर से शुक्रवार 20 जून, 2014 को यहां जारी विज्ञप्ति के अनुसार सीताकांत महापात्रा की अध्यक्षता में हुई चयन समिति की बैठक में हिंदी के जाने माने कवि केदारनाथ सिंह को वर्ष 2013 का 49वां ज्ञानपीठ पुरस्कार दिये जाने का निर्णय किया गया। केदारनाथ सिंह इस पुरस्कार को हासिल करने वाले हिंदी के 10वें रचनाकार है। इससे पहले हिन्दी साहित्य के जाने माने हस्ताक्षर सुमित्रानंदन पंत, रामधारी सिंह दिनकर, सच्चिदानंद हीरानंद वात्सयायन अज्ञेय, महादेवी वर्मा, नरेश मेहता, निर्मल वर्मा, कुंवर नारायण, श्रीलाल शुक्ल और अमरकांत को यह पुरस्कार मिल चुका है। पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार मलयालम के लेखक गोविंद शंकर कुरुप (1965) को प्रदान किया गया था। पुरस्कार के रूप में प्रो. केदारनाथ सिंह को 11 लाख रुपये, प्रशस्ति पत्र और वाग्देवी की प्रतिमा प्रदान की जाएगी।
केदारनाथ
सिंह
जन्म
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20 नवम्बर 1934
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निधन
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19 मार्च 2018
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जन्म स्थान
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ग्राम चकिया,
जिला बलिया,
उत्तर
प्रदेश, भारत
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कुछ प्रमुख
कृतियाँ
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अभी बिल्कुल अभी,
ज़मीन पक
रही है, यहाँ से देखो, अकाल में सारस, उत्तर कबीर और
अन्य कविताएँ, बाघ,
तालस्ताय
और साइकिल
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विविध
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कविता संग्रह
" अकाल में सारस" के लिये साहित्य अकादमी पुरस्कार (1989), मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार, कुमार
आशान पुरस्कार (केरल), दिनकर पुरस्कार, जीवनभारती सम्मान (उड़ीसा) और व्यास
सम्मान सहित अनेक प्रतिष्ठित सम्मान और पुरस्कार से सम्मानित।
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जीवन परिचय
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कविता संग्रह
- अभी बिल्कुल अभी / केदारनाथ सिंह
- जमीन पक रही है / केदारनाथ सिंह
- तॉल्सताय और साइकिल / केदारनाथ सिंह
- ’तीसरा सप्तक’ में शामिल रचनाएँ / केदारनाथ सिंह
- अकाल में सारस / केदारनाथ सिंह
- यहाँ से देखो / केदारनाथ सिंह
- बाघ / केदारनाथ सिंह
- उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ / केदारनाथ सिंह
- सृष्टि पर पहरा / केदारनाथ सिंह
कुछ रचनाएँ
- झरने लगे नीम के पत्ते बढ़ने लगी उदासी मन की / केदारनाथ सिंह
- मंच और मचान (लम्बी कविता) / केदारनाथ सिंह
- विद्रोह / केदारनाथ सिंह
- हाथ / केदारनाथ सिंह
- जाना / केदारनाथ सिंह
- दिशा / केदारनाथ सिंह
- बनारस / केदारनाथ सिंह
- नए कवि का दुख / केदारनाथ सिंह
- तुम आयीं / केदारनाथ सिंह
- जब वर्षा शुरु होती है / केदारनाथ सिंह
- बुनाई का गीत / केदारनाथ सिंह
- शहरबदल / केदारनाथ सिंह
- सन् ४७ को याद करते हुए / केदारनाथ सिंह
- नदी / केदारनाथ सिंह
- दाने / केदारनाथ सिंह
- फसल / केदारनाथ सिंह
- फागुन का गीत / केदारनाथ सिंह
- सार्त्र की क़ब्र पर / केदारनाथ सिंह
- मेरी भाषा के लोग / केदारनाथ सिंह
- पानी में घिरे हुए लोग / केदारनाथ सिंह
- दुपहरिया / केदारनाथ सिंह
- मंच और मचान / केदारनाथ सिंह
- प्रक्रिया / केदारनाथ सिंह
- जनहित का काम / केदारनाथ सिंह
- शहर में रात / केदारनाथ सिंह
- एक पारिवारिक प्रश्न / केदारनाथ सिंह
- अंधेरे पाख का चांद / केदारनाथ सिंह
- बसन्त / केदारनाथ सिंह
- घड़ी / केदारनाथ सिंह
- जे.एन.यू. में हिंदी / केदारनाथ सिंह
- दीपदान / केदारनाथ सिंह
- गर्मी में सूखते हुए कपड़े / केदारनाथ सिंह
- एक नये दिन के साथ / केदारनाथ सिंह
- यह पृथ्वी रहेगी / केदारनाथ सिंह
- मुक्ति / केदारनाथ सिंह
- चट्टान को तोड़ो वह सुन्दर हो जायेगी / केदारनाथ सिंह
- यह अग्निकिरीटी मस्तक / केदारनाथ सिंह
- हक दो / केदारनाथ सिंह
- शाम बेच दी है / केदारनाथ सिंह
- खोल दूं यह आज का दिन / केदारनाथ सिंह
- बढ़ई और चिड़िया / केदारनाथ सिंह
- सुई और तागे के बीच में / केदारनाथ सिंह
- बादल ओ! / केदारनाथ सिंह
- सृष्टि पर पहरा (कविता) / केदारनाथ सिंह
- विद्रोह / केदारनाथ सिंह
- निराला को याद करते हुए / केदारनाथ सिंह
- एक मुकुट की तरह / केदारनाथ सिंह
- काली मिट्टी / केदारनाथ सिंह
- छोटे शहर की एक दोपहर / केदारनाथ सिंह
- जूते / केदारनाथ सिंह
- जब वर्षा शुरू होती है / केदारनाथ सिंह
- पूँजी / केदारनाथ सिंह
- बसंत / केदारनाथ सिंह
- रक्त में खिला हुआ कमल / केदारनाथ सिंह
- सन ४७ को याद करते हुए / केदारनाथ सिंह
- सूर्यास्त के बाद एक अँधेरी बस्ती से गुजरते हुए / केदारनाथ सिंह
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