रविवार, 22 जून 2014

यूनिवर्सिटियों में छुपा भारत का भाग्य



प्रस्तुति निम्मी नर्गिस , दक्षम द्विवेदी

भारतीय मूल के मशहूर उद्योगपति लॉर्ड स्वराज पॉल भारतीय शिक्षा प्रणाली से खुश नहीं हैं. विश्व के टॉप 200 विश्वविद्यालयों में एक भी भारतीय यूनिवर्सिटी नहीं है. पॉल इसे युवाओं से भरे देश का दुर्भाग्य मानते हैं.
ब्रिटेन के प्रतिष्ठित कारोबारी लॉर्ड स्वराज पॉल शुक्रवार को जालंधर में पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में पहुंचे. इस मौके पर उन्होंने भारतीय शिक्षा प्रणाली को लेकर अपनी मायूसी जाहिर की. लॉर्ड स्वराज पॉल ने कहा, "यह चिंता की बात है कि हमारे ज्यादातर संस्थानों में शिक्षा का स्तर मानक से भी नीचे है. भारत का कोई भी विश्वविद्यालय दुनिया की शीर्ष 200 यूनिवर्सिटियों में नहीं है."
उन्होंने बहुसांस्कृतिक माहौल वाली अच्छी शिक्षा प्रणाली की वकालत की. एनआरआई उद्योगपति के मुताबिक ऐसा करने से भारतीय छात्रों और दूसरे देशों के नागरिकों के बीच विचारों का खुला आदान प्रदान होगा और तकनीक के नए रास्ते खुलेंगे. स्वराज पॉल को लगता है कि अगर भारत में उच्च शिक्षा की स्थिति बेहतर होती है तो दूसरे देशों के टीचर और छात्र भी वहां आना पसंद करेंगे.
आईटी कंपनियों को कामगारों की किल्लत
अच्छी शिक्षा को मजबूत अर्थव्यवस्था की रीढ़ बताते हुए उन्होंने कहा, "शिक्षा वो आधार है जो लोकतांत्रिक समाज को बढ़ावा देती है और अर्थव्यवस्था और विकास को आगे बढ़ाती है."
भारत की आधी आबादी युवा है. देश को बेहतर आर्थिक विकास के लिए 2020 तक 50 करोड़ लोगों की इस युवा आबादी को अच्छी ट्रेनिंग देनी होगी. पॉल मानते हैं कि अच्छी ट्रेनिंग के बिना ज्यादातर युवा रटे रटाये काम ही करते रहेंगे, लेकिन अगर बढ़िया शिक्षा मिली तो इन्हीं में से अद्वितीय कलाकार और महान आविष्कारकों जैसी प्रतिभाएं भी निकलेंगी.
हाल ही में भारतीय आईटी कंपनी इंफोसिस के एक्जक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट क्रिस गोपालकृष्णन ने कहा था कि भारत में क्लासरूम में होने वाली पढ़ाई और उद्योग की जरूरतों के बीच नाता टूट गया है. उन्होंने कहा कि शिक्षक का काम किताब का ज्ञान देना नहीं उसे व्यवहार में लाने की शिक्षा देना है, क्योंकि आजकल संसाधनों तक छात्रों की पहुंच शिक्षकों के बराबर या उससे अधिक है.
ओएसजे/एमजे(पीटीआई)

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