सोमवार, 15 जून 2020

दस्यु सुंदरी बाँदा





बाँदा की रिवॉल्वर रानी

रानी झांसी लक्ष्मीबाई की शौर्य गाथाओं से देश -विदेश के लोग अब तक बुंदेलखंड को जानते थे | लेकिन अब बाँदा की एक युवती वर्षा साहू ने अपनी दबंगई से वह कारनामा कर दिखाया कि न केवल इंडिया बल्कि विदेशी मीडिया ने भी उसके साहस  को अपनी सुर्खिया बना डाला | वर्षा ने उन युवतियों को एक नयी राह दिखा सबला होने का परिचय दिया जो अब तक कइयों को छल कर उनकी ज़िंदगी नर्क बना चुकें हैं | मामला अब तक सभी जान चुके है | बाँदा शहर की वर्षा साहू के घर के समीप स्थित एक क्लिनिक के कम्पाउण्डर अतुल यादव ने क़रीब तीन चार साल पहले अपने प्रेम जाल में फंसा लिया उसने यह बात भी छिपाई कि वह दो बेटियों का पिता है और पत्नी कि मौत हो चुकी है | इस बीच केन नदी के उस पार मटौंध थाना क्षेत्र के मोहनपुरवा गॉव निवासी उसके पिता ने बेटे कि शादी हमीरपुर ज़िले के भवानी गॉव की भारती से तय कर दी | धूमधाम से बारात की अगवानी, जयमाल व् भोजन आदि कार्यक्रम संपन्न हुए | इधर बाँदा में वर्षा को अशोक के दोस्त राहुल से पता चल गया की उसका प्रेमी धोखा देकर ब्याह रचाने चला गया है |

वह तुरंत घर से सहेली के यहाँ शादी में जाने का बहाना कर राहुल संग उस विवाह स्थल पहुँच गयी जहाँ अशोक पगड़ी बाँधे मंडप के नीचे था | उसने दूल्हे की कनपटी में रिवाल्वर लगा पहले तो फटकारा फिर गन पॉइंट पर गाड़ी में बैठा अपने साथ बाँदा ले आयी | शादी वाले घर में हड़कंप मच गया पर वर्षा ने वापसी में रास्ते के एक मंदिर में अशोक से शादी रचा ली और बन्योटा मोहल्ला स्थित अपनी सहेली के घर पहुँच गयीं |

ख़बर आम हुई और दूल्हे के अपहरण का मुकदमा दर्ज़ हो गया | मौदहा (हमीरपुर) पुलिस ने उसे बाँदा आकर राहुल सहित अपनी गिरफ्त में ले लिया | उधर अशोक को भी उसके घर से पुलिस ले आयी | थाने पर ही पहले दोनों में तकरार हुई अब बात आपसी सहमति से शादी करने तक पहुँच गयीं है | वर्षा अपहरण की बात से इंकार कर रही है| तो अशोक ने भी स्वेक्क्षा से उसके साथ आने की बात अदालत में कह कर वर्षा को बचा लिया |

पूरे बुंदेलखंड में इस घटना की चर्चा तो हो ही रही है एक हफ्ता बीतने के बावजूद अखबारों के पेज  भी प्रतिदिन ताज़े हालातों से भरे रहतें है | घटना को कुछ विदेशी अखबारों ने भी प्रमुखता से छापा तो बुंदेलखंड फिर चर्चा में आ गया |

सस्पेंस व् थ्रिल जैसे फिल्मी सीन को सच्चाई के परदे में उतारने  वाली वर्षा जैसी युवतियों को अदभ्य नारी सशक्तिकरण का परिचय देते समय होश खोने की ज़रूरत नहीं है | अच्छा होता वह कानून हाथ में लेने की जगह पुलिस की मदद से ऐसे विवाह को रोकती तो उसे अनावश्यक ही पुलिस कार्यवाहीं में न फंसना पड़ता और अशोक जैसे युवकों को नसीहत मिलती |
   
सुधीर निगम
रेजिडेंट एडिटर
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