शुक्रवार, 9 अगस्त 2013

दिल्ली के 100 साल


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Published on: Mon, 12 Dec 2011 at 03:24 IST


'राजधानी' का ताज पहनने वाली दिल्ली के 100 साल पूरे
नई दिल्ली| राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली ने सोमवार को 100 साल पूरे कर लिए हैं| 12 दिसंबर, 1911 को जॉर्ज पंचम का कोरोनेशन पार्क में भारत के नए सम्राट के रूप में राज्याभिषेक हुआ था जिसके बाद दिल्ली को 'भारत की राजधानी' बनाने की घोषणा की गई थी| आज ही दिन भारत की राजधानी कोलकाता से दिल्ली स्थानांतरित की गई थी| दिल्ली वालों के दिल का इतिहास सौ साल पुराना है| करीब सौ साल पहले नई दिल्ली के बसने का जो सिलसिला शुरू हुआ, उसने इसे वर्ल्ड क्लास सिटी का मुकाम दिलाया| सदियों से राजनीतिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र रही दिल्ली को राजधानी बने सौ साल हो गए हैं| इतिहास गवाह है कि मुग़ल साम्राज्य से लेकर ब्रिटिशों के आने तक दिल्ली कई बार जख्मी हुआ|

दिल्ली का इतिहास

चंदरबरदाई की रचना 'पृथवीराज रासो' में तोमर वंश राजा अनंगपाल को दिल्ली का संस्थापक बताया गया है| ऐसा माना जाता है कि उसने ही 'लाल-कोट' का निर्माण करवाया था और लौह-स्तंभ दिल्ली लाया था| दिल्ली में तोमर वंश का शासनकाल 900-1200 इसवीं तक माना जाता है| 'दिल्ली' या 'दिल्लिका' शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम उदयपुर में प्राप्त शिलालेखों पर पाया गया, जिसका समय 1170 इसवीं निर्धारित किया गया है| 1206 इसवीं के बाद दिल्ली, सल्तनत की राजधानी बनी जिसमें खिलज़ी वंश, तुगलक़ वंश, सैयद वंश और लोधी वंश समेत कई वंशों ने शासन किया|

17वीं सदी के मध्य में मुग़ल सम्राट शाहजहाँ (1628-1658) ने सातवीं बार दिल्ली को बसाया, जिसे 'शाहजहानाबाद' के नाम से भी पुकारा जाता है| आज कल इसके कुछ भाग पुरानी दिल्ली के रूप में सुरक्षित हैं| अगर देखा जाये तो इस नगर में इतिहास की धरोहर आज भी सुरक्षित बची हुई है, जिनमें लाल क़िला सबसे प्रसिद्ध है|

1911 से 1931 के मध्य 'राजधानी' ने लिया आकार

वर्ष 1911 में दिल्ली सिर्फ एक ढहता हुआ पुराना शहर था| इसके बाद 'एडवर्ड लुटियन' और 'हरबर्ट बेकर' की देखरेख में 1911 से 1931 के मध्य नई राजधानी ने आकार लेना शुरू किया| लुटियंस और बेकर ने दिल्ली में इंडिया गेट, राष्ट्रपति भवन सहित दिल्ली को आधुनिक रूप प्रदान किया| आपको बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली आठ शहरों से मिलकर बनी है|

हर शासक ने दिल्ली को राजधानी के तौर पर अलग पहचान दी| इतना ही नहीं न जाने कितनी बार इस शहर पर हमले हुए, लेकिन 3000 साल पुरानी दिल्ली ने हर गम सहकर सभी का दिल से स्वागत किया|

कैसे पहना दिल्ली ने राजधानी का ताज

दिल्ली को बनाने और संवारने की कोशिशें बीते 800 वर्षो से हो रही है| हालांकि दिल्ली के मौजूदा स्वरूप में शाहजहां व जॉर्ज पंचम की झलक दिखाई देती है| सौ साल पहले जॉर्ज पंचम ने अपने राज्याभिषेक के बाद दिल्ली को राजधानी बनाने की घोषणा की थी| लेकिन ये जानकार आपको आश्चर्य होगा कि जॉर्ज पंचम की इस घोषणा से पहले भी कम से कम छह शासकों ने दिल्ली को बसाने का प्रयास किया था, लेकिन वह इसे बसाने में कामयाब नहीं हो सके| 1911 में किंग जॉर्ज पंचम द्वारा ब्रिटिश भारत की राजधानी कलकत्ता (वर्तमान में कोलकाता) से दिल्ली लाने की घोषणा के साथ ही दिल्ली को एक नया वजूद मिला था| इस तरह दिल्ली ने राजधानी का ताज पहना|

राजधानी के निर्माण में सौ लाख पौंड खर्च

राजधानी दिल्ली के निर्माण में 29 हजार मजदूरों ने काम किया और इसके निर्माण पर एक सौ लाख पौंड खर्च किए गए| लुटियन ने सुझाव दिया था कि राजधानी में कोई भी इमारत 45 फीट से ऊंची न हो| इसके साथ ही दिल्ली को खूबसूरत बनाने के लिए कई इमारतों और बाग-बगीचों का निर्माण कराया गया| जो इसकी भव्यता का प्रतीक है| बताया जाता है कि राजधानी से पहले दिल्ली पंजाब प्रांत की तहसील थी| दिल्ली को राजधानी बनाने के लिए दिल्ली और बल्लभगढ़ जिले के 128 गांवों की जमीन अधिग्रहित कर ली गई थी| इसके अलावा मेरठ जिले के 65 गांवों को भी शामिल किया गया था| मेरठ जिले के इन गांवों को मिलाकर यमुनापार क्षेत्र बनाया गया|

1948 में निर्मित हुए सरकारी स्कूल

पहले शिक्षा गुरुकुल में दी जाती थी| जहां छात्रों के माता-पिता उनके गुरु हुआ करते थे, लेकिन धीरे-धीरे समय ने करवट बदली और यह शिक्षा पाठशाला में बदल गई| बाद में इसने स्कूलों का रूप लिया और 1948 में सरकारी स्कूल अस्तित्व में आए| वर्ष 1958 में नगर निगम के गठन के साथ ही प्राथमिक शिक्षा की जिम्मेदारी इसे दी गई| स्कूली शिक्षा को विस्तार मिला दिल्ली सरकार की ओर से शुरू किए गए माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के जरिये| सरकारी शिक्षा व्यवस्था के विस्तार के साथ-साथ निजी संस्थाओं, ट्रस्टों ने भी इस क्षेत्र में अपने कदम बढ़ाए और प्राइवेट स्कूलों की शुरुआत भी सरकारी स्कूली व्यवस्था के साथ हो चली| आज राजधानी में 2000 से ज्यादा मान्यता प्राप्त निजी स्कूल हैं और गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों की संख्या इससे कहीं ज्यादा पहुंच गई है|

1918 में बना पहला एयरपोर्ट

दिल्ली को पहले एयरपोर्ट की सौगात 1918 में मिली| इस एयरपोर्ट का नाम 'विक्ट्री एण्ड गवर्नर जनरल आफ इंडिया लार्ड विलिंगटन' के नाम पर 'विलिंगटन एयरपोर्ट' रखा गया| यह देश का दूसरा व दिल्ली का पहला एयरपोर्ट था| इस एयरपोर्ट पर 1918 को पहली एयरमेल फ्लाइट लैंड हुई थी| इसके बाद 1930 में विमानों का व्यवसायिक परिचालन शुरू हुआ|

सात बार उजड़ी और बसी दिल्ली

ऐसा माना जाता है कि आज का आधुनिक दिल्ली बनने से पहले दिल्ली सात बार उजड़ी और बसी है, जिनके कुछ अवशेष आज भी शेष हैं|

1. लालकोट, सीरी का किला एवं किला राय पिथौरा: तोमर वंश के सबसे प्राचीन क़िले लाल कोट के समीप क़ुतुबुद्दीन ऐबक़ द्वारा अंतरण किया गया|

2. सिरी का क़िला: 1303 में अलाउद्दीन ख़िलज़ी द्वारा निर्मित किया गया था|

3. तुग़लक़ाबाद: गयासुद्दीन तुग़लक़ (1321-1325) द्वारा निर्मित किया गया|

4. जहाँपनाह क़िला: जिसे मुहम्मद बिन तुग़लक़ (1325-1351) ने निर्मित कराया|

5. कोटला फ़िरोज़ शाह: इसका निर्माण फ़िरोजशाह तुग़लक़ (1351-1388) ने कराया|

6. पुराना क़िला (शेरशाह सूरी) और दीनपनाह (हुमायूँ; दोनों उसी स्थान पर हैं जहाँ पौराणिक इंद्रप्रस्थ होने की बात की जाती है| (1538-1545)

7. शाहजहानाबाद: शाहजहाँ (1638-1649) द्वारा निर्मित; इसी में लाल क़िला और चाँदनी चौक भी शामिल ह

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