दिल्ली भले ही देश का दिल हो, मगर इसके दिल का किसी ने हाल नहीं लिया। पुलिस मुख्यालय, सचिवालय, टाउनहाल और संसद देखने वाले पत्रकारों की भीड़ प्रेस क्लब, नेताओं और नौकरशाहों के आगे पीछे होते हैं। पत्रकारिता से अलग दिल्ली का हाल या असली सूरत देखकर कोई भी कह सकता है कि आज भी दिल्ली उपेक्षित और बदहाल है। बदसूरत और खस्ताहाल दिल्ली कीं पोल खुलती रहती है, फिर भी हमारे नेताओं और नौकरशाहों को शर्म नहीं आती कि देश का दिल दिल्ली है।
गुरुवार, 28 जुलाई 2022
बुधवार, 27 जुलाई 2022
आनंद बक्षी के सदा बहार गीत
महान गीतकार आनंद बक्षी की याद में
उनके एक मशहूर गीत से उनको याद करते हैं
सादर नमन
कोशिश कर के देख ले दरिया सारे नदिया सारी
दिल की लगी नहीं बुझती, बुझती है हर चिंगारी
सोलह बरस की बाली उमर को सलाम
प्यार तेरी पहली नज़र को सलाम ...
दुनिया में सब से पहले जिसने ये दिल दिया
दुनिया के सबसे पहले दिलबर को सलाम
दिल से निकलने वाले रस्ते का शुक्रिया
दिल तक पहुँचने वाली डगर को सलाम
प्यार तेरी पहली नज़र को सलाम ...
जिस में जवान हो कर, बदनाम हम हुए
उस शहर, उस गली, उस घर को सलाम
जिसने हमें मिलाये, जिसने जुदा किया
उस वक़्त, उस घड़ी, उस पहर को सलाम
प्यार तेरी पहली नज़र को सलाम ...
मिलते रहे यहाँ हम, ये है यहाँ लिखा
उस लिखावट की जे-रो-जबर(?) को सलाम
साहिल के रेत पे जो लहरा उठा ये दिल
सागर में उठने वाली हर लहर को सलाम
यूँ मस्त गहरी गहरी आँखों की झील में
जिसने हमें डुबोया उस भँवर को सलाम
घूँघट को छोड़ के जो, सर से सरक गयी
ऐसी निगोड़ी भाली चुनर को सलाम
उल्फ़त के दुश्मनों ने कोशिश हज़ार की
फिर भी नहिं झुकी जो, उस नज़र को सलाअम
प्यार तेरी पहली नज़र को सलाम ...
शिव-पार्वती संवाद*
*प्रस्तुति - रेणु दत्ता / आशा सिन्हा
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शिवजी ने पार्वती को बताया था की इन 4 लोग की बातों पर ध्यान नही देना चाहिए ।
गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस में शिवजी और पार्वती का एक प्रसंग बताया है, जिसमें शिवजी 4 ऐसे लोगों के विषय में भी बताते हैं, जिनकी बातों पर हमें ध्यान नहीं देना चाहिए।
बातल भूत बिबस मतवारे।
ते नही बोलहि वचन विचारे।।
जिन्ह कृत महामोह मद पाना।
तिन्ह कर कहा करिअ नहिं काना।।
1👉 पहला व्यक्ति वह है जो वायु रोग यानी गैस से पीड़ित है। वायु रोग में भयंकर पेट दर्द होता है। जब पेट दर्द हद से अधिक हो जाता है तो इंसान कुछ भी सोचने-विचारने की अवस्था में नहीं होता है। ऐसी हालत पीड़ित व्यक्ति कुछ भी बोल सकता है, अत: उस समय उसकी बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए।
2👉 यदि कोई व्यक्ति पागल हो जाए, किसी की सोचने-समझने की शक्ति खत्म हो जाए तो वह कभी भी हमारी बातों का सीधा उत्तर नहीं देता है। अत: ऐसे लोगों की बातों पर भी ध्यान नहीं देना चाहिए।
3👉 यदि कोई व्यक्ति नशे में डूबा हुआ है तो उससे ऐसी अवस्था में बात करने का कोई अर्थ नहीं निकलता है। जब नशा हद से अधिक हो जाता है तो व्यक्ति का खुद पर कोई नियंत्रण नहीं रहता है, उसकी सोचने-समझने की शक्ति खत्म हो जाती है, ऐसी हालत में वह कुछ भी कर सकता है, कुछ भी बोल सकता है। अत: ऐसे लोगों से दूर ही रहना श्रेष्ठ है।
4👉 जो व्यक्ति मोह-माया में फंसा हुआ है, जिसे झूठा अहंकार है, जो स्वार्थी है, जो दूसरों को छोटा समझता है, ऐसे लोगों की बातों पर भी ध्यान नहीं देना चाहिए। यदि इन लोगों की बातों पर ध्यान दिया जाएगा तो निश्चित ही हमारी ही हानि होती है ।
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बुधवार, 20 जुलाई 2022
साहित्य कला ज्ञान विज्ञान धर्म सेवा और संस्कृति का अद्भुत तालमेल हैं TMU में
सांस्कृतिक विरासत क़ो और समृद्ध कर रहा हैं तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी
टीएमयू न्यूज़
शिक्षा, सेवा, संस्कार, समर्पण संग सांस्कृतिक थाती का संवर्द्धन ही तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय का आधार है। सांस्कृतिक विरासत को संजोने की इस परंपरा में हजारों विद्यार्थियों ने भारतीय संस्कृति संग सांस्कृतिक स्वरूप को समीप से सुना। देखा और जाना। आजादी के अमृत महोत्सव संग तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय ने अपने 21 वें स्थापना दिवस को भारतीय संस्कृति और पुरातन संगीत की शास्त्रीय परंपरा के समन्वय संग मनाया।
विश्वविद्यालय के सूत्रधार और कुलाधिपति सुरेश जैन परिवार की तीसरी पीढ़ी के संवाहक और विश्वविद्यालय के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर युवा अक्षत जैन की नई सोच और सृजन का स्वरूप तीन दिवसीय सांस्कृतिक समारोह समागम में प्रत्यक्ष नजर आया। विश्वविद्यालय में मेडिकल समेत संचालित अन्य पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत हजारों-हजार विद्यार्थियों ने संगीत संग संस्कृति के समारोह को अविस्मरणीय और अतुलनीय करार दिया।
शास्त्रीय संगीत पर आधारित देश-दुनिया के नामचीन कलाकारों से सुसज्जित इस समागम में संगीत गायन, वादन व नृत्य की सात्विक आहूतियों ने एक दिव्य अनुष्ठान का स्वरूप प्रदान किया। कलाकारों की साधना का सुर प्रस्फुटित होने पर हर मन आनंदित नजर आया। तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय का प्रेक्षागृह 13 जुलाई से 15 जुलाई 2022 को पूरी तरह संस्कृति के रंग संग सुरों के सतरंगी सफर में सराबोर नजर आया।
मोहन वीणा के तारों से निकली झंकार। तबले पर संगत करते फनकार। दिल से निकले सुरों का आभार। नृत्य में मंचित मानस के किरदार। इन सबके समन्वय से तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय में तीन दिन तक संस्कृति का लघु रूप मंच पर नजर आया।
परंपरा-2022 में ग्रैमी अवार्ड विजेता व मोहन वीणा के जनक पंडित विश्व मोहन भट्ट के साथ ही उस्ताद अनवर खां ने राजस्थान के लोक गायन की प्रस्तुति दी। निजामी बंधु ने अपनी विशेष शैली में कव्वाली व फिल्मो में गाए गीतों से प्रतिभा का परिचय दिया। अंतिम दिन मशहूर भरतनाट्यम व ओडिसी नृत्यांगना एवं डॉ सोनल मानसिंह ने प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में हजारों विद्यार्थियों के साथ ही तीनो दिन मुरादाबाद के सैकड़ों कला प्रेमियों ने शिरकत की। संस्कृति एवं विदेश राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने कला संस्कृति के इस प्रयास के प्रति तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय की सराहना की। पंडित विश्व मोहन भट्ट ने अगले जन्म में तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय का विद्यार्थी बनने की इच्छा मंच से जाहिर की। कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र सिंह ने विश्वविद्यालय द्वारा सांस्कृतिक विरासत को संजोने के इस प्रयास की मुक्त कंठ से सराहना की। उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग के पूर्व सदस्य व कानूनविद् डॉ हरवंश दीक्षित ने युवाओं की प्रगति में संस्कृति की जानकारी प्रदान करने के इस प्रयास को बेहद महत्वपूर्ण करार दिया। एमएलसी डॉ जयपाल सिंह व्यस्त ने साहित्य, संगीत और कला के शहर मुरादाबाद में विश्वविद्यालय द्वारा संगीत के पुरोधाओं को आमंत्रित करने पर विश्वविद्यालय के प्रति आभार जताया। जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ शैफाली सिंह ने विश्वविद्यालय की दूरदर्शी सोच और शिक्षा संग संस्कारों के प्रति समर्पण को अद्वितीय बताया। शहर विद्यायक रितेश गुप्ता ने मुरादाबाद के शैक्षिक और साहित्यिक संग सांस्कृतिक क्षेत्र में उन्नयन की दिशा में विश्वविद्यालय के सतत प्रयासों की सराहना की। महापौर विनोद अग्रवाल ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से पुरातन संस्कृति से युवाओं को रू-ब-रू कराने के इस प्रयास की प्रशंसा की।
तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सुरेश जैन कहते हैं कि शिक्षा संग संस्कार और भारतीय संस्कृति के समन्वय संग आजादी के अमृत महोत्सव को मनाना हमारा सौभाग्य है। विश्वविद्यालय निरंतर भविष्य में भी इस तरह के प्रयास जारी रखेगा। देश के प्रति अनुराग रक्त में बहता है। परिवार के बुजुर्ग कीर्तिशेष अपने दादा की स्वाधीनता संग्राम में निभाई भूमिका के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।
जीवीसी मनीष जैन कहते हैं कि सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन और सम्यक चरित्र की आधारशिला पर शिक्षा की लौ जलाने वाला तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय निरंतर इसी तरह सामाजिक और सांस्कृतिक उन्नयन की दिशा में कार्य कर रहा है। कल को एक सफल आकार देने में संस्कारों की बुनियाद पर हजारों-हजार युवाओं को इसी तरह तैयार करता रहेगा।
तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर व तीन दिवसीय सांस्कृतिक समागम परंपरा के सूत्रधार युवा अक्षत जैन कहते हैं कि हमारी संस्कृति ही हमें पूरी दुनिया में अलग पहचान देती है। भारतीय कला हो या फिर दर्शन, इन्हीं के जरिए आज हमारे देश की पहचान समूची दुनिया में है।
बाहरी देश हमारी कला और संस्कृति को अपना रहे हैं। ऐसे में अपनी परंपरा को अपने देश और युवाओं के बीच में लाकर हम केवल अपने दायित्व का निर्वाह कर रहे हैं। ब्रीदिंग आर्ट्स से संपर्क हुआ। संस्था के संस्थापक अनुराग चौहान और चारू सनन इस महोत्सव में सहगामी बने। यहीं से इस सांस्कृतिक महोत्सव की रूपरेखा ने आकार लिया। जिसे हजारों युवाओं ने शिरोधार्य कर सफलता के उत्कर्ष तक पहुंचाया।
मंगलवार, 19 जुलाई 2022
आज मंगल पांडे की 195वीं जयंती है.. / रेहान फ़ज़ल
29 मार्च 1857 को शाम 5 बज कर 10 मिनट पर जैसे ही मंगल पांडे ने हंगामा शुरू किया परेड ग्राउंड पर लेफ्टिनेंट बी एच बो पहुंच गए. मंगल पांडे ने उनपर देखते ही गोली चलाई जो उनके घोड़े के पैर पर लगी. घोड़ा नीचे गिर गया. धराशाई बो ने खड़े होते हुए मंगल पांडे पर फायर किया को उन्हें नहीं लगा. बो के पीछे सार्जेंट मेजर ह्यूसन भी आ गए. हालात को देखते हुए बो और ह्यूसन ने अपनी अपनी तलवारें निकल लीं. मंगल पांडे ने बो और ह्यूसन दोनों पर अपनी तलवारों से हमला किया. वहां मौजूद सभी भारतीय सैनिक ये तमाशा देखते रहे. उनमें से कोई भी अंग्रेजों की मदद के लिए आगे नहीं आया सिवाय शेख़ पलटू के...उसने मंगल पांडे की कमर को पीछे से पकड़ लिया
Manmohan Sharma Raman Hitkari Pramod Kapoor
मंगलवार, 5 जुलाई 2022
राजकुमार / आप मुझे भूल गए, जानी ?
