सोमवार, 13 फ़रवरी 2012

dse के लिए रपट


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मार्च में पेश होगा केंद्रीय बजट

http://www.biharkhojkhabar.com/wp-content/uploads/2012/01/pranab_mukherjee_20080317.jpgवित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को संकेत दिए कि विधानसभा चुनावों के चलते केंद्रीय बजट मार्च के मध्य तक पेश किया जा सकता है। पत्रकारों से एक अनौपचारिक बातचीत में वित्त मंत्री ने कहा कि संसद के बजट सत्र की तारीखों के निर्धारण के लिए संसदीय मामलों वाली कैबिनेट कमेटी की बैठक फरवरी के पहले सप्ताह में होगी।
उन्होंने कहा कि 9 मार्च तक चुनावी आचार संहिता लागू रहने के कारण संसद के बजट सत्र में होने वाला परंपरागत राष्ट्रपति का अभिभाषण चुनावी प्रक्रिया के खत्म होने के बाद ही संभव है। उन्होंने कहा कि संवैधानिक रूप से दो तिथियां महत्वपूर्ण हैं।

पहली
, 31 मार्च जिससे पहले बजट पर वोट हो जाना चाहिए ताकि नए वित्तीय वर्ष में धन निकालने में परेशानी न हो और दूसरी कर प्रस्ताव के बाद वित्त विधेयक पास होने के लिए 75 दिनों की समयसीमा है। विदेशी बैंकों में काला धन जमा करने वालों पर कानूनी कार्रवाई पर पूछे जाने पर वित्त मंत्री ने कहा कि इस पर कानूनी प्रक्रिया जारी है।
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हादलितों को मुफ्त दिये जाएंगे 22 लाख रेडियो

राज्य में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार बनने के बाद वर्ष 2009 से महादलित परिवारों के बीच रडियो योजना के तहत रेडियो बांटे जा रहे हैं। इस समुदाय के बीच कुल 22 लाख रेडियो बांटने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। रेडियो योजना में तेजी लाने के लिए सरकार प्रखंड स्तर पर अब एक मेला लगाएगी, जहां महादलित सरकार की ओर से दिए जाने वाले कूपन से रेडियो खरीद सकेंगे। यदि कोई व्यक्ति 400 रुपये से ज्यादा के रेडियो लेना चाहता है तो वह अतिरिक्त रुपये अपने पास से खर्च कर ऐसा कर सकता है।
बिहार में महादलित समुदाय के लोगों को अब रेडियो कार्यक्रमों के जरिये मनोरंजक तरीके से साक्षरता, स्वच्छता सहित सरकारी विकास योजनाओं की जानकारी दी जाएगी। इसके जरिये लोगों को शराब और तम्बाकू की लत छोड़ने के लिए भी प्रेरित किया जाएगा। राज्य के अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव रवि परमार ने बताया कि सरकार ने जुलाई से यह विशेष रेडियो कार्यक्रम शुरू करने की योजना बनाई है। इससे महादलितों को शिक्षित और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाएगा। यह कार्यक्रम 15 मिनट का होगा, जो ऑल इंडिया रेडियो के पटना केंद्र से संचालित होगा। यह एक तरह से कम्युनिटी रेडियो की तरह काम करेगा। इस कार्यक्रम के लिए विभाग ने एजेंसी तय कर ली है।
अधिकारियों के मुताबिक, इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए अभी चार-पांच महीने का समय लगेगा। विभाग ने सभी जिले के कल्याण पदाधिकारियों को अनुसूचित जाति और जनजाति लोगों की सूची मुहैया कराने के निर्देश दिए हैं। बकौल परमार, महादलितों के लिए विशेष रूप से तैयार किए जा रहे इस कार्यक्रम को आकर्षक और मनोरंजन बनाने के लिए विभाग के विशेषज्ञों, कलाकारों और लेखकों की भी मदद ली जा रही है।
सरकार का मानना है कि राज्य में विकास के बावजूद महादलित परिवार के लोग पिछड़े और समाज से कटे हुए हैं। उनमें समाज से अलग-थलग होने के एहसास को दूर करने के लिए पिछले वर्ष से राज्य के प्रत्येक महादलित मोहल्ले में स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के मौके पर अधिकारियों की उपस्थिति में महादलित परिवार के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति के हाथों ध्वजारोहण कराया गया।
देश में बिहार पहला राज्य है, जहां सबसे पहले महादलित आयोग का गठन किया गया, जो महादलितों के उत्थान के लिए कार्यरत है। सामाजिक संस्था से जुड़े लोगों का हालांकि मानना है कि राज्य में महादलितों के उत्थान के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। स्वयंसेवी संस्था में काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अनवर हुसैन के अनुसार महादलित परिवार के लोगों के लिए शिक्षा आज भी सपना है। पटना में महादलितों के मुहल्ले में जाकर इनकी स्थिति देखी जा सकती है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, बिहार की कुल 10 करोड़ 40 लाख की आबादी में 15 प्रतिशत महादलित हैं। दलितों की 22 में से 21 उप जातियों जैसे मुसहर, भूइयां, डोम, चमार आदि को महादलित का दर्जा दिया गया है।
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गूगल का ऑनलाइन हार्ड ड्राइव मुफ्त में


