शुक्रवार, 29 जनवरी 2021

ठगो का वीआईपी वकील /आलोक तोमर

 अभिषेक मनु सिंघवी बहुत बड़े वकील है।


इतने बड़े कि उनके ग्राहकाें में लॉटरी किंग और फर्जी सांसद होने का आरोप झेलने वाले मणि कुमार सुब्बा भी हैं और भूटान को अपनी लॉटरी से लूट लेने वाले और आयकर

विभाग को 19 करोड़ रुपए का सिर्फ जुर्माना भरने वाले केरल के सांटियागो मार्टिन भी

हैं। 


 


दरअसल भूटान के इतिहास का यह सबसे बड़ा आर्थिक घोटाला बन गया

है और भारत पर राज कर रही पार्टी कांग्रेस के महासचिव और प्रवक्ता अभिषेक मनु

सिंघवी अपराधी सुब्बा के साथ अंतर्राष्ट्रीय अपराधी सांटियागो मार्टिन के वकील भी

है। 


 


अभिषेक मनु सिंघवी के बारे में बहुत लोग जानते हैं। फिल्म बीस

साल बाद का गाना - जरा नजरो से कह दो कि निशाना चूक न जाए, अभिषेक का प्रिय गीत है

और बड़े लोगों के मामले लड़ने में वे निशाना चूकते भी नहीं है। मगर सांटियागो

मार्टिन आपके लिए जरूर नया नाम होगा। भूटान सरकार ने भारत सरकार से शिकायत की है

कि देश पर राज कर रही कांग्रेस के नेता उनके अपराधी को बचा रहे हैं। भूटान लॉटरी

के करोड़ों रुपए वह हजम कर गया है। 


 


एक जमाने में केरल के पलक्कड़ में एक छोटी सी लॉटरी की दुकान

चलाने वाले मार्टिन के अब तमिलनाडु के कोयंबटूर में साम्राज्य है। वह गोल्फ से ले

कर अंतर्राष्ट्रीय कार कंपनी हुडई के साथ कई बड़े समारोह प्रायोजित करता है। खास

तौर पर उत्तर पूर्वी राज्यों के मुख्य सचिव उसके खर्चे पर विदेश घूम चुके हैं।

दक्षिण भारत का होने के बावजूद मार्टिन अच्छी हिंदी बोलता है मगर ताज होटल समूह से

उसके लिए हर होटल में हमेशा एक कमरा रिजर्व रखने का आजीवन अनुबंध है। 


 


भूटान में मार्टिन को राजपरिवार का दोस्त और बहुत बड़ा आदमी

माना जाता है। वहां के मंत्री उससे मिलने के लिए लाइन लगाते हैं। 2007 में उसने

भूटान लॉटरी का कैलेंडर जीता था और 2010 में उसने लॉटरी के कमीशन की सारी शर्तें

अपने और अपनी कंपनी के हित में भी करवा ली। 


 


जब भूटान के लोग पैसा वसूलने कोयंबटूर गए तो देख कर हैरान रह

गए कि आम तौर पर थिंपू की सड़कों पर यों ही खड़े हो कर घूमने वाला मार्टिन कोयंबटूर

में बॉडी गार्ड रखता है, सबसे महंगी कारों मे चलता है, उसके ऑफिस के कमरे में 12

फैक्स मशीने लगी हुई है और लाइसेंस की सीमा के बाहर भारत के कई प्रदेशों में गैर

कानूनी ढंग से वह महंगे दाम पर लॉटरी टिकट बेचता है और विजेता को मिलने वाली रकम

का आधा हिस्सा खुद ले लेता है। 


 


ऐसे प्रतिभाशाली अपराधी के वकील हैं अभिषेक मनु सिंघवी। वे

जैसा कि पहले बताया, मणि कुमार सुब्बा के भी वकील हैं। यूनियन कार्बाइड को खरीदने

वाली डाउ केमिकल की तरफ से वकील बन पहले ही विवादों में घिरे कांग्रेस प्रवक्ता

अभिषेक मनु सिंघवी इस दफा बड़े झमेले में फंस गए हैं। केरल में लॉटरी माफिया की तरफ

से मुकदमा लड़ने को लेकर वह अब नए विवाद के केंद्र में हैं। हालांकि, उन्होंने इस

मुकदमे की पैरवी से अपना नाम वापस ले लिया है, फिर भी विवाद तूल पकड़ चुका है और

मामला पार्टी आलाकमान तक पहुंच गया है। 


 


