शुक्रवार, 29 जनवरी 2021

प्रतिदिन/आलोक तोमर

 राजन पिल्लई की ''हत्या'' का पूरा सच


पूरे एशिया में आठ देशों में फैक्टरियां चला

कर दुनिया का एक सबसे बड़ा बिस्किट ब्रांड बनाने वाले अरबपति राजन पिल्लई की मौत

दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल के फर्श पर हुई थी। जुलाई 1995 में दिल्ली के पांच सितारा

होटल ली मैरिडियन से पकड़ कर तिहाड़ ले जाए गए राजन पिल्लई की चौथे दिन मौत हो गई थी

और केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री एके एंटनी और भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने

न्यायिक हत्या कहा था। 


इसके बाद आडवाणी देश के उप प्रधानमंत्री और

गृह मंत्री भी रह लिए, एंटनी

आज देश के रक्षा मंत्री हैं और बहुत ताकतवर हैं मगर दिल्ली की तिहाड़ जेल में राजन

पिल्लई की मौत कैसे हुई इस पर कोई सवाल नहीं कर रहा। राजन पिल्लई की विधवा और अब

दूसरा विवाह कर चुकी नीना पिल्लई का आरोप है कि इस हत्याकांड में भूतपूर्व

प्रधानमंत्री नरसिंह राव और उनके खास सलाहकार चंद्रास्वामी का भी हाथ है। नीना ने

लिखित शिकायत में कहा है कि चंद्रास्वामी ने एक बार में पच्चीस लाख रुपए और इसके

बाद एक मोटी रकम सरकार में कुछ काम करवाने के लिए ली थी और सिंगापुर के तत्कालीन प्रधानमंत्री

