सोमवार, 19 मार्च 2018

कवि केदारनाथ की कविताएं




 

केदारनाथ सिंह

प्रस्तुति-  अनामी शरण बबल
केदारनाथ सिंह
केदारनाथ सिंह
जन्म
1934
चकिया गाँव, बलिया जिला, उत्तर प्रदेश
मृत्यु
19 मार्च 2018
राष्ट्रीयता
भारतीय
व्यवसाय
कवि
केदारनाथ सिंह (जन्म १९३४ .) हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार थे। वे अज्ञेय द्वारा सम्पादित तीसरा सप्तक के कवि रहे। भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा उन्हें वर्ष 2013 का 49 वां ज्ञानपीठ पुरस्कार दिये जाने का निर्णय किया गया।[1] वे यह पुरस्कार पाने वाले हिन्दी के 10 वें लेखक थे।[2][3]

अनुक्रम

जीवन परिचय

केदारनाथ सिंह का जन्म 1 july 1934 ई॰ में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के चकिया गाँव में हुआ था। उन्होंने बनारस विश्वविद्यालय से 1956 ई॰ में हिन्दी में एम॰ए॰ और 1964 में पी-एच॰ डी॰ की उपाधि प्राप्त की। वे जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय में भारतीय भाषा केंद्र में बतौर आचार्य और अध्यक्ष काम कर चुके हैं।[4]

मुख्य कृतियाँ

कविता संग्रह
  • अभी बिल्कुल अभी
  • जमीन पक रही है[5]
  • यहाँ से देखो[6]
  • बाघ[5]
  • अकाल में सारस[5]
  • उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ[6]
  • तालस्ताय और साइकिल[6]
  • सृष्टि पर पहरा
आलोचना
  • कल्पना और छायावाद[6]
  • आधुनिक हिंदी कविता में बिंबविधान[6]
  • मेरे समय के शब्द[6]
  • मेरे साक्षात्कार[6]
संपादन
  • ताना-बाना (आधुनिक भारतीय कविता से एक चयन)[6]
  • समकालीन रूसी कविताएँ[6]
  • कविता दशक[6]
  • साखी (अनियतकालिक पत्रिका)[6]
  • शब्द (अनियतकालिक पत्रिका)[6]

पुरस्कार

केदारनाथ सिंह को मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, कुमारन आशान पुरस्कार, जीवन भारती सम्मान, दिनकर पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार, व्यास सम्मान आदि पुरस्कारों मिल चुके हैं।[6]

सन्दर्भ

केदारनाथ सिंह  

केदारनाथ सिंह
पूरा नाम
केदारनाथ सिंह
जन्म
जन्म भूमि
चकिया गाँव, बलिया (उत्तर प्रदेश)
कर्म-क्षेत्र
कवि, लेखक
मुख्य रचनाएँ
अभी बिल्कुल अभी, ज़मीन पक रही है, यहाँ से देखो, अकाल में सारस, उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ, बाघ, तालस्ताय और साइकिल
भाषा
विद्यालय
शिक्षा
एम.ए. (हिंदी), पी.एच.डी.
पुरस्कार-उपाधि
ज्ञानपीठ पुरस्कार, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, कुमारन आशान पुरस्कार, जीवन भारती सम्मान, दिनकर पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार, व्यास सम्मान
नागरिकता
भारतीय
अन्य जानकारी
इनकी कविताओं के अनुवाद लगभग सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं के अलावा अंग्रेज़ी, स्पेनिश, रूसी, जर्मन और हंगेरियन आदि विदेशी भाषाओं में भी हुए हैं।
इन्हें भी देखें
केदारनाथ सिंह (अंग्रेज़ी: Kedarnath Singh) प्रमुख आधुनिक हिंदी कवियों एवं लेखकों में से हैं। केदारनाथ सिंह चर्चित कविता संकलन तीसरा सप्तकके सहयोगी कवियों में से एक हैं। इनकी कविताओं के अनुवाद लगभग सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं के अलावा अंग्रेज़ी, स्पेनिश, रूसी, जर्मन और हंगेरियन आदि विदेशी भाषाओं में भी हुए हैं। कविता पाठ के लिए दुनिया के अनेक देशों की यात्राएँ की हैं।

जीवन परिचय

केदारनाथ सिंह का जन्म 1934 में उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले के चकिया गाँव में हुआ था। इन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से 1956 में हिन्दी में एम.. और 1964 में पी.एच.डी की। केदारनाथ सिंह ने कई कालेजों में पढ़ाया और अन्त में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त हुए। इन्होंने कविता गद्य की अनेक पुस्तकें रची हैं और अनेक सम्माननीय सम्मानों से सम्मानित हुए। आप समकालीन कविता के प्रमुख हस्ताक्षर हैं। केदारनाथ सिंह की कविता में गाँव शहर का द्वन्द्व साफ नजर आता है। 'बाघ' इनकी प्रमुख लम्बी कविता है, जो मील का पत्थर मानी जा सकती है।