कांग्रेस महासचिव और मीडिया विभाग के प्रभारी जनार्दन

द्विवेदी ने सोमवार को खुद इसके संकेत दिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हाईकमान ने

इसको गंभीरता से लिया है। मामला उनके समक्ष विचाराधीन है। केरल में संचालित भूटान

लॉटरी की तरफ से वहां के हाई कोर्ट में मुकदमा लड़ रहे सिंघवी का नाम राज्य के

सत्तााधारी दल माकपा ने सीधे कांग्रेस हाई कमान से जोड़ दिया। केरल के वित्ता

मंत्री थॉमस इसाक और गृह मंत्री कोदियारी बालाकृष्णन ने आरोप लगाया है कि सिंघवी

लॉटरी माफिया के लिए कांग्रेस आलाकमान की अनुमति से मुकदमा लड़ रहे हैं। इसाक ने तो

केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम के भी लॉटरी टाइकून कहे

जाने वाले सेंटियागो मार्टिन की तरफ से हाई कोर्ट में खड़े होने का आरोप लगाया। 


 


माकपा की तरफ से इसे मुद्दा बनाए जाने से केरल कांग्रेस की

स्थिति बड़ी विकट हो गई। राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष रमेश चेन्निथला ने पार्टी

आलाकमान के समक्ष यह मुद्दा उठाया। साथ ही औपचारिक रूप से सिंघवी के मुकदमा लड़ने

पर असहमति भी जताई। विवाद बढ़ता देख कांग्रेस प्रवक्ता ने तत्काल इस मुकदमे से अपना

नाम वापस ले लिया, लेकिन तब तक मामला कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के समक्ष

पहुंच चुका था। 


 


कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने इसकी पुष्टि कर सिंघवी

के लिए मुसीबतें बढ़ा दी हैं। इससे पहले डाउ केमिकल की तरफ से सिंघवी के मुकदमा

लड़ने का विवाद भी बमुश्किल शांत हो पाया था। डाउ केमिकल वर्तमान में यूनियन

कार्बाइड ख्भोपाल त्रासदी के लिए जिम्मेदार कंपनी, की मालिक है।


उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि कांग्रेस के पूर्व सांसद

मणि कुमार सुब्बा की राष्ट्रीयता को लेकर गंभीर संदेह हैं और उन पर अभियोजन की

कार्रवाई का फैसला न्यायालय ने सीबीआई के जिम्मे छोड़ दिया है।


सीबीआई ने अपनी जांच में पाया था कि सुब्बा ने फर्जी तरीके से

अपना पासपोर्ट बनवाया था। प्रधान न्यायाधीश के जी बालकृष्णन की अध्यक्षता वाली पीठ

ने कहा कि अब इस संबंध में उचित कार्रवाई का फैसला सीबीआई को करना है। पीठ के अन्य

दो सदस्य न्यायमूर्ति तरुण चटर्जी और न्यायमूर्ति दीपक वर्मा भी हैं।


 


बालकृष्णन ने कहा कि सुब्बा की पहचान के संबंध में गंभीर

संदेह है। मैंने सीबीआई की पूरी रिपोर्ट देखी है। प्रधान न्यायाधीश ने सुब्बा के

वकील अभिषेक मनु सिंघवी की दलील पर यह टिप्पणी की। सिंघवी ने कहा था कि सुब्बा कभी

नेपाल में हत्या आरोपी नहीं रहे, जैसा कि काठमांडो से अधिकारियों से प्राप्त

रिपोर्ट में साबित करने की कोशिश की गई है।


 


सुब्बा की नागरिकता के बारे संदेह व्यक्त किए जा रहे हैं,

क्योंकि एजेंसी ने उच्चतम न्यायालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि फर्जी

तरीके से उन्होंने अपना जन्म प्रमाण पत्र हासिल किया था।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें