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रविवार, 24 मई 2015

अवाम का सिनेमा में होगा ‘अच्‍छे दिनों’ का का पूरा सच







नों’ का राज़फाश-अवाम का सिनेमा

आज़मगढ़ में हफ्ते भर होगा ‘अच्‍छे दिनों’ का राज़फाश-अवाम का सिनेमा

Posted by: हस्तक्षेप 2015/05/25 in देश 0 Comments



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” अवाम का सिनेमा ” के दसवें वर्ष पर छह दिनी भव्‍य आयोजन

(26 मई से 31 मई 2015 तक)
इसे संयोग नहीं कहा जा सकता कि जिस दिन इस देश की जनविरोधी सत्‍ता अपनी जीत की पहली सालगिरह का जश्‍न मना रही होगी, ठीक उसी दिन मेहनतकश अवाम भी अपने संघर्षों के एक अध्‍याय का दस साल पूरा कर रही होगी, वो भी उस सरज़मीं पर जिसे बीते एक दशक में सबसे ज्‍यादा बदनाम करने कर साजि़शें रची गयी थीं। आगामी मंगलवार 26 मई को ‘ अवाम का सिनेमा ‘ अपने आयोजन के दस साल होने पर उत्‍तर प्रदेश के आज़मगढ़ में हफ्ते भर का एक भव्‍य समारोह करने जा रहा है। इस समारोह में किसान होंगे, मजदूर होंगे, जनता की संस्‍कृति होगी, काकोरी के शहीदों की याद होगी, भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन की विरासत होगी, कबीर होंगे, जनसंघर्षों की एकजुटता होगी और सबसे बढ़कर वे फिल्‍में होंगी जिन्‍होंने कदम-दर-कदम अपनी रचनात्‍मकता से सत्‍ता के ज़हर को हलका करने का काम किया है।
शहर के छह अलग-अलग कॉलेजों में होने जा रहे इस समारोह को महज एक फिल्‍म समारोह की दसवीं सालगिरह कहना जनता की लड़ाई को कम आंक कर देखने जैसा होगा। ‘ अवाम का सिनेमा ‘ जिन कठिनाइयों और चुनौतियों को पार करते हुए आम लोगों के सहारे अपने सफ़र में इस पड़ाव तक पहुंचा है, वह मामूली बात नहीं है। सुदूर पूर्वांचल के कस्‍बों से लेकर करगिल तक जनता की कहानियों का प्रदर्शन जनता के ही सहयोग से करवाने का यह सिलसिला आज इतना बड़ा हो चुका है कि इसे देश भर से सहयोग मिल रहा है। इतिहासकार लालबहादुर वर्मा, संस्‍कृतिकर्मी विकास नारायण राय, शहीद-ए-वतन अशफाक उल्ला खां के पौत्र जनाब अशफाक उल्ला खां, समाजवादी चिन्‍तक विजय नारायण, डॉ. कुबेर मिश्र, महन्‍त विचार दास साहेब, प्रो. पी.एन. सिंह समेत तमाम साथियों और वरिष्‍ठों के ताने-बने से बुनी यह संघर्ष और सौहार्द की ऐसी चादर है जो ‘अच्‍छे दिनों’ के नाम पर दिल्‍ली से बहायी जा रही ज़हरीली हवाओं को रोकने के लिए जनता के पाल का काम करेगी।
जिस तरीके से बीते एक साल में नरेंद्र मोदी की फासिस्‍ट सरकार जनता के बीच बदनाम हुई है और उसने अपना इकबाल खोया है, यह अव्‍वल तो जनता की अपनी समझदारी में हमारा भरोसा जगाता है और दूसरे, जनता के सघर्षों को और तेज करने की हमें प्रेरणा देता है। ‘अवाम का सिनेमा’ की अहमियत इसी मोर्चे पर समझ में आती है। पहले दिन आज़मगढ़ के शिब्‍ली नेशनल कॉलेज के रामप्रसाद बिस्मिल सभागार में काकोरी के क्रांतिवीर की जेल डायरी और दुर्लभ दस्‍तावेजों की प्रदर्शनी से उद्घाटन के बाद ”क्रांतिकारी आंदोलन की विरासत और हमारा प्रतिरोध” विषय पर कुछ अहम संबोधन होंगे जिसके बाद फिल्‍मों का प्रदर्शन देर रात 11 बजे तक किया जाता रहेगा। यह सिलसिला अगले दिन क्रांतिकारी पीर अली सभागार में जारी रहेगा जहां नेपाली दस्‍तावेजी फिल्‍मों पर केंद्रित सत्र में नेपाल से आए फिल्‍मकार सभा को संबोधित करेंगे। तीसरा दिन मालटारी के मथुरा राय महिला महाविद्यालय में किसानों के सवाल पर केंद्रित होगा तो चौथा दिन शिव मंदिर धर्मशाला में ”बाज़ार, लोकतंत्र और सांप्रदायिकता” को समर्पित होगा। पांचवें दिन बीबीपुर के जूनियर हाईस्‍कूल में जनसंघर्षों की वैचारिक एकजुटता पर सत्र होगा तो आखिरी दिन कबीर के नाम रहेगा जिसमें मगहर मठ के महन्‍त विचार दास साहेब का व्‍याख्‍यान होगा। हर दिन के सत्र के बाद फिल्‍में दिखायी जाएंगी।
जो फिल्‍में दिखायी जानी हैं, उनमें कुछेक अहम फिल्‍में हैं इंकलाब, संविधान, रोटी, लोहा गरम है, जमीर के बंदी, द मैन हू मूव्ड द माउनटेन, खड्डा, फ्रीडम, पानी पे लिखा, हार्वेस्ट आफ ग्रीफ, माई बाडी माई वेपन, गांव छोड़ब नाहीं, एक उड़ान, हथौड़े वाला, चरणदास चोर, इत्‍यादि। अवाम का सिनेमा अपने दसवें साल में भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन के योद्धाओं का संदेश जन-जन तक पहुंचाने के लिए देश के कोने-कोने में इस साल संवाद श्रृंखला भी आयोजित कर रहा है। इस बारे में ‘अवाम का सिनेमा’ के संस्‍थापक शाह आलम कहते हैं, ”हमें एक जरूरी इतिहासबोध से दूर रखा गया है। इसका हमें अफ़सोस भी है और मन में एक तरह आक्रोश भी पनप रहा है। साझा मुक्ति संग्राम की क्रांतिकारी चेतना का स्मरण सिर्फ अतीत को खंगालना भर नहीं है, बल्कि उस आंदोलन की रोशनी में अपने समय और समाज की विसंगतियो के साथ उन जरूरी सवालों से भी रूबरू होना है, जो आज वर्तमान में सबसे ज्यादा तीखे और प्रासंगिक होकर हमारे सामने खड़े हो रहे हैं|”
शाह का कहना है कि ”हमने सत्ता के जाने-बूझे विस्मरण को धक्का देने का सोचा है। जिस तरह क्रांतिनायकों को इतिहास के कूड़ेदान में धकेलने की साजिश की जा रही है, हमने इसी को बदलने की ठानी है। गांव से लेकर कस्बों तक कई जाने-अनजाने वीरों की शहादत को याद करना, दरअसल खुद के अस्तित्व को भी समझने की प्रक्रिया है। इसी में साझी विरासत और साझे प्रतिरोध की संस्कृति को भी जानना निहित है।”
गौरतलब है कि ‘प्रतिरोध की संस्कृति’ – ‘अवाम का सिनेमा’ का गठन 28 जनवरी 2006 को अयोध्या में हुआ था। चंबल का बीहड़ हो या राजस्थान का थार मरुस्थल या फिर करगिल ही; अवाम का सिनेमा बेहद प्रभावशाली तरीके से लोगों के बीच प्रतिरोध की संस्कृति को पुरजोर तरीके से जिंदा रखने में अपनी भूमिका निभाता रहा। अवाम का सिनेमा राजनीति, समाज, आर्थिकी – सबकी सच्चाइयों को सामने लाने की कोशिश में लगातार लगा हुआ है। इसका सफल आयोजन बिना किसी एनजीओ, ट्रस्ट, कॉरपोरेट और सरकार की स्पांसरशिप के बगैर अब तक होता आया है।
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छत्तीसगढ़ में भूख से बच्चे की मौत



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आलोक प्रकाश पुतुल रायपुर से, बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए
  • 23 मई 2015
गांव वालों को मिला रास्ता भटका हुआ श्रवण
छत्तीसगढ़ के सरगुजा ज़िले में चार साल के एक आदिवासी बच्चे की भूख से हुई मौत के बाद राजनीति शुरु हो गई है.
पुलिस ने बताया कि बच्चा अपने पिता और बड़े भाई की तलाश में भटक गया था और एक गांव के बाहर पेड़ के नीचे रात भर पड़ा रहा, जहां सुबह उसकी मौत हो गई.
पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर के अनुसार बच्चे के पेट में अन्न का एक दाना तक नहीं था.
ज़िले की कलेक्टर ऋतु सेन ने बताया कि मैनपाट के नर्मदापुर गांव के सगतराम मांझी अपने तीन बेटों राजाराम, श्रवण और शिवकुमार के साथ बस से सीतापुर गए थे.
वहां से 12 किलोमीटर दूर पीडिया जाने के लिए वे पैदल निकले. रास्ते में चार साल के शिवकुमार और छह साल के श्रवण रास्ता भटक गए.

सुबह चला पता

भटके हुए दोनों बच्चे एक गांव के बाहर पेड़ के नीचे रुक गए, जहां चार साल के शिवकुमार की मौत हो गई. सुबह गांव वालों ने एक बच्चे के शव और उसके पास बेहोशी की हालत में उसके भाई श्रवण को देखा.
इसके बाद गांव वालों ने पुलिस को सूचना दी और भूखे बच्चे को खाना-पानी दिया.
कलेक्टर ऋतु सेन के अनुसार, “गरमी बेहद तेज़ थी और हमें जब ख़बर मिली तो हमने दूसरे बच्चे श्रवण को समय पर अस्पताल पहुंचाया. बच्चों के लापता होने की ख़बर पहले मिली होती तो शायद दूसरे बच्चे को भी हम बचा पाते.”
मैनपाट के थाना प्रभारी विनोद कुमार अवस्थी ने बीबीसी को बताया कि सगतराम मांझी की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है और तीसरे बच्चे राजाराम का भी अता-पता नहीं है.

सरकार की विफलता बताया

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने इसे सरकार की विफलता बताया. उन्होंने कहा कि सरकार ने पीड़ित परिवार का राशन कार्ड रद्द कर दिया था और परिवार के पास जीवन यापन का कोई साधन नहीं था.
यहां तक कि इलाक़े में रोजगार गारंटी का काम भी कई महीनों से बंद पड़ा है.
सिंहदेव ने कहा, “पीड़ित परिवार ने 3-4 दिन से खाना नहीं खाया था और बच्चे की भूख से मौत हुई है. यह तब है, जब पिछले सप्ताह ही सरकार का लोक सुराज अभियान गांव-गांव में चला था. यह पूरी तरह से सरकार की विफलता है.”
इधर फोरम फॉर फॉस्ट जस्टिस के राष्ट्रीय संयोजक प्रवीण पटेल ने इसे सरकार की लापरवाही बताते हुये पूरे मामले की मानवाधिकार आयोग से शिकायत की बात कही है.

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वज़न घटाने के 12 अनमोल योगासन





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  • प्रस्तुति- डा. विजय कुमार सिन्हा , डा. अनिल कुमार चंचल 
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Yogasanaक्या आप वज़न घटाने के सारे नुस्खे आज़माकर थक चुके हैं? हमारे पास आपकी परेशानी का जवाब है –योग। व्यायाम की यह विधि दुनिया की दो बेहतरीन चीज़ों का संगम है – चुस्ती और ध्यान। इसकी सबसे कमाल की चीज़ है कि चाहे आपका वज़न कितना भी हो या आप शरीर के जिस भी हिस्से से चर्बी घटाना चाहते हों योगासनों के माध्यम से सब कुछ पाया जा सकता है। ये जोड़ों पर ज़्यादा असर नहीं डालता और शुरुआती अभ्यास अच्छे प्रशिक्षक के निरीक्षण में किया जाए तो चोट लगने की आशंका बिलकुल नगण्य हो जाती है। इसके अलावा आपको जिम की सदस्यता पर हज़ारों खर्च करने की भी कोई आवश्यकता नहीं रह जाती, आप इसे स्वयं अपने घर में कर सकते हैं। आपको बस कुछ सुविधाजनक कपड़े और योग के लिए एक चटाई की ज़रुरत होगी। तो वज़न घटाने के अपने ऐतिहासिक सफ़र के लिए हम आपको 12 सर्वश्रेष्ठ योगासन बता रहे हैं:
अर्ध चंद्रासन: Ardha-chandrasana
यह आसन आपकी पुष्टिकाओं और ऊपरी व अंदरुनी जंघाओं को सुगठित करता है। अगर आप इन जगहों पर चर्बी से परेशान हैं तो यह आसन बेहद कारगर साबित होगा। अतिरिक्त स्ट्रेच से पेट की चर्बी भी कम होगी और आपका शरीर मज़बूत बनेगा।
आसन विधि:  सर्वप्रथम दोनों पैरों की एड़ी-पंजों को मिलाकर खड़े हो जाएँ। दोनों हाथ कमर से सटे हुए गर्दन सीधी और नजरें सामने। फिर दोनों पैरों को लगभग एक से डेढ़ फिट दूर रखें। मेरुदंड सीधा रखें। इसके बाद दाएँ हाथ को उपर उठाते हुए कंधे के समानांतर लाएँ फिर हथेली को आसमान की ओर करें। फिर उक्त हाथ को और उपर उठाते कान से सटा देंगे। इस दौरान ध्यान रहे की बायाँ हाथ आपकी कमर से ही सटा रहे। फिर दाएँ हाथ को उपर सीधा कान और सिर से सटा हुआ रखते हुए ही कमर से बाईं ओर झुकते जाएँ। इस दौरान आपका बायाँ हाथ स्वत: ही नीचे खसकता जायेगा। ध्यान रहे कि बाएँ हाथ की हथेली को बाएँ पैर से अलग न हटने पाए। जहाँ तक हो सके बाईं ओर झुके फिर इस अर्ध चंद्र की स्थिति में 30-40 सेकंड तक रहें। वापस आने के लिए धीरे-धीरे पुन: सीधे खड़े हो जाएँ। फिर कान और सिर से सटे हुए हाथ को पुन: कंधे के समानांतर ले आएँ। फिर हथेली को भूमि की ओर करते हुए उक्त हाथ को कमर से सटा लें। यह दाएँ हाथ से बाईं ओर झुककर किए गए अर्ध चंद्रासन की पहली आवृत्ति हैं अब इसी आसन को बाएँ हाथ से दाईं ओर झुकते हुए करें तत्पश्चात पुन: विश्राम की अवस्था में आ जाएँ। उक्त आसन को 4 से 5 बार करने से लाभ होगा।
ध्यान दें: अगर आप पाचन संबंधी समस्या से जूझ रहे हों, रीढ़ में चोट हो या उच्च रक्तचाप से ग्रसित हों तो यह आसन न करें।
वीरभद्रासन 1: Veerbhadrasana1
इसका शाब्दिक अर्थ है योद्धाओं वाली मुद्रा, यह आसन आपकी पीठ को स्ट्रेच करता है और आपकी जंघाओं, पुष्टिका और पेट को मज़बूत करता है। यह आपकी एकाग्रता को बढ़ाता है Iऔर आपकी छाती को फैलाता है ताकि आप बेहतर ढंग से सांस ले सकें। यह शरीर की अवांछित चर्बी को कम करता है।
आसन विधि: चटाई पर दोनों पैर साथ रखकर और हाथों को अपने बगल में रखकर खड़े हो जाएं। अब अपने दाएं पैर को आगे की और बाधाएं और बाएँ पैर को पीछे की तरफ। अब आराम से अपने दाएं घुटने को मोड़ें ताकि आप धक्का मारने वाली मुद्रा में आ सकें। अपने धड़ को मुड़े हुए दाएं पैर की ओर ट्विस्ट करें। अपने बाएँ पैर को बदल की ओर थोड़ा सा मोड़ें(लगभग 400-600)  ताकि आपको अतिरिक्त सपोर्ट मिले)। सांस छोड़ें, अपनी बाँहें सीधी करें और शरीर को मुड़े हुए घुटने से ऊपर की ओर उठाएं। अपनी बांहों को ऊपर स्ट्रेच करें और धड़ को धीरे से पीछे की और टिल्ट (झुकाएं) करें ताकि आपकी पीठ धनुष का आकार ले सके। इस मुद्रा में तब तक रहें जब तक आप इसके साथ सहज हैं। सामान्य गति से सांस लें। इस आसन से बाहर आने के लिए सांस छोड़ें और अपने दाएं घुटने को सीधा करें। अब अपने दाएं पैर को मूल स्थिति में ले आएं। अपने हाथों की मदद से पूर्ववत स्थिति में आएं। जल्दबाजी न करें अन्यथा आपकी पीठ या पैर चोटिल हो सकते हैं। इसी आसन को दूसरे पैर के लिए दोहराएं।
ध्यान दें: यदि आप उच्च रक्तचाप के शिकार हैं, घुटनों या पीठ में दिक्कत है तो कृपया यह आसन किसी योग प्रशिक्षक के निरीक्षण में ही करें। 
वीरभद्रासन 2: veer-bhadrasana2
यह आसन वीरभद्रासन 1 का ही दूसरा हिस्सा है। यह आसन आपकी पीठ, जंघाओं, पेट और ह्रदय की पेशियों को मज़बूत करता है।
आसन विधि: वीरभद्रासन 1 वाले चरणों का अनुसरण करें, पर हाथों को सर से ऊपर उठाने के बजाय इस बार अपने धड़ को इस तरह ट्विस्ट करें कि आपका शरीर बगल की ओर इंगित हो और अपने हाथों को दोनों तरफ उठाएं (आपकी उंगलियाँ खुली होनी चाहिए और दोनों तरफ फैले हुए आपके बाएँ और दाएं पैर के समानान्तर होने चाहिए)। अब अपना सर घुमाएं ताकि आप उसी और देख रहे हों जिस और आपका दायाँ हाथ है। पूरी प्रक्रिया को बाएँ पैर के लिए दोहराएं।
ध्यान दें: यदि आप डायरिया से पीड़ित हैं तो यह आसन न करें।
उत्कटासन:  Utkatasana
कुर्सी आसन के रूप में जाने जाने वाले इस आसन में एकाग्रता की ज़रुरत होती है और आपको उन पेशियों पर ध्यान केन्द्रित करना होता है जो इसमें इस्तेमाल हो रही हैं। यह ह्रदय की पेशियों, जंघाओं और पुष्टिका को मज़बूत करता है।
आसन विधि: सीधे खड़े हो जाएँ, दोनों पैर मिलाकर रखें। दोनों हथेलियों को प्रार्थना अर्थात नमस्कार की मुद्रा में रखिए। पैरों के पंजे भूमि पर टिके हुए हों तथा एड़ियों के ऊपर नितम्ब टिकाकर बैठ जाइए। दोनों हाथ घुटनों के ऊपर तथा घुटनों को फैलाकर एड़ियों के समानान्तर स्थिर करें। अपने धड़ को हल्का आगे मोड़ें। इस मुद्रा में तब तक रहें जब तक आप सहज हैं। आसन से बाहर आने के लिए आराम से सीधा खड़ा हो जाएं।
ध्यान दें: यदि आपके घुटनों और पीठ में चोट लगी हो तो यह आसन न करें।
वृक्षासन: vrkshasana
इससे पैरों की स्थिरता और मजबूती का विकास होता है। यह कमर और कुल्हों के आस पास जमीं अतिरिक्त चर्बी को हटाता है तथा दोनों ही अंग इससे मजबूत बने रहते हैं। इस सबके कारण इससे मन का संतुलन बढ़ता है। मन में संतुलन होने से आत्मविश्वास और एकाग्रता का विकास होता है। इसे निरंतर करते रहने से शरीर और मन में सदा स्फूर्ति बनी रहती है।
आसन विधि: पहले सावधान मुद्रा में खड़े हो जाएं। फिर दोनों पैरों को एक दूसरे से कुछ दूर रखते हुए खड़े रहें और फिर हाथों को सिर के ऊपर उठाते हुए सीधाकर हथेलियों को मिला दें। इसके बाद दाहिने पैर को घुटने से मोड़ते हुए उसके तलवे को बाईं जांघ पर टिका दें। इस स्थिति के दौरान दाहिने पैर की एड़ी गुदाद्वार-जननेंद्री के नीचे टिकी होगी। बाएं पैर पर संतुलन बनाते हुए हथेलियां, सिर और कंधे को सीधा एक ही सीध में रखें। एकाग्र रहते हुए संतुलन बनाए रखने की कोशिश करें। सामान्य गति से सांस लेना और सामने दिख रही किसी एक चीज़ पर ध्यान केन्द्रित करना इस मुद्रा को बनाए रखने में आपकी मदद करेंगे।योग में ऐसा माना जाता है कि अगर आपका दिमाग एकाग्र न हो तो शरीर भी स्थिर नहीं रहेगा। तो जितना आपका मस्तिष्क आपके काबू में होगा उतनी ही आसानी से आप यह आसन कर पाएंगे। इस आसन के लिए कुर्सी या दीवार का सहारा लेने की कोशिश न करें।
