बुधवार, 18 अक्तूबर 2023

अद्भुत_है_राजगीर_का_ग्लास_ब्रिज अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल राजगीर में

 #प्रवीण परिमल


वैसे तो पर्यटकों को लुभानेवाले कई प्रमुख दर्शनीय स्थल पहले से मौजूद हैं, जैसे सप्तधारा ब्रह्मकुंड (गर्म जल का झरना), विश्व शांति स्तूप, घोड़ा कटोरा, जरासंध का अखाड़ा, पांडु पोखर, अशोक स्तूप शिखर, सोन भंडार गुफाएँ, मनियार मठ आदि। लेकिन पर्यटकों को आजकल ज़्यादा आकर्षित कर रहा है, नेचर सफारी पार्क में चीन के हांग्झोऊ ग्लास ब्रिज के तर्ज़ पर हाल ही में बना पारदर्शी ग्लास ब्रिज, जिसे ग्लास स्काई वाॅक भी कहा जाता है। 

     प्राप्त जानकारी के अनुसार यह ब्रिज 85 फुट लंबा और 6 फुट चौड़ा है। इसकी ऊँचाई लगभग 200 फुट है। एक बार में इसके आख़िरी छोर तक मात्र 10 से 12 लोगों को ही जाने की इजाज़त रहती है, जिन्हें नयनाभिराम नज़ारों को अपनी आँखों और मोबाइल के कैमरों मे क़ैद करने के लिए सिर्फ 5 से 7 मिनट का ही समय दिया जाता है। 15 मिली मीटर मोटाई वाली काँच की तीन परतों से इसका निर्माण किया गया है।

  यहाँ ऑनलाइन टिकट लेकर जाना ही सुविधाजनक रहता है। वैसे ऑन द स्पॉट टिकट भी उपलब्ध होता है। नेचर सफारी पार्क का प्रवेश शुल्क 150/ रुपए है तथा ग्लास ब्रिज पर जाने के लिए 150/ रुपए अलग से देने होते हैं। नेचर सफारी में प्रवेश के बाद ग्लास ब्रिज की लगभग दस किलोमीटर की दूरी वहाँ उपलब्ध 25- सीटर गाड़ियों से तय करनी होती है।

        राजगीर में बना यह ग्लास ब्रिज भारत का दूसरा और बिहार का पहला ग्लास ब्रिज है। भारत का पहला ग्लास ब्रिज सिक्किम के पहाड़ी शहर पेलिंग में है। चीन का ग्लास ब्रिज विश्व का पहला और सबसे बड़ा ब्रिज है, जिसे देखने के लिए पूरी दुनिया के लोग चीन पहुँचते हैं।

      राजगीर के इस ब्रिज पर चलने में एक अद्भुत आनंद का अनुभव होता है। कहा जाता है कि इसकी ख़ूबसूरती चीन के ग्लास ब्रिज से भी अधिक है। यहाँ से चारों तरफ़ प्राकृतिक सुंदरता देखने को मिलती है। हरे- भरे प्राकृतिक वातावरण में इस पुल पर चलना लोगों में रोमांच भर देता है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे हम हवा में चल रहे हों। जूते- चप्पल पहनकर इस पर प्रवेश निषेधित है। इस पर चलने के लिए एक ख़ास कपड़े के बने मोजे उपलब्ध कराए जाते हैं, जिसे पहनकर ही ख़ूबसूरत वादियों से घिरे इस ख़ूबसूरत ग्लास ब्रिज का आनंद लिया जा सकता है।

     ग्लास स्काई वाॅक यानी ग्लास ब्रिज से थोड़ी ही दूरी पर एक और ब्रिज है जिसे सस्पेंशन ब्रिज कहा जाता है। यह ब्रिज इंग्लैंड के एक प्रसिद्ध ब्रिज की तर्ज़ पर बनाया गया है। यह राजगीर की पाँच पहाड़ियों में शामिल वैभारगिरि की दो पर्वत श्रृंखलाओं को आपस में जोड़ता है। 135 मीटर लंबा और 6 फुट चौड़ा यह ब्रिज इस इलाके का इकलौता सस्पेंशन ब्रिज है।

    

 इसमें रस्सों के दो सेट लगे हैं जो रास्ते के दोनों तरफ़ रज्जुवक्र  की आकृति में लटक रहे हैं। यह ब्रिज लोहे के बने मोटे रस्सों के सहारे टंगा है। चलने के लिए इसमें लकड़ी के प्लास्टिक कोटेड पटरे लगे हैं। सुरक्षा की दृष्टि से इसके दोनों ओर लोहे के मोटे तारों से बनी जालियाँ लगी हैं। इस पर चलने में शरीर में एक अजीब सी लचक पैदा होती है। तार की जालियों या रस्सों का सहारा लेकर ब्रिज के दूसरी तरफ जाया जा सकता है। इस ब्रिज पर न तो विजिटर्स की संख्या सीमित है और न ही समय का कोई बंधन है। इस पर जाने के लिए जूते- चप्पल खोलने की अनिवार्यता भी नहीं है। और हाँ, ग्लास ब्रिज के टिकट के साथ यह सुविधा मुफ़्त में उपलब्ध है। यदि कोई ग्लास ब्रिज न जाकर केवल सस्पेंशन ब्रिज पर जाना चाहे तो सुविधा शुल्क मात्र ₹ 10/ देय है।



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