समाज में जब कोई इंसान अपने जुनून से कोई मिसाल कायम करता है तो उसका अनुकरण करने वाले भी सामने आते हैं.
माउंटेन मैन दशरथ मांझी की राह अपनाने वाले उनसे कुछ ही दूरी पर सामने आए हैं.बिहार की राजधानी पटना से करीब 150 किलोमीटर दक्षिण में स्थित गया जिला के पहाड़ों से घिरा अतरी प्रखंड है.
यहां के केवटी गाँव के निवासी रामचंद्र दास ने 15 साल की कड़ी मेहनत से पहाड़ काट कर 10 मीटर लम्बी और चार मीटर चौड़ी सड़क बनाई है.
50 साल के रामचंद्र यादव ने कबीरपंथ अपना लिया है. अब वे रामचंद्र दास हैं.
दशरथ मांझी से मिली प्रेरणा
रामचंद्र बताते हैं, ''यहाँ रास्ता नहीं था. दशरथ बाबा (दशरथ मांझी) की प्रेरणा से 1993 में हमने भी पहाड़ काटना शुरू किया.''वो हर दिन पांच-दस मन पत्थर फोड़ते थे. इसके बाद तो मनोबल बढ़ता गया. काम 2008 में पूरा हुआ.वे बताते हैं, ''यह रास्ता बन जाने से इलाका के केवटी, ततुरा, गनौखर, अत्दिया आदि गाँव की दूरी सात किलोमीटर से घट कर दो से ढाई किलोमीटर हो गई है.''
अब गाँव तक कोई भी सवारी आ जाती है.
दास कहते हैं, "तब गाँव वाले कहते थे कि पहले ट्रक चलाते थे, अब ये काम क्यों कर रहे हो. लेकिन, आज मेरी बनाई सड़क का सभी इस्तेमाल कर रहे हैं."
दूसरे दशरथ मांझी
ये पूछने पर क्या आप दूसरे दशरथ मांझी हैं तो रामचंद्र इस सवाल पर हाथ जोड़ते हुए कहते हैं, ''सब कुछ उन्हीं की प्रेरणा का फल है.''यह भी कहते हैं कि पेट पालने के लिये हर दिन खेत में मज़दूरी भी करते हैं.गाँव की चिंता देवी कहती हैं कि, ''सड़क बन जाने से घर की बेटी-बहू को पहाड़ के पार गाड़ी लेने नहीं जाना पड़ता है. अब तो घर तक गाड़ी आ जाती है.''
लेकिन, इन्होंने जो काम कर दिया है उसको लेकर भविष्य का कोई ब्लूप्रिंट न तो गाँव वालों ने तैयार किया है और न ही सरकार के पास इससे जुड़ी आगे की कोई योजना है.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें