टिकैत की गिरफ़्तारी के प्रयास तेज़
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उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार ने किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत की गिरफ़्तारी के लिए दबाव बढ़ा दिया है.
इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव ने टिकैत के सिसौली गाँव से अविलंब पुलिस बल वापस बुलाने
की माँग की है.
भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख और वरिष्ठ किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत पर आरोप है कि उन्होंने उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती
के लिए जातिसूचक टिप्पणियों का इस्तेमाल किया.
महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे और भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत को उत्तर प्रदेश पुलिस ने हिरासत में ले लिया है, लेकिन
महेंद्र सिंह टिकैत के नज़दीकी सूत्रों ने बताया है कि वे आत्मसमर्पण नहीं करेंगे.
उत्तर प्रदेश के मुख्य गृह सचिव जेएन
चंबर ने लखनऊ में पत्रकारों को बताया कि मुजफ़्फ़रनगर स्थित उनके गाँव
सिसौली में उनकी गिरफ़्तारी
के लिए अतिरिक्त अर्धसैनिक बल भेजे जा रहे हैं.
मुख्य गृह सचिव ने बताया कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का एक दल एक विशेष विमान से उनकी गिरफ़्तारी को शांतिपूर्ण तरीक़े से अंजाम
देने के लिए मुज़फ्फ़रनगर पहुँच गया है.
तनाव
स्थानीय पत्रकारों का कहना है कि सिसौली में टिकैत के घर को चारों तरफ़ से घेर लिया गया है और वहाँ काफ़ी तनाव है क्योंकि गाँव
के लोग उनकी गिरफ़्तारी का विरोध कर रहे हैं.
पुलिस पिछले दो दिनों से उनकी गिरफ़्तारी की कोशिश कर रही है, पुलिस को सोमवार को पीछे हटना पड़ा था कि क्योंकि पथराव और पुलिस
फायरिंग में कई लोग घायल हो गए थे.
पुलिस ने टिकैत उनके चार बेटों और 14 अन्य लोगों के ख़िलाफ़ जातिवादी टिप्पणी के लिए आपराधिक मामला दर्ज किया है.
बताया जा रहा है कि मायावती टिकैत की कथित टिप्पणी से आहत हैं और उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों की खिंचाई की है कि वे अब तक टिकैत
को गिरफ़्तार नहीं कर सके हैं.
राजनीतिक दाँव-पेंच
दूसरी ओर विपक्षी पार्टियाँ खुलेआम टिकैत के समर्थन में आ गई हैं और उनका कहना है कि सरकार बेकार के मुद्दे को बढ़ावा दे रही है.
मुख्यमंत्री मायावती जाटव समुदाय से हैं जिसकी गिनती कथित तौर पर निचली जाति के रुप में होती है जबकि टिकैत जाट समुदाय से आते
हैं.
यो दोनों समुदाय राजनीतिक बिसात पर भी बँटे हुए हैं. जहाँ जाटव बसपा समर्थक माने जाते हैं, वहीं जाट विरोधी खेमे के समर्थक माने
जाते हैं.
प्रेक्षकों का कहना है कि मुख्यमंत्री मायावती टिकैत के ख़िलाफ़ बेहद कड़ा रूख़ अपना रही हैं ताकि पिछड़ी और दलित जातियों में
पैठ को और मज़बूत किया जा सके.
लेकिन ये रणनीतिक चूक भी साबित हो सकती है क्योंकि टिकैत इस देश के चर्चित किसान नेता हैं और उनकी भारतीय किसान यूनियन की शाखाएँ
कई इलाक़ों में फ़ैली हुई हैं.
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शनिवार, 3 सितंबर 2016
महेन्द्र सिंह टिकैत
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