क्यों कम बोलते है पीएमजी
हम भारतवासी बड़े सौभाग्यशाली है कि हमारे प्रधानमंत्री इतने विद्वान
होनहार और ईमानदार है। ईमानदारी से भी बड़ी इनकी खूबी है कि ये नाम की तरह ही
मनमोहन मनभावन होकर भी बहुत ही कम बोलते है। ये इतना कम बोलते है कि इनके
मुखारबिंद से निकली हर बोली से लोग चकित
रह जाते है। ये इतने शालीन और सौम्य है कि चाहे हालात जो हो पाकिस्तान भले ही
हमारी सीमा में घुस जाए, गोलियां बरसाकर हमारे जवानों को ढेर कर
दे या कई हजार गोलियों की ईदी आतिशबाजी ही क्यों ना कर दे, मगर मनमोहन जी के चेहरे पर एक शिकन तक
नहीं आती। ये जग में रहकर भी इतने र्निलिप्त हैं कि कभी कभी तो हमारे देश के संत, ऋषि मुनि भी मनमोहन को देखकर शर्मिंदा हो
जाते होंगे। पूरा देश भले ही उबल रहा है हो, पर
हमारे मनमोहन मीठे स्वर में नवाज शरीफ को ईदी बधाईयां और भारत आने का न्यौता भी दे
रहे है। कमाल है मन साहब, आप
गुरूशरण कौर जी से किस तरह संवाद करते होंगे यह भी एक रोचक शोध का विषय हो सकता है ?, मगर
हर बात पर उबलने वाले और अनाप शनाप बकने वाले हमारे कुख्यात जाति सूचक नेताओं को
भी युवराज बाबा और सोगा मैड़म की तरह ही
मुन्ना साहब से प्रेरणा लेनी चाहिए कि खामोश रहकर कैसे मामले को ठंडा किया
जाता है। और तो और लाल किला तक से मन साहब ने कोई तीखी बात नहीं की, शायद यही वजह है कि विशाल देश होने के बाद
भी हमारे नन्हे मुन्हे पड़ोसी अक्सर हमारे सब्र की परीक्षा लेने से नहीं चूकते।
संगत का गुण
संगत में बहुत दम
होता है। जैसे फिरंगियो से लोहा लेने के लिए हमारे बापूजी ने अहिंसा को हथियार
बनाया था, ठीक उसी तरह हमारे पीएमजी ने खामोशी को
अपना हथियार बनाया है। पीएमजी साहब के हथियार को इनके दो चार वाचालों को छोड़ दे
तो ज्यादातर साथियों ने भी इनका पालन करना चालू कर दिया है।. है। हमारे रक्षा
मंत्री ने कमाल ही कर दिया। पाकिस्तानी गोलीबारी से ढेर हुए अपने सैनिको को देखकर
भी एक पाकिस्तानी रक्षा मंत्री की तरह पाक हमले को नकारा और एनओसी देते हुए इस
शहादत के पीछे आंतकी साजिश को माना एक दिन तक तो रक्षामंत्री इतने शालीन हो गए कि
वे भूल ही गए कि वे किस देश के मंत्री है और क्या बोलना है। पूरे देश में जब पंजे
की भद्द पीटने लगी, तब जाकर अगले दिन हमारे रक्षामंत्री ने
अपनी रक्षा करते हुए अपनी बातों को किंतु परंतु लेकिन वेकिन अगर मगर के जुगलबंदी
के साथ माना कि इस शहादत के पीछे सीमा के पीछे पाक की कारस्तानी हुई है।
सलमान के अरमान
पाक सेना ने जब कई दिनों तक ईदी आतिशबाजी करके ईद मना ली तब कहीं जाकर
हमारे फॉरेन मंत्री ने अपने दिल के अरमान को जुबान दिया। बकौल सलमान ने पाक को
नसीहत दी कि सीमा नियमों का पालन हो.। हमारे नेताओं ने रस्मी तौर पर अपने फर्ज की
अदायगी कर ली। मगर सलमान साहब ने. पाक को क्या एक ओबिडिएंट स्टूडेंट मान कर नेक
सलाह दी है? खुदा खैर करे समझ
में नहीं आता कि शांतिप्रिय देश के पंजा
छाप शासक क्या वाकई इतने ठंडा हो गय है
