*प्रस्तुति - कृष्ण मेहता
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1 :- सुंदरकाण्ड का नाम सुंदरकाण्ड क्यों रखा गया?
हनुमानजी, सीताजी की खोज में लंका गए थे और लंका त्रिकुटांचल पर्वत पर बसी हुई थी। त्रिकुटांचल पर्वत यानी यहां 3 पर्वत थे।
पहला सुबैल पर्वत, जहां के मैदान में युद्ध हुआ था।
दुसरा नील पर्वत, जहां राक्षसों के महल बसे हुए थे।
तीसरे पर्वत का नाम है सुंदर पर्वत, जहां अशोक वाटिका निर्मित थी। इसी वाटिका में हनुमानजी और सीताजी की भेंट हुई थी।
इस काण्ड की सबसे प्रमुख घटना यहीं हुई थी, इसलिए इसका नाम सुंदरकाण्ड रखा गया।
2 :- शुभ अवसरों पर सुंदरकाण्ड का पाठ क्यों?
शुभ अवसरों पर गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस के सुंदरकाण्ड का पाठ किया जाता है। शुभ कार्यों की शुरूआत से पहले सुंदरकाण्ड का पाठ करने का विशेष महत्व माना गया है।
जबकि किसी व्यक्ति के जीवन में ज्यादा परेशानियाँ हों, कोई काम नहीं बन पा रहा हो, आत्मविश्वास की कमी हो या कोई और समस्या हो, सुंदरकाण्ड के पाठ से शुभ फल प्राप्त होने लग जाते हैं, कई ज्योतिषी या संत भी विपरित परिस्थितियों में सुंदरकाण्ड करने की सलाह देते हैं।
3 :- सुंदरकाण्ड का पाठ विषेश रूप से क्यों किया जाता है?
माना जाता हैं कि सुंदरकाण्ड के पाठ से हनुमानजी प्रशन्न होते हैं।
सुंदरकाण्ड के पाठ में बजरंगबली की कृपा बहुत ही जल्द प्राप्त हो जाती है।
जो लोग नियमित रूप से सुंदरकाण्ड का पाठ करते हैं, उनके सभी दुखः दुर हो जाते हैं, इस काण्ड में हनुमानजी ने अपनी बुद्धि और बल से सीता माता की खोज की है।
इसी वजह से सुंदरकाण्ड को हनुमानजी की सफलता के लिए याद किया जाता है।
4 :- सुंदरकाण्ड से क्यों मिलता है मनोवैज्ञानिक लाभ?
वास्तव में श्रीरामचरितमानस के सुंदरकाण्ड की कथा सबसे अलग है, संपूर्ण श्रीरामचरितमानस भगवान श्रीराम के गुणों और उनके पुरूषार्थ को दर्शाती है, सुंदरकाण्ड एक मात्र ऐसा अध्याय है जो श्रीराम के भक्त हनुमान की विजय का काण्ड है।
मनोवैज्ञानिक नजरिए से देखा जाए तो यह आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ाने वाला काण्ड है, सुंदरकाण्ड के पाठ से व्यक्ति को मानसिक शक्ति प्राप्त होती है, किसी भी कार्य को पूर्ण करने के लिए आत्मविश्वास मिलता है।
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