🙏🌹चिंता ब्यापी रहै ,भांति भांति कीमन भ्रान्ति ।
चिंता ब्यापी रहै ,भांति भांति कीमन भ्रान्ति ।
यह होगा , वह होगा,उथल पुथल अशान्ति ।
उथल पुथल अशान्ति , कभी बच्चो की चिन्ता ।
कभी बुढापा और भबिष्य ,कभि काया की चिन्ता
मन तू है रे बावरा , बुनता ताना बाना ।
अन्त नाहि उस जाल का , फंसै उसी ठिकाना ।
निकलन का नहि राह , मूढ मन फिर फछताना ।
भज मन सीताराम ,सकल बिपत्ति निदाना ।
सब कुछ उन पर डारि दे , करम सहित परिणाम ।
फिर निश्चिन्त हो भाव से ,भज मन सीताराम ।
फिर नहि चिंता काहु की , शरण भरोशा राम ।
उथल पुथल सब शान्त हो , राम राम बिश्राम ।
महामंत्र इस जगत मे ,सुमिरन जय श्रीराम ।
राम राम श्रीराम जय , या फिर राधेश्याम ।
चिंता से चिंता मिटै,जय श्रीसीताराम ।।
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ऊँश्रीहरिनामशरणम्
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