शनिवार, 28 नवंबर 2015

नोमेड की यादें - " नीलकमल और वेश्याओं का गांव "


नोमेड की यादें - " नीलकमल और वेश्याओं का गांव " ::
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उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में स्थित इस गांव को शोषक जाति के लोगों ने अपनी यौन अय्याशी के लिए दलित महिलाओं को लाकर लगभग चार सौ साल पहले बसाया और पारंपरिक रूप से वेश्यावृत्ति स्थापित किया जो आजतक जारी है। इस गांव की वास्तविकता को समझने के लिए कल्पना कीजिए एक ऐसे गांव की जहां बच्चा पैदा होते ही वेश्यावृत्ति देखता हो। जहां आत्मसम्मान का वजूद न हो।
जहां के बच्चे यदि दूसरे गांवों में स्थापित विद्यालयों में पढ़ने जाते हों तो उनको वेश्या या वेश्या का लड़का बोलकर उपहास उड़ाया जाता हो। जहां लड़कियों का मतलब वेश्या हो। जहां भाई अपनी बहन के लिए ग्राहक खोजता हो। जहां माता अपनी पुत्री के लिए ग्राहक खोजती हो। जहां बच्चों को अपने वास्तविक पिता के बारे में पता नहीं चलता हो, उनकी माताएं जिस पुरुष के साथ रहना शुरू कर देतीं हों उसी का नाम पिता के रूप में मान लिया जाता हो। सैकड़ों वर्षों तक परंपरा में वेश्यावृत्ति करने के लिए विवश रहने के बावजूद आर्थिक स्थिति मिट्टी व फूस की झोपड़ियों से ऊपर न उठने दी गई हो।
अब कल्पना कीजिए इस गांव का एक युवा नीलकमल के जीवन पर्यंत संघर्ष व परिस्थितियों की। नीलकमल के जज्बे की जिसके कारण वह ऐसी परिस्थितयों में लगातार संघर्ष करते हुए अपने गांव व क्षेत्र के अन्य गांवों में शिक्षा, सूचना के अधिकार, स्थानीय स्वशासन, ग्रामीण विकास व दलित उत्थान के लिए काम कर पाया।
जब मैं नीलकमल से मिला था तब वह एक भावुक, अपने समाज की परिस्थितियों के परिवर्तन के सपने देखने वाला और उन सपनों के लिए कोई भी संघर्ष करने वाला युवक था। ऐसी परिस्थितियों से निकले युवक की तार्किकता व बौद्धिकता को देखकर मुझे अचंभा होता था।
नीलकमल बड़े नाम वाली एक समाज सेवी संस्था से जुड़े, सोचते थे कि कुछ सीखने को मिलेगा। रात-दिन बहुतेरे गांवों में काम किए संस्था के लिए संगठन खड़ा किया। कुछ वर्ष बाद नीलकमल को एहसास हुआ कि उसका गांव, उसका समाज और वह खुद वहीं का वहीं खड़ा है। नीलकमल ने निर्णय लिया कि सबसे पहले वह अपने परिवार व बच्चों को अपने गांव के माहौल से बाहर निकालेगा। नीलकमल ने संस्था से अपना नाता तोड़ा।
जैसा कि अधिकतर प्रतिष्ठित भारतीय सामाजिक संस्थाओं का चरित्र होता है कि जब भी जमीनी काम करने वाले लोग संस्थाओं से अलग होते हैं, जिनके पास संस्थाओं की पर्याप्त जानकारियां होती हैं, जिन्होंने वर्षों तक अपना खून-पसीना संस्थाओं के लिए लगाया होता है, जिनके कथन से संस्थाओं के संचालकों की प्रतिष्ठा को क्षति पहुंच सकती है, ऐसे लोगों के ऊपर घटिया आरोप लगाए जाते हैं ताकि संस्थाओं के संचालकों का चरित्र बेदाग व आदर्श साबित किया जा सके, प्रतिष्ठा अक्षुण्ण बनाई रखी जा सके, वैसा ही नीलकमल के साथ भी हुआ।
ऐसे उतार चढ़ावों को झेलते हुए संस्था से असंबद्ध होकर नीलकमल ने सौर ऊर्जा का व्यवसाय धीरे-धीरे स्थापित किया, व्यवसाय़ से लाभ कमाकर शहर में सुविधा संपन्न घर बनाया। गांव के युवाओं को प्रेरित किया कि वे भी अपना जीवन स्तर सुधारें। नीलकमल अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दे रहा है और कोशिश करता है कि अगली पीढ़ियों की बच्चियां वेश्याएं न बनें।
नीलकमल मुझसे भावुक होकर कहते हैं कि यदि आपने गांवों में सौर ऊर्जा के प्रयास नहीं किए होते, यदि आपने मेरे गांव में आकर सौर ऊर्जा के प्रयोग के लिए वेश्याओं के साथ मीटिंग्स नहीं कीं होतीं तो सौर ऊर्जा का व्यवसाय करने का विचार नहीं आ पाता। नीलकमल का मानना है कि सौर ऊर्जा के व्यवसाय ने सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त करने, आर्थिक लाभ अर्जित करने व सामाजिक विकास की सोच को जीवित रख पाने में लगातार मदद की।
