लालू राजमें कब तक रहेगा कुमार का असर
उपेन्द्र कश्यप
शराबियों के ‘किस्से’ से शहर गुलजार
सन्नाटे में डूब गये अड्डे और रास्ते
उपेन्द्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) शराब बन्द हो गया है। शहर में देसी विदेशी सबकी बिक्री बन्द है। प्रथम दिन और दूसरे दिन सुबह इस मामले में तरह तरह के किस्से सुनने को मिले। वाकई, दारु ने अपने कई रंग दिखाया है। कुछ ऐसे ही किस्से जो शहर की आबोहवा में चर्चा का विषय बने हैं, आपके लिए। भखरुआं मोड की अंग्रेजी शराब दुकान। एक शख्स पहुंचा और बन्द देखकर भोकार पार कर रोते हुए नीतीश कुमार को भला बुरा कहने लगा। उसने अफसोस जताया उन्हें वोट क्यों दिया? बाजार की बन्द दुकान के शटर को ठोकते हुए एक व्यक्ति शराब देने की गुहार लगा रहा है। उसे यह भी नहीं सुझ रहा कि दुकान पूरी तरह बन्द है। उसे यकीन नहीं, पहले जो मिल जाता था बन्दी में भी। संसा में भट्ठी पर कई लोग जुटे और बंद देख ऐसा बोले जो लिख नहीं सकते। विचित्र है शराब की महिमा। चर्चा है कुछ लोगों की नीन्द हराम हो गयी है। वे एक तरह से बीमार है। दशकों से पीने के अभ्यस्त हैं। अब बेचारे क्या करेंगे? पहली शाम सडक पर सन्नाटा दिखा तो भाई लोगों ने कहा शाम ढलते गुलजार होने वाला शहर अब सन्नाटे में डूब जायेगा। दिखा भी, सन्नाटे में डूबे शराब पीने के अड्डे। होटल चिखना वाले झक मार रहे थे। सुबह (शनिवार) को चर्चा है कि शहर में दुकानदारों को जुठी शराब की बोतलें, प्लास्टिक ग्लास और चिखने की पाउच या कागज साफ करने से अब मुक्ति मिल गयी। खैर, भाई लोग आश्वस्त हैं कि अभी दस दिन का कोटा उपलब्ध है और तब तक नगर परिषद बन जायेगा शायद तो अंग्रेजी उपलब्ध होने लगेगी। चलिए खैर मनाते हैं कि शराब लीला से जिला परिषद तो बनने की उम्मीद जगी।
होमियोपैथ की दवाइयों से बचें अन्यथा..
जा सकती है जिन्दगी और आंख की रौशनी
आरएस (रेक्टीफाइड स्प्रीट) होता है जानलेवा
नशे के लती दूसरा विकल्प ढुंढ सकते हैं, किंतु ऐसे लोगों को सर्वाधिक खतरा होमियोपैथ की दुकानों पर मिलने वाले आरएस (रेक्टीफाइड स्प्रीट) से है। कभी भी इसे न पीयें। शहर में कई लोग इसका सेवन कर अपनी जान या आंख के रौशनी गंवा चुके हैं। इससे होशियार रहियेगा। यह जानलेवा एवं घातक विकल्प होगा।
डा.मनोज कुमार ने बताया कि ठाकुर बिगहा में दो व्यक्ति इसके शिकार हुए थे जिसमें एक की मौत हो गयी थी तो दूसरे की आंख की रौशनी चली गयी थी। कहा कि होमियोपैथ की दवाइयां न्यूनतम इस्तेमाल के लिए होती हैं, इसका अधिक इस्तेमाल का खामियाजा भुगतना पड सकता है। यह लीवर एवं किडनी के सभी सेल को खत्म कर देता है। जानकारों के अनुसार इसके सेवन से जान जा सकती है। आंख की रौशनी सदा के लिए जा सकती है। आंख और मस्तिष्क के बीच सूचना पहुंचाने वाली ग्रंथि सूख जाती है। हिचकी की बीमारी जबरद्स्त हो सकती है, जो कभी-कभी जानलेवा भी हो जाती है। इसलिए शराब के विकल्प के रुप में कभी भी आरएस (रेक्टीफाइड स्प्रीट) का इस्तेमाल न करें। राज्य सरकार इस खतरे को जानती है इसी कारण होमियोपैथ की दुकानों पर भी नकेल कसी जा रही है। डा.मनोज ने सरकार से अपील किया कि सख्ती के बजाये रास्ता निकाले। चिकित्सक को डायलुसन 30 एमएल के पैक में रखने और दुकानदार या अस्पताल को 100 एम एल में रखने की पाबन्दी गलत है। पहले 400 एमएल के रखते थे लोग। इससे दवाइयां महंगी हो जायेंगी। खतरा है कि पूरी पद्धति से इलाज करना महंगी हो जायेगी और लोग कटने लगेंगे।
शराबबन्दी का पड रहा व्यापक असर
दुकानदारों को मारनी पड रही है झक
शराबबंदी के भले ही पीने वालों की नींद हराम हो गयी हो, किंतु एक पहलु यह भी है कि कई तरह के व्यवसायों पर इसका बडा असर पडता दिख रहा है। पान, सिगरेट बेचने वाले, होटल चलाने वले जहां कल तक शराब पीने के अड्डे जमते थे, मांस-मछली, मुर्गा अंडा बेचने वाले परेशान हैं। वे चिंतित हैं। उन्हें आर्थिक क्षति झेलनी पड रही है। लोग तरह तरह की चर्चा कर रहे हैं। कल तक जिन पान विक्रेताओं को फुर्सत नसीब नहीं होती थी उन्हें अब घुमने फिरने तक का समय मिल जा रहा है।
सन्नाटे में डूब गये अड्डे और रास्ते
उपेन्द्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) शराब बन्द हो गया है। शहर में देसी विदेशी सबकी बिक्री बन्द है। प्रथम दिन और दूसरे दिन सुबह इस मामले में तरह तरह के किस्से सुनने को मिले। वाकई, दारु ने अपने कई रंग दिखाया है। कुछ ऐसे ही किस्से जो शहर की आबोहवा में चर्चा का विषय बने हैं, आपके लिए। भखरुआं मोड की अंग्रेजी शराब दुकान। एक शख्स पहुंचा और बन्द देखकर भोकार पार कर रोते हुए नीतीश कुमार को भला बुरा कहने लगा। उसने अफसोस जताया उन्हें वोट क्यों दिया? बाजार की बन्द दुकान के शटर को ठोकते हुए एक व्यक्ति शराब देने की गुहार लगा रहा है। उसे यह भी नहीं सुझ रहा कि दुकान पूरी तरह बन्द है। उसे यकीन नहीं, पहले जो मिल जाता था बन्दी में भी। संसा में भट्ठी पर कई लोग जुटे और बंद देख ऐसा बोले जो लिख नहीं सकते। विचित्र है शराब की महिमा। चर्चा है कुछ लोगों की नीन्द हराम हो गयी है। वे एक तरह से बीमार है। दशकों से पीने के अभ्यस्त हैं। अब बेचारे क्या करेंगे? पहली शाम सडक पर सन्नाटा दिखा तो भाई लोगों ने कहा शाम ढलते गुलजार होने वाला शहर अब सन्नाटे में डूब जायेगा। दिखा भी, सन्नाटे में डूबे शराब पीने के अड्डे। होटल चिखना वाले झक मार रहे थे। सुबह (शनिवार) को चर्चा है कि शहर में दुकानदारों को जुठी शराब की बोतलें, प्लास्टिक ग्लास और चिखने की पाउच या कागज साफ करने से अब मुक्ति मिल गयी। खैर, भाई लोग आश्वस्त हैं कि अभी दस दिन का कोटा उपलब्ध है और तब तक नगर परिषद बन जायेगा शायद तो अंग्रेजी उपलब्ध होने लगेगी। चलिए खैर मनाते हैं कि शराब लीला से जिला परिषद तो बनने की उम्मीद जगी।
होमियोपैथ की दवाइयों से बचें अन्यथा..
जा सकती है जिन्दगी और आंख की रौशनी
आरएस (रेक्टीफाइड स्प्रीट) होता है जानलेवा
नशे के लती दूसरा विकल्प ढुंढ सकते हैं, किंतु ऐसे लोगों को सर्वाधिक खतरा होमियोपैथ की दुकानों पर मिलने वाले आरएस (रेक्टीफाइड स्प्रीट) से है। कभी भी इसे न पीयें। शहर में कई लोग इसका सेवन कर अपनी जान या आंख के रौशनी गंवा चुके हैं। इससे होशियार रहियेगा। यह जानलेवा एवं घातक विकल्प होगा।
डा.मनोज कुमार ने बताया कि ठाकुर बिगहा में दो व्यक्ति इसके शिकार हुए थे जिसमें एक की मौत हो गयी थी तो दूसरे की आंख की रौशनी चली गयी थी। कहा कि होमियोपैथ की दवाइयां न्यूनतम इस्तेमाल के लिए होती हैं, इसका अधिक इस्तेमाल का खामियाजा भुगतना पड सकता है। यह लीवर एवं किडनी के सभी सेल को खत्म कर देता है। जानकारों के अनुसार इसके सेवन से जान जा सकती है। आंख की रौशनी सदा के लिए जा सकती है। आंख और मस्तिष्क के बीच सूचना पहुंचाने वाली ग्रंथि सूख जाती है। हिचकी की बीमारी जबरद्स्त हो सकती है, जो कभी-कभी जानलेवा भी हो जाती है। इसलिए शराब के विकल्प के रुप में कभी भी आरएस (रेक्टीफाइड स्प्रीट) का इस्तेमाल न करें। राज्य सरकार इस खतरे को जानती है इसी कारण होमियोपैथ की दुकानों पर भी नकेल कसी जा रही है। डा.मनोज ने सरकार से अपील किया कि सख्ती के बजाये रास्ता निकाले। चिकित्सक को डायलुसन 30 एमएल के पैक में रखने और दुकानदार या अस्पताल को 100 एम एल में रखने की पाबन्दी गलत है। पहले 400 एमएल के रखते थे लोग। इससे दवाइयां महंगी हो जायेंगी। खतरा है कि पूरी पद्धति से इलाज करना महंगी हो जायेगी और लोग कटने लगेंगे।
शराबबन्दी का पड रहा व्यापक असर
दुकानदारों को मारनी पड रही है झक
शराबबंदी के भले ही पीने वालों की नींद हराम हो गयी हो, किंतु एक पहलु यह भी है कि कई तरह के व्यवसायों पर इसका बडा असर पडता दिख रहा है। पान, सिगरेट बेचने वाले, होटल चलाने वले जहां कल तक शराब पीने के अड्डे जमते थे, मांस-मछली, मुर्गा अंडा बेचने वाले परेशान हैं। वे चिंतित हैं। उन्हें आर्थिक क्षति झेलनी पड रही है। लोग तरह तरह की चर्चा कर रहे हैं। कल तक जिन पान विक्रेताओं को फुर्सत नसीब नहीं होती थी उन्हें अब घुमने फिरने तक का समय मिल जा रहा है।
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