ध्यान दें: यदि आपके घुटनों या पीठ में चोट हो तो किसी प्रशिक्षित योग्कर्मी के निरीक्षण में ही यह आसन करें।
 उत्तानासन: Uttanasana 
उत्तानासन के नियमित अभ्यास से शरीर के पिछले भागों का सम्पूर्ण व्यायाम हो जाता है और इन भागों में मौजूद तनाव दूर होता है। यह पैरों के पार्श्व भागों को लचीला और मजबूत बनाने वाली योग मुद्रा है। इस आसन से रीढ़ की हड्डियों में पर्याप्त खींचाव होता है। गर्दन और मस्तिष्क को रिलैक्स मिलता है। मानसिक तनाव कम होता है और शांति मिलती है।
आसन विधि:
उत्तानासन का अभ्यास करते समय सिर और गर्दन को ज़मीन की दिशा में जहां तक संभव हो मोड़ना चाहिए। इस अवस्था में मेरूदंड सीधी होनी चाहिए। आसन के समय हथेलियों को जमीन से लगा होना चाहिए। अगर ऐसा करने में आप सक्षम नहीं हैं तो बाहों को ज़मीन की दिशा में जहां तक संभव हो झुकाकर रखें अथवा घुटनों उस हद तक मोड़ने की कोशिश करें जिससे की हथेलियां ज़मीन का स्पर्श कर सके। अभ्यास के दौरान पुष्टिकाओं को घुटनों के समानान्तर रखने की चेष्टा करनी चाहिए।
सूर्य नमस्कार: सूर्या नमस्कार कई योगासनों का एक सेट हो जिसे क्रमवार रूप से किया जाता है। इसमें वज़न कम करने से जुड़े कई गुण हैं क्योंकि यह उन आसनों को समाहित करता है जिनके तहत आगे और पीछे झुका जाता है और ये पूरे शरीर को स्ट्रेचिंग प्रदान करते हैं। पूरे शरीर के सर्वागीं विकास के लिए इससे बेहतर कोइ अभ्यास नहीं बना। ये आपके शरीर के भीतर मौजूद अंगों में मौजूद विषैले रसायनों को बाहर भी करता है।(पढ़ें: How to practise Surya Namaskar the right way)
 अर्ध मत्स्येन्द्रासन: Ardha-matsyendrasana
यह आसन विशेष रूप से आपके फेफड़ों की सांस लेने और ऑक्सिजन को अधिक समय तक रोकने की क्षमता को बढ़ाने का काम करता है। साथ ही यह रीढ़ को आराम देता है और पीठ दर्द या पीठ संबंधी एनी परेशानियों से निजात दिलाता है।
आसन करने का तरीका: पैरों को सामने की तरफ फैलाकर बैठ जाएं, रीढ़ तनी हो और दोनों पैर एक-दूसरे से लगे हों। अपने बाएँ पैर को मोड़ें और उसकी एड़ी को पुष्टिका के दाएं हिस्से की और ले जाएं। अब दाएं पैर को बाएँ पैर की ओर लाएं और बायाँ हाथ दाएं घुटनों पर और दायाँ हाथ पीछे ले जाएं। कमर, कन्धों और गर्दन को इस क्रम में दाईं और मोड़ें। लम्बी साँसे लें और छोड़ें। शुरुआती मुद्रा में आने के लिए सांस छोड़ना जारी रखें , पहले पीछे स्थित दाएं हाथ को यथावत लाएं, फिर कमर सीधी करें, फिर छाती और अंत में गर्दन। अब इसी प्रक्रिया को दूसरी दिशा में करें।
ध्यान दें: यदि आपकी पीठ में चोट हो तो ये आसन किसी सत्यापित प्रशिक्षक के सामने ही करें।
बद्धकोणासन: Badhakonasana
अंदरुनी जंघाओं के लिए यह आसन सर्वश्रेष्ठ है। यह योग में एक ऐसा आसन है जो आपकी दिक्कतों को दूर करने के साथ साथ आपकी रीढ़, लोअर बैक, घुटने और कच्छ की पेशियों को मज़बूत करता है। यह मासिक धर्म से होने वाली पीड़ा को कम करता है और पाचन तंत्र को ठीक करता है।
आसन विधि:  दोहरा कंबल बिछाएँ, दोनो पैरों को सामने की ओर फैलाकर बैठ जाएँ। सबसे पहले दोनों घुटनों को मोड़ते हुए पैरों के पास लाएँ और दोनों पैरों के तलवें आपस में मिला लें। दोनों हाथों की अँगुलियों को आपस में इंटरलॉक कर लें, पैरों की अँगुलियों को दोनों हाथों से पकड़ लें और रीढ़ को सीधा रखें जैसे तितली आसन में बैठा जाता है। बाज़ू की सीधा कर लें और पैरों को ज़्यादा से ज़्यादा अपने पास में लाने का प्रयास करें ताकि पूरा शरीर तन जाए। यह इस आसन की प्रारंभिक स्थिति है। गहरी सांस भरें और साँस निकालते हुए धीरे-धीरे कमर से आगे इस प्रकार झुकें कि रीढ़ और पीठ की माँसपेशियों में खिंचाव बना रहे। प्रयास करें की आपका माथा ज़मीन से स्पर्श हो जाए। अगर ये संभव ना हो तो अपनी ठुड्डी को पैरों के अँगूठे से साँस को सामान्य कर लें। अंत में साँस भरते हुए वापस प्रारंभिक स्थिति में आ जाएँ। जितनी बार हो सके इस आसन का अभ्यास करें।
ध्यान दें: यदि आपके घुटने चोटिल हों तो यह आसन न करें।
कपाल भाति प्राणायाम: kapalbhati
यह सांस लेने संबंधी प्राणायाम का ही एक रूप है जो शरीर में ऑक्सिजन ले जाने और पेट की पेशियों को मज़बूत करने का काम करता है। यह पेट की चर्बी को कम करता है और पाचन शक्ति को दुरुस्त करता है।
आसन विधि: कपाल भाति प्राणायाम करने के लिए रीढ़ को सीधा रखते हुए किसी भी ध्यानात्मक आसन,सुखासन या फिर कुर्सी पर बैठिए। इसके बाद तेजी से नाक के दोनों छिद्रों से सांस को यथासंभव बाहर फेंकिए। साथ ही पेट को भी यथासंभव अंदर की ओर संकुचित करे। तत्पश्चात तुरन्त नाक के दोनों छिद्रों से सांस को अंदर खीचते है और पेट को यथासम्भव बाहर आने देते है। इस क्रिया को शक्ति व आवश्यकतानुसार50 बार से धीरे-धीरे बढ़ाते हुए 500 बार तक कर सकते है, किन्तु एक क्रम में 50 बार से अधिक न करे। क्रम धीरे-धीरे बढ़ाएं। कम से कम 5 मिनट एवं अधिकतम 30 मिनट। इस तरह सांस लेने के बाद आप शुरुआत में आप पेट की पेशियों के आस-पास सूजन सा महसूस करेंगे पर परेशान न हों, ये तात्कालिक व सामान्य है।  
ध्यान दें: अगर आप उच्च रक्तचाप के मरीज़ हैं या हार्निया अथवा ह्रदय संबंधी मर्जों से जूझ रहे हैं तो यह आसन न करें।
कुंभकासन : Kumbhakasana
यह आसन करने में भले ही आसान हो पर इसे योग के सबसे असरदार आसनों में से एक माना जाता है। ये आपकी बांहों, कन्धों, पीठ, पुष्टिकाओं, जंघाओं को मज़बूत करता है। और शरीर में मज़बूत एब्स के लिए यह आसन बेहतरीन है।  
आसन विधि:  चटाई पर पेट के बल लेट जाएं। अब अपनी हथेलियों को अपने चेहरे के आगे रखें और पैरों को इस तरह मोड़ें कि पंजे जमीन को धकेल रहे हों। अब हाथ को आगे की तरफ पुश करें और अपनी पुष्टिका को हवा में उठाएं। आपके पैर ज़मीन से यथासंभव सटे होने चाहिए और गर्दन ढीली होनी चाहिए। इसे अधोमुख स्वानासन के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ तक पहुँचने के बाद सांस अन्दर लें और अपने धड़ को इस तरह नीचे ले जाएं कि आपकी बांहों का बल ज़मीन पर लग रहा हो ताकि आपकी छाती और कंधे सीधा उन पर टिके हों। इस मुद्रा में तब तक रहें जब तक सहज हो। आसन से बाहर आने के लिए सांस छोड़ें और आराम से शरीर को फर्श पर लेटने दें।
ध्यान दें: अगर आपकी पीठ या कन्धों में चोट हो या आप उच्च रक्तचाप के शिकार हों तो यह आसन न करें।
 हलासन: Halasana
यह आसन उनके लिए बहुत कारगर है जो लम्बे समय तक बैठते हैं और जिन्हें posture संबंधी समस्या है। ये थायराइड ग्रंथि, पैराथायराइड ग्रंथि, फेफड़ों और पेट के अंगों को उत्तेजित करता है जिससे रक्त का प्रवाह सर और चेहरों की और तेज़ हो जाता है जिससे पाचन प्रक्रिया में सुधार होता है और हारमों का स्तर नियंत्रण में रहता है।
