मन के मनके" पुस्तक का किया गया लोकार्पण
कवि का मन समंदर और आकाश से भी अधिक विस्तृत होता है- सुरिंदर कौर
रांची, "मन के मनके" पुस्तक का लोकार्पण लालपुर स्थित हॉटेल सिटी पैलेस में किया गया। पुस्तक का संपादन डॉ शुभ्रा सिंह एवं प्रतिमा त्रिपाठी ने किया है। साझा काव्य संकलन में कई रचनाकारों की स्वरचित रचनाएं समाहित है।
मंच अध्यक्षता राँची की वरिष्ठ साहित्यकार डॉ सुरिंदर कौर 'नीलम' द्वारा किया गया। मुख्य अतिथि के तौर पर कवि और नाटककार राकेश रमन ने मंच को सुशोभित किया। वरिष्ठ कवियत्री रेणु झा 'रेणुका', पूर्व आईपीएस अधिकारी एवं कवि देव बिहारी शर्मा, निर्मला कर्ण, कवियत्री, लेखिका लघुकथाकार रंजना वर्मा 'उन्मुक्त' एवं विभा वर्मा 'वाची' ने मंच पर विराजमान होकर विशिष्ट अतिथि पद की गरिमा बढ़ायी।
रेणु झा 'रेणुका' के मंत्रोच्चारण के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।
सरस्वती वंदना, बिंदु प्रसाद रिद्धिमा ने किया। मनीषा सहाय 'सुमन' ने बहुत कुशलतापूर्वक मंच का संचालन किया।
मन के मनके पुस्तक पर सुरिंदर कौर नीलम ने अपने उद्गार में कहा "कि समंदर से निकले भावों के अनमोल शब्दमोती मन के मनके' में गोते लगा रहे हैं। कवि का मन समंदर और आकाश से भी अधिक विस्तार लिए हुए है।" वहीं वरिष्ठ कवियत्री रेणु झा ने कहा कि केवल योजना बना लेने भर से कोई कार्य सफल नहीं होता। उसकी सफलता के लिए अटूट विश्वास, धैर्य, समर्पण और निस्वार्थ मन से प्रतिबद्धता भी आवश्यक है।"
इस मौके पर राकेश रमन ने समय के मूल्य को समझाते हुए कहा कि सबसे पहले रचनाकारों को समय का मान रखना सीखना होगा। एक रचनाकार को अनुशासित आचरण बरतना बहुत आवश्यक होता है।"
मनीषा सहाय ने अक्षर को ब्रम्ह बताते हुए कहा-"इसके साधक को बिना मंच भेद किये, प्रतिस्पर्धा से परे होकर निस्वार्थ भावना से सभी साहित्यिक मंचों को अपनी सेवा और योगदान देते रहना होगा। सबके सहयोग से ही साहित्य सरिता समरसता से प्रवाहित होती है।"
पुस्तक में राँची की अनेक रचनाकारों पुष्पा सहाय, कविता रानी,ऋतुराज वर्षा, सुनीता अग्रवाल, नीता शेखर, निर्मला सिंह, कृष्णा श्रीवास्तव, सुजाता प्रिय, नीरज वर्मा, मीरा सिंह, रश्मि सिंह, संध्या चौधरी 'उर्वशी' मधुमिता साहा प्रतिभा सिंह एवं सरस्वती गगराई आदि की रचनाएं प्रकाशित हुई है। उक्त सभी साहित्यप्रेमियों और रचनाकारों ने मंच से अपनी रचनाओं का पाठ किया और अपनी उपस्थिति से मंच की गरिमा बढ़ायी।
कार्यक्रम के अंत में प्रतिमा त्रिपाठी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
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