शोधकर्ताओं ने करीब 15 साल के शोध के बाद आखिर इस रहस्य को सुलझाने का दावा किया है। सूर्य की पराबैंगनी किरणें इंसान और पौधे दोनों के लिए हानिकारक होती हैं। लेकिन, पौधों में बिना किसी सन स्क्रीन या रक्षात्मक कपड़े आदि के पूरा दिन खुले में रहने के बावजूद इसके कारण नुकसान के संकेत कम ही दिखाई देते हैं। डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार ग्लास्गो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के एक दल ने पाया कि पौधे अपनी पत्तियों पर अपना रासायनिक सन स्क्रीन उत्पन्न करते हैं। इसलिए पौधों को सूर्य की तेज रोशनी से कोई नुकसान नहीं होता है।
ग्लास्गो यूनिवर्सिटी की एक टीम के अनुसार पौधों की पत्तियों में मौजूद रासायनिक प्रोटीन यूवीआर आठ ही वह सनस्क्रीन है। पत्तियों का यूवीआर आठ नामक यह प्रोटीन वास्तव में यूवी बी किरणों का पता लगाता है और पत्तियों की रक्षा के लिए रासायनिक प्रक्रिया शुरू करता है। यह शोध साइंस जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
पौधों में इसी प्रोटीन की वजह से घातक यूवी बी किरण को पहचानने की क्षमता आती है। इस प्रोटीन में फोटो रीसेप्टर वाली कोशिका होती है जो उसे घातक रसायन को चिन्हित करने में मदद करती है। दरअसल, रीढ़ की हड्डी वाले जानवरों की पीठ पर और इंसानों की आंखों में यह फोटो रीसेप्टर होते हैं जिनकी वजह से वह देख पाता है। इसी तरह पौधों में भी फोटो रीसेप्टर होते हैं जो रोशनी की तरह बढ़ने में मदद करते हों और फूल उगने पर उनके खिलने में भी सहायक होते हैं।
वैज्ञानिक ने पाया कि यूवीआर-आठ पूरी तरह से एक नए प्रकार का फोटो रीसेप्टर है। इस प्रोटीन में कुछ खास किस्म के रसायन जैसे ट्रिप्टोफान एमिनो एसिड होते हैं, जो उन्हें यूवी-बी रोशनी में उसका ढांचा पहचानने में मदद करते हैं। प्रोफेसर गेरथ जेनकिंस ने इस खोज को एक नए आयाम की खोज बताया। इसके बाद वनस्पति विज्ञान एक नयी दिशा ले लेगा।
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