छत्तीसगढ़ के सरगुजा ज़िले में चार साल के एक आदिवासी बच्चे की भूख से हुई मौत के बाद राजनीति शुरु हो गई है.
पुलिस
ने बताया कि बच्चा अपने पिता और बड़े भाई की तलाश में भटक गया था और एक
गांव के बाहर पेड़ के नीचे रात भर पड़ा रहा, जहां सुबह उसकी मौत हो गई.पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर के अनुसार बच्चे के पेट में अन्न का एक दाना तक नहीं था.
ज़िले की कलेक्टर ऋतु सेन ने बताया कि मैनपाट के नर्मदापुर गांव के सगतराम मांझी अपने तीन बेटों राजाराम, श्रवण और शिवकुमार के साथ बस से सीतापुर गए थे.
वहां से 12 किलोमीटर दूर पीडिया जाने के लिए वे पैदल निकले. रास्ते में चार साल के शिवकुमार और छह साल के श्रवण रास्ता भटक गए.
सुबह चला पता
भटके हुए दोनों बच्चे एक गांव के बाहर पेड़ के नीचे रुक गए, जहां चार साल के शिवकुमार की मौत हो गई. सुबह गांव वालों ने एक बच्चे के शव और उसके पास बेहोशी की हालत में उसके भाई श्रवण को देखा.इसके बाद गांव वालों ने पुलिस को सूचना दी और भूखे बच्चे को खाना-पानी दिया.
कलेक्टर ऋतु सेन के अनुसार, “गरमी बेहद तेज़ थी और हमें जब ख़बर मिली तो हमने दूसरे बच्चे श्रवण को समय पर अस्पताल पहुंचाया. बच्चों के लापता होने की ख़बर पहले मिली होती तो शायद दूसरे बच्चे को भी हम बचा पाते.”
मैनपाट के थाना प्रभारी विनोद कुमार अवस्थी ने बीबीसी को बताया कि सगतराम मांझी की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है और तीसरे बच्चे राजाराम का भी अता-पता नहीं है.
सरकार की विफलता बताया
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