बुधवार, 5 मार्च 2014

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सीएम को लात मारकर पीएम की चाहत में केजरी



arvind kejriwal
अरविंद केजरीवाल
नेहा लालचंदानी,
 नई दिल्ली: अभी दिल्ली अधर में ही लटकी हुई है लेकिन आम आदमी पार्टी ने लोकसभा चुनाव में अपना दमखम जताने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। सारे नफे-नुकसान, आगे-पीछे को तौलने के बाद आम आदमी पार्टी ने मंगलवार को 2014 लोकसभा चुनाव में खड़े होने का फैसला ले लिया। हालांकि, यह तो नहीं कहा जा सकता कि पार्टी 543 सीटें हासिल कर बहुमत सिद्ध कर पाएगी, लेकिन माना जा रहा है कि पार्टी अच्छी खासी संख्या में कैंडिडेट खड़े करेगी।

इसके लिए पार्टी ने एक नई सब कमिटी का गठन भी कर दिया है, जिसमें पार्टी की पॉर्लियामेंट्री अफेयर्स कमिटी के मेंबर योगेंद्र यादव और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय सिंह समेत कुछ अन्य सदस्य शामिल हैं। पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बताया कि यह कमिटी न केवल अगले विधानसभा चुनाव, बल्कि लोकसभा चुनाव को भी ध्यान में रखते हुए प्रचार की योजना बनाएगी।

पार्टी में कुछ लोगों ने आशंका जताई थी कि अगर दिल्ली में दोबारा विधानसभा चुनाव होते हैं तो लोकसभा चुनाव आते-आते आम आदमी पार्टी की जेब कमज़ोर पड़ सकती है। लेकिन अंततः तय किया गया कि पार्टी की प्रसिद्धि अभी चरम पर है इसलिए यह मौका हाथ से जाने न दिया जाए और लोकसभा चुनाव लड़कर अपनी राजनीतिक पकड़ मज़बूत की जाए।

इस दिशा में पहला कदम उठाते हुए पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि वह चाहते हैं कि हरियाणा में वाड्रा-डीएलएफ डील का खुलासा करने वाले मशहूर IAS अफसर अशोक खेमका पार्टी का चेहरा बनें। हालांकि, खेमका इसपर टिप्पणी करने से बचते रहे। पार्टी रेत माफिया को एक्सपोज़ करने वाली अफसर दुर्गाशक्ति नागपाल से भी संपर्क करने की कोशिश कर रही है।

केजरीवाल ने कहा कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए दिल्ली समेत देश की अलग-अलग जगहों पर नए लोगों को पार्टी से जोड़ने के लिए प्रचार अभियान चलाया जाएगा। पार्टी कॉरपोरेट्स, शिक्षाविद, यूथ, महिलाएं और सोशल एक्टिविस्ट्स से लेकर हर तबके के साफ सुथरी छवि वाले लोगों का सपोर्ट हासिल करने की कोशिश करेगी। अरविंद ने इस बात के भी संकेत दिए हैं कि दिल्ली में तो आम आदमी पार्टी सभी 7 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी और विधानसभा चुनाव में भी अपने ज्यादातर उन्हीं उम्मीदवारों को फिर से मैदान में उतारेगी, जिन्होंने इस बार चुनाव लड़ा था। पार्टी भी यह भी देखेगी कि देश के किन-किन हिस्सों में लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी अपने उम्मीदवारों को उतार सकती है। हालांकि केजरीवाल ने कहा कि यह हमारे अकेले के बस की बात नहीं है। इसके लिए हमें बहुत सारे लोगों के सहयोग की दरकार है। उन्होंने छोटी क्षेत्रीय पार्टियों के आप में विलय की संभावना से भी इनकार नहीं किया।

आप के सूत्रों का कहना है कि अगर दिल्ली में बीजेपी सरकार बना ले तो उन्हें फायदा होगा क्योंकि ऐसा होने से दिल्ली के री-इलेक्शन की तैयारी का बोझ पार्टी पर से कम हो जाएगा और वे लोकसभा चुनाव पर फोकस कर पाएंगे।

केजरीवाल ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा कि अगर दोनों चुनावों की डेट्स क्लैश होती हैं तो पार्टी को दोनों में से एक या दोनों को छोड़ने के बारे में सोचना पड़ सकता है। लेकिन, अगर ऐसा नहीं होता है तो आम आदमी पार्टी अन्य राजनीतिक दलों को कड़ी टक्कर देने में कामयाब होगी।

अरविंद का कहना है कि विधानसभा चुनाव में कई लोगों को यह संदेह था कि हम जीत भी पाएंगे कि नहीं। इसी वजह से कई लोगों ने आप के बजाय बीजेपी को वोट दिया। उनको भरोसा है कि अगले चुनाव में वो निश्चित तौर पर आम आदमी पार्टी को ही वोट देंगे। उन्होंने इस आशंका से इनकार किया है कि अगले चुनाव में आप को फायदे के बजाय उलटा नुकसान उठाना पड़ सकता है। उनका कहना था कि अगले चुनाव में बीजेपी को और ज्यादा नुकसान होगा। उन्होंने कांग्रेस या बीजेपी के समर्थन से आम आदमी पार्टी के द्वारा सरकार बनाने की किसी भी तरह की संभावना से इनकार करते हुए कहा कि हम अगले चुनाव की तैयारी कर रहे हैं।

अरविंद ने यह भी बताया कि दिल्ली में ग्रामीण क्षेत्रों में पार्टी को उम्मीद से काफी कम वोट मिले। इसके अलावा आप के वोट काटने के लिए कांग्रेस बीजेपी ने कई सीटों पर डमी कैंडिडेट खड़े किए थे और उन्हें जलती हुई टॉर्च के सिंबल पर चुनाव लड़वाया था। शाजिया इल्मी समेत पार्टी के कुछ उम्मीदवारों की हार के लिए उन्होंने चुनाव से पहले किए गए स्टिंग ऑपरेशन को जिम्मेदार ठहराया।

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