नीलकमल नें अपने गांव के कुछ युवाओं के साथ मिलकर अपने गांव में लगभग पंद्रह वर्ष पूर्व एक टुटही झोपड़ी में अनौपचारिक शिक्षा केंद्र शुरू किया था। इस शिक्षा केंद्र को नीलकमल जिस सामाजिक संस्था में काम करते थे उस संस्था से भी कुछ सहयोग प्राप्त हुआ। आगे के समय में नीलकमल व साथियों ने संघर्ष करके शिक्षा केंद्र को सरकारी विद्यालय के रूप में मान्यता दिलवाकर गांव में विद्यालय होने रूपी एक सपना पूरा कर लिया।
नीलकमल आजकल दलित बच्चों को वेद पढ़ाने वाले गुरुकुल की योजना में भी लगे हुए हैं। नीलकमल की इच्छा है कि ब्राह्मणों और दलितों के बच्चे गुरुकुल में एक साथ वेदों का अध्ययन करें। नीलकमल कहते हैं कि जाति व्यवस्था भारतीय समाज का सबसे बड़ा व सबसे गहरा कलंक है।
लगभग पंद्रह वर्ष पहले मैं पहली बार इस गांव में पहुंचा। गांव के प्रगतिशील सोच के जागरूक युवा नीलकमल व अन्य युवाओं से मेरी मित्रता हुई। नीलकमल के अंदर अपने गांव व गांव की आने वाली पीढ़ियों को वेश्यावृत्ति की परंपरा से बाहर निकलने की छटपटाहट थी। नीलकमल पढ़ लिखकर अपने दलित समाज को शोषण मुक्त कराने का सपना पूरा करना चाहता था।
नीलकमल व दूसरे युवाओं के कारण मेरा रिश्ता इस गांव से जुड़ गया और मैं इस गांव में बहुत बार गया। गर्मियों में उनके घर की छत में सोता था और सर्दियों में छप्पर के नीचे। बरसात में छप्पर चूता था तो रात भर पानी से बचने का जुगाड़ करते हुए सोने का प्रयास करते थे। मैं उन दिनों प्रतिदिन औसतन तीस से चालीस किलोमीटर साइकिल चलाता था, गांव-गांव लोगों से संवाद करता, चूल्हे बनाता, सौर ऊर्जा की चर्चा करता, गरीबों के लिए राहत के काम आदि करता था। दिन भर थकने के बाद कभी कभार जब नीलकमल के साथ इनके गांव पहुंचता था तो झोपड़ी में महल का और साधारण दाल व रोटी में छप्पन भोग का आनंद मिलता था।
एक बार क्षेत्र के ही एक गांव में आग लगी। लगभग आधा गांव तबाह हो गया था। हम लोग गांव-गांव राहत मांगते भटक रहे थे। वेश्याओं के गांव में राहत के लिए कोई जाने को तैयार नहीं था। लेकिन मैं गया और हर एक घर में जाकर आग लगने से क्षतिग्रस्त हुए गांव के बारे में बताया और सहयोग मांगा। दलित वेश्याओं से इस प्रकार सहयोग मांगने वाला मैं अपवाद था।
शायद मैं पहला मनुष्य था जो उनके गांव का न होते हुए भी उनसे एक ऐसे गांव के लिए सहयोग मांग रहा था जो दलितों का नहीं था। ऊंची जाति वाले जातिगत शुचिता वाले भारतीय समाज के लोगों के लिए दलित वेश्या महिलाओं से सहयोग मांगना ….। कुछ वेश्याएं तो ऐसी थीं जिन्होंने कहा कि अभी पैसे नहीं हैं, ग्राहक आने वाले हैं, उनको निपटाने के बाद जो पैसा मिलेगा, राहत कार्य के लिए सहयोग के रूप में देगीं। मैंने उनके इस सहयोग को सबसे पवित्र सहयोग माना और बहुत ही श्रद्धा भाव से लिया।
इस गांव में लोग महिलाओं के साथ यौन अय्याशी करने के लिए उनके शरीर का शोषक या ग्राहक बनकर जाते है। मैं इस गांव की महिलाओं का भाई बन कर गया। आज तक मैं इस रिश्ते को मानता हूँ। इस गांव ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है। मैं अपनी यादों के माध्यम से इस गांव, नीलकमल व अन्य मित्रों को नमन करता हूँ।
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सादर प्रणाम
विवेक 'नोमेड'
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Comments
प्रवाह जी हरगोविन्द
प्रवाह जी हरगोविन्द आँखों में आंसू आ गए ! नमन है आपको और नीलकमल भाई एवम् वेश्या बहनो का भी..........
