शुक्रवार, 28 दिसंबर 2012

लंदन के 'बांग्ला टाउन' का विरोध?



 गुरुवार, 27 दिसंबर, 2012 को 13:54 IST तक के समाचार
ब्रिक लेन, बांग्ला टाउन
बांग्ला टाउन इलाके में बांग्ला भाषा कई जगह लिखी हुई देखी जा सकती है.
लंदन में एक इलाका ऐसा है जहां साइनबोर्ड्स पर अंग्रेज़ी के साथ-साथ बांग्ला भी दिखाई देती है. जहां बंगाली खाने के कई रेस्तरां हैं, दुकानों के नामों में बांग्ला शब्द और सड़कों पर एशियाई चेहरों की भरमार है.
ये है बांग्ला टाउन. इसे ये नाम मिला क्योंकि ब्रिटेन में बांग्लादेश से आए सबसे ज़्यादा लोग यहीं रहते हैं. पर अब इसे बदलने का प्रस्ताव आया है.
ब्रिटेन की सत्ताधारी टोरी पार्टी ने कहा है कि लंदन में बांग्लादेशी सिर्फ इसी इलाके में नहीं रहते, इसलिए इस जगह को फिर से इसके ऐतिहासिक नाम स्पिटलफील्ड से पहचाना जाना चाहिए.
लेकिन यहां से छपने वाले बांग्ला अखबार 'जनमत' के संपादक, सईद पाशा का मानना है, "जो लोग ये कहते हैं कि इस इलाके से लोग जा रहे हैं, उनकी संख्या कम हो रही है, वो ग़लत हैं, लंदन में सबसे ज़्यादा बांग्लादेशी यहीं रहते हैं और ये नाम भी बना रहना चाहिए."

नाम से पहचान?

लंदन को एक कॉस्मोपॉलिटिन शहर कहा जाता है. यहां एशिया, यूरोप, अमरीका, ऑस्ट्रेलिया.. दुनिया के कोने कोने से लोग आकर बसे हैं.
लेकिन लंदन शहर में 'बांग्ला टाउन' वो इकलौता म्युन्सिपल वॉर्ड है जिसका नाम किसी जातीय समूह पर रखा गया है.
अभी इस इलाके का नाम स्पिटलफील्ड्स एंड बांग्ला टाउन है. और यहां रहने वाले लोगों का मानना है कि दोनों नाम बरक़रार रखे जाने में सबकी सहमती होगी.
अब्दुल कय्यूम जमाल यहां रहते हैं और बीस साल से ज़्यादा से यहां दुकान चलाते आए हैं. उनका कहना है, "मैं ही नहीं यहां रहने और काम करने वाले सभी लोग मानते हैं कि ये नाम बना रहना चाहिए, इस इलाके की पहचान के लिए ये नाम ज़रूरी है, वैसे तो लंदन का एक और इलाका चाइना टाउन भी मश्हूर है लेकिन वो उसका औपचारिक नाम नहीं है."
"पिछले सालों में बहुत कुछ बदल गया, यहां हर दूसरे होटल और दुकान का नाम तो बांग्ला में है ही, ज़्यादा अहम् ये है कि यहां रहने वाले लोगों को अभी भी एक इलाका अपना लगता है."
अला उद्दीन, बांग्ला टाउन के पूर्व काउंसलर
पास के इलाके में दुकान चलाने वाले नूरान अहमद कहते हैं, "बांग्ला टाउन नाम से हम बांग्लादेशी मूल के लोगों को ही अच्छा नहीं लगता, बल्कि भारत, पाकिस्तान, एशिया के सभी लोग इससे जुड़ते हैं."

कैसे मिला ये नाम?

वर्ष 1998 में पार्षद रहे अला उद्दीन ने ही इस इलाके के नाम में स्पिट्लफ़ील्ड्स के साथ 'बांग्ला टाउन' भी जुड़वाया था.
तब लेबर पार्टी की सरकार थी और अला उद्दीन इलाके के काउंसलर. लेकिन अब सरकार बदल गई है, और जब मौका आया इलाकों के नाम और सीमाओं पर दोबारा विचार करने का, तो पार्टियों के बीच मतभेद गहरा गया.
इस वार्ड में फिलहाल काउंसलर के पद पर एक निर्दलीय उम्मीदवार हैं, लेकिन नाम का फैसला किसी पार्टी या काउंसलर को नहीं बल्कि बाउंड्री कमिशन को करना है.
इसलिए अला उद्दीन बांग्ला टाउन नाम बरक़रार रखे जाने के लिए एक चिट्ठी पर स्थानीय लोगों के हस्ताक्षर जुटा रहे हैं.
अला उद्दीन के मुताबिक, "पिछले सालों में बहुत कुछ बदल गया, यहां हर दूसरे होटल और दुकान का नाम तो बांग्ला में है ही, ज़्यादा अहम ये है कि यहां रहने वाले लोगों को अभी भी एक इलाका अपना लगता है, उन्हें गर्व महसूस होता है."
वो कहते हैं कि जब एशियाई देशों में कई इलाके, स्कूल, कॉलेज और अन्य संस्थानों के नाम ब्रिटेन और उसकी हस्तियों से जुड़े हैं तो लंदन के एक इलाके के नाम पर थोड़ी उदारता होनी चाहिए.
(पूरी रिपोर्ट देखें आज के क्लिक करें 'ग्लोबल इंडिया' कार्यक्रम में)

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