शुक्रवार, 23 दिसंबर 2011

बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे है घडौली के लोग



गौरवराज
एक्सप्रेश रिर्पोटर
23122011
नयी दिल्ली। मयूर विहार फेज तीन का वास्तविक नाम कोंडली घ़डौली फेज एक है। दिल्ली सीमांत पर आबाद दो गांवों के बीच डीडीए ने इस कालोनी को आबाद किया था. मयूर विहार फेज तीन के नाम से विख्यात इस कालोनी को सारे लोग जानते हैं, मगर गांव घडौली और कालोनी की पीड़ा से ज्यादातर  लोग अनजान है। सांसद विधायक से लेकर गांव घडौली में ही रहने वाले बहुजन समाज पार्टी के पार्षद संजय चौधरी और कोंड़ली के पार्षद हरीश कर्दम को भी अपने वोटरों के दुख की कोई चिंता नहीं है।
गौरतलब है कि 1975-77 के दौरान आपातकाल के समय राजधानी के पशुपालकों को संगठित तौर पर एक ही स्थान पर रहने की योजना के तहत 10 डेयरी कालोनी को बसाया गया था। इसी योजना के अनुसार गांक कोंडली, घडौली और गाजीपुर के बीच गाजीपुर डेयरी और घडौली डेयरी को बसाया गया था।  घडौली डेयरी में 2700 पशुपालकों को प्लाट दिए गए थे।शुरू के कुछ सालों तक तो यह डेयरी कालोनी सही ढंग से काम करती रही। डेयरी का धंधा परवान पर चढ़ा और खुशहाल तरीके से पशुओं के साथ डेयरी में लोग मस्त रहते थे। पानी की सप्लाई व्यवस्था नहीं होने के बाद भी मीठा और हरदम उपलब्ध भूजल से ही लोग आराम से रहते थे। सीमांत पर होने की वजह से सुबह से लेकर देर शाम तक काम करने के बाद लोग अपने घरों में सिमट जाते थे। इस डेयरी के आसपास डीडीए द्वारा 1985 के बाद एक आवासीय कालोनी बसाने की योजना बनी। दोनों गांवों से सैकड़ों किसानों की लगभग एक हजार एकड़ जमीन अधिग्रहित की गई। कोंडली घडौली फेज एक उर्फ मयूर विहार फेज तीन 1990 में पूरी कालोनी बनकर तैयार हो गई। जिसके बाद जैसे जैसे मयूर विहार फेज तीन का चेहरा संवरता गया, उसी तरह घडौली गांव और घडौली डेयरी की सूरत बिगड़ती चली गई। हालत यहां तक खराब हो गई कि पैसों की चमक दमक से यहां के लोगों ने अपने पारंपरिक पेशे को नमस्ते कहकर दूसरा पेशा अपना लिया।.. मयूर विहार फेज तीन की रौनक बढ़ने के साथ ही गांव और डेयरी कालोनी का चेहरा भी बदलने लगा, और देखते ही देखते नौबत यहां तक आ गई कि अदालत को डेयरी कालोनी को एक आवासीय कालोनी में तब्दील करने का फैसला सुनाना पड़ा। जिसके बाद हाउस टैक्स से लेकर सभी प्रकार के सरकारी टैक्स यहां के लोगों को अब देने पडते है। इसके बाद ज्यादातर पशुपालको ने अपने धंधे को बदल लिया और अवैध निर्माण और आबादी के प्रेशर के चलते लोगों ने अपने भूखंड़ों को बेचकर मोटी रकम प्राप्त की। और कल तक डेयरी कालोनी के रूप में पहचान रखने वाली यह घडौली डेयरी बस्ती अब एक आवासीय कालोनी बन गयी है।
नियोजित तरीके से आबाद होने के चलते मयूर विहार फेज तीन में सारी सुविधाएं है। जलापूर्ति के लिए दिल्ली जल बोर्ड ने सोनिया विहार जल संयत्र से, सीधे जोड़कर फेज तीन में गंगा जल की आपूर्ति कर दी, मगर अपने चारो तरफ वाटर पाईपों के जाल बिछे होने के बाद भी घडौली कालोनी में गंभीर जल संकट गहराया हुआ है। विधिवत पानी की सप्लाई व्यवस्था नहीं होने से ज्यादातर लोग हैंडपंप या समरर्सिबल पंप से भूजल पीने को मजबूर है। भूजल के लगातार दोहण से पानी पाताल में चला गया है, फिर भी लोग नमकीन खारा और बेस्वाद पानी पीने के लिए ही विवश है। पानी इतना दूषित और खराब हो चुका है कि यह इलाका पेट के रोग समेत हैजा कालरा बुखार और कई तरह की बीमारियों की चपेट में है। गांव कोंडली में प्रैक्टिस करने वाले होम्योपैथिक डाक्टर सुधीर तोमर का कहना है कि इन गांवों में लगभग हर आदमी पेट रोग से ग्रसित है।