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गूगल जो लोकप्रिय सर्च इंजन है, जल्द ही मुफ्त ऑनलाइन हार्ड ड्राइव स्टोरेज सिस्टम लांच करने जा रहा है। यह पर्सनल कंप्यूटर के हार्ड ड्राइव की तुलना में अधिक फाइलों को स्टोर कर सकेगी। अभी ड्रॉपबॉक्स कंपनी ग्राहकों को ऑनलाइन फाइल स्टोरेज सर्विस उपलब्ध करा रही है। गूगल ने इस कंपनी को टक्कर देने के लिए इस तरह की योजना बनाई है। वर्तमान में ड्रॉपबॉक्स का 4 अरब डॉलर का कारोबार है।
वॉल स्ट्रील जर्नल ने अपने विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से बताया कि गूगल की इस सेवा का नाम ड्राइव होगा और यह गूगल के सभी अकाउंट होल्डर के लिए निःशुल्क होगी। वीडियो, दस्तावेज और संगीत पर्सनल कंप्यूटर की हार्ड ड्राइव की बजाए गूगल के डाटा केंद्र में स्टोर किए जा सकेंगे। वैसे तो गूगल की ड्राइव सेवा को निःशुल्क रखा जाएगा, लेकिन बड़ी मात्रा में डाटा स्टोर करने वाले यूजर्स को फीस चुकानी होगी।
वर्तमान में गूगल की दूसरी ऑनलाइन डाटा स्टोरेज सर्विस गूगल डॉक्यूमेंट भी यूजर को एक जीबी तक डाटा स्टोर करने की सुविधा देती है। इस समय एपल कंपनी भी आइ क्लाउड नाम से डाटा को ऑनलाइन स्टोर करने की सुविधा दे रही है। यह उसकी मोबाइल ऑपरेटिंग सर्विस के नवीनतम वर्जन आइओएस 5 के यूजर्स के लिए निःशुल्क है। माइक्रोसॉफ्ट भी इस प्रकार की सेवा देती रही है, किन्तु, इसके बदले शुल्क लेती है। यूजर्स के लिए गूगल की सेवा उसी तरह आसान होगी, जैसी ड्रॉपबॉक्स की है। ड्रॉपबॉक्स यूजर्स को किसी भी चीज को कहीं भी स्टोर करने की सुविधा देता है।
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भारत पर टिकी फेसबुक की उम्मीद

http://www.biharkhojkhabar.com/wp-content/uploads/2012/02/Facebook-India.jpgफेसबुक पूरे विश्व में भारत को सबसे तेजी से उभरते हुए अपार संभावनाओं वाले बाजार के रूप में देखता है। इसकी बड़ी वजह यह है कि पिछले एक साल में इसके यूजर्स की संख्या दोगुनी हो गई है वहीं दूसरी ओर पड़ोसी देश चीन में नाम मात्र की ग्रोथ देखी गई है। फेसबुक ने अपने शेयरों के जरिए पांच अरब डॉलर बाजार से जुटाने का लक्ष्य रखा है। सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक को भारत से मिले जबर्दस्त रिस्पांस से अपने सपनों को साकार होने की उम्मीद है।
फेसबुक की ओर से आधिकारिक तौर पर कहा गया है कि अमेरिका और अन्य देशों की तुलना में भारत में यूजर्स की संख्या में सबसे अधिक 132 फीसदी ग्रोथ देखा गया है, जबकि अनुमानित निवेश 20-30 फीसदी है। कई अन्य देशों के इंटरनेट यूजर्स के अलग-अलग आंकड़े देखने को मिले हैं। यूएस सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) में दिए गए दस्तावेजों में फेसबुक ने बताया है कि चीन में फेसबुक के सीमित उपयोग के कारण वहां यूजर्स की संख्या में नाम मात्र की ग्रोथ दर्ज की गई है।
फेसबुक हर महीने सक्रिय यूजर्स की संख्या के आधार पर अपने सदस्यों की देख-रेख करता है। हालांकि अलग-अलग देशों में यूजर्स की संख्या में अलग-अलग ग्रोथ देखी गई है। जिसमें भारत और ब्राजील में सबसे अधिक ग्रोथ हुई है। 31 दिसंबर 2011 तक भारत में महीने में एक्टिव यूजर्स की संख्या 4 करोड़ 60 लाख थी।
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आश्चर्यजनक किन्तु सत्य: एक ही महिला का 14 बार बंध्याकरण

