Karthik Calling Karthik
यह मूवी अवचेतन मन की कारस्तानियों पर हैं।
मूवी का मुख्य पात्र कार्तिक नारायण हैं। कार्तिक नारायण के ड्रेस सेंस, हाव भाव और बालों की स्टाइल से पता चलता है कि कार्तिक स्वभाव से अंतर्मुखी और दब्बू किस्म का इंसान हैं । ऑफिस में चपरासी से लेकर बॉस तक उसकी इज्जत के चिथड़े उड़ाने में लगे रहते हैं ।
ऑफिस में खूबसूरत सोनाली उसकी सहकर्मी हैं । जिसे वो मन ही मन प्यार करता हैं, उसे ई मेल लिखता है, लेकिन कभी सेंड नही कर पाता । इस बात से बिल्कुल अनजान सोनाली किसी और के प्यार में मस्त हैं ।
एक बार उसका बॉस उसके काम को लेकर पूरे स्टाफ के सामने उसे बेइज्जत कर, उसे नौकरी से निकाल देता हैं ।
कार्तिक नारायण परेशान होकर खुद को घर मे कैद कर लेता हैं और अपने बर्थडे पर वो खुदकुशी करना चाहता है । लेकिन अचानक सुबह 5 बजे उसके पास एक अंजान कॉल आता हैं । जिसमे कार्तिक नाम का कोई बन्दा उसे कॉल करता है और उसके बारे में काफी जानकारी उसे बताता हैं । जिसे सुनकर वो अचंभे में पड़ जाता हैं । वो उसकी जिंदगी बदलने की बात भी करता हैं । कार्तिक नारायण उसे फेक कॉल समझकर दूसरे दिन टेलीफोन एक्सचेंज में जाकर उस कॉल के बारे में मालूम करने की कोशिश करता हैं, लेकिन वहाँ उसे पता चलता है कि उसके फोन पर लास्ट कॉल चार दिन पहले आया था । कल उसके फोन पर किसी ने कॉल नही किया ।
दूसरे दिन फिर सुबह ठीक 5 बजे कॉल आता हैं । फोन पर वही अंजान कार्तिक उससे बात करता हैं । उसके कुछ सीक्रेट्स के बारे में उसे बताता हैं । वो उसे ऑफर देता हैं की मुझ पर यकीन करो । सब ठीक हो जाएगा । कार्तिक नारायण उसकी बात मान लेता हैं ।
फिर चमत्कार होता हैं ।
अंजान कार्तिक, कार्तिक नारायण को गाइड करना शुरू कर देता हैं । वो कार्तिक की सभी समस्याओं का समाधान बताता हैं । उसे एक सफल आदमी बनने के लिए उसका मार्गदर्शन करता हैं । उसकी नौकरी वापिस दिलवाता हैं । आफिस में उसका अलग ही रुतबा बन जाता हैं । सोनाली को अपने प्यार के बारे में कैसे बताएं, इन सब मे वो कार्तिक नारायण को पारंगत कर देता हैं । कार्तिक नारायण के नीरस जीवन मे सफलता और प्यार के फूल खिलने लगते हैं । जीवन मे बहार आ जाती हैं ।
अंजान कार्तिक, कार्तिक नारायण को इस बात के लिए भी मना करता है कि वो किसी को उसके बारे में नही बताएं ।
एक बार कार्तिक सोनाली को बता देता है कि उसके पास रोजाना एक कॉल आता है जिसमे की वो अंजान कार्तिक से बातें करता है, वो उसे गाइड करता हैं । आज जो कुछ भी वो बना हैं, वो सब उसी अंजान कार्तिक की वजह से हैं ।
सोनाली उसे मज़ाक समझ कर टाल देती हैं । लेकिन बाद में इसे गम्भीर समझ कर कार्तिक नारायण को मनोचिकित्सक से मिलने को कहती हैं । लेकिन अंजान कार्तिक उसे मना करता हैं ।
कार्तिक नारायण को यह डर लगता है कि कही अंजान कार्तिक के चक्कर मे सोनाली उसे छोड़ ना दें, वो मनोचिकित्सक डॉ श्वेता कपाड़िया से मिलता हैं । डॉ इस प्रॉब्लम को हेलुसिनशन बताती हैं, इसमे रोगी को लगता है की कोई उससे बात कर रहा हैं । लेकिन कार्तिक यह मानने को तैयार नही होता । डॉ कपाड़िया खुद उसके घर यह चेक करने के लिए जाती हैं और वहाँ देखती है कि वाकई कॉल आता है और वो खुद अंजान कार्तिक से फोन पर बात करती हैं । अंजान कार्तिक डॉ को फोन पर डरा देता हैं, जिससे डॉ बिना कुछ कहे वहाँ से चली जाती हैं