सुनील कुमार
सुनील कुमार संघर्ष के बिना सफलता नहीं !
बहुत तथ्यपरक पोस्ट !
Shriraj Koli
Shriraj Koli ashrudhara bahne se nhi rok saka khud ko aapki post padh kar..Naman aap sabhi ko..
Lokendra Dhangar
Lokendra Dhangar नमन हो आपको
Atul Pathak
Atul Pathak दादा उस गांव को देखने की इच्छा हो रही, जीवन को समझ पाना बहुत मुश्किल है, याहां हर इन्शान ने जीवन को अलग अलग रूप में देखा है
Edison Singh
Edison Singh गाँव का नाम बताये भाई साहब....मै तो बहुत पास हू जा कर इस संघर्ष की कहानी देख सकता हू।
Umrao Vivek
Umrao Vivek हम और आप चलेंगें एक साथ निमेष भी चलेंगें जहां गुरुकुल की योजना है Edison Singh भाई
Edison Singh
Edison Singh इंतजार रहेगा आपके बुलावे का भाई साहब
Bhanwar Meghwanshi
डॉ. मुकेश कुमार
डॉ. मुकेश कुमार उच्च आदर्श युक्त जज्बे को सलाम...
ब्रजभूषण प्रसाद सिन्हा
ब्रजभूषण प्रसाद सिन्हा नमन है आपके प्रयास को
Amir K Malik
Amir K Malik A BIG SALUTE FOR NEELKAMAL & ....... U Nomad's Hermitage !
Rahul Kumar Rai
Rahul Kumar Rai सराहनीय प्रयास!
Gouri Gupta
Gouri Gupta Heart touching
Bhagat Singh
Bhagat Singh Bhai ji mai bhi aspke sath hoon. Jab jab time hoga mai aapke liye hazir rahunga.
Riaz Ahmed
Riaz Ahmed Keepit up Good job
Abhimanyu Bhai
Abhimanyu Bhai बडी गहरी सोच और वेदनाओ से भरी यादे ---विवेक गांव व ग्राम पंचायत का नाम क्य है किस ब्लाक मे आता है --हमे लगता है कि आप की याद को लेकर पुनः गांव हमे भी जाना चाहिये --कई सरकारे गई --और विकास के नये आयाम आये सायद वहा मानवता के कूछ बीज आये हो ---
Balmukund Dwivedi
Balmukund Dwivedi अकथ्य एवं मूक बना दिया आपने इस गाँव और गाँव के नीलकमल का वर्णन कर |डीजीटल युग में रहकर हम ऐसे समाज की कल्पना कैसे कर सकते हैं ?
Rakesh Prasad
Rakesh Prasad भारतीय संस्कृति की झलक।धन्यवाद।
Ajeet Sachan
Ajeet Sachan Sreemaan gain ka map location share kariye.... Aur agar aapati naa ho to gain ka naam bhee... Dekhna chahta hoon Ki up kee rajdhani se kitnaa door hai.
Ravi Singh
Ravi Singh sarahniya nahi bahut bahut achcha prayas, goooooooooood
Ravi Singh
Umrao Vivek
Umrao Vivek Edison Singh भाई
नीलकमल संदीप पांडे के आश्रम में नहीं रहते
जमाना हुआ वह आश्रम बंद हो चुका है ...See More
Arun Singh
Arun Singh wah, aise jajbe ko salaamSee Translation
Saksham Patel
Saksham Patel Apke prayas sabhi ke hit ke hote hai apke prayas hamesha pure ho
Bhawesh K Sudhanshu
Bhawesh K Sudhanshu धन्यवाद ;
एक बार फिर
Anuradha Mall
Anuradha Mall Achha hota agar ved padhane ke bajay unhe aadhunik siksha uplBdh Kari jaati
Mukesh Pawar
Mukesh Pawar Bahut hi goranvit kar Dene wali baat sunai sir aapne....Dil bahut bhavuk bhi ho gaya tatha dil gad gad bhi ho gaya
Vikas Sharma
Vikas Sharma अभी पैसे नही है ............
मैंने उनके सहयोग को सबसे पवित्र सहयोग माना ।
निःशब्द ।।

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