आसन करने का तरीका: फर्श पर चित होकर लेट जाएं। अपनी बांहों को बगल में रखें और घुटनों को मोड़ लें ताकि आपका तलवा फर्श को छूए। अब धीरे धीरे अपनी पुष्टिका से पैरों को उठाएं। पैर उठाते वक्त अपने हाथों को पुष्टिका पर रखकर शरीर को सपोर्ट करें। अब धीरे धीर अपने पैरों को पुष्टिका के पास से मोड़ें और सर के पीछे ले जाकर पंजों को फर्श तक ले जाने की कोशिश करें। और हाथों को बिलकुल सीधा रखें ताकि वो फर्श के संपर्क में रहे। ऊपर जाते हुए सांस छोड़ें। लेटने वाली मुद्रा में वापस लौटने के लिए पैरों को वापस लाते हुए सांस लें। एकदम से नीचे न आएं।
ध्यान रखें: यदि आप लिवर, उच्च रक्तचाप, डायरिया संबंधी समस्याओं से गुज़र रहे हैं, मासिक धर्म चल रहा हो या गर्दन में चोट लगी हो तो यह आसन न करें।
 सेतुबंधासन: Bandhasana
यह आसन न सिर्फ रक्तचाप को नियंत्रित रखता है बल्कि मानसिक शान्ति देता है और पाचनतंत्र को ठीक करता है। गर्दन और रीढ़ की स्ट्रेचिंग के साथ-साथ यह आसन मासिक धर्म के सिम्पटम से भी निजात दिलाता है।
आसन करने का तरीका:
चटाई पर चित होकर लेट जाएं। अब सांस छोड़ते हुए पैरों के बल ऊपर की ओर उठें। अपने शरीर को इस तरह उठाएं कि आपकी गर्दन और सर फर्श पर ही रहे और शरीर का बाकी हिस्सा हवा में। ज़्यादा सपोर्ट के लिए आप हाथों का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। अगर आपमें लचीलापन है तो अतिरिक्त स्ट्रेचिंग के लिए आप अपनी उँगलियों को ऊपर उठी पीठ के पीछे भी ले जा सकते हैं। अपने कम्फर्ट का ध्यान रखते हुए इस आसन को पूरा करें।
ध्यान दें: अगर आपकी गर्दन या पीठ में चोट लगी हो तो यह आसन न करें।
 बलासन: balasana
बच्चों की मुद्रा के नाम से जाना जाने वाला यह आसन तनावमुक्ति का बहुत अहम साधन है। ये पुष्टिका, जंघा और टखनों की स्ट्रेचिंग करता है। इससे तनाव और थकान से राहत मिलाती है। ये ज़्यादा देर तक बैठे रहने से होने वाले लोअर बैक पेन में भी काफी मददगार साबित होता है।
आसन विधि: फर्श पर घुटनों के बल बैठ जाएं। अब अपने पैर को फ़्लैट करते हुए अपनी एड़ी पर बैठा जाएं। दोनों जांघों के बीच थोड़ी दूरी बनाएं। सांस छोड़ें और कमर से नीचे की और झुकें। अपने पेट को जाँघों पर टिके रहने दें और पीठ को आगे की और स्ट्रेच करें। अब अपनी बांहों को सामने की तरफ ले जाएं ताकि पीठ में खिंचाव हो। आप अपने माथे को फर्श पर टिका सकते हैं बशर्ते आपमें उतना लाचीलापन हो। पर शरीर के साथ ज़बरदस्ती न करें। वक्त के साथ आप ऐसा करने में कामयाब होंगे।
चूंकि ये तनाव-मुक्ति आसन है इसलिए सामान्य गति से सांस लें। ज्यादा से ज़्यादा तीन मिनट और कम से कम पांच की गिनती तक इस मुद्रा में रहें।
ध्यान दें: यदि आप गर्भवती हैं या घुटनों में चोट है अथवा डायरिया से पीड़ित हैं तो ये आसन न करें।
प्राणायाम: Pranayam
यह आसन आपको राहत पहुंचाने और मस्तिष्क को शान्ति देने का सबसे अच्छा रास्ता है। क्या आपको पता है कि केवल सही तरह से सांस लेना आपके शरीर के नब्बे प्रतिशत टोक्सिन को बाहर कर सकता है? हम नवजात शिशुओं से सांस लेने का सही तरीका सीख सकते हैं। आपने देखा है सांस लेते हुए उनका पेट ऊपर आता है और छोड़ते हुए नीचे जाता है? सांस लेना हमारी ऊर्जा का प्राथमिक स्रोत है। स्वस्थ और सुखी जीवन की कुंजी सही तरह से सांस लेने में है।
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शुक्रवार, 22 मई 2015