? बस्स दो एक दिग्गियों और
तिवारियों को यदि शालीनता के पाठशाला में भेज दिया जाए तब तो पूरी यूपीए ही राहुल
बाबा की तरह कहीं बाबा छाप बमभोला नजर आने लगे।
दामादजी के साथ यह सलूक
लगता है कि हमारे देश के विपक्षी नेतागण
सामान्य शिष्टाचार और रिश्तों का मान भी
भूल गए है। दामाद को हमारे समाज में बडा मान आदर दिया जाता है। बेटी के
पतिदेव होने के चलते लोग उसको भी देव की तरह ही स्वागत सत्कार करते है। इस आदर की
परंपरा को तोड़ना कोई अच्छी बात नहीं। अरे दामाद है तो क्या हुआ, अपने ही बच्चे के समान ही तो है उसकी
गलतियों पर तो परदा डालना ही होगा।,
मगर विपक्ष तो दामाद के साथ उसके ससुराल को ही शर्मसार करने में जुट गया। देश को
कई पीएमजी देने वाले इस खानदान में अभी एक पीएम इन वेटिंग बैठा हुआ है। विदेशी
होकर भी पीएम की कुर्सी को लतियाने वाली दिव्य मां की सुयोग्य बेटी के दामाद को
जालसाज ठहराने में विपक्ष लगा है। अरे जमीन खरीदा और मंहगे दर पर बेच दिया तो क्या
बुरा किया। सबलोग मुनाफा कमाने के लिए यही
तो करते है। कमाल है हमलोग करे तो बिजनेस और दामाद जी करे तो गलत। बुरा हो खेमका
का कि हुड्डा साहब द्वारा इतना हुड्डियाने के बाद भी ईमानदी मैनिया से बाज नहीं आ
रहे है। अरे सौ फीसदी मुरादाबादी पीतल की तरह खरा है अपना राजकुमार सा दामाद जी।
एक एक आदमी से वोट पाने के लिए आम आदमी के सामने रिरियाने और मनुहार करने वाली
पत्नी सास और साला की रिरियाहट को देखकर भी दामाद जी मैंगो मैन कहकर उपहास करते
है। एक मैंगों से किराये की पहचान ओढकत मुरादाबादी ब्रांड मोगांबो बन गए आमलोग ही
दामाद जी यानी पंजे दामाद को शिंकजे से शर्मसार करने में लगे है।.
ममो vs
नमो
पीएम इन वेटिंग में सदाबहार युवराज बाबा
के मुकाबले अपन नमो साहब ताल ठोककर मैदान में घूम घूम कर पीएम की दावेदारी को मजबूत करने में लगे है। साईलेंट के सामने
नमो साहब इतना बोल रहे है कि इनके चिंघाड़ने से लोग हो ना हो मगर कई पार्टियां
तबाह परेशान जरूर है। जनता के मूड को भांपने में माहिर नमो साहब के निशाने पर
मि.साइलेंट है। एक तरफ पब्लिक साईलेंट रहने से उब रही है तो दूसरी तरफ नमो को वाक
प्रहार से पंजा आशंकित है। पीएम इन टैलेंट और पीएम इन देश के प्रोब्लम हो नमो साहब
की तल्ख आवाज से यूपीए भी शरमा रही है। देखना हा कि दूसरों की बोलती बंद करने में
माहिर नमो साहब अपनी पार्टी के भीतर ही
उबल रहे लोगों को शांत करने में क्या कामयाब होंगे। इनको सायद पता भी हो कि इनको
बाहर से ज्यादा खतरा अपनों से ही दिख रहा है। त में एक साथ फिर आ गए।
हम सब एक साथ है
संसद में सांसदों की केवल एक जात होती है।
यह तो कहने और दिखाने के लिए दल और अलग अलग नेता होते है। दलों के दलदल में सबने
एक दूसरे की हाथ पकड़ रखी है, ताकि
आंचआने परे एक दूसरो को सेफ कर सके। अपनी ओर खतरो को आते देखते ही सब सांसद दलगत
भावना से उपर उठ कर एक ही दलदल में आ जाते है। सुप्रीम कोर्ट ने दागी सांसदों को
