बुधवार, 7 सितंबर 2011

रेड्डी बंधु : साइकिल से सोने के सिंहासन तक

Written by संजय स्‍वदेश Category: सियासत-ताकत-राजकाज-देश-प्रदेश-दुनिया-समाज-सरोकार Published on 06 September 2011
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खनन के काले कारोबार से कर्नाटक में सामानांतर सरकार चलाने की कुबत रखने वाले रेड्डी बंधुओं के पापा का घड़ा आखिर भर ही आया। सीबीआई ने इन पर नकेल कसकर फिलहाल 14 दिन तक न्यायिक हिरासत में डाल ही दिया। क्या कभी आपने सोचा होगा कि रेड्डी बंधुओं की ताकत का राज क्या रहा है, जिसके कारण पिछल्ले कई वर्षों से चल रहे उनकी अवैध सामराज्य का कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ पा रहा था। आइये दिखते हैं साइकिल से चलने वाले मामूली आदमी के सोने के सिहांसान तक सफर की झलक।
राजा की तरह ठाठ : लौह अयस्क खनन में अनियतिताओं को लेकर सालों से सुर्खियां बटोर रहे कर्नाटक में मंत्री, बेल्लारी के मशहूर रेड्डी बंधुओं के ठाठ-बाट बिल्कुल राजा-महाराजाओं सरीखे है। बेल्लारी में अवैध खनन के मामले में रेड्डी के घर सोमवार को छापे के दौरान 1.5 करोड़ रुपए नकद बरामद होने की बात सीबीआई कह रही है। कर्नाटक लोकायुक्त को अपनी संपत्तियों का ब्यौरा देते हुए रेड्डी ने सबको चौंका दिया था। रेड्डी को सोने का काफी शौक है। तभी इनकी कुर्सी से लेकर बेल्ट तक सोने से बने हुए हैं। जनार्दन रेड्डी जिस सोने की कुर्सी पर बैठते हैं उसकी कीमत 2.2 करोड़ रुपए है। और इनके द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सोने के बेल्ट की कीमत 13.15 लाख रुपए है। रेड्डी के घर में मौजूद सोने की थाली, कटोरी, चम्मच और चाकू जैसी चीजों की कुल कीमत 2.87 लाख रुपए है।

जनार्दन रेड्डी के पिता एक सिपाही थे और जनार्दन कभी साइकिल पर अपने कस्बे में घूमा करते थे। रेड्डी ने 21 साल की उम्र में अपनी कंपनी इनोबल इंडिया सेविंग्स एंड इंवेस्टमेंट कंपनी लि. शुरु की थी। यह कंपनी चली नहीं और कुछ सालों बाद बंद हो गई। उस समय लोहे के अयस्क यानी आयरन ओर का व्यवसाय शुरु किया। इस धंधे ने उन्हें और कर्नाटक के छोटे से कस्बे बेल्लारी का नाम पूरे भारत में फैला दिया।

20 जून 2010 को रेड्डी ने खुद लोकायुक्त के सामने पेश गए दस्तावेज में जो जानकारी दी, उसके मुताबिक रेड्डी के ने तीन पन्नों पर सिर्फ अपनी ज्वेलरी के बारे में जानकारी दी है जिनकी कीमत करोड़ों में है। उनके पास सोने की चूडियां, कीमती रत्न, सोने के पेंडेंट, नेकलेस, ईयररिंग्स, पुरुषों की ज्वेलरी, अंगूठियां, सोने की दूसरी चीजें और भगवान की सोने की मूर्तियां शामिल हैं। इसके अलावा लाखों की कीमत की चांदी की सजावटी वस्तुएं, पूजा-पाठ करने की सामग्री आदि भी उनके पास है। घर की दूसरी जरुरी चीजें जैसे- एयरकंडीशनर, फर्नीचर और टीवी वगैरह की कीमत भी लाखों में है। कृषि भूमि, बिल्डिंग्स और पैतृक संपत्ति को छोड़ जनार्दन रेड्डी के पास करीब 153.49 करोड़ की संपत्ति है। रेड्डी ने अपने बिजनेस से करीब 31.54 करोड़ रुपये की सेलरी पाने की भी बात लिखी थी।

मित्तल को भी पीछे छोड़ा : दुनिया की सबसे बड़ी इस्पात निमार्ता कंपनी आर्सेलर मित्तल लिमिटेड भी रेड्डी बंधुओं के आगे बौनी है। बहुत ज्यादा दिन नहीं हुए जब आर्सेलर मित्तल ने 30,000 करोड़ रुपये के निवेश वाले समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किया तो रेड्डी बंधुओं की ब्राह्मणी इंडस्ट्रीज कर्नाटक लिमिटेड ने 36,000 करोड़ रुपए के निवेश संबंधी प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किया। खनन सम्राट के नाम से मशहूर रेड्डी बंधुओं के दबदबे का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आर्सेलर मित्तल समेत अन्य कई कंपनियों ने बेल्लारी जिले को ही अपनी परियोजना के लिए प्रमुख स्थल के रूप में चुना।

215 करोड़ देश के बाहर! : रेड्डी बंधुओं का पैसा देश के बाहर गया है। कर्नाटक के लोकायुक्त संतोष हेगड़े की रिपोर्ट में इसका जिक्र किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के अधिकारी हवाला कारोबार में लिप्त हैं और उन्होंने ही रेड्डी बंधुओं का पैसा विदेशी बैंकों में पहुंचाया है। लोकायुक्त की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि रेड्डी बंधुओं और करीबी बी श्रीरामुलु के 215 करोड़ रुपए देश से बाहर गए हैं। कर्नाटक के लोकायुक्त की टीम में शामिल जांच अधिकारी यूवी सिंह के मुताबिक रेड्डी बंधुओं ने अपनी कंपनी ओबुलापुरम माइनिंग कंपनी (ओएमसी) के जरिए कथित रूप से पैसा विदेशी बैंकों में जमा कराया है। सिंह के मुताबिक इस के पुख्ता सबूत हैं। रिपोर्ट के मुताबिक ओएमसी ने सिंगापुर की कंपनी जीएलए ट्रेटिंग कंनपी इंटरनेशनल को 20 कंसाइनमेंट भेजे जबकि उनका ज्यादातर व्यापार चीन के साथ होता है। अधिकारियों के मुताबिक जीएलए ने 30 नवंबर 2007 को जी जर्नादन रेड्डी को अपना निदेशक बताया है। जीएलए के सिंगापुर, दुबई और ब्रिटिश वर्जिन आईसलैंड में कार्यालय हैं। इन तीनों जगहों को टैक्स हेवन माना जाता है।

चलती रही है समानांतर सरकार : कर्नाटक में रेड्डी बंधुओं की समानांतर सरकार चलती रही है। येदियुरप्पा सरकार में तो रेड्डी बंधुओं के दबाव में येदियुरप्पा तक को झुकना पड़ा था और उन्हें शोभा करंदलजे को मंत्रिमंडल से हटाना पड़ा था। शोभा येदियुरप्पा की करीबी मानी जाती थी।

35 लाख टन लौह अयस्क के मायने : कर्नाटक के लोकायुक्त संतोष हेगड़े ने पिछले कुछ माह से इन दोनों भाइयों के खिलाफ जांच की और पाया कि बिलिकेरे बंदरगाह से 35 लाख टन का लौह अयस्क गायब कर दिया गया है। यह कम आश्चर्य की बात नहीं थी कि 35 लाख टन का लौह अयस्क कैसे गायब हो सकता है? लेकिन ऐसा हुआ है। बहुत कम लोग अपनी बुद्धि से यह समझ पाएंगे कि 35 लाख टन लौह अयस्क के मायने क्या हैं। न्यूयॉर्क की प्रसिद्ध एम्पायर स्टेट बिल्डिंग का वजन अंदाजन साढ़े तीन लाख टन होगा, दूसरे शब्दों में कहें तो रेड्डी बंधुओं ने लगभग दस एम्पायर स्टेट बिल्डिंग को हवा में गायब कर दिया है। आज की तारीख में लौह अयस्क की अंतरराष्‍ट्रीय कीमत लगभग 145 डालर प्रति टन है, यदि इसे हम 130 डालर भी मान लें और इसमें से 30 डालर प्रति टन ट्रांसपोर्टेशन और अन्य खर्चों के तौर पर घटा भी दें तब भी 35 लाख टन के 100 डालर प्रति टन के हिसाब से कितना हुआ?

इनके सामने बच्चे हैं दूसरे घोटालेबाज : विधानसभा में मुख्यमंत्री येद्दियुरप्पा ने लिखित में स्वीकार किया है कि सन 2007 में (जब भाजपा सत्ता में नहीं थी) 47 लाख टन लौह अयस्क का अवैध खनन और तस्करी हो चुकी है। इस तरह के कारनामों को सहज ही अंजाम देने की ताकत रेड्डी बंधुओं में रही है। इस ताकत के आगे तो दूसरे तमाम घोटालेबाज नेता बच्चे हैं। अथाह पैसे के कारण रेड्डी बंधुओं की जेब में कई विधायक हैं जो जब चाहे सरकार गिरा देंगे। इसलिए इन लोगों का कुछ भी बिगड़ता नहीं दिख रहा है।

एक ईमानदार अफसर ने दर्ज की थी केस : मामले की शुरुआत तब हुई, जब एक और ईमानदार फॉरेस्ट अफसर आर गोकुल ने कर्नाटक के बिलिकेरे बंदरगाह पर 8 लाख टन का लौह अयस्क अवैध रुप से पड़ा हुआ देखा। उन्होंने तत्काल विभिन्न कंपनियों और रेड्डी बंधुओं पर केस दर्ज कर दिया। नतीजतन, जैसे 35 लाख टन लौह अयस्क गायब हुआ, आर गोकुल को भी दफ्तर से गायब कर दिया गया। सूत्र कहते हैं कि उन्हें गायब किया रेड्डी बंधुओं के खास व्यक्ति यानी पर्यावरण मंत्री जे कृष्णा पालेमर ने। इस मंत्री ने उस ईमानदार अधिकारी को निलंबित कर दिया।