http://www.biharkhojkhabar.com/wp-content/uploads/2011/07/SHS-Bihar.jpgक्या आप यह यकीन करेंगे कि बिहार के कैमूर जिले में एक ही महिला का एक वर्ष में 14 बार नसबंदी की गयी?
यह रोचक मामला जिला स्वास्थ्य समिति कैमूर के अभिलेखों में दर्ज है। समिति द्वारा तैयार किये गये अभिलेखों को देखने से पता चलता है कि श्यामा (बदला हुआ नाम) का एक वर्ष में परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत 14 बार बंध्याकरण किया गया। यह सिर्फ एक मामला नहीं है, इसी तरह कई ऐसे महिलाओं के नाम हैं जिनका एक ही वर्ष के अंतराल में कई-कई बार बंध्याकरण किया गया।
यह सनसनीखेज खुलासा राज्य स्वास्थ्य समिति की चार सदस्यीय दल द्वारा किया गया है। समिति के कार्यकारी निदेशक संजय कुमार के अनुसार जो खबरें आयी हैं उसके मुताबिक करीब साढ़े पांच करोड़ रुपये इस मद में खर्च किये गये हैं। रिकार्डों के अनुसार वास्तविक लाभान्वितों की संख्या काफी कम है, जबकि बड़ी राशि आयोजकों की जेब में चली गयी है।
नेशनल रूरल हेल्थ मिशन के अंतर्गत चलाये जा रहे इस योजना में 600 रुपये उन महिलाओं को दिये जाते हैं जिन्होंने नसबंदी करायी है। यह योजना जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए चलायी जा रही है। रिकार्ड यह बताते हैं कि जिला स्वास्थ्य समिति, जिसके सचिव जिला के सिविल सर्जन होते हैं, ने चेयरमैन (पदेन जिलाधीश) की अनुमति के बगैर ही नेशनल रूरल हेल्थ मिशन का करीब साढ़े पांच करोड़ रुपये खर्च कर दिये। और इस राशि का बहुत बड़ा हिस्सा एनजीओ के पास चला गया, और कुछ एनजीओ का तो अस्तित्व भी नहीं है।
इसी तरह का घपला आपको और जगह भी मिलेंगे। गैर सरकारी संस्थानों ने तो लूट मचा रखी है। इन पर नकेल कसने का वक्त आ गया है।विपिन एक स्थानीय समाजसेवी कहते हैं।
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27 वर्षीय मुखिया ले रहीं वृद्धावस्थापेंशन