साहित्यिक परिचय

यह कहना काफ़ी नहीं कि केदारनाथ सिंह की काव्-संवेदना का दायरा गांव से शहर तक परिव्याप् है या यह कि वे एक साथ गांव के भी कवि हैं तथा शहर के भी। दरअसल केदारनाथ पहले गांव से शहर आते हैं फिर शहर से गांव, और इस यात्रा के क्रम में गांव के चिह्न शहर में और शहर के चिह्न गांव में ले जाते हैं। इस आवाजाही के चिह्नों को पहचानना कठिन नहीं हैं, परंतु प्रारंभिक यात्राओं के सनेस बहुत कुछ नए दुल्हन को मिले भेंट की तरह है, जो उसके बक्से में रख दिए गए हैं। परवर्ती यात्राओं के सनेस में यात्री की अभिरुचि स्पष् दिखती है, इसीलिए 1955 में लिखी गई अनागतकविता की बौद्धिकता धीरे-धीरे तिरोहित होती है, और यह परिवर्तन जितना केदारनाथ सिंह के लिए अच्छा रहा, उतना ही हिंदी साहित् के लिए भी। बहुत कुछ नागार्जुन की ही तरह केदारनाथ के कविता की भूमि भी गांव की है। दोआब के गांव-जवार, नदी-ताल, पगडंडी-मेड़ से बतियाते हुए केदारनाथ अज्ञेय की तरह बौद्धिक होते हैं प्रगतिवादियों की तरह भावुक। केदारनाथ सिंह बीच का या बाद का बना रास्ता तय करते हैं। यह विवेक कवि शहर से लेता है, परंतु अपने अनुभव की शर्त पर नहीं, बिल्कुल चौकस होकर। केदारनाथ सिंह की कविताओं में जीवन की स्वीकृति है, परंतु तमाम तरलताओं के साथ यह आस्तिक कविता नहीं है।[1]
मैं जानता हूं बाहर होना एक ऐसा रास्ता है



जो अच्छा होने की ओर खुलता है


और मैं देख रहा हूं इस खिड़की के बाहर

एक समूचा शहर है

मुख्य कृतियाँ

कविता संग्रह
  • अभी बिल्कुल अभी
  • जमीन पक रही है
  • यहाँ से देखो
  • बाघ
  • अकाल में सारस
  • उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ
  • तालस्ताय और साइकिल
आलोचना
  • कल्पना और छायावाद
  • आधुनिक हिंदी कविता में बिंबविधान
  • मेरे समय के शब्द
  • मेरे साक्षात्कार
संपादन
  • ताना-बाना (आधुनिक भारतीय कविता से एक चयन)
  • समकालीन रूसी कविताएँ
  • कविता दशक
  • साखी (अनियतकालिक पत्रिका)
  • शब्द (अनियतकालिक पत्रिका)

सम्मान और पुरस्कार

ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रतीकः वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा

समाचार

शुक्रवार, 20 जून, 2014

प्रख्यात कवि केदारनाथ सिंह को मिला ज्ञानपीठ पुरस्कार

हिंदी की आधुनिक पीढ़ी के रचनाकार केदारनाथ सिंह को वर्ष 2013 के लिए देश का सर्वोच्च साहित्य सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। वह यह पुरस्कार पाने वाले हिन्दी के 10वें लेखक हैं। ज्ञानपीठ की ओर से शुक्रवार 20 जून, 2014 को यहां जारी विज्ञप्ति के अनुसार सीताकांत महापात्रा की अध्यक्षता में हुई चयन समिति की बैठक में हिंदी के जाने माने कवि केदारनाथ सिंह को वर्ष 2013 का 49वां ज्ञानपीठ पुरस्कार दिये जाने का निर्णय किया गया। केदारनाथ सिंह इस पुरस्कार को हासिल करने वाले हिंदी के 10वें रचनाकार है। इससे पहले हिन्दी साहित्य के जाने माने हस्ताक्षर सुमित्रानंदन पंत, रामधारी सिंह दिनकर, सच्चिदानंद हीरानंद वात्सयायन अज्ञेय, महादेवी वर्मा, नरेश मेहता, निर्मल वर्मा, कुंवर नारायण, श्रीलाल शुक्ल और अमरकांत को यह पुरस्कार मिल चुका है। पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार मलयालम के लेखक गोविंद शंकर कुरुप (1965) को प्रदान किया गया था। पुरस्कार के रूप में प्रो. केदारनाथ सिंह को 11 लाख रुपये, प्रशस्ति पत्र और वाग्देवी की प्रतिमा प्रदान की जाएगी।


केदारनाथ सिंह
जन्म
20 नवम्बर 1934
निधन
19 मार्च 2018
जन्म स्थान
ग्राम चकिया, जिला बलिया, उत्तर प्रदेश, भारत
कुछ प्रमुख कृतियाँ
अभी बिल्कुल अभी, ज़मीन पक रही है, यहाँ से देखो, अकाल में सारस, उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ, बाघ, तालस्ताय और साइकिल
विविध
कविता संग्रह " अकाल में सारस" के लिये साहित्य अकादमी पुरस्कार (1989), मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार, कुमार आशान पुरस्कार (केरल), दिनकर पुरस्कार, जीवनभारती सम्मान (उड़ीसा) और व्यास सम्मान सहित अनेक प्रतिष्ठित सम्मान और पुरस्कार से सम्मानित।
जीवन परिचय

कविता संग्रह

कुछ रचनाएँ

·          
·          

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें