एमसीडी के सबसे करप्ट डिपार्टमेंट fl deptt
दिल्ली
नगर निगम के सबसे करप्ट डिपार्टमेंटों में शुमार फैक्टरी लाईसेंसिंग
डिपार्टमेंट में अब काम के मुहाबरे के साथ ही साथ विभाग का चाल चलन और
चरित्र ही बदल गया है। एफएल डिपार्टमेंट को आमतौर पर मनी मशीन की तरह देखा
जाता रहा है। मगर एडीशनल कमीश्नर जनक दिग्गल द्वारा पूरे डिपार्टमेंट रो ही
फेरबदल करके इसको सुधारने का साहस किया था।मगर करप्ट डिपार्टमेंट में आए
इंस्पेंक्टरों की नयी फौज ने तो करप्शन और रिश्वत के खेल में पूरे विभाग को
ही (पकड़ो) फांसो (जमकर) लूटो डिपार्टमेंट में तब्दील कर दिया है।
आला
अधिकारियों को पटाकर और हर महीने मोटी रकम पहुंचाने की शर्तो पर ही यहां
के इंस्पेक्टरों और बड़े अधिकारियों को मनमानी करने की खुली छूट मिलती है.
इंस्पेक्टर राज को खत्म करने का दुसाहस करके एडीशनल कमीश्नर जनक दिग्गल ने
एकाएक निगमायुक्त की मर्जी के खिलाफ जाकर सारे इंस्पेक्टरों को क ही झटके
में बदल डाला। दिगगल के फैसले से तो एकबारगी तो ऐसा लगा मानो एमसीडी के इस
सबसे करप्ट फैक्टरी लाईसेंसिंग डिपार्टमेंट का चाल चलन चरित्र के साथ साथ
चेहरा ही बदलकर दम लेंगे। मगर, वैसा कुछ हुआ नहीं.। दिग्गल ने अलग अलग
डिपार्टमेंट से लोगो को लाया और लगातार निगरानी करके हालात को बेहतर बनाने
की कोशिश की। मगर विभाग में हमेशा की तरह करप्ट अधिकारियों को प्रमोट करने
की परंपरा के तहत ही करप्ट इंस्पेक्टरों को संरक्षण देने के लिए बदनाम हो
चुकी अलका शर्मा को निगमायुक्त ने डीसी बनाकर ईनाम देकर नवाजा। यह
डिपार्टमेंट है ही इतना लुभावना और मालदार की जाने के नाम पर ही अधिकारियों
के आंसू बाहर आने लगते है। रमेश बग्गा एव पूर्व एओ गुप्ता बदनाम होने के
बावजूद फिर से यहां वापस, लौटने के सारे हथकंड़ों को आजमाया।
करप्शन
का यह आलम है कि नौकरी के दौरान अपने पिता की मौत के बाद करूणामूलक आधार
पर नौकरी पाने वाले अनिल कुमार का खेल तो तमाम नियम कानूनों को धत्ता कर
दिया। आला अधिकारियों को पटाकर अनिल कुमार को यमुना पार में एक इंस्पेक्टर
के रहते हुए भी इंस्पेक्टर बनाकर भेजा दिया गया। जनक दिग्गल के कोप से कोई
भी इंस्पेक्टर नहीं बता, मगर अनिल कुमार इंस्पेक्टर से हटे जाने के बाद भी
इसी विभाग में जमा मलाई चाटने में लगा है। हैरानी की बहात है कि अमूमन पांच
साल के बाद सबों को स्थानांतरितकिया जाता है, मगर तबादलों की आंधी के बाद
भी दिवगंत पिता की नौकरी से मलाई खाने में लगा है।
हां तो बात हो रही थी इस विभाग क फैक्टरी लाईसेंसिंग डिपार्टमेंट के नए मुहावरे यानी (पकड़ो) फांसो (जमकर) लूटो डिपार्टमेंट
की
ख्याति की। तबादले की आंधी से घबरे नए इंस्पेक्टरों को शुरूआत के पहले दो
तीन माह तर तो घबराहट थी, मगर फैक्टरी लाईसेंसिंग डिपार्टमेंट के इलाके वार
दलालों ने नए इंस्पेक्टरों की जमकर मदद की और देखते ही देखते नए करप्ट
इंस्पेक्टरों की फौज ने तो पूराने सहकर्मियों की भी नाक कान काटकर शर्मसार
कर दिया। बड़े अधिकारियों के संरक्षण में पल रहे ये इंस्पेक्टर ने ते जमकर
लूयमार मचा रखी है। फैक्टरी मालिकों के सही काम होने में महीनों लग जा रहे
है, तो वही करप्ट तरीके से करप्शन की चासनी के बूते अवैध काम फटाफट हो जा
रहे है।
दलालों
को साथ मिलाकर दलालों की दलाली करने में लगे है। यमुनापार के देवेन्द्र
कुमार और वेस्ट दिल्ली के इजहार अहमद ने करप्शन का ठेका ले रखा है। इलाके
के अनुसार अपने सहकर्मी इंस्पेक्टर से गलत काम कराने और दलालों के बूते धन
सप्लाई करने औप कराने का प्लानर बन गए है. करप्शन के शतरंजी खेल में दोने
इंसपेक्टर अपने इलाके से ज्यादा दलालों के नामपर काम लाने के लिए जोर देते
है। इससे संबधित इंस्पेक्टर को कुर्सी पर बैठे बैठे ही काम और लक्ष्मी
दोनों मिल जा रही है. दलालो से दलाली खाने के इस खेल में ये दोनों
इंस्पेक्टरों की मोटी कमाई हो रही है। सभी इंस्पेक्टरों के नेता बनकर इजहार
और देवेन्द्र चांदी काट रहे है।
दलालों
की मदद से इन इंस्पेक्टरों के लूटो फांसो और काटो के इस गेम से इश
डिपार्टमेंट का रूतबा आसमान पर है। अलका शर्मा की जगह पर आई सीनियर अधिकारी
एस. भुल्लर के राज में भी इंस्पेक्टरों का खेल तेजी से जारी है तो फैक्टरी
ला0ईसेंसिंग डिपार्टमेंट के प्रशासनिक अधिकारी का पूरा रूतबा ही रसातल मे
चला गया है।
यहां
के एओ रामफल द्वारा इन बेलगाम में इंस्पेक्टरों पर लगाम लगाने के सारे
प्लान भी डूब से गए है। मालदार डिपार्टमेंट में होने के बाद भी इनका यहां
मन नहीं लग रहा है। यानी दलालों के इशारो पर काम कर रहे इंस्पेक्टरों से
विभाग की रही सही इमेज करप्ट फैक्टरी लाईसेंसिंग डिपार्टमेंट का बुरा हाल
है। माया की महिमा से कोई भी काम यहां नामुमकिन नहीं है। निगमायुक्त से
लेकर बीजेपी औप कांग्रेसी नेता भी खुल्लमखखुला (करपट मनी को सुरक्षित करने
में लगे है।
लक्ष्मी
की बरसात को देखकरप भी यहाम के अधिकारीमाया की महिमा में आकर अपनी आंखे
मूंद रखी है, जिससे मोस्ट करप्ट डिपार्टमेंट के रूप में बिख्यात एमसीडी के
अधिकारी भी शर्मसार होने की बजाय अपने हिस्से की चिंता में लगे है. यानी
सांप के बिल में कोई भी नेता नौकरशाह और यहां के ग्रमीम हाथ डाले और बिल
खोले तो कौन होगा पहले बताना काफी कठिन
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