संसद से बाहर करने का फरमान क्या सुनाया कि सारे सांसद बेचारे एक बार फिर देश और
अपने हित के लिए एक साथ एक ही जहाज पर सवार हो गए, और न्यायालय को सीमा में रहने की नसीहत
दी। कोर्ट को आगाह करके हमारे परम पूज्य सांसदों ने देश हित के लिए एक मिशाल कायम
की। हम सब मैंगो मैन भी अपने प्रिय सांसदों की कर्तव्य परायणता को देखकर अभिभूत से
रह गए।
सरकारी धन हमारा
सत्ता का सुख वाकई सामान्य नेताओं को भी
खास बना देता है। अपनी जेब से तो एक भीखारी को भी एक ठेल्ला तक नहीं देने वाले
ज्यादातर यही नेता सत्ता पाते ही परम उदार हो जाते है, और दानवीर कर्ण को भी शर्मसार तर देते है।
कतोई लैप्टॉप बांट रहा है तो कोई वोटरों को गैस चुल्हा और सिलेण्डर घर घर तक
पहुंचवा दे रहा है। कोई एक दो रूपए आटा चावल देने की बात कर रहा है तो दक्षिण में
अम्मा एक रूपयो से लेकर आठ रूपये में सांभर डोसा बड़ा और ना जाने क्या खिला पीला
रही है। कोई सत्ता में आकर साइकिल बॉट रहा है तो कोई राशन का पूरा सामान भिजवा रहा
है। हमारे गरीब देश के नेता जनता के पैसे पर होली दीवाली करके अपनी इमेज ना रहे
है। औरतो और कुछ सीएम तो करोड़ों रूपए अपनी पब्लिटी पर ही खर्च कर रहे है। कुछ तो
विज्ञापनों के बूते ही चुनावी भौसागप पार उतरने में लगे है। हे राम । महात्मा जी आप कहां हो । अपने बच्चों को
सरकारी धन की आतिशबाजी पर लगाम लगाने के लिए दो मिनट की प्रार्थना कर ले ताकि उनको
सन्मति सुबुद्धि ।
सैफई के सिपाही जिंदाबाद
यूपी के इटावा जिले में तीर्थस्थल सा एक
गांव का नाम है सैफई। जहां से हमारे परम पूज्य प्रात स्मरणीय टीचरी और पहलवानी के
लिए मशहूर होकर राजनीति में स्काईलैब तक जाने वाले महाधिराज नेताजी बाबू मुलायम
सिंह यादव विराजते है। पैतृक गांव सैफई में मिनिस्टर साहब के नाम से पुकारे जाने
वाले नेताजी की राजनीतिक लीला और दांवपेंच को देखकर तो सहोदर सखा नटवरलाल के नाम
से मशहूर कृष्णजी महाराज भी चकित रह जाते
होंगे। इनकी सबसे बड़ी खासियत है कि अपनों पर हमला होते ही ये सारे भाई
बंधु सहोदर एक साथ एक ही मंच पर आ धमकते है, और
बचाव के लिए सबकुछ जायज है को मानते हुए सामने वाले पर टूट पड़ते है। यही वजह है
कि नेताजी अपनों पर आंच नहीं आने देते और अपनी मार्केट वैल्यू को गिरने भी नहीं
देते। सीएम पुत्र पर दुर्गा शक्ति परीक्षण की आंच आते ही सहोदर चाचा ने पीएम को यूपी से सारे नौकरशाहों को वापस बुलाने
की धमकी तक दे डाली । लोकतंत्र में एक खंभा कार्यपालिका है जिसके साथ भद्दा मजाक
तो केवल सैफई पुत्रों से ही मुमकिन है। अब एक ही नाम में राम और गोपाल को भी रखने
वाले सपाई को कौन समझाए कि यूपी कोई सैफई तो है नहीं कि गांव के लंफगों को
चौकीदारी में तैनात कर देंगे। अपनी टीआरपी के लिए नेताजी को अपने सहोदरों को
सेंटरफ्रेश च्यूगंम खिलाने पर जोर देना चाहिए, ताकि
खुदा की दया से नेताजी का पीएम बनने का सपना मुंगेरी लाल के सदाबहार हसीन सपना ना
बन सके।
किसकी नजर लग गयी जेएनयू को
प्यार मुहब्बत जिंदाबाद के साथ पढाई में
