नीतू सिंह
नई दिल्ली।। पुरानी दिल्ली की करीब 200 बिल्डिंगों पर खतरा मंडरा रहा है। इनमें से कई मकान सौ साल पुराने हैं। एमसीडी ने इन पर कोई कार्रवाई तो नहीं की , अलबत्ता कई ऐसी बिल्डिंगों के ऊपर भी दो - दो अतिरिक्त मंजिलें बन गईं जिनमें काफी पहले दरारें आ चुकी थीं।
नियम यह है कि एमसीडी को हर साल खतरनाक बिल्डिंगों का सर्वे कराकर इन्हें खाली कराने और मरम्मत के इंतजाम करने चाहिए , मगर स्टाफ की कमी के चलते 2008 के बाद कोई सर्वे नहीं किया गया। 2008 के सर्वे में पुरानी दिल्ली के 42 भवन खतरनाक पाए गए थे। एमसीडी के बिल्डिंग विभाग के अफसरों के मुताबिक पिछले तीन सालों के भीतर जर्जर भवनों के संबंध में आई 500 शिकायतों की जांच में 200 बिल्डिंगों को खतरनाक पाया गया था।
सर्वे के नाम पर इस साल एमसीडी ने मॉनसून की शुरुआत से पहले यमुना किनारे के 3000 घरों का सर्वे किया था , इनमें से करीब 35 खतरनाक पाई गई थीं , इनके खिलाफ नोटिस भी जारी किए गए थे , लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। खतरे से बेपरवाह लोग बिना अनुमति धड़ल्ले से मकानों की मंजिलें बढ़ाते जा रहे हैं और मोटे किराए पर दुकानें खुलवा रहे हैं।
1896 से 2004 तक कूचा महाजनी के मकान नंबर 1190 में रहने वाले गोपाल चौहान कहते हैं कि 2004 में हमारी बिल्डिंग में दरारें आ गई थीं , तभी हमने इसे खाली कर दिया था और एमसीडी में शिकायत भी की थी। सन् 2005 में हाई कोर्ट ने 1190 और इसके आसपास के दो और मकानों को गिराने का आदेश दिया था। 6 हफ्ते के भीतर मकान गिराने का आदेश था। इसका पालन तो हुआ नहीं , अब ढाई मंजिल की इस बिल्डिंग के ऊपर दो और फ्लोर बन गए हैं और उसमें कई दुकानें खुल चुकी हैं। यहां के बहुत सारे मकान इसी हालत में पहुंच चुके हैं।
एमसीडी वर्क्स कमिटी के अध्यक्ष जगदीश ममगईं कहते हैं कि पुरानी दिल्ली में व्यवसायीकरण बहुत तेजी से बढ़ रहा है। फिलहाल यहां 15-20 पर्सेंट एरिया ही रिहायश के लिए इस्तेमाल हो रहा है। जब तक कमर्शलाइजेशन नहीं रुकेगा , यहां कुछ नहीं हो सकता। सुधार के लिए यहां की होलसेल मार्केट को शिफ्ट किया जा सकता है
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