शुक्रवार, २३ दिसम्बर २०११
इंटरनेशनल दलित सभा 29 दिसंबर को दिल्ली में
लालू मुलायम और पासवान के साथ कांग्रेस ने हाथ मिलाएं
नयी दिल्ली। धन्य हो अन्ना हजारे का कि अन्ना के असर को कम करने के नाम पर कांग्रेस ने कुछ
झिझक और कुछ मजबूरी के साथ अपनी गोद में बैठा ही लिया है। अन्ना इम्पैक्ट
को कम करने के लिए इस तिकडी ने कांग्रेसी मोर्चा संभाल लिया है। इंटरनेशनल
दलित सम्मेलन का आयोजन करके लोक जनशक्ति पार्टी के सुप्रीमो रामविलास
पासवान ने अपनी सक्रियता का खुल्लम खुल्ला एलान कर दिया है। इस सम्मेलन का
महत्व तब और बढ़ जाता है जब इसका शुभारंभ प्रधानमंत्री ड़ा. मनमोहन सिंह ने
करना स्वीकार लिया है। 29 दिसंबर को दिल्ली के विज्ञान भवन में तीसरा एक
दिवसीय इंटरनेशनल दलित सम्मेलन होगा.। इससे पहले यही इंटरनेशनल सम्मेलन
दिल्ली और कनाडा में प्रायोजित हो चुका है, जहां पर पासवान ने खुद को पीएम
की तरह पेश किया था। मगर इस बार इस सम्मेलन का उद्घाटन करने की सहमति देकर
प्रधानमंत्री ने सबों को हैरान करने के साथ ही पासवान का पोलिटिकल तापमान
को भी गरमा दिया है।
पासवान
को खुश करने के कांग्रेसी प्रयास से भी बड़ा आश्चर्यजनक खेल तो लालू और
मुलायम ने कर दिया कि संसद में लोकपाल बिल के पेश होते ही लालू मलायम
पासवान की तिकड़ी अपने मुहिम में जुट गई। कांग्रेसी प्रवक्ता की तरह लालू
और मुलायम ने टीम अन्ना के प्रेशर को पंचर करने के लिए मीडिया के सामने
जमकर बोलना चालू कर दिया। अन्ना के खिलाफ जुबानी जंग करने वालों में तमाम
कांग्रेसी नेता इस बार खामोश हैं, जबकि लालू और मुलायम ने अन्ना के खिलाफ
हो गए है।
सूत्रो
के मुताबिक संसद में लोकपाल बिल पेश होने से पहले इस तिकड़ी की सोनिया के
सिपहसालारों की कई गुप्त बैठकें हुई। जिसमें टीम अन्ना के प्रेशर को कम
करने का जिम्मा इनलोगों पर डाला गया है। वहीं अबतक खामोश रही कांग्रेस
सुप्रीमों को एकाएक आक्रामक तरीके से टीम अन्ना के खिलाफ जोरदार हमला करने
की रणनीति बनी। इसी के तहत ही लोकपाल बिल के पेश होते ही सारे लोग अपने काम
को अंजाम दे रहे है।
प्रदेश
लोजपा प्रधान ज्ञानचंद गौतम ने बताया कि इस सम्मेलन में विदेश से करीब 300
दलित नेता समेत एक हजार लोग भाग लेंगे। गौतम ने बताया कि दलितों के खास
मुद्दों पर आम सहमति के लिए ही केवल एक दिन का ही आयोजन रखा गया है। प्रदेश
लोजपा द्वारा सम्मेलन की तैयारी जोरों पर है। खासकर अमरीका श्रीलंका कनाडा
दर्जन भर देशों से आने वाले दलित प्रतिनिधियों के भाग लेने की संभावना है।
इनके ठहराने और दिल्ली दर्शन समेत भारत दर्शन की भी तैयारी की जा रही है।
गौतम ने बताया कि भारत भ्रमण के दौरान ही देश भर के दलित नेताओं महान दलित
विभूतियों के स्मारकों और संग्रहालयों को भी दिखाया जा सकताहै।
गौरतलब
है कि पासवान के सहारे कांग्रेस यूपी में मायावती और दलित कार्ड का सामना
करना चाह रही है। उधर यूपी में चुनावी समर आरंभ होते ही कांग्रेस अपने
पुराने सिपहसालारों को तवज्जह देकर मनाने में लगी है। यूपी में कांग्रेस के
साथ ही युवा बिग्रेड के मेजर राहुल गांधी की साख भी इस बार हवा में टंगी
है. एक तरफ बसपा की मायावती अपनी सत्ता को फिर से हासिल करनें में लगी हैं
तो बीजेपी सपा और कांग्रेस के बीच सत्ता की टक्कर ज्यादातर इलाकों में
बहुकोणीय हो चला है।. इनेलो से हाथ मिलाकर कांग्रेस ने हरित प्रदेश यानी
वेस्ट यूपी में वोट के दो फाड़ होने की आशंका को रोक दिया है। यानी
कांग्रेस ने भाजपा और बसपा को छोड़कर तमाम दलों के साथ चुनावी तालमेल कर सा
है।
सूत्रों
की माने तो अगले या नए साल में कभी भी पासवान और लालू के सिर पर मंत्री
का ताज पहनाया जा सकता है. मंत्रालय को लेकर लालू की जिद खत्म हो गई है।
मजे की बात तो यह है कि एक तरफ लालू को ताज पहनाने की तैयारी चल रही है तो
दूसरी तरफ लालू और ममता दीदी की दरिया दिल्ली से कंगाल रेलवे की हालात पर
जोरदार जंग जारी है।
चुनावी
मजबूरी के नाम पर लड्डू खाने के लिए बेताब लालू और पासवान इस समय पंजे की
जरूरत बन गए है। जिसके लिए लालू र मुलायम की जोड़ी के बीच यूपी में दलित
कार्ड के खिलाफ माया के मुकाबले में पासवान को खड़ा करके कांग्रेस माया की
माया मंड़ली को प्रभावहीन करने में लगी है. यानी धन्य हो अन्ना की। लोकपाल
के नाम पर देश का भला हो या ना हो मगर अन्ना इस तिकड़ी की पाताल में जा रही
पोलटिक्स के खेवनहार बनते दिख रहे है।
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