इस विलक्षण अभिनेता की पुण्य तिथि (3 जुलाई) पर उन्हें श्रद्धांजलि, एक शेर के साथ !
"वो आग था किसी बारिश का बुझा लगता था,
अजीब शख्स था ख़ुद से भी ज़ुदा लगता था ..."
राज कुमार उर्फ़ कुलभूषण पंडित का मुंबई के माहिम थाने के थानेदार से फिल्मों में स्टारडम तक का सफ़र एक सपने जैसा रहा था। अपने व्यक्तिगत जीवन में आत्मकेंद्रित, अक्खड़ और रहस्यमय राज कुमार के अभिनय की एक अलग और विलक्षण शैली रही जो उनके किसी पूर्ववर्ती या समकालीन अभिनेता से मेल नहीं खाती थी। उनके अभिनय में विविधता चाहे न रही हो, लेकिन यह सच है कि अपनी ज्यादातर फिल्मों में उन्होंने जिस अक्खड़, बेफिक्र और दंभ की सीमाएं छूते आत्मविश्वासी व्यक्ति का चरित्र जिया है, उसे जीना सिर्फ उन्हीं के बूते की बात थी। संवाद अदायगी की उनकी शैली भी सबसे जुदा रही थी। दिलीप कुमार, राज कपूर और देवानन्द के त्रिकोण में घुस कर अपना अलग मुकाम बनाने वाले राज कुमार को उस दौर में त्रिकोण का चौथा कोण कहा गया ! उनका अपना दर्शक वर्ग है जिसे आज भी उनकी कमी खलती है। उनके बाद अभिनेता नाना पाटेकर ने उनकी अलग अभिनय शैली को अपनाया और कुछ हद तक सफल भी रहे। 1952 में ' रंगीली ' फिल्म से अपनी अभिनय यात्रा शुरू करने वाले राज कुमार ने पचास से ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया, जिनमें कुछ प्रमुख फ़िल्में थीं - मदर इंडिया, दुल्हन, जेलर, दिल अपना और प्रीत पराई, पैगाम, अर्धांगिनी, उजाला, घराना, दिल एक मंदिर, गोदान, फूल बने अंगारे, दूज का चांद, ज़िन्दगी, वक़्त, पाकीजा, काजल, लाल पत्थर, ऊंचे लोग, हमराज़, नीलकमल, नई रौशनी, मेरे हुज़ूर, वासना, हीर रांझा, कुदरत, मर्यादा, सौदागर, हिंदुस्तान की कसम। अपने जीवन के आखिरी वर्षों में उन्हें कर्मयोगी, चंबल की कसम, तिरंगा, धर्मकांटा, जवाब जैसी कुछ फिल्मों में बेहद स्टीरियोटाइप भूमिकाएं निभाने को मिलीं। स्थापित छवि के विपरीत उनकी कुछ फिल्मों - मदर इंडिया, गोदान और दिल एक मंदिर ने यह साबित किया कि उनके अभिनय में विविधता की गुंजाईश है, लेकिन फिल्मकारों ने उनकी इस विविधता का इस्तेमाल बहुत कम किया !
ध्रुव गुप्त ✍
Dhruv Gupt
सोमवार, 4 जुलाई 2022
आचार्यश्री सूरीश्वर जी का ससंघ टीएमयू में मंगल प्रवेश
कुलाधिपति श्री सुरेश जैन ने परम पूज्य श्रुतभास्कर जी का जिनालय में किया पाद प्रक्षालन, गाजे-बाजे के संग पहुंचे संत भवन
ख़ास बातें
आचार्यश्री बोले, दिगंबर परम्परा की मानिंद श्वेताम्बर में भी शांतिधारा मान्य
टीएमयू कैंपस की भव्यता को देखकर सरस्वती उपासक बोले, अद्वितीय
धर्मधुरंधर सूरीश्वर जी महाराज करेंगे मुरादाबाद की धरा पर मंगल चातुर्मास