की बहन को अपनी शिष्या बता कर राजन पिल्लई के खिलाफ मामले वापस करवाने का भी लालच

दिया था और पैसे लिए थे। 


इस मामले में वर्तमान सरकार के एक चमकदार और

एक हद तक जोकर मंत्री सुब्रमणी रेड्डी भी शामिल है क्योकि नीना के अनुसार नरसिंह

राव पैसा लेने के लिए उन्हें ही भेजते थे। सनसनीखेज बात तो यह भी है कि अदालत

सीबीआई से पिल्लई की मौत की जांच के लिए आदेश दे चुकी है और उच्च न्यायालय इस आदेश

की पुष्टि कर चुका है लेकिन सीबीआई की रिपोर्ट नहीं आई है। पंद्रह साल में सीबीआई

चार कदम नहीं चल पाई। 


आरोप पत्र में बाम्बे डाइंग के मालिक नुस्ली

वाडिया, चंद्रास्वामी, इंदौर में जन्में, कनाडा और बैंकाक में बहुत

बड़े आर्थिक घोटाले मे पकड़े गए राकेश सक्सेना और सिंगापुर के उद्योगपति फैडरिक रॉस

जॉनसन के नाम भी भारत सरकार के साथ मिल कर राजन की हत्या में शामिल बताए गए हैं।

नीना पिल्लई की शिकायत इसलिए भी आश्चर्यजनक है कि पिल्लई और वाडिया दोनों दोस्त

हुआ करते थे मगर चार लाख डॉलर के लेन देन को ले कर झगड़ा हुआ और वाडिया ने

ब्रिटानिया ग्रुप हथियाने की कोशिश में सिंगापुर में पिल्लई के खिलाफ मामले दर्ज

करवा लिए। 


नीना पिल्लई का आरोप रहा है कि वे लोग चौदह

साल से भारत में नहीं रह रहे थे और राजन को उनके ही दोस्तों ने धोखा दिया है।

सुब्रमणी रेड्डी ने ही चंद्रास्वामी से राजन पिल्लई का परिचय करवाया था। राजन

पिल्लई ने चंद्रास्वामी के सम्मान में 1995

के फरवरी में एक पार्टी भी दी थी। 


वैसे सारे रईस कारोबारियों की तरह राजन

पिल्लई कांग्रेस को भी पैसा देते थे और रेड्डी के जरिए नरसिंह राव को तीन करोड़

रुपए भिजवाने की भी पुष्टि नीना ने की है। नीना बाद में भाजपा में शामिल हो गई थी

और लाल कृष्ण आडवाणी के साथ मंच पर दिखाई भी दी थी। बाद में राजनीति में उनकी

दिलचस्पी खत्म हो गई और उनके पति की मौत में राजनीति के महारथियों की भी कोई

दिलचस्पी नहीं रही। आडवाणी, एके

एंटनी और चंद्रास्वामी यही मौजूद हैं लेकिन न उनसे कोई सवाल पूछ रहा है और न वे

किसी से सवाल पूछ रहे हैं। राजन पिल्लई जिनके अमेरिका और फ्रांस सहित शानदार बंगले

और अपने जहाज हाें, उसकी पोर्स्ट मार्टम रिपोर्ट में एक

पुलिस हवलदार उसका पता गेट नंबर 4, तिहाड़ जेल, नई दिल्ली लिखे तो इससे बड़ी विडंबना और क्या हो सकती है। 


राजन पिल्लई को भारत में शायद इतने लोग नहीं

जानते थे लेकिन दुनिया के बहुत सारे बड़े क्लबों और पांच सितारा होटलों तक उनकी

पहुंच थी और आम तौर पर वे अपने जहाज में ही दुनिया की सैर करते थे। राजन पिल्लई

केरल में काजू की खेती करने वाले एक परिवार के सदस्य थे लेकिन उन्होंने व्यापार

में हाथ आजमाया और 48

साल की उम्र में महाअरबपति बन गए। 


अचानक 1993

में पिल्लई को सिंगापुर में नोटिस मिला कि उनके बैंक खाते में एक

करोड़ बहत्तर लाख डॉलर का घपला हुआ है। मुकदमा दो दिन चला और पिल्लई को चौदह साल की

सजा देने की तैयारी कर ली गई। ऐसे में कोई भी जो करता वह पिल्लई ने किया और वे

भारत चले आए। उन्होंने चंद्रास्वामी और नरसिंह राव से मिल कर अपील की थी कि उन्हें

सिंगापुर की अदालत में न्याय दिया जाए और इसके लिए सरकार भी कोशिश करे। नीना

पिल्लई अदालतों में अब भी मुकदमा लड़ रही है। 27 अक्टूबर 2010

को दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एस मुरलीधर ने नीना

पिल्लई की मुआवजा याचिका पर सुनवाई करते समय कहा कि पूरे देश में जेल जलादों के

अड्डे बन गए है।


मदन लाल खुराना उस समय दिल्ली के

मुख्यमंत्री थे और उन्होंने राजन पिल्लई की अस्वाभाविक मौत को देखते हुए

न्यायमूर्ति लीला सेठ के नेतृत्व में एक आयोग बनाया था और इसी आयोग की रपट के आधार

पर नीना पिल्लई के वकील ने कहा कि राजन पिल्लई को जेल में कोई सुविधा नही दी गई।

यहां तक कि बीमारी रक्तचाप की थी लेकिन इलाज मधूमेह का किया गया। वैसे सच तो यह है

कि राजन पिल्लई को, जैसा

कि दिल्ली पुलिस हमेशा करती है, होटल ली मैरिडियन के कमरे

से देर रात उठा कर ले जाया गया और संसद मार्ग पुलिस थाने में मौजूद एक मजिस्ट्रेट

से उनकी न्यायकि हिरासत मंजूर करवा ली गई। पुलिस ने पिल्लई से झूठ बोला था और

इसलिए जब राजन पिल्लई तिहाड़ जेल में थे तो भी उनके नाम से पांच सितारा होटल में एक

वीआईपी रूम बुक रहा। 


राजन पिल्लई के दुर्भाग्य से यह तो पता चलता

ही है कि न्याय हमेशा खरीदा नहीं जा सकता लेकिन यह भी पता लगता है न्याय के नाम पर

कत्ल कैसे किए जाते हैं। आखिर अगर एक पल को मान भी लिया जाए कि राजन पिल्लई की

हत्या नहीं हुई थी बल्कि डाक्टरी, लापरवाही के वे शिकार हुए थे फिर भी इस लापरवाही की सजा तक किसी को नहीं

मिली और सबसे ज्यादा हैरत की बात तो यह है कि देश भर में सर्वोच्च स्तर तक मचा

हंगामा और इस हंगामे के सूत्रधार आडवाणी और एंटनी जैसे साफ सुथरे नेता भी अचानक

खामोश हो गए। इंदौर के राकेश श्रीवास्तव की इस मामले के अलावा एक अलग कहानी है और

वह भी जल्दी आपके सामने आएगी।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें