सोमवार, 19 सितंबर 2011

जनता कंगाल और नेता मालामाल/ / यही है मनजी (mms) का कमाल

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मनमोहन सरकार की शानदार आर्थिक  नीतियों का कमाल
सुरेश  शर्मा
सरकार ने एक बार फिर आम आदमी पर दोहरा शिकंजा कस दिया है I  पेट्रोल के दाम 3 .14  रुपये बढ़ा कर जहाँ सरकार ने मंहगाई को हवा दी है वहीँ ब्याज दरों में वृद्धि से उद्योग – व्यापार जगत के साथ मध्य वर्ग का भी कचूमर निकल दिया है l पिछली बार लगभग 4 माह पूर्व पेट्रोल के दाम एक मुश्त 5 रुपये लीटर बढ़ाते समय सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में तेल मूल्यों में बढ़त का बहाना बनाया था तो इस बार रुपये की कमजोरी बता कर जनता का गला काट दिया गया l जिन लोगों ने वाहन या मकान के लिए बैंक क़र्ज़ लिया हुआ है उनकी हालत बढती ब्याज दरों ने पिछले दो सालों में खोखली कर दी है और रोज़मर्रा के इस्तेमाल की वस्तुओं तथा खाने-पीने की चीज़ों की निरंतर मंहगाई से आम आदमी का जीना हराम हो गया है l 2009 की तुलना में दूध,सब्जी,चीनी,पिसे मसाले ,अनाज तथा चावल-दालों के भावों में 35 से 40 फीसदी की वृद्धि से जहाँ जनता के लिए मुश्किलें हो रही है वहीँ सरकार के मंत्रियों की संपत्ति में जबरदस्त वृद्धि हुई है,यह सरकार की चमत्कारी आर्थिक नीतियों का ही परिणाम है l
पेट्रोल मूल्य वृद्धि से रोज़मर्रा की जरूरतों के सामानों के मूल्यों में भी वृद्धि होगी ही l हमारी लोकप्रिय सरकार आम जनता के लिए एक वर्ष में 6 रसोई गैस सिलेंडर का कोटा फिक्स करने की भी योजना बना रही है l कितनी  मूर्खता पूर्ण सोच है सत्ताधारियों की यानि ये अपने देश की संयुक्त परिवार प्रथा तक को भुला बैठे l कुछ नहीं मेरा मत है की सरकार आम जन को विद्रोह के लिए भड़का रही है और अपनी करनी से इतना त्रस्त कर देना चाहती है की आम जन सड़क पर उतर कर बगावत करने को मजबूर हो l
यहाँ यह कहना अप्रासंगिक नहीं होगा कि अन्ना के आन्दोलन की सफलता का राज आम जन का सरकार के प्रति विरोध था जो सड़कों पर उबाल की शक्ल ले रहा था i यदि आम जन के हित की नीतियों की और सरकार ने सोचा होता तो क्या इतनी जनता को अपने साथ जोड़ने में अन्ना कामयाब होते ? वस्तुतः अन्ना को शायद आगे आना ही नहीं पड़ता l
यह सब राजनैतिक दूरदर्शिता का आभाव है l सरकार चला रहे लोग लोगों के दिमाग से राजनैतिक वंश वाद को खत्म करना चाहते है और इसी योजना के तहत वे गाँधी परिवार की इतनी अधिक दुर्गति कर देंगे कि इनके नाम से वोट मिलना तो दूर नाम सुनना भी पसंद नहीं करेंगे l सोनिया गाँधी भारतीय राजनीति के माहौल को संभवतः अभी तक समझ नहीं पाई है l राहुल जैसे युवा संसद में लिखा हुआ भाषण पढ़ते है अतः यहाँ भी अधिक उम्मीद का वातावरण बनता नहीं दिखाई देता i जो कुछ सरकार कर रही है उसका परिणाम आम जन को भोगना ही होगा परन्तु अब यह अवश्य कहा जाना चाहिए कि कोंग्रेस का हाथ अपने मंत्रियों और उद्योगपतियों के साथ

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