घर बचाने के लिए 800 वाल्मीकि मुस्लमान बने..






mediadarbar@gmail.com

प्रस्तुति- रिद्धि सिन्हा नुपूर

एसपी सरकार के ताकतवर नेता आजम खान के गढ़ रामपुर में अपना घर बचाने के लिए 800 से ज्यादा वाल्मीकियों ने इस्लाम धर्म कबूल किया है । एक हफ्ते पहले ही इन परिवारों ने कहा था कि इनके पास अपने घर बचाने के लिए यह आखिरी उपाय है। इस काम के लिए इन्होंने आंबेडकर जयंती के मौके को चुना।
rampur
इन लोगों के घर रामपुर के तोपखाना इलाके में बन रहे एक शॉपिंग मॉल तक आने वाली सड़क चौड़ी करने के लिए ढहाए जाने हैं। नगर निगम अधिकारियों ने कुछ दिनों पहले वाल्मीकि बस्ती के कुछ लोगों के घरों को गिराने के लिए उन पर लाल निशान लगा दिए थे। इन लोगों का कहना था कि मुस्लिमों की बस्तियों में इससे संकरी सड़कें होती हैं, लेकिन वहां कभी अतिक्रमण नहीं हटाया जाता। हो सकता है कि इस्लाम धर्म कबूल करने से उनके घर भी बच जाएं।
लोगों का कहना है कि उनके मकानों पर लाल निशान नगर पालिका के ड्राफ्ट्समैन सिब्ते नबी की मौजूदगी में लगाए गए। इनका यह भी कहना है कि नबी एक मंत्री का करीबी है। उसने यह भी कहा था कि इस्लाम धर्म अपनाने पर किसी का भी मकान नहीं गिराया जाएगा। ये परिवार बीते चार दिन से मकान बचाने के लिए प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन प्रशासन ने नरमी नहीं दिखाई। मंगलवार को मौके पर पहुंचे अपर जिला अधिकारी ने लिखित आश्वासन देने से मना कर दिया। इसके बाद इन लोगों ने घर बचाने के लिए इस्लाम कबूल करने का ऐलान कर दिया, लेकिन इन्हें कलमा पढ़ाने के लिए कोई मौलाना राजी नहीं हुआ।
यहां के अमर आदिवासी का कहना है कि पूरी बस्ती को पुलिस ने घेर लिया है। किसी भी मौलाना को अंदर नहीं आने दिया जा रहा है। लिहाजा सभी ने टोपी पहनकर सांकेतिक तौर पर इस्लाम ग्रहण कर लिया है। मौलाना फुरकान रजा का कहना था, ‘लालच के लिए इस्लाम अपनाना गुनाह है। ये लोग बस्ती को बचाने के लिए इस्लाम कबूल करना चाहते थे, इसलिए मैंने उनका आग्रह स्वीकार नहीं किया।’
वहीं, रामपुर के डीएम सीपी त्रिपाठी के मुताबिक, ‘इन लोगों को यहां से हटाकर कांशीराम आवास योजना में घर दिया जा रहा है। ये लोग कोर्ट से मुकदमा हार गए हैं और अब बस्ती खाली करवाई जाएगी।’
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