कहाँ मिलेगा नसीमुद्दीन को ठिकाना ...?
धन उगाही जैसे जिन बड़े आरोपों को लगा कर अब तक तमाम दिग्गज बसपा छोड़ते रहे है ठीक वही आरोप अपने कद्दावर नेता नसीमुद्दीन सिद्धकी पर मढ़ मायावती ने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया | साथ में उनके बेटे अफ़जल सिद्धकी को भी बसपा प्रमुख ने बर्खास्त किया है | क़रीब तीन दशक से मायावती के हमक़दम रहे नसीम को पार्टी में नंबर दो का नेता माना जाता रहा है | वे बसपा के बड़े मुस्लिम चेहरे के रूप में जाने जाते थे | और इस समय भी राष्ट्रीय महासचिव के आलावा विधान परिषद् में नेता प्रतिपक्ष के पद पर थे | रुपियों के जिस भंवर जाल में मायावती को फंसा बताया जाता है वहीं रकम कमाने के कमाऊं पूत के रूप में एक समय बाबू सिंह कुशवाहा व् नसीमुद्दीन जैसे लोग जाने जाते थे | यहीं कारण रहा की बसपा सरकारों के दौरान इन्हे दर्जनों मलाईदार विभागों का मंत्री बनाया गया | NRHM घोटाले का आरोपी बनने पर बहनजी ने पहले बाबू सिंह को पार्टी से हटाकर छुट्टी पायी और अब विधानसभा चुनाव में पठखनी खाने के बाद गाज़ नसीमुद्दीन पर गिरी | वैसे राजनीति के पंडित यह भली-भांति जानते है की मायावती भी अब कैडर नहीं परिवारवाद की राजनीति पर उतर आयीं हैं | भाई आनंद को उपाध्यक्ष बनाने के बाद पार्टी में उन्हें वह सम्मान व् स्थान नहीं मिल पा रहा था जो नसीमुद्दीन का था | इसी वजह से उन्हें चलता किया गया |
नसीमुद्दीन बुंदेलखंड के बाँदा जिले के हैं वर्ष 1988 में नगर पालिका चेयरमैन का चुनाव हारने के बाद बसपा से जुड़ गए | वर्ष 1991 का विधानसभा चुनाव उन्होंने बाँदा सदर से जीता | 1993 का चुनाव वे हारे ज़रूर पर बसपा में शिखर तक चढ़ते रहे | विधानपरिषद में मनोनयन होता रहा, पत्नी हुस्ना भी एमएलसी बनी | वे रसूखदार विभागों के मंत्री रहें | 2007 के चुनाव में उन्होनें बुंदेलखंड से बसपा को बढ़त दिलाई | इस दौरान मंत्री रहते हुए उन्होनें बाँदा में कई बड़े विकासकार्य किये | मेडिकल कॉलेज, कृषि विश्वविद्यालय, केन नदी में तटबंध व् बाईपास, चिल्ला में यमुना पर पुल तथा बिंदकी के चौडगरा व् बाँदा की रेलवे क्रासिंग पर ओवरब्रिज, शानदार सर्किट हॉउस उनकी वह उपलब्धियां है जिन्हे यहाँ का कोई भी मंत्री या विधायक नहीं हासिल कर सका |
नसीमुद्दीन पर टिकट बांटने में धन उगाही या बेनामी संम्पत्तियाँ इक्कट्ठा करने के जो आरोप लगे हैं उन्हें भले ही न नकारा जाए पर बसपा सुप्रीमों की ओर से लगाएं जाने को ज़रूर हास्यास्पद कहाँ जायेगा | क्योंकि ऐसे ही सैकड़ों आरोप खुद मायावती पर लगते रहते हैं | बसपा छोड़ने वाला हर नेता उन्हें रुपया कमाने की मशीन बताता हैं |
हाँ, अब यह प्रश्न ज़रूर उठता हैं कि बसपा के बाद नसीम किस दल में जायेंगे? भाजपा ने उन्हें पहले ही किनारे कर दिया हैं, सपा में अखिलेश राज के चलते उनकी एंट्री मुश्किल ही लगती हैं | कांग्रेस खुद ही कागज़ की नाव की तरह लड़खड़ा रहीं हैं अतः आने वाला समय ही उनका नया राजनीतिक ठिकाना बता पायेगा |
सुधीर निगम
रेजिडेंट एडिटर
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