बच्चें पेट रोग से पीडित है, तो व्यस्क लोग पेट और पाचन की खराबी से होने वाली बीमारियों से त्रस्त है। डा. तोमर के अनुसार यहां की महिलओं के गर्भाधारण की भी दिक्कत होती है। मयूर विहार फेज तीन के डा. संजीव टंडन ने कहा कि ज्यादातर बच्चों को होने वाले तमाम बीमारियों का मूल कारण दूषित पेयजल है। मयूर विहार के ड़ा.मलिक के अनुसार दूषित जल के सेवन का असर तो शरीर पर फौरन दिखने लगता है , मगर साइलेंट किलर की तरह यहीं पानी पूरे शरीर को खोकला करती रहती है। शरीर कमजोर रोग ग्रस्त हो जाता है।
कांग्रेसी नेता ऋषिपाल चौधरी ने कहा कि बाहर से आए लोगों के प्रेशर और लोकल लोगों द्वारा ध्यान नहीं दिए जाने से ही हालात को काबू में नहीं रही। कांग्रेसी नेता ऋषिपाल चौधरी ने कहा कि हालात की गंभीरता का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि घडौली कालोनी में आज करीब 30 हजार लोग रहते है और आबादी के प्रेशर के साथ हर तरह की दिक्कतें भी है, जिस तरफ लोगों और नगर निगम का ध्यान नहीं जाता। सीवर व्यवस्था नहीं होने से यहां के प्रदूषण को ठीक से निकासी भी नहीं हो पाती। ऋषिपाल चौधरी ने नगर निगम को तमाम कुव्यवस्था के ले जिम्मेदार ठहराया। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश भाजपा जिला मयूर विहार मंत्री शिवनंदन भदौरिया ने स्थानीय बसपा पार्षद संजय चौधरी पर पूरे इलाके की उपेक्षा से हाल को बदहाल करने का आरोप लगाया। भदौरिया ने कहा कि पार्षद द्वारा इलाके के विकास और जनसमस्याओं को हल करने में कोई दिलचस्पी नहीं ली गई।प्रदेश भाजपा के कोंडली मंडल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष चौधरी किरणपाल सिंह ने कांग्रेसी सरकार पर इलाके की उपेक्षा का आरोप लगाया है। चौधरी किरणपाल ने पिछले तीन विधानसभा चुनाव में लगातार जीत हासिल करने वाले कांग्रेसी विधायक अंबरीश गौतम पर इलाके को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। चौधरी किरणपाल ने कहा कि दिल्ली विधानसभा के उपाध्यक्ष हो जाने के बाद भी कोंडली विधानसभा की सूरत बिगड़ती ही जा रही है। सरकारी उपेक्षा का आलम यह है कि त्रिलोकपुरी विधानसभा से तीन दफा विधायक रह चुके कांग्रेसी नेता चौ. ब्रह्रमपाल का निवास भी घडौली गांव में ही है। जहां पर उनका मिट्टी का घर आज आलीशान कोठी बन गया है, मगर गलियों नालियों का हाल पहले की तरह ही बेकार बना हुआ है।
बहरहाल सिर पर सवार नगर निगम चुनाव होने के चलते सभी दलों के नेता एक दूसरे पर आरोपों की बौछार करने में जुट गए है। मगर हकीकत में कोई भी यहां की हालत की सुध नहीं ले रहा है। जल बोर्ड द्वारा नियमित टैंकर भी नहीं भेजे जा रहे है। कभी कभीर दो एक टैंकर भेजकर सरकार अपने दायित्वों से मुंह चुरा रही है, जिससे गंभीर पेयजल संकट से त्रस्त इस इलाके की       हालत पर किसी नेता नौकरशाहों का ध्यान नहीं जा रहा है। सरकारी उपेक्षा का सबसे शर्मनाक पहलू तो यह है कि दिल्ली जल बोर्ड की अध्यक्ष मुख्यमंत्री शीला दीझित को भी यहां के लोगों की पीड़ा की सारी जानकारी है, इसके बाद भी डेयरी से आवसीय कालोनी में रहवे वालों की तकलीफों में कोई कमी नहीं है।

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