हमेशा अव्वल रहने वाला जेएनयू देश का एक अनोखा यूनीवर्यिटी है। जहां पर सबकुछ
दिखता है की तरह एक खुलापन आजादी है। वर्जनाओं ले इस कदर फ्रीडम है कि वेस्ट वाले
भी यहां आकर फ्रीडम की प्रेरणा ले सकते है। सबकुछ जायज है अगर मन मिल गया जिसे दिल
भी कह सकते है.। यहां के छात्रों में एक नशा है।मगर तमाम वर्जनाओं से मुक्त यह
जेएनयू अपने परिणाम के चलते ही थिंक टैंक सा माना जाता है । वामपंथ से आगे की बात
का दम भरने वालों की कोई कमी नहीं है, पर
पिछले दिनों थर्ड ग्रेड सिनेमा की तरह.प्यार सेक्स सहमति हिंसा प्रतिशोध तेजाब
गोली हत्या को मिलाकर एक के बाद एक ही तरह की कई घटनाएं हुई। जिससे आजादी के पीछे
के रोमांस का काला पीला नीला चेहरा प्रकट होता है। लगता है कि समय से आगे भाग रहे
यहां के प्रगतिशील छात्रों के रेस को अपनी ही नजर लग गयी.। खुदा बचाये देश के पहले
प्रधानमंत्री के नाम पर इस शिक्षा के मंदिर को खुदा बचाये।
गॉडफादर की तलाश
झारखंड़ी कांग्रेसी मंत्री के एक
रिश्तेदार पर कोयले की आंच आने के बाद मंत्रीपद गंवाने वाले कायस्थ नेताजी के साथ
ही पतजलि वाले अपने योगगुरू भी बगैर गॉडफादर के हो गए है। देश की भावी तस्वीर को
देखते हुए योगगुरू फिलहाल नए गॉडफादर की खोज में जुट गए है। गुजरात से देश की
बागडोर थामने का ड्रीम देख रहे सीएम साहब को पतजंलि में बुलाया। राजस्थान की कमल
छाप पूर्व सीएम से भी नजदीकी बढ़ा रहे है। कभी सत्ता के शिखर तक जाने का सपना देख
रहे योगस्वामी का इस तरह बेपतवार होना हैरतनाक है। लगता है कि सत्ता और काला धन की
खुमारी में देव बाबा की टीआरपी रामभरोसे हो गयी है। इनके लिए मेरी भी यह मंगल
कामना है कि उनको कोई लंबे समय तक साथ देने वाला कोई गॉडफादर नसीब हो जाए।
ईमानदारी का रोग
ईमानदारी बड़ी बुरी चीज होती है , जिसको लग जाता है वो खुद तो परेशान रहता
ही है, और ना जाने कितनों को परेशान करता रहता
है। यही वजह है कि हमारे देश के निर्माता नेताजी लोग सबसे पहले इस लाईलाज रोग के
वायरस से बचने के लिए विदेशी बैंको की शरण लेते है। मगर यूपी की एक नवनियुक्त
आईएएस ने अपनी ईमानदारी से रेत माफियाओं को जीना हराम कर रखा था। सरकारी खजाने को
मालामाल कर दिया था, मगर मस्जिद की दीवार गिराने के आरोप में
मुल्ला नेताजी के नाम से गौरवान्वित होने वाले के सीएम पुत्र ने एक ही झटके में
निलंबन कर दिया। आरोप गलत होने पर भी सीएम की जिद के आगे कौन सिर दे मारे। निशाना
खाली देखकर सीएम साहब ने अब आईएएस पति का तबादला कर डाला.। यानी आगे क्या होगा इस
पर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी ही मानी जाएगी। यही हाल हरियाणा के सीनियर आईएएस अशोक
खेमका जी का है,जिनका अबतक करीब 40 बार तबादला किया गया है।
तमाम सीएम की आंख की किरकिरी रहने के बाद भी गांधी परिवार के दामाद के खिलाप
रिपोर्ट को जगजाहिर करने में नहीं चूके। इनलोगों की ईमानदारी को सलाम.
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