सिमरी-बख्तियारपुर प्रखंड की खजुरी पंचायत की नवनिर्वाचित मुखिया रीता देवी (27) पिछले दो सालों से वृद्धावस्था पेंशन ले रही हैं। पेंशनधारियों की सूची में रीता देवी का क्रमांक 55 व उम्र 66 वर्ष अंकित है, जबकि पंचायत चुनाव के लिए दाखिल शपथ-पत्र व अन्य कागजात में उनकी उम्र 27 वर्ष दरसायी गयी है।
इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन के लिए भरे गये आवेदन में रीता देवी ने अपनी जगह एक अन्य बुजुर्ग महिला की तसवीर लगा रखी है। नौ मार्च को मुखिया प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिला के समय शपथ-पत्र में रीता की उम्र 27 वर्ष दिखायी गयी है। उनकी जन्म तिथि पहली जनवरी, 1983 अंकित है। पंचायत आम निर्वाचन नामावली 2011 के क्रम संख्या 112, गृह संख्या 71 के कालम में उनके पति का नाम नवीन राम और अभ्यर्थी की आयु 27 वर्ष दर्ज है। पति के नाम में राम छप जाने को टंकण की भूल बातकर रीता ने शपथपत्र दायर जाति प्रमाण-पत्र बनवाया था, जिसमें पति का नाम नवीन राय लिखा है। चुनाव की घोषणा से काफी पहले रीता देवी ने जिला सामाजिक सुरक्षा कोषांग में इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन के लिए आवेदन दिया था। सामाजिक कोषांग द्वारा सिमरी-बख्तियारपुर प्रखंड की खजुरी पंचायत के लिए जारी पेंशन लाभुकों की सूची में रीता देवी का नाम क्रम संख्या 55 पर दर्ज है जिसमें उनकी उम्र 66 वर्ष दरसायी गयी है। खजुरी डाकघर में रीता देवी के खाते (712535) में पिछले दो वर्षों से पेंशन का भुगतान हो रहा है।
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बाढ़ में प्रति वर्ष बह जाते हैं एक लाख घर

बिहार की प्रलयंकारी बाढ़ में हर साल औसतन एक लाख से ज्यादा मकान बह जाते हैं वही एक लाख से ज्यादा घर क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। बाढ़ से एक लाख परिवारों का मकान इतना ज्यादा क्षतिग्रस्त हो जाता है कि वह कभी भी ध्वस्त हो सकता है। इसके बावजूद लाखों परिवार इन क्षतिग्रस्त मकानों में ही जीवन-बसर करते हैं।
बिहार की प्रलयंकारी बाढ़ एवं कटाव ने 1989 से 2009 तक 31 वर्षों में लगभग 69 लाख मकानों को नुकसान पहुंचाया है। इसमें लगभग 35 लाख मकान पानी में बह गये तो लगभग 34 लाख क्षतिग्रस्त हो गये। बाढ़ से लाखों परिवार बेघर हुए जिन्हें बसाने के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किये गये। किन्तु गिने-चुने लोगों का ही आशियाना बन पाया। बाढ़ से बेघर होनेवाले लाखों परिवार आज भी खुले आसमान के नीचे जीवन-बसर कर रहे हैं।
हर साल सरकार बाढ़ से निपटने के लिए तरह-तरह के दावे करते हैं और करोड़ों रुपये खर्च किये जाते हैं मगर हकीकत है कि हर साल राज्य बाढ़ की चपेट में आता है और जान-माल एवं मकान के साथ अरबों रुपये की सम्पत्ति का नुकसान होता है। इस बार भी मानसून सिर पर है। बाढ़ से निपटने के कारगर उपाय सरकारी दावे किये जा रहे हैं। आपदा प्रबंधन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सूबे में प्रतिवर्ष एक लाख से ज्यादा मकान कटाव एवं बाढ़ में बह जाते हैं। बाढ़ के इतिहास पर नजर डाली जाये तो 1987 की बाढ़ में सबसे ज्यादा 6 लाख 68 हजार 27 मकान बह गये थे तो 10 लाख 36 हजार 472 मकान क्षतिग्रस्त हुए थे। बाढ़ से सबसे कम नुकसान वर्ष 1992 में हुआ था। इस साल मात्र 1278 मकान ही बाढ़ में बहे थे।
आपदा प्रबंधन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बाढ़ में बहने एवं क्षतिग्रस्त मकानों की संख्या वर्ष 1979 में 27816 तो 1980 में 118507, 1981 में 75776 तो 1982 में 68242 है। इसी प्रकार 1983 में 38679, 1984 में 3 लाख 10 हजार 405, 1985 में 103279, 1986 में 13774, 1987 में 17 लाख 4 हजार 999, 1988 में 14759, 1989 में 7746 तथा 1990 में 11009 है। इसी प्रकार 1991 में 27324, 1992 में 1281, 1993 में 2 लाख 19 हजार 826, 1994 में 33876, 1995 में 2 लाख 97 हजार 826, 1994 में 33876, 1995 में 2 लाख 97 हजार 765, 1996 में एक लाख 16 हजार 194, 1997 में एक लाख 74 हजार 379, 1998 में एक लाख 99 हजार 611 तथा 1999 में 91813 मकान बाढ़ में बह गये या क्षतिग्रस्त हुए। इसी प्रकार 2000 में 3 लाख 43 हजार 91, 2001 में 2 लाख 22 हजार 74, 2002 में 4 लाख 19 हजार 14, 2003 में 45262, 2004 में 9 लाख 29 हजार 773, 2005 में 5538, 2006 में 18673, 2007 में 7 लाख 84 हजार 328, 2008 में 2 लाख 97 हजार 916 तथा 2009 में 7674 मकान बाढ़ में बह गये और क्षतिग्रस्त हुए।
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अमेरिका का विदेश विभाग अब देगा हिंदी में जवाब

