पीएम तिवारी
सोमवार, 3 फ़रवरी, 2014 को 20:09 IST तक के समाचार
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता
में इन दिनों छह दिवसीय यौनकर्मी महोत्सव चल रहा है. देश के विभिन्न
राज्यों से अपनी मांगों के समर्थन में दो सौ से ज्यादा यौनकर्मी, उनके
हितों की लड़ाई में जुटे संगठनों के प्रतिनिधि और लोक कलाकार इस महोत्सव
में पहुंचे हैं.
सोनागाछी रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर के प्रिंसिपल
डॉक्टर समरजीत जाना कहते हैं, "दुर्बार महिला समन्वय समिति की ओर से आयोजित
इस छह-दिवसीय उत्सव का मकसद महिलाओं की खरीद-फरोख्त रोकना, यौनकर्मियों को
मौलिक अधिकार दिलाना और उनको उनने हक के प्रति जागरूक बनाना है."जाना का कहना है कि यौनकर्मियों को भी एक पेशेवर के तौर पर मान्यता मिलनी चाहिए. दूसरे पेशों की तरह इसे भी कानूनी तौर पर पेशे का दर्जा दिया जाना चाहिए.
इस मौके पर बीबीसी ने कुछ यौनकर्मियों से उनके अतीत, इस पेशे की मौजूदा स्थिति और उनके हक की लड़ाई के बारे में बातचीत की.
मुन्नी देवी, उत्तर प्रदेश
मैं मजबूरी में यौनकर्मी बनी हूं. अगर पेशा नहीं करूं तो रोटी, कपड़ा, मकान और बच्चों की पढ़ाई का खर्च कहां से आएगा?इस पेशे ने ही मुझे एचआईवी का संक्रमण दे दिया. पहली बार जब इस बीमारी का पता लगा तो मुझे भारी झटका लगा था. मेरे दो बेटे और एक बेटी है. मैं सोचने लगी कि यह बीमारी तो मेरी जान ले लेगी. मैं कैसे रहूंगी?
मैं सरकार से यही चाहती हूँ कि आम लोगों की सेवा करने वाले दूसरे लोगों की तरह हम सेक्स वर्करों को भी सुविधाएं मिले.
भाग्या, मैसूर
मुझे इस पेशे में आने का कोई अफसोस नहीं है.
हम चाहते हैं कि सरकार हमारा भी आधार कार्ड और पैन कार्ड बनवा दे. हमें सरकारी योजनाओं की जानकारी नहीं मिलती.
विभिन्न योजनाओं के तहत मिलने वाली सहायता भी हम तक नहीं पहुंचती. हमें पेंशन मिलनी चाहिए. हम अपने हक की लड़ाई को मजबूत करने यहां आए हैं.
सुल्ताना बेगम, राजस्थान
पहले यौनकर्मियों को काफी परेशानियां उठानी पड़ती थीं. अब पहले के मुकाबले दिक्कतें कम हुई हैं. रुपए में 40 पैसे कम हुई हैं लेकिन अब भी 60 पैसे बाकी हैं.
सबसे बड़ी समस्या यह है कि यौनकर्मियों के बच्चों को स्कूलों में दाखिला नहीं मिलता. यौनकर्मियों के बूढ़े हो जाने पर उनका गुजारा मुश्किल हो जाता है.
हम सरकार से चाहते हैं कि ऐसी यौनकर्मियों के लिए पेंशन की व्यवस्था हो. कोई भी यौनकर्मी 40-50 की उम्र के बाद यह पेशा नहीं कर पाती. सरकार 40 की उम्र के बाद हम यौनकर्मियों को भी दूसरे लोगों की तरह दो हजार रुपए महीने पेंशन दे.
सुनीता बारा, झारखंड
हम लोग अपने अधिकारों की लड़ाई के लिए यहां आए हैं. यौनकर्मियों को समाज में बहुत खराब निगाहों से देखा जाता है. मैं चाहती हूं कि दूसरी कामकाजी महिलाओं की तरह हमें भी इज्जत की निगाह से देखा जाए.
हम लोग दूसरी महिलाओं की तरह सम्मान और बराबरी का अधिकार चाहते हैं. आखिर हम भी एक सामान्य महिला हैं.
सोनी देवी, पटना
मेरे बेटों को कोई छोटी-मोटी नौकरी मिल जाती, हमें पेंशन मिलती तो जीवन कुछ आसान हो जाता. हमें अपना हक मिलना चाहिए.
भागीदारी
भारती का कहना है कि संगठन ने यौनकर्मियों के बच्चों की शिक्षा और बेहतर भविष्य के लिए भी कई योजनाएं शुरू की हैं ताकि उनकी आंखों में एक बेहतर भविष्य का सपना पैदा किया जा सके.
संतान
वह बताती है कि सोनागाछी की यौनकर्मियों के दो बच्चे हाल में ही पौलैंड से फुटबॉल खेलकर आए हैं. उनको सेना में नौकरी मिल गई है.
महोत्सव में यौनकर्मियों को सूचना के अधिकार के बारे में भी जानकारी दी जा रही है.
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