लोकायुक्त ने कसी नकेल : लोकायुक्त संतोष हेगड़े हमेशा ईमानदार अधिकारियों का पक्ष लेते रहे हैं। उन्होंने मामले में दखल दिया और कर्नाटक सरकार को रेड्डी बंधुओं पर नकेल कसने को कहा। अब भला येद्दियुरप्पा की क्या हिम्मत कि वे रेड्डी बंधुओं के खिलाफ कुछ कर सकें, उन्होंने मामले को लटकाना शुरू कर दिया। खुद येद्दियुरप्पा भले ही कितने भी ईमानदार हों, रेड्डी बंधुओं के दबाव में उन्हें उनके मनचाहे मंत्री और अफसर रखने/हटाने पड़ते थे। पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान मुख्यमंत्री को पता है कि जिस दिन रेड्डी बंधुओं का बाल भी बांका हुआ, उसी दिन कर्नाटक सरकार गिर जाएगी, जैसे रेड्डी बंधुओं से पंगा लेने पर कुमार स्वामी की सरकार गिर गई थी। बार-बार आग्रह करने के बावजूद जब कर्नाटक सरकार ने हेगड़े की बातों और सुझावों पर अमल नहीं किया तो हताश और निराश हेगड़े ने लोकायुक्त पद से त्यागपत्र दे दिया। लोकायुक्त के त्यागपत्र से राज्य की राजनीति में फिर हलचल आई। कांग्रेस-जद (एस) को मुद्दा मिला  और उन्होंने विधानसभा में धरना दे दिया। जस्टिस हेगड़े ने मुख्यत: इस बात की ओर ध्यान आकर्षित करवाया कि समुद्र तट से मीलों दूर अवैध खदानों में अवैध खनन हो रहा है। खदान से बंदरगाह तक पहुंचने के बीच कम से कम 7 जगह प्रमुख चेक पोस्ट आती हैं, लेकिन किसी भी चेक पोस्ट पर लौह अयस्क ले जा रहे एक भी ट्रक की एंट्री नहीं है, ऐसा तभी संभव है जब पूरी की पूरी मशीनरी भ्रष्टाचार में सनी हुई हो। जस्टिस हेगड़े ने अपने बयान में कहा है कि 35 लाख टन अयस्क की तस्करी रातों रात होना संभव ही नहीं है, यह पिछले कई वर्षों से जारी रही है।

सरकार ने कहा, कानून अपना काम करेगा : खनन कारोबारी और भाजपा के पूर्व मंत्री जी जनार्दन रेड्डी और उनके साले को कर्नाटक में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किये जाने के बीच सरकार ने कहा कि इस मामले में कानून अपना काम करेगा। संसदीय कार्य राज्यमंत्री राजीव शुक्ला ने कहा, आप सभी जानते हैं कि सरकार सीबीआई के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करती है। सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है और वह अपनी जांच के अनुरूप आगे बढ़ रही होगी। शुक्ला ने कहा कि जहां तक बेल्लारी बंधुओं का सवाल है, कानून अपना काम करेगा।

तब आएं चर्चा में जब 800 हीरों से जड़ा मुकुट चढ़ाया : रेड्डी बंधुओं ने श्रीकलाहस्ती मंदिर में 800 हीरों से जड़ा एक मुकुट (वज्र किरीटम) और स्वर्ण जड़ित एक साड़ी (बंगारु चीर) चढ़ाई तो इस खबर को पढ़ने-सुनने वालों के लिए आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। उस चढ़ावे की कीमत लोग 10 से 15 करोड़ रुपये के बीच लगा रहे थे। बताया कि गया 800 हीरे जुड़ित मुकुट को दक्षिण अफ्रीका से बनवाकर लाया गया था। इसके अलावा गहने में लगभग 13 किलो सोने का इस्तेमाल हुआ बताया गया था। तब रेड्डी बंधुओं ने बताया था कि उन्होंने श्रद्धा से वशीभूत होकर यह भेंट चढ़ाई है। कीमत पूछने पर कहा था कि श्रद्धा की कीमत पैसे में नहीं लगाई जा सकती है। वर्ष 2009 में भी रेड्डी बंधुओं ने तिरुपति के भगवान वेंकटेश्वर मंदिर में हीरे जड़ित मुकुट चढ़ाई थी, जिसकी कीमत 45 करोड़ रुपये में आंकी गई थी।

ये है जलवा

2 करोड़ 20 लाख की सोने की कुर्सी पर बैठते हैं।
2 करोड़ 58 लाख कीमत की भगवान की प्रतिमा
13 लाख 15 हजार का बेल्ट पहनते हैं
उड़ने के लिए चार हेलिकॉप्टर
खाने के लिए 21 लाख का वर्तन
31 लाख की मासिक वेतन
215 करोड़ विदेशों में जमा
लेखक संजय स्‍वदेश प‍त्रकारिता से जुड़े हुए हैं

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