भारतीयों के साथ हिंदी में नाता जोड़ने की पहल करते हुए अमेरिका का विदेश विभाग अब हिंदी में सवालों का जवाब हिंदी में देने जा रहा है। अमेरिकी दूतावास के सूत्रों ने आज बताया कि अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता इस शुक्रवार को सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर हिंदी में पूछे गए सवालों का हिंदी में जवाब देंगी।
अमेरिकी दूतावास के प्रेस सलाहकार के अनुसार, विदेश विभाग की प्रवक्ता टोरिया न्यूलैंड ट्विटर पर देवनागरी या रोमन लिपि में लिखे हिंदी सवालों के उतर देंगी। ये सवाल आस्क स्टेट आईडी पर पूछे जा सकते हैं। अमेरिका ने भारतीयों से हिंदी में बात करने का यह कदम ऐसे समय उठाया है जब वहां के रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में एशिया प्रशांत क्षेत्र को अपनी रणनीति में खास तवज्जो देने की घोषणा की है। अमेरिका भारत के रक्षा सौदों में बडे़ पैमाने पर हिस्सा ले रहा है और आने वाले वर्ष में वह भारत के लिए रूस और इजरायल के बाद तीसरा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक बनने जा रहा है।
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चीन में बारिश तो भारत में सूखा

अगर चीन में भारी बारिश हो रही है तो भारतीय किसानों के लिए वह चिंता का विषय है। इंडियन इंस्टीच्यूट आफ ट्रापिकल मीटियरोलाजी (आईआईएमटी) के हालिया अध्ययन के मुताबिक भारत में कमजोर मानसून और चीन में भारी वर्षा के बीच गहरा संबंध है।
जैसे-जैसे पड़ोसी मुल्क में बारिश धीमी पड़ती जाती है, भारत में मानसून जोर पकड़ने लगता है। करंट साइंसमें छपी रिसर्च रिपोर्ट पर गौर करें तो भारत और चीन में बारिश व सूखे के बीच सीधा संबंध होने की जानकारी पहले से ही थी। नया शोध इसकी पुष्टि करता है। शोध के दौरान वैज्ञानिकों ने भारत में 1974 से 2002 के बीच मानसून की सक्रियता का विश्लेषण किया। इस अंतराल में 12 ‘एक्टिवऔर 15 ‘ब्रेकसाइकिल शामिल हैं। उन्होंने पाया कि भारत में मानसून कीएक्टिवऔर ब्रेकसाइकिल तथा चीन में भारी वर्षा के कारण सीधा संबंध है। चीन में एक हफ्ते तक हुई भारी वर्षा के बाद भारत में 16-60 सेमी के बीच बारिश दर्ज की गयी है।
रिसर्च टीम से जुड़े प्रोफेसर एन. पंचवाघ ने बताया कि पिछले साल भारत में सामान्य बारिश हुई थी, जबकि चीन के कई प्रांतों में सूखा पड़ा था। पंचवाघ की मानें तो मध्य भारत और पश्चिमी तट पर बसे राज्यों में सामान्य से 30 फीसदी कम बारिश होने पर मानसून में ब्रेकमान लिया जाता है। इन इलाकों में 75-80 प्रतिशत की बारिश होती है। इसी तरह यहां सामान्य से अधिक बारिश को मानसून का एक्टिवरूप मान लिया जाता है। मानसून में दस दिन का ब्रेक लगने से ऐसे राज्यों में उत्पादन प्रभावित होता है। जहां खेती पूरी तरह मानसून पर निर्भर करती है। भारत का 60 फीसदी कृषि क्षेत्र मानसून पर टिका है। इस साल जून में अच्छी बारिश के बाद जुलाई के पहले हफ्ते में मानसून कमजोर पड़ गया। इससे गुजरात में रूई की बुवाई में 25 फीसदी की कमी आई।

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