अब सोनाली भी फोन पर बात करने के लिए कार्तिक के घर रुकती हैं । कॉल आता हैं और सोनाली उसे फोन उठाने के लिए मना करती हैं । फोन केबल हटाने पर भी कॉल आता रहता हैं । अंजान कार्तिक कॉल नही उठाने पर गुस्सा हो जाता है, उसका ईगो हर्ट हो जाता हैं और वो कार्तिक नारायण को बर्बाद करने की धमकी देता हैं ।
यहां महत्वपूर्ण यह है कि अंजान कार्तिक, कार्तिक नारायण से सिर्फ अपनी बात कहता है, लेकिन उसकी कोई बात सुनता नही ।
अब अंजान कार्तिक का अहंकार आगे क्या गुल खिलाता हैं, इसे आप मूवी में देखिए ।
हम हमारे जीवन मे जिन सभी चीजो के बारे में हम सोचते है, बात करते है वो सभी बातें हमारा दिमाग एक हिस्से में स्टोर करता हैं, वो हमारा चेतन मन होता हैं । जिन छोटी छोटी बातों पर हमारा ध्यान नही जाता, जो हम सुनते हैं, देखते है, लेकिन याद नही रख पाते, उसे हमारा माइंड एक दूसरे मन मे स्टोर करता हैं, उसे हम अवचेतन मन कहते हैं ।
चेतन मन संचालित होता है अवचेतन और अचेतन मन से। यानी हमारे विचारों और व्यवहार की बागडोर ऐसी अदृश्य शक्ति के हाथ में होती है, जो हमारे मन को कठपुतली की तरह नचाती है। हम जो भी बात कहते हैं, सोचते हैं, उसके मूल में अवचेतन मन होता है। अवचेतन मन मे हमारा सारा कच्चा चिट्ठा जमा रहता हैं । उसे हमारी सभी तरह की अच्छी और बुरी आदतों का ज्ञान रहता हैं । चेतन और अवचेतन दोनो एक ही दिमाग मे होते हैं । किसी किसी का अवचेतन मन बहुत ज्यादा सक्रीय होता हैं । हमारा शरीर का लगभग 90 % काम हमारे अवचेतन मन के द्वारा संचालित होता हैं । हमारी सभी तरह की दमित इच्छाये इसी मन से संचालित होती हैं और समय आने पर एक्टिव होती हैं ।
कई बार अवचेतन मन की कोई दमित इच्छा चेतन मन पर पूरी तरह से हावी होकर इंसान के पूरे व्यक्तित्व को बदल कर रख देती हैं । इस मूवी में भी इसको अच्छे से दिखाया गया हैं । मनुष्य का सारा खेल अस्तित्व और सर्वाइव का हैं, जिसके लिए उसकी कोई हद तय नही । मूवी को बारीकी से देखने पर इसका पता चलता हैं । कार्तिक नारायण की पर्सनलिटी का कोई हिस्सा प्रभावी होकर कार्तिक नारायण को ही कंट्रोल करने लगता हैं । इसके लिए उसे माध्यम की जरूरत होती है, जो उसे मिल भी जाता हैं ।
ऐसा माना जाता है कि हमारा अवचेतन मन ही हमारा भाग्य निर्धारित करता हैं । कई जन्मों की मेमोरी इसी अवचेतन मन मे हमारे अच्छे या बुरे संस्कार के रूप में स्टोर रहती हैं । इसी के द्वारा हमारा भविष्य का निर्माण होता हैं । भविष्य की सभी सफलताएं, असफलताएं, बदनामी, शोहरत इत्यादि सभी इसी से प्रेरित होकर मिलती हैं । शायद इसीलिए किसी भी प्रकार की परेशानी को दूर करने के लिए अवचेतन मन मे बदलाव लाने की बात कही जाती हैं । कुछ इन्सानों में इसके बदलाव देखे भी जाते हैं और कुछ इन्सानों के संस्कार इतने ज्यादा प्रबल होते है कि उनमे बदलाव असंभव से मालूम पड़ते हैं । माने या ना माने हम सभी अपने अपने अवचेतन मन की गुलामी में रहकर अपना जीवन व्यतीत करते हैं ।
शायद इन्सानों में अच्छे कर्म के संस्कार इसलिए भी डाले जाते हैं, ताकि आगे मिलने वाले जन्मों में इंसान अपना जीवन उन संस्कारो की बदौलत अच्छे से गुजार सकें ।
क्या आप भी तैयार है अपने अवचेतन मन को अच्छे संस्कारो से सींचने के लिए ? 🤗
शुक्रिया । 🦋
Karthik Calling Karthik (2010)
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